Source: safalta
10-10-2022
Biography of Mulayam Singh Yadav,जानें मुलायम सिंह यादव के शिक्षा, राजनैतिक करियर के बारे में विस्तार से
Biography of Mulayam Singh Yadav : उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना स्थान बनाने वाले मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। मुलायम सिंह यादव पूरे राज्य में किसान नेता व धरती पुत्र मुलायम के नाम से जाने जाते हैं। मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई क्षेत्र के एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं। यादव ने उत्तर प्रदेश से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अपना किस्मत आजमाया है। मुलायम सिंह यादव ने भारत सरकार के केंद्र मंत्रालय में रक्षा मंत्री जैसे बड़े पदों का कार्यभार संभाला है। मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक जीवन का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि मुलायम सिंह ने अपनी खुद की पार्टी समाजवादी पार्टी का गठन उत्तर प्रदेश में किया है, जो कि राज्य की सबसे बड़ी पार्टियों में से एक है। मुलायम सिंह यादव का नाम उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश के बड़े नेताओं में शामिल होता है। मुलायम सिंह ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी, जो आज बड़े नेता में से एक हैं। समाजवादी पार्टी कई बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है। मुलायम सिंह वर्तमान में समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं, आइए जानते हैं मुलायम सिंह यादव के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से -
मुलायम सिंह यादव का प्रारंभिक जीवन
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। यह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं, उनके पिता का नाम सुघर सिंह यादव जो एक किसान थे और इनकी माता का नाम मूर्ति देवी था जो एक ग्रहणी थी। मुलायम सिंह यादव की शादी मात्र 18 साल में ही हो गई थी। इनकी दो शादियां हुई थी, मुलायम सिंह की पहली पत्नी का नाम मालती देवी था और यह अखिलेश यादव की माता थी। मालती देवी का लंबी बीमारी के कारण साल 2003 में निधन हो गया था। मालती देवी के निधन के बाद साल 2003 में मुलायम सिंह ने साधना गुप्ता से दूसरी शादी की, साधना और मुलायम सिंह के बेटे का नाम प्रतीक यादव है।
मुलायम सिंह यादव की शिक्षा
मुलायम सिंह यादव की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इटावा से की है। मैनपुरी से इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है इन्होंने परास्नातक की डिग्री की हुई है। राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह यादव एक अध्यापक के रूप में काम करते थे और इंटर कॉलेज में छात्रों को पढ़ाया कर करते थे।
मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक करियर
मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1976 में की थी। 1976 में पहली बार उन्हें विधानसभा के लिए चुना गया था। विधानसभा में उनकी राजनीतिक करियर की पहली सीढ़ी थी, जिसके बाद उनके कदम राजनीति में आगे बढ़ते गए और वे 1977 में उत्तर प्रदेश के पहले राज्य मंत्री बने थे। 1980 में लोक दल के नेताओं ने उन्हें लोकदल के अध्यक्ष के रूप में चुना। इसके बाद 1982 से 1985 तक मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा परिषद में विपक्ष नेता के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई। 1989 उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने बहुमत से जीती और इसी साल मुलायम सिंह को पार्टी ने मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था। 1990 में मुलायम सिंह ने लोक दल पार्टी से इस्तीफा देने के बाद जनता दल पार्टी में शामिल हो गए थे। कन्नौज और संभल दोनों लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव ने जीती और 2003 में एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। समाजवादी पार्टी को उच्च शिखर तक पहुंचाने में मुलायम सिंह ने अपनी अहम भूमिका निभाई है। समाजवादी पार्टी के बाद उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाजवादी पार्टी मानी जाती है। जिसमें मायावती मुलायम सिंह यादव की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी हैं।
