Bal Gangadhar Tilak Biography,जाने बाल गंगाधर तिलक के जीवन परिचय, शिक्षा और करियर के बारे में विस्तार से

Safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 28 Aug 2022 10:20 PM IST

Highlights

 अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गंगाधर तिलक ने 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ज्वाइन किया।

Bal Gangadhar Tilak Biography : बाल गंगाधर तिलक को भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के पहले लीडर गंगाधर तिलक थे। गंगाधर तिलक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वे एक शिक्षक, वकील, सोशल एक्टिविस्ट, स्वतंत्रता संग्रामी नेशनल लीडर थे। उन्होंने इतिहास, संस्कृत, खगोल शास्त्र एवं गणित में महारत हासिल की थी। बाल गंगाधर तिलक को लोग प्यार से लोकमान्य कह कर बुलाते थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने कहा था कि स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे पाकर ही रहेंगे इस नारे से बहुत से लोग प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में इनका साथ दिया था। बाल गंगाधर पूरी तरह से महात्मा गांधी का समर्थन नहीं करते थे, उनके हिसाब से अहिंसा सत्याग्रह पर पूरी तरह से अपनाना सही नहीं है, जरूरत पड़ने पर लोगों को हिंसा का उपयोग करना पड़ता है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

Source: safalta

 विषय सूची


लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय
 बाल गंगाधर तिलक का जन्म, शिक्षा और परिवार
बाल गंगाधर तिलक का करियर
 बाल गंगाधर तिलक का राजनैतिक सफर
 बाल गंगाधर तिलक द्वारा लिखे गए रचना
बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु
बाल गंगाधर तिलक से जुड़े FAQ
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय


बाल गंगाधर तिलक का जन्म ब्राह्मण परिवार के चितपावन ब्राह्मण परिवार रत्नागिरी महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पिता गंगाधर तिलक एक संस्कृत के अध्यापक थे। तिलक को बचपन से ही पढ़ाई में रुचि थी। वे गणित विषय में बहुत अच्छे विद्यार्थी थे। तिलक जब 10 साल के थे तब उनके पिता रत्नागिरी से पुणे आ गए थे और उन्होंने एंग्लो वर्नाकुलर स्कूल ज्वाइन किया और शिक्षा प्राप्त की। पुणे आने के थोड़े समय बाद तिलक ने अपनी मां को खो दिया 16 साल की उम्र में तिलक के सर से पिता का भी हाथ उठ गया था। जब वह पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने 10 साल की लड़की तापीबाई से शादी की थी जिनका नाम बदलकर सत्यभामा हो गया था। मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद कॉलेज में दाखिला ले लिया। जहां से उन्होंने 1970 में फर्स्ट क्लास में पास की थी। भारत के इतिहास में तिलक उस पीढ़ी के थे जिन्होंने मॉडर्न पढ़ाई की शुरुआत की और कॉलेज से एजुकेशन ली थी। इसके बाद पढ़ाई जारी रखी और एलएलबी की डिग्री हासिल की।
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बाल गंगाधर तिलक का करियर


 बाल गंगाधर तिलक पुणे के एक प्राइवेट स्कूल में गणित के अध्यापक बन गए। कुछ समय बाद स्कूल से नौकरी छोड़कर पत्रकार बन गए और देश में चल रही गतिविधियों से बहुत आहत थे। इसके लिए बड़े रूप में कार्य करना चाहते थे। तिलक पश्चिमी शिक्षा पद्धति के बड़े आलोचक थे और उनका मानना था कि इसके द्वारा भारतीय विद्यार्थियों को नीचा दिखाया जा रहा है और भारतीय संस्कृति को गलत ढंग से प्रेजेंट किया जा रहा है। कुछ सोच विचार करने के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि एक अच्छा नागरिक तभी बना जा सकता है, जब उसे अच्छी शिक्षा मिले भारत में शिक्षा के क्षेत्र को सुधारने के लिए उन्होंने अपने मित्र के साथ मिलकर डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की थी।  इसके अगले साल तिलक ने दो समाचार पत्रों का भी निर्माण शु रू किया। इसमें से था केसरी जो मराठी भाषा में सप्ताहिक समाचार पत्र था और दूसरा था माह्रात्ता जो अंग्रेजी भाषा में सप्ताहिक समाचार पत्र था। भारत में समाचार पत्र के इतिहास के बारे में में अगर बात करें तो बाल गंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए यह समाचार पत्र की चर्चा की जाती है। थोड़े समय में ही दोनों समाचार पत्रों ने बहुत प्रसिद्धि हासिल की और अपने इस समाचार को पत्र पर तिलक अक्सर भारत की दुर्दशा के विषय पर लिखते थे। वे लोगों के कष्ट और वास्तविक घटनाओं की तस्वीर को इसमें छापते थे। गंगाधर तिलक सबसे कहा करते थे कि अपने हक के लिए आ के लड़े। बाल गंगाधर तिलक सभी भारतीयों को उकसाने के लिए अक्सर उग्र भाषा का उपयोग किया करते थे।

