How are Earthquake Measured : जानिये कैसे मापते हैं भूकम्प की तीव्रता को?

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Mon, 04 Jul 2022 11:11 PM IST

Highlights

जानते हैं कि कैसे भूकम्प एक पल में कच्ची मिट्टी के खिलौने सा मनुष्य और उसके घर द्वार को तोड़ ढहा कर गुज़र जाता है.

इसमें कोई शक नहीं कि भूकम्प दुनिया की सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा है. भूकम्प जैसी भयावह घटना के बारे में सुन कर भी लोग दहल जाते हैं. खास कर वे लोग जो धरती की इस विनाश लीला को पहले भी देख चुके हैं, जानते हैं कि कैसे यह एक पल में कच्ची मिट्टी के खिलौने सा मनुष्य और उसके घर द्वार को तोड़ ढहा कर गुज़र जाता है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

Source: Safalta

May Month Current Affairs Magazine DOWNLOAD NOW
Indian States & Union Territories E book- Download Now
 

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes

टेक्टोनिक प्लेट्स जिम्मेदार

पुराने समय में भूकम्प से धरती के हिलने को लोग ईश्वर का पदचाप मानते थे. समय के साथ विज्ञान ने लोगों को इस बात से अवगत कराया कि दुनिया भर में आने वाले भूकम्पों के लिए जमीन की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स जिम्मेदार होती हैं. ये प्लेट्स जब एक दूसरे से टकरातीं हैं तो इसके परिणामस्वरूप भूकम्प के झटके महसूस होते हैं. बता दें कि पृथ्वी की सतह के ठीक नीचे जहां पर भूकम्प शुरू होता है, उसे हाइपोसेंटर कहा जाता है और पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर उसी स्थान को एपिसेंटर (epicentre) कहा जाता है. कई बार तो इन टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से सुनामी जैसे हालात भी पैदा हो जाते हैं. वहीँ भूकम्प की तीव्रता अगर कम हो तो इंसान को इसके झटके महसूस तक भी नहीं होते जबकि अधिक तीव्रता वाला भूकम्प विनाशलीला मचा कर चला जाता है.
सर्कम-पैसिफिक बेल्ट सबसे महत्वपूर्ण भूकंप बेल्ट हैं जो कि प्रशांत महासागर के आसपास की आबादी वाले कई तटीय क्षेत्रों जैसे न्यूजीलैंड, न्यू गिनी और जापान आदि को प्रभावित करती है. आइए जानते हैं कि भूकम्प की तीव्रता को मापा कैसे जाता है ?

भूकम्प की तीव्रता को कैसे मापते हैं ?

रिक्टर स्केल पर भूकम्पीय तरंगों या भूकम्प की तीव्रता का मापन सीस्मोमीटर या सिस्मोग्राफ नामक यंत्र के द्वारा किया जाता है. रिक्टर स्केल, भूकंप की तीव्रता को मापने का एक गणितीय पैमाना है.  इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है. भूकम्प के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उस उर्जा की तीव्रता को इससे मापा जाता है. इसी तीव्रता या तरंगों को माप कर हमें भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा प्राप्त होता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है. भूकंप की तीव्रता भिन्न भिन्न हो सकती है. कमजोर या छोटे भूकंप महसूस भी नहीं किए जाते जबकि बड़े भूकम्प पूरे से पूरे शहरों को नष्ट कर विनाश का कारण बन सकते हैं.
रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों को 1 से 9 तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है.
आइए जानते हैं कि भूकम्प की 1 से 9 तक की तीव्रता का धरती पर क्या असर दिखता है
 
सामान्य हिंदी ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
पर्यावरण ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
खेल ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
साइंस ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
अर्थव्यवस्था ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
भारतीय इतिहास ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
 

विभिन्न तीव्रता वाले भूकम्प

  • 2.0 या इससे कम तीव्रता वाला भूकंप - यह सूक्ष्म भूकंप कहलाता हैं जो सामान्यतः महसूस भी नहीं होते हैं.
  • 4.5 की तीव्रता वाले भूकंप, हलके भूकम्प की श्रेणी में आते हैं जो कच्चे घरों और अन्य हल्की रचनाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं.
  • 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर, इमारतें आदि हिल सकते है.
  • 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.
  • 6.6 से 7 की तीव्रता वाले भूकम्प को खतरनाक माना जाता है. इसमें जमीन फटना, घर दरकना टूटना और अन्य विनाशलीला शामिल है.
  • 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन का फटना, जमीन पर गड्ढे बन जाना, पाइप फट जाना, पेड़ों का जड़ समेत उखड़ना
  • 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों का पूरी तरह ध्वस्त हो जाना, जमीन का फटना, जमीन पर गड्ढे बन जाना, पाइप फट जाना, पेड़ों का जड़ समेत उखड़ना, शहर के शहर तबाह हो जाना यानि पूरी तरह विनाशकारी. ऐसे हीं किसी भूकम्प में प्राचीन द्वारिका नगरी समुद्र के भीतर समा गयी थी. 