समाजवादी पार्टी का गठन
समाजवादी पार्टी की गिनती राजनीति में बड़े पार्टियों में से एक थी। इस पार्टी की नींव मुलायम सिंह यादव ने रखी थी। साल 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था। समाजवादी पार्टी आज पूरे देश में अपना नाम बना चुकी है, जिसका श्रेय मुलायम सिंह को जाता है।
तीन बार बन चुके हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। साल 1989 में वह पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए थे, उनका कार्यकाल 1 साल 201 दिन तक चला था। इसके बाद वे दूसरी बार 1993 में मुख्यमंत्री के लिए चुने गए, तब उनका कार्यकाल 1 साल 6 महीने के लिए रहाय़ इसके बाद एक बार फिर साल 2003 में मुख्यमंत्री के लिए चुने गए थे।
मुलायम सिंह यादव का निधन
समाजवादी पार्टी के संरक्षक, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव की एक लंबी बीमारी के चलते 10 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया वे 82 साल के थे और काफी समय से गुरुग्राम मेदान्ता हॉस्पिटल में इनका इलाज चल रहा था।
International Girl Child Day 2022, बालिका दिवस का इतिहास और थीम क्या है
International Girl Child Day2022 : हर साल 11 अक्टूबर को विश्व स्तर पर बेटियों के सम्मान में और उनके संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाया जाता है। यह दिन बेटियों के लिए समर्पित है। आज के दौर में बिटियां अपनी ख्वाहिशों को एक नई उड़ान दे रही हैं, अब समय बदल गया है लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में जगहों में और देशों में बेटियों को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। बालिका दिवस यह बताता है कि समाज में बेटियों का अधिकार बेटों के समान है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस का अलग ही इतिहास है आइए जानते हैं इसके बारे में-
बालिका दिवस (International Girl Child Day)का इतिहास क्या है
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस सबसे पहले एक गैर सरकारी संगठन प्लान इंटरनेशनल प्रोजेक्ट के रूप में सामने आई है, इस ऑर्गेनाइजेशन ने "क्योंकि मैं एक लड़की " नाम से अभियान शुरू किया था, जिसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया था, फिर कनाडा सरकार ने 55 वें आम सभा में इसके लिए प्रस्ताव रखा था। संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर 2011 को इस प्रस्ताव को पास किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का चुना, इसलिए हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाया जाता है। पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाया गया था और उस समय अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का पहला थीम बाल विवाह को समाप्त करना था। भारत में प्राचीन समय से चली आ रही कई प्रथाओं का खात्मा हुआ है, उनमे से कुछ इस प्रकार से है, बाल विवाह शिक्षा के स्तर पर असमानता, लिंग के आधार पर असमानता, भ्रूण हत्या, लेकिन इनमें आज भी छिपे तौर से उल्लंघन होता है।
बालिका दिवस (International Girl Child Day) का थीम क्या है
दुनिया भर की बालिकाओं की आवाज को एक नई उड़ान और बुलंदी देने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) का विश्व स्तर पर आयोजन किया जाता है। इस साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day)की थीम अब हमारा समय है हमारे अधिकार हमारा भविष्य रखा गया है। भारत सरकार लगातार बेटियां को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है जैसे सुकन्या योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इन योजनाओं से बालिकाओं को इंपावर और शिक्षित करना है। भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है।
Tele-Manas, टेली मानस क्या है, जाने इसके उद्देश्य के बारे में विस्तार से
Tele-Manas : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नया पहल आयोजित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य के क्षेत्र पर परिवार कल्याण मंत्रालय की टेली मेंटल हेल्थ एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्स (Tele-Manas) 10 अक्टूबर 2022 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर लॉन्च किया गया है। कोरोना महामारी को मद्देनजर रखते हुए और एक डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य नेटवर्क स्थापित करने की तत्काल जरूरत को महसूस करते हुए इसकी स्थापना की गई है। डॉ प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, निमहंस, श्री विशाल चौहान, संयुक्त सचिव (एमओएचएफडब्ल्यू), छात्र, संकाय और अन्य गणमान्य व्यक्ति और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
