renewable energy: 2024 तक कृषि क्षेत्र में डीजल को अक्षय ऊर्जा से रीप्लेस करेगी केंद्र सरकार

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sat, 12 Feb 2022 04:38 PM IST

Highlights

1.यह योजना कृषि क्षेत्र पर सब्सिडी के बोझ को कम करके डिस्कॉम के फाइनेनशियल स्वास्थ्य का समर्थन करती है।
2.यह राज्य सरकारों को  decentralized सोलर एनर्जी उत्पादन को बढ़ावा देकर और हस्तांतरण हानियों को कम करके उनके सब्सिडी लागत को कम करने में मदद करती है। 

renewable energy: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने हाल ही में यह जानकारी दी है कि देश साल 2024 तक कृषि क्षेत्र में डीजल के स्थान पर रिन्यूएबल एनर्जी के 100 % इस्तेमाल का लक्ष्य हासिल कर लेगा। इससे भारत के कृषि क्षेत्र को डीजल से मुक्ति मिलेगी, साथ ही इससे किसानों को इस क्षेत्र में  डीजल से होने वाले अतिरिक्त खर्च से बचत होगी ।केंद्र सरकार ने 2024 तक कृषि क्षेत्र में डीजल को अक्षय ऊर्जा से बदलने का लक्ष्य तय किया है।

Source: social media


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इस लेख के मुख्य बिंदु

यह लक्ष्य 2030 तक  नॉन फॉसिल फ्यूल की साझेदारी बढ़ाने और 2070 तक   net zero emitter बनने की सरकार की कमिटमेंट के अनुसार निर्धारित किया गया है।
पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से, केंद्र सरकार एग्रीकलचर को सोलर एनर्जी से चलाने के लिए एक योजना भी चला रही है इससे सौर ऊर्जा से चलने वाली सिंचाई प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलेगी।

पीएम-कुसुम योजना क्या है?


PM-KUSUM योजना की घोषणा 2018 के बजट में की गई थी और 2019 में इसे मंजूरी दी गई थी। इसे “किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान  योजना” के रूप में नामित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत, किसानों को अपनी बंजर भूमि पर स्थापित सोलर एनर्जी परियोजनाओं  से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचने का विकल्प दिया जाता है। यह योजना 2022 तक 30.8 GW की सोलर क्षमता जोड़ने का प्रयास कर रही है।

पीएम-कुसुम के 3 कंपोनेंट कौन- कौन से हैं?


कंपोनेंट-ए : इसमें 10,000 मेगावाट क्षमता के decentralized, जमीन पर स्थापित और ग्रिड से जुड़े  renewable बिजली  प्लान्ट शामिल हैं।
कंपोनेंट-बी : इसमें 2 मिलियन स्टैंडअलोन  सोलर एनर्जी से संचालित कृषि पंपों की स्थापना का प्रावधान बनाया गया है।
कंपोनेंट-सी : यह 1.5 मिलियन ग्रिड से जुड़े  सोलर एनर्जी संचालित कृषि पंपों के सौरकरण का नियम बनाया गया है।

पीएम-कुसुम  योजना का महत्व


1.यह योजना कृषि क्षेत्र पर सब्सिडी के बोझ को कम करके डिस्कॉम के फाइनेनशियल स्वास्थ्य का समर्थन करती है।
2.यह राज्य सरकारों को  decentralized सोलर एनर्जी उत्पादन को बढ़ावा देकर और हस्तांतरण हानियों को कम करके उनके सब्सिडी लागत को कम करने में मदद करती है। 
3.यह राज्यों को अक्षय खरीद दायित्व लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद करती है।
4.किसानों को बिजली बचाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, क्योंकि इससे किसान अतिरिक्त बिजली बेच सकेंगे। 
5.इस योजना के रिसल्ट में  decentralized सोलर-आधारित सिंचाई प्रदान करके सिंचाई कवर का विस्तार हुआ है। इस प्रकार, इसने प्रदूषणकारी डीजल के उपयोग को समाप्त कर दिया है।
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