Biography of Maulana Azad, मौलाना आजाद के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से 

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Thu, 10 Nov 2022 06:24 PM IST

Highlights

मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का सऊदी अरब में हुआ था।

Biography of Maulana Azad : भारत में शिक्षा की नींव रखने वाले अबुल कलाम आजाद का असली और पूरा नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन है लेकिन लोग इन्हें मौलाना आजाद के नाम से जानते हैं। स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के दौरान मौलाना आजाद मुख्य सेनानी के रूप में सामने आए थे। आजाद एक महान वैज्ञानिक, राजनेता, शिक्षाविद् और कवि थे। भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए इन्होंने अपने पेशेवर कार्य को छोड़ दिया और देशभक्ति के चलते देश की आजादी के लिए बाकी लोगों के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए। मौलाना आजाद महात्मा गांधी के साथ अहिंसा का साथ देते हुए सविनय अवज्ञा और असहयोग आंदोलन में भाग लिया था। अन्य मुसलमान लीडर जैसे मोहम्मद अली जिन्ना आदि से अलग मौलाना आजाद भारत देश की स्वतंत्रता को संप्रदायिक स्वतंत्रता से बढ़कर मानते थे। उन्होंने धार्मिक सद्भाव के लिए काम किया और देश के बंटवारे को लेकर कट्टर प्रतिद्वंदी भी थे। मौलाना आजाद लंबे समय तक भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी और भारत-पाकिस्तान विभाजन के गवाह भी बने। भारतीय होने के कारण इन्होंने स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान ना जाकर भारत में ही रहकर देश के विकास में कार्य किया और अपना योगदान दिया। इन्हें देश के पहले शिक्षा मंत्री बनाया गया और देश के शिक्षा पद्धति को सुधारने का जिम्मा इन्हें थमाया गया।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

Source: safalta


      

मौलाना आजाद की जीवन परिचय के बारे में 


मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का सऊदी अरब में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद खैरुद्दीन था जो एक बंगाली मौलाना थे और बहुत बड़े विद्वान भी थे। इनकी माता अरब की थी जो शेख मोहम्मद ज़हर वात्री की बेटी थी जो मदीना में एक मौलवी थी, जिन्हें अरब के अलावा बाहरी देशों में भी जाना जाता था। मौलाना खैरुद्दीन अपने परिवार के साथ बंगाल में रहते थे लेकिन 1857 के समय हुए विद्रोह के लड़ाई में इन्हें भारत छोड़ अरब जाना पड़ा जहां मौलाना आजाद का जन्म हुआ। मौलाना आजाद जब 2 साल के थे तब उनका परिवार 1890 में भारत वापस आए और कोलकाता में बस गया। 13 साल की उम्र में मौलाना आजाद का विवाह जुलेखा बेगम से हुआ।

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 मौलाना आजाद की शिक्षा के बारे में 


मौलाना आजाद का परिवार एक रूढ़िवादी ख्यालों से घिरा हुआ था। इसका असर उनकी शिक्षा में भी पड़ा, मौलाना आजाद को  परंपरागत इस्लामी शिक्षा दी गई।  मौलाना आजाद के परिवार को इस्लामी शिक्षा का बखूबी ज्ञान था यह ज्ञान मौलाना आजाद को विरासत में मिली थी। आजाद की प्रारंभिक शिक्षा उनके घर पर ही पिता के द्वारा दी गई थी। इसके बाद उनके लिए एक शिक्षक नियुक्त किया गया जो उन्हें संबंधित क्षेत्रों में शिक्षित किए। आजाद ने सबसे पहले अरबी, फारसी भाषा सीखी इसके बाद इन्होंने दर्शनशास्त्र, ज्यामिति, गणित और बीजगणित का ज्ञान प्राप्त किया, इसके साथ ही उन्होंने बंगाली, उर्दू भाषा का भी ज्ञान अर्जन किया आजाद को पढ़ाई के क्षेत्र में बहुत रुचि था वह बहुत मन लगाकर पढ़ाई करते थे एवं खुद से अंग्रेजी, विश्व इतिहास एवं राजनीति के बारे में पढ़ा करते थे। मौलाना आजाद एक ऐसे मेधावी छात्र थे जिनमें विशेष ज्ञान की योग्यता थी जो उन्हें समकालीन से आगे रहने में हमेशा मदद करते थे। आजाद को एक विशेष शिक्षा और ट्रेनिंग दी गई जो कि मौलवी बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।  Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize


 मौलाना आजाद स्वतंत्रता सेनानी के रूप में 


एक मौलवी के रूप में शिक्षा ग्रहण करने के बाद आजाद ने अपने इस काम को नहीं चुना और हिंदू क्रांतिकारियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया।

