पृथ्वी पर जलमंडल एवं महासागर के बारे में जानकारी Oceans on earth

Safalta Experts Published by: Anonymous User Updated Fri, 27 Aug 2021 06:45 PM IST

जलमण्डल से अर्थ जल की उस परत से है जो पृथ्वी की सतह पर महासागरों, झीलों, नदियों, तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। पृथ्वी की सतह के कुल क्षेत्रफल के लगभग 71% भाग पर जल का विस्तार हैं, इसलिए पृथ्वी को जलीय ग्रह भी कहते हैं। और पृथ्वी का लगभग 29%भाग स्थल है गहराई के अनुसार महासागर को चार भागों में विभाजित किया गया है यह कुछ निम्न है

Source: jagran josh



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महासागर- वह समग्र लवण जलराशि है, जो पृथ्वी के लगभग तीन चौथाई पृष्ठ पर फैला हुआ है। महासागर के छोटे छोटे भागों को समुद्र तथा खाड़ी कहते हैं।जलमंडल का वह सबसे बड़ा भाग जिसकी कोई निश्चित सीमा ना हो उसे हम महासागर कहते हैं सबसे बड़ा महासागर प्रशांत महासागर है

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प्रशांत महासागर- यह अपने संलग्न समुद्रों के साथ धरातल को ढकता है1/3 भाग ढकता है इसकी आकृति त्रिभुजाकार एवं क्षेत्रफल संपूर्ण स्थल के क्षेत्रफल से अधिक है इसके शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर तथा आधार अंटार्टिका महाद्वीप पर है भूमध्य रेखा पर इसकी लंबाई 16000 किलोमीटर से भी अधिक है प्रवाल  भित्तिया प्रशांत महासागर की प्रमुख विशेषता है इस विशाल महासागर में कुल मिलाकर2000 से भी अधिक दीप है प्रशांत महासागर का अधिकांश तटवर्ती सागर पश्चिमी भाग में है इसमें बेरिंग सागर, आखोटस्क सागर, जापान सागर, पूर्वी चीन सागर आदि महत्वपूर्ण है पूर्व की ओर केवल कैलिफ़ोर्निया की खाड़ी ही प्रसिद्ध है इसके बेसिन की औसत गहराई7300 मीटर है विश्व की सबसे गहरी खाई    मारियाना खाई जो समुंद्र से11,035 मीटर गहरी है इसी महासागर में है

अंटार्कटिका महासागर- अंटार्कटिक महासागर की गहराई हार्न अंतरीप के पास 600 मील है, तो अफ्रीका के दक्षिण स्थित अमुलहस अंतरीप के समीप 2,400 मील है अंटार्कटिक महासागर के जल का, सतह पर, औसत तापमान 29.8° फारनहाइट रहता है और तल पर यह तापमान 32° से 35° फारनहाइट तक होता है।इस क्षेत्र में छोटे-छोटे पौधे, पक्षी तथा अन्य जीव-जंतु पाए जाते हैं ह्वेल मछली के शिकार के लिए भी यह महासागर महत्वपूर्ण माना जाता है और यहाँ से ह्वेल का काफी व्यापार होता है। यह संपूर्ण संसार का छठा भाग है इसकी आकृति अंग्रेजी के S आकार से मिलती जुलती है इसके पश्चिम में दोनों अमेरिका तथा पूरब में यूरोप और अफ्रीका है इस महासागर का सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मध्य अटलांटिक कटक है यह उत्तर में आइसलैंड से दक्षिण में बोवेट दीप तक लगभग14,000 किलोमीटर लंबा तथा 4,000 मीटर छोटे-छोटे दीपों का रूप धारण कर गई है अटलांटिक महासागर तट के साथ बेफिन की खाड़ी, हडसन की खाड़ी ,उत्तरी सागर, बाल्टिक सागर, मेक्सिको की खाड़ी भूमध्य सागर तथा कैरीबियन सागर महत्वपूर्ण सागर है

हिंद महासागर- दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा समुद्र है और पृथ्वी की सतह पर उपस्थित पानी का लगभग 20% भाग इसमें समाहित है। उत्तर में यह भारतीय उपमहाद्वीप से, पश्चिम में पूर्व अफ्रीका; पूर्व में हिन्दचीन, सुंदा द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया, तथा दक्षिण में दक्षिणध्रुवीय महासागर से घिरा है। विश्व में केवल यही एक महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम यानी, हिन्दुस्तान (भारत) के नाम है। प्राचीन भारतीय ग्रंथो मे इसे " रत्नाकर " कहा गया है इसके उत्तर में एशिया महाद्वीप, दक्षिण में अटलांटिक महादीप, पूर्व में ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप तथा पश्चिम में अफ्रीका महाद्वीप है यह एक आधा महासागर है यह एक तरफ प्रशांत महासागर और दूसरी तरफ अटलांटिक महासागर से मिला हुआ है कर्क रेखा इस महासागर की उत्तरी सीमा है इसमें भारत की दक्षिणी- पश्चिमी तट के समीप लक्षदीप तथा मालवीय प्रवाल द्वीप के उदाहरण है इस महासागर का सबसे बड़ा द्वीप मेडागास्कर है मेडागास्कर की पूर्व में मारीशस द्वीप है इस महासागर में वास्तविक तटवर्ती सागर दो ही है वे है लाल सागर और फारस की खाड़ी| अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी की गणना भी सागरों में ही की जाती है लेकिन यह हिंद महासागर के उत्तरी विस्तार मात्र ही है डियागोगार्सिया द्वीप किस महासागर में है

आर्कटिक महासागर- यह महासागर लगभग पूरी तरह से यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका से घिरा हुआ है। आर्कटिक महासागर आंशिक रूप से साल भर में समुद्री बर्फ से ढका रहता है और सर्दियों में लगभग पूर्ण रूप से बर्फ से आच्छादित हो जाता है। इस महासागर का तापमान और लवणता मौसम के अनुसार बदलती रहती है, क्योंकि इसकी बर्फ पिघलती और जमती रहती है।पाँच प्रमुख महासागरों में से इसकी औसत लवणता सबसे कम है, जिसका कारण कम वाष्पीकरण, नदियों और धाराओं से भारी मात्रा में आने वाला मीठा पानी और उच्च लवणता वाले महासागरों से सीमित जुड़ाव है, जिसके कारण यहाँ का पानी बहुत कम मात्रा में इन उच्च लवणता वाले महासागरों में बह कर जाता है इसका कुल क्षेत्र1,40,90,100 वर्ग किलोमीटर है इसकी औसत गहराई3500 मीटर है आर्कटिक महासागर के प्रमुख बेसिन ग्रीनलैंड तथा नार्वे है

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