टेली मानस (Tele-Manas) क्या है
भारत सरकार ने केंद्रीय बजट भाषण के दौरान राष्ट्रीय Tele-Manas मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य पूरे भारत में 24 घंटे फ्री मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की घोषणा की है। इसका मुख्य उद्देश्यसपूरे देश में 24 घंटे फ्री टेली मेंटल हेल्थ सेवाएं प्रोवाइड करना है, विशेष रूप से दूरस्थ क्षेत्र एवं कम सेवा वाले क्षेत्रों के लोगों को इस नेटवर्क से जोड़ना है। कार्यक्रम में उत्कृष्टता के 23 टेली - मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क शामिल है, जिसमें निमहंस नोडल केंद्र है और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलुरुस प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करना है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलुरु और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (एनएचआरएससी) टेक्निक हेल्प प्रोवाइड करेंगे। केंद्र सरकार का Tele-Manas मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में को लेकर प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कम से कम एक Tele-Manas सेल की स्थापना करना है। इस Tele-Manas के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया गया है जो की 24 घंटे हफ्तों के सातों दिन पर कॉल का लाभ ले सकते हैं और इसके लिए अपनी पसंद की भाषा का भी चुनाव कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन का नंबर है 14416 है, इसके साथ ही यह नंबर भी कॉल करने के लिए जारी किया गया है। 18 0091 4416
टेली मानस (Tele-Manas) कितने टियर में आयोजित किए जाएंगे
Tele-Manas को दो स्तरीय सिस्टम में आयोजित किया जाएगा, टियर-1 में राज्य टेली मानस शामिल है जिसमें प्रशिक्षित परामर्शदाता और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट शामिल हैं। टियर - 2 में शारीरिक परामर्श के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मेडिकल कॉलेज के संसाधन और दृश्य श्रव्य परामर्श के लिए ई-संजीवनी केंद्र हैं।
टेली मानस (Tele-Manas) के परामर्श संस्थान इस प्रकार हैं:
एम्स, पटना, एम्स रायपुर, सीआईपी रांची, एम्स भोपाल, एम्स कल्याणी, एम्स भुवनेश्वर, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, मानसिक स्वास्थ्य के लिए अस्पताल, अहमदाबाद, गुजरात, संस्थान। मनश्चिकित्सा और मानव व्यवहार बम्बोलिम गोवा, एम्स, नागपुर, एम्स, जोधपुर, केजीएमयू लखनऊ, एम्स ऋषिकेश, आईएचबीएएस, दिल्ली, आईजीएमएस, शिमला, मनोरोग रोग अस्पताल, सरकार। मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर, LGBRIMH, तेजपुर, NIMHANS, बेंगलुरु, IMHANS, कोझीकोड, केरल, IMH, चेन्नई, IMH, हैदराबाद, JIPMER और AIIMS, मंगलागिरी।
Tele-Manas कार्यक्रम शुरू करने वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के नाम
Tele-Manas मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में - आंध्र प्रदेश, असम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, दादरा नगर हवेली और दमन और दीव, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।
Biography of Jayaprakash Narayan, जाने जयप्रकाश नरायण के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से
Biography of Jayaprakash Narayan : भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां की भिन्नता ही यहां की खूबसूरती है, जब जब भारत के लोकतंत्र पर किसी तरह का खतरा आता है तब एक नई क्रांति या आंदोलन होती है और लोकतंत्र को पुनः मुक्त करवाया जाता है। ऐसे ही इंदिरा गांधी के शासन काल में आपातकाल इसी तरह का एक लोकतांत्रिक खतरा था। इस समय जयप्रकाश नारायण ने सरकार के इस फैसले के विरुद्ध अपना विरोध जताया था और सरकार के विपक्ष में आंदोलन जारी किया था। इनका नाम भारतीय राजनीति में क्रांति के नाम से जाना जाता है, लोग इन्हें जेपी भी कहते हैं। उनके नाम पर बिहार के पटना हवाई अड्डे का नाम रखा गया है। आइए जानते हैं इनके जीवन परिचय के बारे में विस्तार से -जयप्रकाश नारायण का आरंभिक जीवन -
