Pingali Venkaiah Biography,पिंगली वेंकैय्या के जीवन परिचय के बारे में

Safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Wed, 10 Aug 2022 12:18 AM IST

Highlights

पिंगली वेंकैय्या का 2 अगस्त1876 को भटाला पेनमरू गांव, कृष्ण जिला आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पिंगली हनमंत रायडू एवं माता का नाम वेंकटरत्न्म्मा था।

Pingali Venkaiah Biography : पिंगली वेंकैय्या भारत के  महान स्वतंत्रता सेनानी और एक कृषि वैज्ञानिक थे और इन्हें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडे का डिज़ाइनर भी कहा जाता है। उन्हें उर्दू, जापानी समेत और अन्य भाषाओं का बहुत अच्छे से ज्ञान प्राप्त था। यह एक वाणी विज्ञानी, कृषि विद्वान और शिक्षाविद थे। जिन्होंने मछलीपट्टनम में कई एजुकेशन ऑर्गेनाइजेशन खोले थे। हीरे के खनन में उन्हें विशेषज्ञता हासिल थी।   अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

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पिंगली वेंकैय्या के जीवन के बारे में


पिंगली वेंकैय्या का 2 अगस्त1876 को भटाला पेनमरू गांव, कृष्ण जिला आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पिंगली हनमंत रायडू एवं माता का नाम वेंकटरत्न्म्मा था।

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 इनके शिक्षा के बारे में


पिंगली ने प्रारंभिक शिक्षा भटला पेनमरू एवं मछलीपट्टनम में हुआ है। बाद में 19 साल की उम्र में मुंबई चले गए। जहां उन्होंने सेना में नौकरी की उसके बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीका भेज दिया गया। इन्हें उर्दू और जापानी समेत कई भाषाओं का ज्ञान था। साथ ही एक प्राणी विज्ञानी, कृषि विद् और शिक्षाविद् थे जिन्होंने मछलीपट्टनम में कई एजुकेशन ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी। ब्रिटिश भारतीय सेना में सेवा की और दक्षिण अफ्रीका के युद्ध में भाग लिया था।

 जब यह गांधी जी के संपर्क में आए तब उनकी विचारधारा से काफी प्रभावित हुए 1906 से  1911 तक पिंगली ने  कपास की फसल की जिसमें उनके अलग-अलग तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे जिसके बाद उन्होंने बॉम्वोलार्ट कंबोडिया  कपास पर अपना अध्ययन पब्लिश करवाया था। इसके बाद वह वापस किशुनदासपुर लौट आए और 1916 से 1921 तक बहुत सारे झंडू के अध्ययन किया जिसके बाद उन्होंने भारत के झंडा का भी रचना किया। तिरंगा झंडा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान राष्ट्रीय ध्वज पेश किया और उनका यह विचार गांधीजी को बहुत पसंद आया था। महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार करने का सुझाव दिया 5 साल तक अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय ध्वज पर रिसर्च किया और अंत में तिरंगे के लिए सोचा।

 
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तिरंगा झंडा के निर्माण के बारे में


 1921 में विजयवाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी से मिलकर उन्हें अपने द्वारा डिजाइन किए गए लाल और हरे रंग का झंडा प्रस्तुत किया। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में केसरिया और हरा झंडा सामने रखा गया। जिसके बाद देश के कांग्रेस पार्टी के साथ अधिवेशन में दो रंग वाले झंडा का प्रयोग किया जाने लगा। उस समय इस झंडे को कांग्रेस की ओर से ऑफीशियली स्वीकृति नहीं दी गई जालंधर के लाला हंसराज ने इसमें चर्चा खेड़ा और गांधी जी ने इस झंडे में सफेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया जिसके बाद उसमें चक्र को प्रगति और आम आदमी के विकास के रूप में माना गया। बाद में गांधीजी के सुझाव के बाद पिंगली ने झंडे में बीच में सफेद रंग को जोड़ा जो कि राष्ट्रीय ध्वज में शांति का प्रतीक है।
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