Swadesh Darshan Scheme: जानें स्वदेश दर्शन योजना के लिए चुने गए डेस्टिनेशन्स, उद्देश्य और लाभ

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Thu, 05 May 2022 01:01 PM IST

भारत का मूल स्वभाव आरम्भ से हीं प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण और आध्यात्मवादी रहा है. हमारे प्रसिद्द पर्यटक स्थल भी यही कहते हैं. यहाँ अलग अलग विषयों और धर्मों के अनेक प्रतीक स्थलों पर सालों भर देश विदेश के पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. इसी विषय से सम्बद्ध एक योजना ''स्वदेश दर्शन योजना'' हाल हीं में तब चर्चा में आ गई जब स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय ने बौद्ध सर्किट विकास के लिए 325.53/- करोड़ रुपये की 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी. यूपीएससी तथा अन्य कम्पटीटिव एक्साम्स की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के लिए जनरल अवेयरनेस के लिहाज़ से स्वदेश दर्शन योजना और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानना महत्वपूर्ण हो सकता है. तो आइए स्वदेश दर्शन योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं - अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

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क्या है स्वदेश दर्शन योजना -

स्वदेश दर्शन योजना केंद्रीय सरकार की एक योजना है जो भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ टूरिज्म (पर्यटन मंत्रालय), द्वारा थीम पर आधारित पर्यटन सर्किट के संघटित या सम्पूर्ण विकास के लिए शुरू की गई. इस योजना का उद्देश्य भारत में पर्यटन की क्षमता को बढ़ावा देना, विकसित करना और देश को इस क्षेत्र में सन्नद्ध या तैयार करना है.

स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट और कृष्णा सर्किट पर राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक 14 जून 2016 को केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक के दौरान 11 रामायण सर्किट और 12 कृष्णा सर्किट स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में दोनों सर्किटों के तहत 300/- करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गई थी.

प्रमुख बिंदु -
  • *स्वदेश दर्शन, एक केंद्र सरकार की एक योजना है जो 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिए शुरू की गई थी.
  • *इस योजना के तहत मिनिस्ट्री ऑफ़ टूरिज्म (पर्यटन मंत्रालय) सर्किट के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करता है.
  • *इस योजना का मुख्य उद्देश्य एकीकृत तरीके से हाई टूरिस्ट वैल्यू, कम्पटीशन और स्टेबिलिटी के सिद्धांतों पर थीम आधारित पर्यटक सर्किट को विकसित करना है.
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पर्यटन सर्किट -

इस योजना के अंतर्गत पंद्रह थीमेटिक सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट (स्पिरिचुअल सर्किट), सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, रामायण सर्किट, हिमालयन सर्किट, कोस्टल सर्किट, डेजर्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, रूरल सर्किट, ट्राइबल सर्किट, वाइल्ड लाइफ सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट.

बुद्ध सर्किट - इस सर्किट में बौद्ध पर्यटकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल शामिल हैं. इसके अंतर्गत कवर किए गए राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश हैं. इसमें केंद्र सरकार ने एक बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर का भी आयोजन किया है. इस दौरे में बिहार में गया-बोधगया, राजगीर-नालंदा और उत्तर प्रदेश में सारनाथ-वाराणसी आदि डेस्टिनेशन शामिल हैं.

कृष्णा सर्किट - भारत में पर्यटन को ऐतिहासिक रूप से धर्म से जोड़ा गया है. भारत में कई प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए धर्म और आध्यात्मिकता की भावना हमेशा लीगों की यात्रा के लिए सामान्य प्रेरणा रही है. कृष्णा सर्किट का उद्देश्य और विकास मूल रूप से विभिन्न राज्यों में मुख्य रूप से हरियाणा और राजस्थान में भगवान कृष्ण की किंवदंतियों से जुड़े स्थानों को विकसित करना है. कृष्णा सर्किट के तहत 5 राज्यों में फैले 12 डेस्टिनेशन्स (गंतव्यों) को शामिल करने का प्रस्ताव है. ये डेस्टिनेशन्स है -
  • द्वारका (गुजरात)
  • नाथद्वारा, जयपुर और सीकर (राजस्थान)
  • कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
  • मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव और गोवर्धन (उत्तर प्रदेश)
  • पुरी (ओडिशा)
रामायण सर्किट - रामायण सर्किट का उद्देश्य और विकास मूल रूप से उन स्थानों पर पर्यटकों की यात्रा को बढ़ावा देना और यात्रा को सुविधाजनक बनाना है जो लिए देश भर में भगवान राम की किंवदंतियों से जुड़े हुए हैं. इस सर्किट के तहत स्वाभाविक रूप से सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर किया गया है.
 
