Source: FirstCry Parenting
अधिगम एक व्यापक शब्द है और यह जन्मजात प्रतिक्रियाओं पर आधारित है । व्यक्ति अपनी जन्मजात प्रवृत्तियों से प्रेरित होकर क्रिया करता है। अधिगम या व्यवहार में परिवर्तन अनुभव तथा प्रशिक्षण दोनों के द्वारा होता है। जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना हमें कुछ न कुछ अनुभव दे जाती है। फिर उन्हीं परिस्थितियों में हम पूर्व अनुभव के आधार पर अपने आपको तैयार पाते है। यह अनुभव द्वारा अधिगम है। जैसे - बालक जलती हुई मोमबत्ती की लौ को हाथ लगाता है । जिससे जलने पर उसे पीड़ा का अनुभव होता है। भविष्य में वह कभी ऐसा नहीं करता । यही अनुभव के द्वारा सीखा गया है। कई बार हम किसी क्रिया विशेष को जानने के लिए उसके ज्ञाता व्यक्ति के निर्देशन में अभ्यास करते हैं। यह प्रशिक्षण है। प्रशिक्षण के द्वारा भी अधिगम होता है। जैसे कार चलाना , साइकिल चलाना , टाइप सीखना , व्यायाम करना सीखना आदि।
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मनुष्य एक अधिगम प्राणी है और अधिगम प्रक्रिया उसमें जन्म से नहीं बल्कि मां के गर्भ से ही प्रारंभ हो जाती है और यह जीवन पर्यन्त चलती रहती है। मानव के सीखने का कोई निश्चित स्थान तथा समय नहीं होता है। वह हर समय और हर जगह कुछ न कुछ सीख सकता है। वह न केवल शिक्षा संस्था में बल्कि परिवार , आस - पड़ोस , समाज , अपरिचित व्यक्तियों , स्थानों सभी से थोड़ा या अधिक सीखता हुआ और इसके फलस्वरूप अपने व्यवहार में परिवर्तन करता हुआ जीवन में आगे बढ़ता जाता है। मनोविज्ञान के अंतर्गत इस प्रकार के स्वाभाविक व्यवहार में होने वाले प्रगतिशील परिवर्तन या परिमार्जन को ही अधिगम ( सीखना ) कहते हैं ।
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