सिस्मोग्राफ का आविष्कार कब हुआ था?

  • सबसे पहले सिस्मोस्कोप नामक यंत्र का आविष्कार चीनी दार्शनिक चांग हेंग ने 132 ईस्वी में किया था. इसमें भूकम्प रिकॉर्ड नहीं होता था बल्कि यह केवल भूकम्प आने का संकेत देता था.
    यह मशीन एक बड़े टिन के बर्तन के रूप में था जिसमें नीचे की ओर आठ वर्टीकल ड्रेगन बने हुए थे. जिनमें लगी धातु की गेंद भूकंप आने पर कम्पन से भूकंप के निकटतम स्रोत की दिशा में अलग हो जाती थी. यह एक प्रभावी यंत्र था और छोटे से छोटे भूकंप की घटना के बारे में स्थानीय लोगों को सतर्क कर दिया करता था.
  • आधुनिक रिक्टर स्केल का अविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने साल 1935 में किया था. वैसे पहला सिस्मोग्राफ 1890 में विकसित किया गया था.

भूकम्प के प्रकार

मुख्य रूप से भूकंप चार प्रकार के होते हैं -
  • टेक्टोनिक भूकंप - जमीन की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स जब एक दूसरे से टकरातीं हैं तो इसके परिणामस्वरूप यह भूकम्प उत्पन्न होता है.
  • ज्वालामुखीय भूकंप - टेक्टोनिक बलों के परिणाम और ज्वालामुखी गतिविधि के संयोजन के कारण.
  • ब्रीफ अर्थक्वैक - ये छोटे भूकंप आमतौर पर भूकंपीय तरंगों के कारण भूमिगत गुफाओं और खदानों में होते हैं, जो सतह पर चट्टान के विस्फोट से उत्पन्न होते हैं.
  • एक्सप्लोजन से उत्पन्न भूकंप - परमाणु या रासायनिक उपकरण के विस्फोट के कारण.
 
Monthly Current Affairs May 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs April 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs March 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs February 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs January 2022  डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs December 2021 डाउनलोड नाउ
 

भूकंप के प्रभाव 

  • हम सभी जानते हैं कि भूकंप के प्रभाव भयानक और विनाशकारी होते हैं. घर-इमारतें, अस्पताल आदि समेत पूरा का पूरा शहर इसके कारण नष्ट हो सकता है. बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती है और अनेक लोग घायल हो जाते हैं. इलेक्ट्रिसिटी समेत हर प्रकार के नेटवर्क काम करना बंद कर देते हैं. बहुत से लोग अपनी संपत्ति और धन खो देते हैं. इसके अलावा इससे लोग भावनात्मक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं. कई लोग सालों तक तो कई जीवन भर हादसे के शॉक से उबर नहीं पाते.
  • भूकम्प के आने से धरती पर सुपरफिशिअल फाल्ट, टेक्टोनिक कोंकेव और अपलिफ्ट, साइल लिक्विफिक्शन, ग्राउंड इको, भूस्खलन (landslide) जैसे प्रभाव उत्पन्न होते हैं.

Related Article

Exploring Graphic Design: Courses, Skills, Salary, and Career Paths

Read More

Graphic Design : टॉप 10 ग्राफिक डिजाइन कॅरिअर, सैलरी और वैकेंसी, जानें यहां

Read More

Debunking Common Myths About Digital Literacy

Read More

The Top 100 SaaS Companies to Know In 2024

Read More

Digital marketing course in Coimbatore

Read More

Optimising Performance: Best Practices for Speeding Up Your Code

Read More

How Many Sector push may create Lakhs jobs in five years

Read More

रायबरेली में सफलता का डिजिटल मार्केटिंग कोर्स मचा रहा धूम, सैकड़ों युवाओं को मिली नौकरी

Read More

Online Marketing : The Who, What, Why and How of Digital Marketing

Read More