Agricultural Revolutions in India: जानिए भारत में कृषि क्रांति के बारे में

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Fri, 15 Apr 2022 10:58 AM IST

इस धरती पर भारत हीं एकमात्र ऐसा देश है जिसे कृषि प्रधान या खेती बाड़ी प्रधान देश कहा और माना जाता है. भारत में कृषि क्षेत्र के महत्व का इस बात से हीं अनुमान लगाया जा सकता है कि आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के मुताबिक अभी भी लगभग 60% भारतीय आबादी कृषि के क्षेत्र पर हीं पुर्णतः निर्भर है. यही नहीं, भारत के जीडीपी में सबसे अधिक योगदान एग्रीकल्चर सेक्टर का है. कृषि क्रान्ति ने केवल भारत में खाद्य समस्या का निदान किया है बल्कि कृषियों यानि किसानों का जीवन भी बदल दिया है. अब भारत के किसान अपनी सदियों पुरानी गरीबी से निकल कर समृद्ध हो रहे हैं. भारत में कृषि के क्षेत्र में कई क्रांतियां हुई हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारत के सभी महत्वपूर्ण कृषि क्रांति के बारे में बताएँगे. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

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क्या है कृषि क्रान्ति -

कृषि क्रांति का तात्पर्य कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए किए जाने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तनों से है. यह परिवर्तन कोई आविष्कार, कोई खोज या नई तकनीकों को लागू करना हो सकता है. कृषि के क्षेत्र में इन क्रांतियों से उत्पादन दर बढ़ जाती है तथा उत्पादन के तरीके भी बदल जाते हैं. भारत में विभिन्न प्रकार की कृषि क्रांतियां हुई हैं और इन क्रांतियों के फलस्वरूप कृषि के क्षेत्र में एक बिल्कुल हीं नए युग की शुरुआत हुई है. इन कृषि क्रांतियों ने भारतीय कृषि को बहुत हीं तेजी के साथ बढ़ने में मदद की और इन क्षेत्रों में अनेक प्रकार के नए अवसर पैदा किए.विभिन्न बैंकों, आरआरबी, एसएससी, या किसी अन्य सरकारी परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए कृषि के क्षेत्र में हो रहे नए नए आविष्कारों से अवगत होना बहुत महत्वपूर्ण है.

इस प्रकार सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के लिए यह विषय बहुत महत्त्व रखता है. तो आइए बात करते हैं भारत में कृषि क्रांति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर -

1) हरित क्रांति (ग्रीन रिवोल्यूशन) -
  • भारत में हरित क्रांति ने सभी छोटे बड़े खेतिहर किसानों के लिए समृद्धि और सुख का द्वार खोल दिया.
  • हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में टेक्नोलॉजी और एग्रीकल्चरल रिसर्च के उपयोग के द्वारा कृषि उत्पादकता यानि एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन में वृद्धि करना था. जो भारत में पूरी तरह कामयाब रहा.
  • इसका मुख्य फोकस नई तकनीकों को अपनाकर भारत की कृषि को एक आधुनिक औद्योगिक प्रणाली में बदलने का था. उदाहरण स्वरुप - उच्च उपज देने वाली किस्म (HYV) के बीज, मशीनीकृत कृषि उपकरण, सिंचाई की सुविधाएं, कीटनाशक और उर्वरक का उपयोग इत्यादि.
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2) श्वेत क्रांति (वाइट रिवोल्यूशन) -
  • जैसा कि नाम से हीं जाहिर है, श्वेत क्रांति यानि देश में दूध के उत्पादन में तेज वृद्धि लाने से जुड़ी क्रांति.
  • श्वेत क्रांति पीरियड का मुख्य उद्देश्य भारत को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना था.
3) गुलाबी क्रांति (पिंक रिवोल्यूशन) -
  • गुलाबी क्रांति, पोल्ट्री (मुर्गी) और मीट प्रोसेसिंग (मांस प्रसंस्करण) क्षेत्रों में तकनीकी क्रांति को दर्शाती है. गुलाबी क्रांति (पिंक रिवोल्यूशन) में मांस परीक्षण के लिए सुविधाओं का निर्माण, संरक्षण और विकास के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा तथा अन्य बुनियादी सुविधाएं (इन्फ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज) शामिल हैं.
4) ग्रे क्रांति (ग्रे रिवोल्यूशन) -
  • यह क्रांति (ग्रे रिवोल्यूशन) हरित क्रांति के उत्तरवर्तन के सिलसिले में शुरू की गई थी. हरित क्रांति में हुई गलतियों को सुधारने के लिए इस क्रान्ति यानि ग्रे क्रांति को शुरू किया गया था.
5) गोल क्रांति (राउंड रिवोल्यूशन) -
  • गोल क्रांति यानि आलू के लिए क्रांति का उद्देश्य एकल वार्षिक वृद्धि के बजाय आलू के उत्पादन को दोगुना या तिगुना करने का था.