 1912 में मौलाना आजाद ने उर्दू भाषा में 1 सप्ताहिक पत्रिका al-hilal की शुरुआत की थी। जिसमें ब्रिटिश सरकार ने बैन लगा दिया। इस अखबार में हिंदू मुस्लिम एकता पर बात लिखी जाती थी और युवाओं से अनुरोध किया गया कि वह हिंदू मुस्लिम की लड़ाई को छोड़कर देश की स्वतंत्रता के लिए लड़े और काम करें। इस साप्ताहिक अखबार के बैन होने के बाद मौलाना आजाद ने अल-बगाह नाम से दूसरी पत्रिका निकाली जो al-hilal की तरह ही काम करती थी। लगातार अखबार में राष्ट्रीयता की बात छापने से देश भर में आक्रोश पैदा हो गया जिससे ब्रिटिश सरकार को खतरा महसूस होने लगा। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत की रक्षा के लिए विनियम अधिनियम के अंतर्गत अल-बगाह को भी बैन कर दिया। इसके बाद मौलाना आजाद को गिरफ्तार कर रांची रांची के जेल में बंद कर दिया गया जहां उन्हें 1 जनवरी 1920 तक रखा गया।

 मौलाना आजाद के खिलाफत आंदोलन शुरू किए जिससे मुस्लिम समुदाय को जागृत करने का प्रयास किया गया। आजाद ने गांधी के साथ हाथ मिलाकर उनके सहयोग से असहयोग आंदोलन में भाग लिया जिसमें ब्रिटिश सरकार की सभी सरकारी चीजों का बहिष्कार किया था। ऑल इंडिया खिलाफत कमिटी के अध्यक्ष मौलाना आजाद को चुना गया, बाकी खिलाफत लीडर के साथ मिलकर इन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया संस्था की स्थापना की थी।

 इन्होंने गांधी जी एवं पैगंबर मोहम्मद से प्रेरित होने के कारण अपने जीवन में भी बड़ा बदलाव किया। अहिंसा को पूरी तरह से अपने जीवन में उतार लिया था। 1923 में आजाद को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। कम उम्र में पहली बार किसी नेता को यह पद दिया गया था, दिल्ली में एकता सम्मेलन में मौलाना आजाद ने खिलाफत एवं स्वराजी के बीच मतभेद कम करने की कोशिश की थी। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application


 भारत पाकिस्तान विभाजन के समय मौलाना आजाद ने भारत में मुस्लिम समुदाय की रक्षा की जिम्मेदारी ली, बंटवारे के समय ये बंगाल, बिहार, पंजाब एवं असम गए जहां यह लोगों के लिए रिफ्यूजी कैंप बनवाएं और उनके खाना एवं सुरक्षा की व्यवस्था करवाएं।

 पंडित जवाहरलाल नेहरु की सरकार में मौलाना को पहले कैबिनेट मंत्री मंडल में 1947 से 1958 तक शिक्षा मंत्री बनाया गया। शिक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद आजाद ने 14 साल से कम उम्र के सभी लोगों के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी थी, इसके साथ ही व्यस्क निरक्षरता, माध्यमिक शिक्षा और गरीब, महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया था जिससे देश की उन्नति जल्द से जल्द की जा सके।

 मौलाना आजाद वैज्ञानिक शिक्षा पर विश्वास करते थे इन्होंने कई यूनिवर्सिटी एवं इंस्टिट्यूट का भी निर्माण करवाया था, जहां उच्च दर की शिक्षा मौजूद करवाई गई। मौलाना आजाद के तत्वाधान में ही देश का पहले आईआईटी, आईआईएससी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का निर्माण हुआ था।


मौलाना आजाद के उपलब्धियों के बारे में 


1989 में मौलाना आजाद की जयंती के अवसर पर भारत सरकार ने शिक्षा को देश में बढ़ावा देने के लिए मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन बनाया गया है।

 हर साल मौलाना आजाद के जन्म दिवस के अवसर पर 11 नवंबर को नेशनल एजुकेशन डे मनाया जाता है।

 भारत की शिक्षा संस्थान, स्कूल कॉलेज इनके नाम पर रखे गए हैं।

मौलाना आजाद को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है।


 मौलाना आजाद की मृत्यु के बारे में 


22 फरवरी 1958 को स्ट्रोक के चलते मौलाना आजाद की मृत्यु दिल्ली में हुई थी। मौलाना आजाद भारत में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने की शुरुआत की थी ।उनको देश में शिक्षा का संस्थापक कहना गलत नहीं होगा। आजाद मौलाना के योगदान एवं प्रयासों के चलते भारत में शिक्षा का स्तर इतना अच्छा है, मौलाना यह बात जानते थे कि उन्नति एवं विकास के लिए शिक्षा का मजबूत और बेहतर होना बहुत महत्वपूर्ण है।

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