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आध्यात्मिक सर्किट - निःसंदेह भारत आध्यात्मिकता की भूमि है. चार महान धर्मों - हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म के जन्मस्थान के रूप में भारत दुनिया का एक सबसे महत्वपूर्ण और जरुरी डेस्टिनेशन है. तभी तो यहाँ विश्व स्तर पर आध्यात्मिकता के लिए प्रति वर्ष 330 मिलियन से अधिक लोग यात्रा करते हैं. अतः देश भर में इन डेस्टिनेशन्स के लिए पर्यटकों की सुविधाओं की व्यवस्था करना परम आवश्यक है. आध्यात्मिक सर्किट में आने वाले राज्य केरल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, बिहार, राजस्थान, पुडुचेरी हैं.

सूफी सर्किट - भारत में इस सर्किट का उद्देश्य देश की सदियों पुरानी सूफी परंपरा को सेलिब्रेट करना है. अनेकता में एकता, साम्प्रदायिक समरसता का मार्ग सिखाते हुए भारत ने सदियों से अपने अनूठे संगीत, कला और संस्कृति को उदहारण की तरह दुनिया के सामने रखा है. सदियों पुरानी सूफी परंपरा और सूफी संतों को आज भी देश में सम्मानित किया जाता है.

ग्रामीण सर्किट - ग्रामीण सर्किट के विकास का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों वर्गों के पर्यटकों को "सच्चे" भारत की  एक झलक देने के लिए आमन्त्रित करके एक बल गुणक के रूप में पर्यटन की शक्ति का लाभ उठाना है. ग्रामीण सर्किट में मलनाड मालाबार क्रूज पर्यटन और भितिहारवा, चंद्रहिया, तुर्कौलिया बिहार गांधी सर्किट शामिल हैं.

तीर्थंकर सर्किट - भारत में असंख्य जैन तीर्थ हैं. जैन तीर्थंकरों के जीवन की बात करें तो उन्होंने हमेशा अहिंसा, प्रेम और ज्ञान का संदेश फैलाया है. तीर्थंकर सर्किट के अंतर्गत वास्तुकला की एक अलग और अनूठी शैली से लेकर व्यंजन और शिल्प तक को पर्यटकों के लिए विकसित करना है.

वाइल्ड लाइफ सर्किट - भारत में वन्यजीवों की अनूठी और अविश्वसनीय श्रृंखला मौजूद है जो भारत को वन्यजीव पर्यटन का केंद्र बनाती है. वाइल्ड लाइफ सर्किट का उद्देश्य भारत में विविध राष्ट्रीय और राज्य वन्यजीव संरक्षण और अभयारण्यों का सतत विकास करना है. इया सर्किट में फोकस किए गए राज्य असम और मध्य प्रदेश हैं.

ट्राइबल सर्किट - भारत की आदिवासी आबादी आज की आधुनिक दुनिया में भी अपने प्राचीन रीति-रिवाजों, परम्पराओं और संस्कृति को संरक्षित करने में कामयाब रही है. आदिवासी सर्किट का उद्देश्य पर्यटकों को भारत की जीवंत आदिवासी परंपराओं, संस्कृति, त्योहारों, शिल्प कौशल, कला, अनुष्ठान आदि की दुनिया में एक करीबी और व्यक्तिगत झलक देना है. आदिवासी सर्किट के लिए छत्तीसगढ़, नागालैंड और तेलंगाना राज्य को कवर किया गया है.

