Source: Safalta
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प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन क्या होगा
यह परियोजना केरल ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (Kerala Council of Historical Research (KCHR)) द्वारा एग्जीक्यूट की जा रही है जो उच्च शिक्षा विभाग, लीडेन विश्वविद्यालय और नीदरलैंड के national archives के कामकाज के अंतर्गत आता है। और यह प्रोजेक्ट छह साल में पूरा होगा।परियोजना किससे संबंधित होगी?
यह परियोजना मालाबार पर 18वीं सदी के डच दस्तावेजों से संबंधित होगी, जिन्हें 1643 से 1852 के बीच केरल की अवधि के बारे में सबसे व्यापक सूचना स्रोत (comprehensive information source) माना जाता है। दस्तावेज शास्त्रीय डच भाषा में लिखे गए हैं । जो कि तमिलनाडु, केरल और नीदरलैंड में उपलब्ध हैं।
मास्टर ऑफ आर्ट्स प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का अवसर
इस परियोजना के हिस्से के रूप में, केरल के छात्रों को लीडेन विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ आर्ट्स कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के अवसर मिलेंगे, जबकि नीदरलैंड के छात्रों को KCHR में इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाएगी। साथ ही, लीडेन विश्वविद्यालय और KCHR केरल के इतिहास से संबंधित विषय पर हर साल दो सप्ताह के ग्रीष्मकालीन स्कूल का आयोजन करेंगे, यह एक हिसाब से दो ,देशों की संस्कृति और इतिहास का आदान प्रदान है।
'कॉसमॉस मालाबारिकस' का उद्देश्य क्या है
इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों के साथ-साथ केरल के लोगों सहित दर्शकों के लिए डिजिटलीकृत डच अभिलेखीय सामग्री (Dutch Archival Materials) बनाना है। जिसमें कंटेंट का अनुवाद किया जाएगा और समरी को इंग्लिश में प्रचार किया जाएगा। कंटेंट में केरल के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक इतिहास को समझने में मदद करेगी।
पेंट अकादमी प्रतिष्ठान
पेंट अकादमी की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर नीदरलैंड में भारतीय प्रमुख रसायन और पेंट कंपनी की सहायक कंपनी, एक्ज़ोनोबेल इंडिया लिमिटेड और अतिरिक्त कौशल अधिग्रहण कार्यक्रम (Additional Skills Acquisition Program- (ASAP)) , भारतीय बुनियादी ढांचा और निर्माण संस्थान, कोल्लम द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं। कोल्लम के चावरा में IIICC परिसर में स्थापित की जाने वाली पेंट अकादमी, पेंटिंग भवनों में छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही ASAP स्किल स्काई पार्क, थवनूर, मलप्पुरम में स्थापित होने वाली अकादमी पेंटिंग वाहनों में प्रशिक्षण प्रदान करेगी। इस परियोजना के तहत पहले साल में 380 लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
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