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केस क्या था?
Solicitor General तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा चार राज्यों में ये केस चल रहे हैं। आंध्रप्रदेश में अभी तक कोई स्टे जारी नहीं किया गया है। झारखंड और महाराष्ट्र में अभी इस फैसले पर किसी ने कई चुनौती नहीं दिया है। ये आरक्षण 3 और 4 वर्ग के पदों के लिए है। अदालत ने पहले भी दाखिलों आदि में डोमिसाइल की इजाजत दी है। सुत्रों के अनुसार इन चारों राज्यों के मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और झारखंड में लागू कानूनों के बारे में जानकारी मांगी थी। अदालत ने कहा था कि इनका ब्योरा अदालत को दिया जाए।केस से जुड़े मुख्य बातें-
हरियाणा की ओर से तुषार मेहता ने कहा था कि हम अन्य राज्यों के मामलों के बारे में जांच कर सभी ब्यौरे को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे। हरियाणा के निवासियों को निजी क्षेत्र के जॉब में 75 % कोटे के केस के लिए हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर कि हुई याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ एक मिनट 30 सेकेंड की सुनवाई में ये फैसला जारी कर दिया। इस दौरान हाईकोर्ट ने राज्य के वकील को नहीं सुना गया।सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
केस में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द से जल्द इस केस की सुनवाई की मांग रखी है। तुषा। मेहता ने CJI एन वी रमना को बताया, हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकंड मुझे सुनने के बाद फैसला सुना दिया और कानून पर रोक लगा दी। इस पर CJI एन वी रमना ने कहा है कि अगर फैसले की कॉपी आने के बाद सोमवार को सुनवाई करेंगे।हरियाणा राज्य के निवासियों को निजी क्षेत्र के जॉब में 75 परसेंट आरक्षण के निर्णय पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार के इस आदेश को Faridabad Industry Association ने हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और इसे रद्द करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के इस आदेश को रद्द कर दिया था और इस पर सरकार को जवाब दिए जाने के आदेश दिए थे, जिसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी ।
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