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6) पीली क्रांति (येलो रिवोल्यूशन) -
  • जैसा कि नाम से हीं पता चलता है कि यह क्रान्ति तिलहनों के क्षेत्र में किया गया. पीली क्रांति के कारण हीं भारत जो पहले तिलहनों का शुद्ध आयातक हुआ करता था वह अब इस क्षेत्र का शुद्ध निर्यातक बन गया है.
  • 1990 के दशक की शुरुआत में, वार्षिक तिलहन फसल से 25 मिलियन टन तिलहन का उत्पादन किया गया.
7) नीली क्रांति (ब्लू रिवोल्यूशन) -
  • नीली क्रांति का उद्देश्य देश में मत्स्य पालन (फिशरी) की पूर्ण क्षमता और इसके सम्पूर्ण संघटित विकास के लिए एक योग्य और सक्षम वातावरण बनाना है.
  • नीली क्रांति का उद्देश्य वस्तुतः अस्थिरता, जैव-सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मछुआरों और मछली पालक किसानों की आय की स्थिति में अच्छा खासा सुधार करना है.
8) प्रोटीन क्रांति (प्रोटीन रिवोल्यूशन) -
  • प्रोटीन क्रांति दरअसल टेक्नोलॉजी से संचालित दूसरे प्रकार की हरित क्रांति है.
  • इसके लिए किसानों को किसी भी प्रकार की अस्थिरता से निपटने में मदद करने के लिए 500 करोड़ रुपये के फण्ड (प्राइस स्ताबिलेशन फण्ड) मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई है.
  • इसके अलावा एक किसान टीवी भी लॉन्च किया गया है जो नई तकनीकों, जल संरक्षण और जैविक खेती के मुद्दे पर सही और समयानुकूल जानकारी प्रदान करने का काम करेगा.

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9) काली क्रांति (ब्लैक रिवोल्यूशन) -
  • भारत सरकार ने इथेनॉल के उत्पादन में तेजी लाने के लिए और बायोडीजल का उत्पादन करने के लिए इसे पेट्रोल के साथ मिलाने की योजना बनाई है.
  • ट्रांसपोर्ट फ्यूल (परिवहन ईंधन) के साथ इथेनॉल के सम्मिश्रण से किसानों को बेहतर लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है. यह एक दुर्लभ पूरक और पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोकार्बन संसाधन होगा. इथेनॉल ऊर्जा का एक अक्षय स्रोत होता है यह चीनी उत्पादन की क्रिया का बाय प्रोडक्ट या उप-उत्पाद है जिसे खांड या गुड़ कहते हैं.
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील में पेट्रोल के साथ इथेनॉल का सम्मिश्रण 70 वर्षों से भी अधिक समय से किया जा रहा है. परिवहन ईंधन के साथ इथेनॉल का सम्मिश्रण किसानों को बेहतर रिटर्न प्रदान करेगा.
  • इस प्रकार यह हाइड्रोकार्बन के दुर्लभ संसाधनों को पूरक प्रदान करेगा और प्रदूषकों को कम करने के कारण यह पर्यावरण के अनुकूल भी होगा क्योंकि यह दहन या ज्वलन की प्रक्रिया में मदद करता है.
10) ऑपरेशन ग्रीन्स –
  • श्वेत क्रांति में दूध की सफलता को दर्शाने के बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर, देश के फलों और सब्जियों के लिए ऑपरेशन ग्रीन्स की शुरुआत की. जिसमें टमाटर, प्याज और आलू जैसे टॉप क्रॉप्स पर प्रमुख रूप से ध्यान दिया गया.
  • केंद्रीय बजट 2018-2019 में ऑपरेशन ग्रीन्स स्कीम को लॉन्च किया गया था.

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