Mission Sagar: जानिए क्या है भारतीय नौसेना का मिशन सागर

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Tue, 03 May 2022 01:01 PM IST

भारत सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं और कोविड -19 महामारी में अपने मित्र देशों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से मिशन सागर का आरम्भ किया था. इस क्रम में उल्लेखनीय है कि मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स समेत अन्य देशों ने भारत से कोविड-19 महामारी से निपटने में सहायता करने का अनुरोध किया था. जिसके बाद भारत ने "मिशन सागर" योजना के तहत भारतीय नौसेना के जहाज (आईएनएस) केसरी को दक्षिणी हिंद महासागर के देशों में खाद्य पदार्थों, तरल चिकित्सा आक्सीजन,आक्सीजन कांसंट्रेटर और चिकित्सा सहायता टीमों को लेकर भेजा था. आईएनएस केसरी 28 जून, 2020 को कोच्चि के बंदरगाह पर वापस लौटा था. 55 दिनों में केसरी ने 7,500 समुद्री मील की यात्रा की थी. मिशन सागर के तहत हीं फिर भारतीय नौसेना का जहाज ऐरावत 02 नवंबर 2020 को पोर्ट सूडान में 100 टन खाद्य की सहायता लेकर पहुंचा था. आगे जिबूती, इरिट्रिया और दक्षिणी सूडान को भी भारत की ओर से भोजन सहायता पहुँचाई गयी थी. यह आर्टिकल यूपीएससी की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को मिशन सागर के बारे में सम्पूर्ण विवरण प्रदान करेगा. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

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क्या है मिशन सागर -

भारत सरकार ने कोविड -19 महामारी के दौरान 10 मई 2020 को एक कार्यक्रम की शुरुआत की जिसे ‘मिशन सागर’ कहा गया. इस मिशन का लक्ष्य मालदीव, मेडागास्कर, सेशेल्स, कोमोरोस आदि जैसे मित्र देशों में कोविड – 19 के दौरान खाद्य पदार्थ, आयुर्वेदिक दवाएं और एचसीक्यू टैबलेट्स इत्यादि उपलब्ध करवाना था.

मुख्य विशेषता -
मिशन सागर के तहत भारतीय नौसेना के जहाज़ खाद्य और दवाईयों समेत जरुरी चीजों को लेकर आवागमन कर रहे थे. जहाजों का यह संचालन रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के आपसी सहयोग के तहत किया जा रहा था.

मिशनों की श्रृंखला -

COVID-19 महामारी के बाद भारत सरकार ने अपने समुद्री पड़ोसियों को आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान करके सागर के अपने उद्देश्य को पूरा करने का निर्णय लिया.
वर्ष 2020 में 3 मिशनों की एक श्रृंखला शुरू की गई और उन्हें भारतीय नौसेना के जहाजों के द्वारा कार्यान्वित किया गया. इन जहाजों ने भारत के समुद्री साझेदारों के बंदरगाहों के लिए दवाएँ और अन्य जरुरी समान पहुँचाने का काम शुरू किया.
 
पहला मिशन सागर - I
भारत ने INS केसरी को 10 मई 2020 को खाद्य सामग्री, दवाओं की खेप और चिकित्सा सहायता टीमों के साथ बंदरगाह से रवाना किया. यह हिंद महासागर के देशों मॉरीशस, सेशेल्स, मेडागास्कर, कोमोरोस और ला रीयूनियन के लिए इन खेपों को लेकर निकला.

यह पहली बार था कि भारत की तरफ से पश्चिमी हिंद महासागर के सभी द्वीप राष्ट्रों को कवर करने के लिए एक एकल रिलीफ मिशन (रहत योजना) का काम शुरू किया गया था. (श्रीलंका एकमात्र उल्लेखनीय अपवाद रहा जहां भारतीय वायु सेना ने चीजों की आपूर्ति की.) इस मिशन के अंतर्गत आईएनएस केसरी ने 55 दिनों में 7,500 समुद्री मील की यात्रा की और वह 28 जून, 2020 को कोच्चि के बंदरगाह पर लौटा.
 
