Source: Safalta
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इस लेख के मुख्य बिंदु-
1.आरबीआई ने जारी गाइडलाइन में कहा है कि वित्तीय संस्थानों (Financial Institutions (FIs)) और बैंकों से 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक के कुल एक्सपोजर का लेने वाले गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को कानूनी इकाई पहचानकर्ता (Legal Entity Identifier (LEI)) कोड प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।
2.30 अप्रैल 2023 तक, जिन उधारकर्ताओं का 25 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है, उन्हें कानूनी इकाई पहचानकर्ता (Legal Entity Identifier (LEI)) प्राप्त करना आवश्यक होगा।
3.कुल 10 करोड़ रुपये और 25 करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को 30 अप्रैल 2024 तक कानूनी इकाई पहचानकर्ता (Legal Entity Identifier (LEI)) प्राप्त करना होगा।
4-. 5 करोड़ रुपये से अधिक और 10 करोड़ रुपये तक के कुल एक्सपोजर वाले उधारकर्ताओं को 30 अप्रैल 2025 तक कानूनी इकाई पहचानकर्ता प्राप्त करना होगा।
5. उधारकर्ता जो अधिकृत स्थानीय परिचालन इकाई (Authorized Local Operating Unit (LoU)) से Legal Entity Identifier (LEI) कोड प्राप्त करने में असफल रहेंगे, उन्हें भविष्य में कोई नया एक्सपोजर मंजूर नहीं किया जाएगा और उन्हें अपने प्रेसंट एक्सपोजर में से किसी का रिन्यूअल और एनहैंसमेंट भी नहीं किया जाएगा।
कानूनी इकाई पहचानकर्ता Legal Entity Identifier (LEI) क्या है?
यह एक 20-अंकीय संख्या है जिसका उपयोग पूरी दुनिया में वित्तीय लेनदेन पार्टियों की विशेष रूप से पहचान करने के लिए किया जाता है। ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद जोखिम के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से वित्तीय डेटा सिसटम की सटीकता और गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से Legal Entity Identifier (LEI) को एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में किया गया है।इस प्रावधान से किसे छूट है?
केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों और विभागों को इस प्रावधान से छूट दी गई है।FREE GK EBook- Download Now.