Source: Safalta
इस लेख के मुख्य बिंदु
1.संकट के स्तर के आधार पर, वित्तीय संस्थान और सरकार सभी किसानों को संकट पैकेज सौंपने के बजाय एक उपयुक्त सहायता पैकेज पर निर्णय ले सकती है जैसा कि मौजूदा प्रावधान है।
2.यह इंडेक्स पूरे देश में एक समान नहीं होगा क्योंकि यह जगह औऱ राज्य के तनाव स्तरों के आधार पर बदलता रहेगा।
3.इस इंडेक्स से सरकारी विभागों, वित्तीय क्षेत्र और बीमा कंपनियों को मदद मिलेगी।
4.एक किसान के संकट की गणना आम तौर पर उनकी फसलों को हुए नुकसान की सीमा से की जाती है।
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आयोजित अध्ययन क्या कहता है
इस अध्ययन में यह पता चला है कि महाराष्ट्र में, small and marginal farmers को 'कम' संकट के रूप में बांटा गया था और उन्हें अधिकतम FLW लाभ प्राप्त हुआ था। राज्य में SMF के 42 परसेंट के करीब किसान जिनकी संकट श्रेणी बहुत अधिक थी, उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। उत्तर प्रदेश में, 47 परसेंट SMF जो बहुत अधिक संकट की श्रेणी में हैं, और 45 परसेंट उच्च संकट श्रेणी में हैं, उन्हें FLW लाभ नहीं मिला। यूपी और महाराष्ट्र के गन्ना किसानों ने FLW लाभ प्राप्त किया, भले ही उनके पास सिंचित भूमि थी और उन्हें मूल्य समर्थन प्राप्त था। जिन किसानों के पास ज्यादातर गैर-सिंचित भूमि है और कम मूल्य की फसलें उगाते हैं, विशेष रूप से जिन्हें सरकार द्वारा MSP पर नहीं खरीदा जाता है, उनकी वित्तीय प्रणाली भी बहुत कम या जीरो के बराबर होती है। इसके साथ ही, ऐसी भी शिकायतें थीं कि धनी किसानों को FLW का लाभ मिलता है।April Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW
इस इंडेक्स के एलिमेंट्स
सूचकांक जलवायु परिस्थितियों, मौसम की स्थिति, कृषि वस्तुओं, किसानों पर कर्ज के बोझ और बाजार के संबंध में हाई फ्रिकवेंसी डाटा को एकसाथ करेगा। यह इंडेक्स अधिक बारिश, मानसून की बारिश, मिट्टी की नमी और तापमान में बदलाव, सूखा मौसम , सिंचाई के तहत क्षेत्र, प्रत्येक जिले में प्रमुख फसलों की उपज, असामान्य ठंढ और भूमिगत जल की गहराई को मापेगा। किसान के लिए उपलब्ध मार्केटिंग के अवसरों जैसे MSP समर्थन का भी इंडेक्स में इवेल्युवेट किया जाएगा । किसानों के मौजूदा कर्ज के बोझ और उनकी फसल बीमा पहुंच पर भी मेट्रिक्स होंगे।Sports E-book-Download Now
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