डेजर्ट सर्किट - भारत में डेजर्ट सर्किट, एक आला पर्यटन सर्किट है जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है. भारत न केवल बहती नदियों और विशाल जंगलों से संपन्न है बल्कि यह दुनिया के अथाह रेगिस्तानों से भी संपन्न है. थार रेगिस्तान के रेत के टीले और अत्यधिक उच्च तापमान और कच्छ की शुष्क भूमि, लद्दाख और हिमाचल की ठंडी घाटियाँ पर्यटकों को बहुत ध्यान आकर्षित करती हैं.

इको सर्किट - इको टूरिज्म सर्किट का उद्देश्य पर्यटकों और प्रकृति के बीच एक सकारात्मक इंटरफेस बनाना है. वैश्विक और घरेलू पर्यटकों के लिए भारत में विविध पर्यावरण-पर्यटन उत्पादों की सराहना करने के लिए, सर्किट का उद्देश्य प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल स्थलों का निर्माण करना है. कवर किए गए राज्य केरल, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम और झारखंड हैं.
 
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हेरिटेज सर्किल - हेरिटेज सर्किट का उद्देश्य वैश्विक यात्रियों की जरूरतों को पूरा करना है. इस सर्किट के अंतर्गत आने वाले राज्य राजस्थान, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पुडुचेरी, पंजाब, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना हैं.

नॉर्थ-ईस्ट सर्किट - नॉर्थ ईस्ट सर्किट में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम राज्य शामिल है.

टूरिस्ट सर्किट का मार्ग -
टूरिस्ट सर्किट को एक ऐसे मार्ग के रूप में डिफाइन किया गया है जिस पर कम से कम तीन प्रमुख पर्यटन स्थल जो एक हीं शहर, गांव या सिटी में नहीं हैं और लंबी दूरी से भी अलग नहीं हैं. पर्यटक सर्किट में अच्छी तरह से परिभाषित एन्ट्री और एग्जिट पॉइंट्स होंगे. इसलिए, प्रवेश करने वाले पर्यटक सर्किट में पहचाने गए अधिकांश स्थानों पर जाने के लिए प्रेरित होंगे. अब, थीम-आधारित टूरिस्ट सर्किट धर्म, संस्कृति, जातीयता, आला, आदि जैसे विशिष्ट विषयों के आसपास के सर्किट होंगे. एक थीम-आधारित सर्किट को एक राज्य तक सीमित किया जा सकता है. यह एक से अधिक राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने वाला एक क्षेत्रीय सर्किट भी हो सकता है.
 

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स्वदेश दर्शन योजना – उद्देश्य
  • प्राथमिकता के आधार पर और नियोजित तरीके से पर्यटन क्षमता वाले सर्किट को विकसित करना.
  • इंटीग्रेटेड तरीके से पहचाने गए थीम-आधारित सर्किट का विकास.
  • लोकल कम्युनिटीज की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से रोजगार को बढ़ावा देना.
  • कम्युनिटीज बेस्ड डेवलपमेंट और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण.
  • देश के सांस्कृतिक और हेरिटेज मूल्य को बढ़ावा देना.
  • सर्किट या डेस्टिनेशन्स में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे को विकसित करके स्थायी रूप से पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना.
  • पर्यटन के महत्व के बारे में स्थानीय समुदायों को जागरूक करना कि इससे उनके आय के स्रोतों में वृद्धि, बेहतर जीवन स्तर और सम्बंधित क्षेत्र का समग्र विकास होगा.
  • पहचान किए गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिए लोकल आर्ट (स्थानीय कला), हेंडीक्राफ्ट (हस्तशिल्प), कल्चर (संस्कृति), कुजिन या व्यंजन आदि को बढ़ावा देना.
  • रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए प्रत्यक्ष और गुणक प्रभाव के लिए पर्यटन क्षमता को तैयार करना.
  • जनता की पूंजी और विशेषज्ञता का लाभ.
     

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