 बाल गंगाधर तिलक का राजनैतिक सफर


 अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गंगाधर तिलक ने 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ज्वाइन किया। महात्मा गांधी के पहले भारतीय राजनेता के रूप में अंग्रेज गंगाधर को ही जानते थे। वे पुणे मुंसीपल एवं मुंबई विधान मंडल के सदस्य रहे थे। वे एक महान समाज सुधारक थे और उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया और विधवा पुनर्विवाह का भी समर्थन किया था। अट्ठारह सौ सत्तावन में अपने भाषण के द्वारा अशांति फैलाने और सरकार के विरोध में बोलने के लिए इनके खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई जिसके लिए तिलक को जेल जाना पड़ा और डेढ़ साल बाद यानी 1998 में बाहर आए ।सरकार ने उन्हें भारतीय अशांति के पिता के नाम से संबोधित किया करते थे। जब वे जेल में बंद थे तब उन्हें देश का महान हीरो एवं सहीद कहा जाता था। जेल से छूटने के बाद स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की। समाचार पत्र और भाषण के द्वारा वे अपने बात को महाराष्ट्र के गांव-गांव तक पहुंचाया करते थे। तिलक में अपने घर के सामने एक बड़ा स्वदेशी मार्केट भी बनाया था। स्वदेशी आंदोलन के द्वारा सभी विदेशी सामान का बहिष्कार किया करते थे और लोगों को इसमें जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे। इस समय कांग्रेस पार्टी के अंदर गर्मी बढ़ गई थी और विचारों में मतभेद के चलते कांग्रेस पार्टी दो भागों में बंट गई थी और गरम पंथी बाल गंगाधर तिलक द्वारा चलाया जाता था जबकि नरमपंथी गोपाल कृष्ण के द्वारा चलाया जाता था।गरमपंथ स्शासन के पक्ष में था। जबकि नरमपंथी सोचते थे कि समय भी ऐसी स्थिति के लिए नहीं । है दोनों एक दूसरे के विरोधी थे लेकिन उद्देश्य एक ही था भारत का स्वतंत्र होना। बाल गंगाधर तिलक बिपिन चंद्र पाल एवं पंजाब के लाला लाजपत राय का समर्थन करने लगे थे। यहीं से यह तीनों की तिकड़ी लाल, बाल, पाल नाम से जाने लगी थी। बाल गंगाधर तिलक ने अपने पेपर केसरी में स्वराज की बात कही इसके बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और इसके लिए उन्हें 6 साल की जेल हुई और उन्हें बर्मा भेज दिया गया था। जेल में बहुत सी किताबें पढ़ा करते थे और उन्होंने गीता का रहस्य बुक की रचना की थी। 8 जून 1916 को जेल से बाहर छूटे थे। जेल से बाहर आने के बाद 1916 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और कांग्रेस के दोनों दलों को फिर से जोड़ने की प्रयास कि उन्होंने इसके लिए महात्मा गांधी को भी समझाने की कोशिश की कि वे पूरी तरह से अहिंसा को सपोर्ट ना करें। इसके बारे में भी सोचे उनकी सारी मेहनत बेकार हुई इसके बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी होम रूल लीग बनाई। जिसके बाद वे देश भर में घूम-घूम कर सबको स्वराज आंदोलन से जोड़ने की प्रयास करते रहे।

 
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 बाल गंगाधर तिलक की रचनाएं कौन-कौन सी है


 ओरियन 1893
 दी आर्कटिक  होम इन दी वेद 1903
 गीता रहस्य 1915


बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु


स्वराज के लिए लड़ाई लड़ने में बाल गंगाधर तिलक अपने जीवन भर कार्य करते रहे। 1 अगस्त 1920 को उनकी मुंबई में अचानक मृत्यु हो गई थी। इन्होंने स्वराज प्राप्ति के लिए बहुत से कार्य किए थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनका नाम अक्सर याद किया जाता है।

बाल गंगाधर तिलक से जुड़े FAQ


1. बाल गंगाधर तिलक का पूरा नाम क्या था
 केशव गंगाधर तिलक
2.बाल गंगाधर तिलक का जन्म कब हुआ था
23 जुलाई 18 56
3.बाल गंगाधर तिलक का जन्म स्थान कौन सा है
 रत्नागिरी महाराष्ट्र
 4.बाल गंगाधर तिलक की पत्नी का नाम क्या था
विवाह के पहले तापीबाई फिर नाम बदल कर बाद में सत्यभामा हो गया
5. बाल गंगाधर तिलक कौन से पार्टी के सदस्य थे
इंडियन नेशनल कांग्रेस,
6. इंडियन नेशनल कांग्रेस से अलग होने के बाद बाल गंगाधर तिलक ने अपने कौन सी पार्टी की स्थापना की
होम रूल लीग पार्टी
7.बाल गंगाधर तिलक द्वारा लिखी गई किताब के नाम
ओरियन 1893
 दी आर्कटिक  होम इन दी वेद 1903
 गीता रहस्य 1915
8. ब्रिटिश सरकार बाल गंगाधर पिता को किस नाम से संबोधित किया करते थे
भारतीय अशांति के पिता

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