मिशन सागर – II
केसरी के बाद नवंबर 2020 में INS ऐरावत ने सूडान, दक्षिण सूडान, जिबूती और इरिट्रिया को भोजन तथा दवाएँ पहुँचाने का काम किया.इस दौरान एक मानवीय मिशन को पूरा करने के साथ-साथ, भारत अपनी रणनीतिक स्थिति को भी मजबूत कर रहा था. क्योंकि ये देश लाल सागर और स्वेज नहर के बीच प्रमुख शिपिंग लेन पर पड़ते हैं. इस प्रकार वे काफी महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग हैं और किसी भी प्रकार के संघर्ष के समय एक रणनीतिक संपत्ति साबित हो सकते हैं.

मिशन सागर – III
''केसरी'' और ''ऐरावत'' के बाद दिसंबर 2020 में, INS ''किल्टन'', कंबोडिया और वियतनाम जा पहुँचा. वियतनाम और कंबोडिया में विनाशकारी बाढ़ के बाद आईएनएस किल्टन आपदा राहत के लिए 15 टन मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) लेकर पहुँचा था.

पिछले सागर मिशनों की तरह यह मिशन भी यह दिखाने में सफल रहा कि दक्षिण पूर्व के एशियाई देशों के लिए भारत एक सबसे भरोसेमंद भागीदार है और इस क्षेत्र में सबसे पहला उत्तरदाता है. इस मिशन ने मौजूदा रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने में दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के महत्व पर भी प्रकाश डाला.
 
मिशन सागर - IV

सागर मिशन 1, 2 और 3 के बाद मार्च 2021 में आईएनएस ''जलाश्व'' द्वीप राष्ट्रों को पुनः 1000 मीट्रिक टन चावल पहुंचाने के लिए पोर्ट अंजुआन, कोमोरोस पहुंचा. यह दूसरी बार था कि जब कोई भारतीय नौसैनिक जहाज कोमोरोस पहुँचा. इससे पहले, मिशन सागर I  के रूप में भारत ने कोविड फेज़ में दवाईयाँ और चिकित्सा सहायता टीमों को कोमोरोस के बंदरगाह पर भेजा था.और अब जानते हैं कि सागर विजन क्या है ?
 
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क्या है सागर विज़न?

समुद्री कूटनीति के मद्देनजर भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2015 में ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) पर ध्यान देते हुए सागर कार्यक्रम(Security And Growth for All in the Region- SAGAR) का प्रारंभ किया गया. सागर की नीति के तहत भारत का उद्देश्य हिंद महासागर के क्षेत्र में स्थिरता, शान्ति तथा समृद्धि को सुनिश्चित करना था. इसके लिए भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोगों को गहरा करना चाहता था. और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता भी करना चाहता था. ‘’सागर पहल’’ ‘’मिशन सागर’’ से अलग मिशन है. मिशन सागर एक मानवीय और अंतर-देशीय आउटरीच कार्यक्रम है. जबकि सागर पहल समुद्री सहयोग की पालिसी का एक सिद्धांत है.

वर्ष 2015 में भारत ने अपना विज़न ‘सागर’ हिंद महासागर में शुरु किया था. इस विज़न के तहत भारत का प्रधान लक्ष्य अपने पड़ोसी देशों विशेषकर समुद्री पडोसी देशों के साथ सुरक्षात्मक तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था.

विश्लेषण -

भारत के मिशन सागर को भारत के सागर विज़न से बड़ी आसानी से जोड़ कर देखा जा सकता है.  इस मिशन में शामिल सभी चार देशों में भारत की नौसैनिक उपस्थिति काफी मजबूत है.
*साल 2018 में, भारत और सेशेल्स ने एस्म्पशन आइलैंड (द्वीप) में एक नौसैनिक बेस स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी. *अक्टूबर 2019 में, भारत और कोमोरोस ने एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. और *साल 2019 में, मालदीव में पहले से बंद तटीय रडार निगरानी प्रणाली (सीएसआरआर) को पूरा करने के लिए भारत और मालदीव में सहमति हुई थी. *भारत ने हाई-स्पीड इंटरसेप्टर बोट्स की खरीद के लिए कोमोरोस को 20 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण भी प्रदान किया था.

निष्कर्ष -
मिशन सागर हिंद महासागर के देशों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के अपने प्रयासों के एक भाग के रूप में मई 2020 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक COVID-19 राहत मिशन था. जबकि विज़न के तहत भारत का प्रधान लक्ष्य अपने पड़ोसी देशों विशेषकर समुद्री पडोसी देशों के साथ सुरक्षात्मक तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था.
 

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