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1930 में बिहार के सारण जिले के सिताबदियारामें हुआ था। इनका घर लाला टोलो के घागरा नदी के किनारे आता था जहां आए दिन बाढ़ आते रहते थे। बाढ़ से परेशान इनके परिवार याहां से कुछ मील दूर जाकर रहने लगे थे जो कि अब उत्तर प्रदेश में पड़ता है। इनका जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था और उनके पिता का नाम हरशु दयाला और मां का नाम फूल रानी देवी था। इनके पिता स्टेट गवर्नमेंट के कैनल विभाग में काम करते थे।
जयप्रकाश नारायण की शिक्षा के बारे में
जब ये 9 साल के थे उसी समय आ गए थे और सातवीं कक्षा में अपना दाखिला करवाया था। अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने सरस्वती, प्रभा और प्रताप जैसी पत्रिकाओं को पढ़ना शुरू कर दिया था। ये इसी समय में भारत भारती जैसी पुस्तक पढ़ी थी, उन्होंने मैथिलीशरण गुप्त और भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे बड़े लेखकों की रचनाओं को पढ़ना शुरू कर दिया था और उनकी पढ़ने के क्षेत्र में काफी रूचि थी। जिसमें उन्होंने कई राजपूत वीरों की वीर गाथा को भी पढ़ा था। उन्होंने उसी दौरान श्रीमद्भागवत गीता के अनमोल वचनों को भी पढ़ा था। इनके इस पठन-पाठन से इनका बढ़िया बैधिक विकास हुआ था। इन्होंने द प्रेजेंट स्टेट ऑफ हिन्ची इन बिहार टाइटल से एक निबंध लिखे थे। एक निबंध प्रतियोगिता के दौरान इनके इस निबंध को बेस्ट एसे अवार्ड प्राप्त हुआ था। स्कूलों में इनका काफी बढ़िया विकास हुआ और पढ़ने में इनकी रूची काफी बढ़ते गई थी और साल 1918 में उन्होंने अपना स्कूल प्रशिक्षण कंप्लीट कर स्टेट पब्लिक मैट्रिकुलेशन एग्जामिनेशन का सर्टिफिकेट हासिल किया।
जयप्रकाश नारायण के निजी जीवन के बारे में
साल 1920 अक्टूबर में इनका विवाह ब्रजकिशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती देवी से हुआ था। उनके विवाह के समय उनकी आयु मात्र 18 साल की थी और प्रभावती देवी की आयु 14 साल की थी। इस दौरान विवाह के लिए यह आम उम्र मानी जाती थी। विवाह के दौरान जय प्रकाश नारायण पटना में कार्यरत थे नौकरी के चलते उनका उनके पत्नी के साथ रहना संभव नहीं था। इस समय महात्मा गांधी के न्योते पर प्रभावती महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में सेवारत हो गई थी इसी समय महात्मा गांधी ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किए रोलट एक्ट के खिलाफ असहयोग आंदोलन कर रहे थे। इस आंदोलन में मौलाना आजाद के भाषण सुनने वालेमें जेपी भी शामिल हुए थे इस भाषण में मौलाना लोगों से अंग्रेजी हुकूमत की शिक्षा को त्यागने की बात कही थी। मौलाना के भाषण से जयप्रकाश नारायण बहुत प्रभावित हुए थे और पटना से लौटकर परीक्षा के 20 दिन पहले ही कॉलेज छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित कॉलेज बिहार विद्यापीठ में अपना नामांकन करवाया और डॉक्टर अनुग्रह सिन्हा के पहले विद्यार्थी हुए।
जयप्रकाश नारायण की संयुक्त अमेरिका में हायर एजुकेशन
जयप्रकाश नारायण शिक्षा को लेकर काफी उत्साहित स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने बिहार विद्यापीठ में अपने कोर्स को पूरा करने के बाद संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में अपनी हायर एजुकेशन की योजना बनाई, इसके उपरांत वह 20 साल की उम्र में ही उन्होंने जानूस नाम के अमेरिका जाने वाले एक कार्गो शिप से अमेरिका के लिए सवार हो गए। इस समय प्रभावती देवी साबरमती आश्रम में ही थी। जयप्रकाश नारायण 8 अक्टूबर 1922 को कैलिफोर्निया पहुंचे, उसके बाद जनवरी 1923 में इन्हें बर्कले में एडमिशन मिला। इस समय इन्हें कहीं से भी किसी तरह की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं थी और अपनी शिक्षा की फीस भरने के लिए इन्होंने कभी किसी फैक्ट्री में तो कभी होटल में बर्तन धो के काम करके कॉलेज की फीस के लिए पैसे जुटाए। इसके बाद भी उनके सामने कई तरह की कठिनाई और दिक्कत सामने आई। इन्हें फिस और पैसे की तंगी के कारण बर्कली की विश्वविद्यालय छोड़ कर यूनिवर्सिटी ऑफ लोया में एडमिशन लेना पड़ा। इसके बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों में पैसे की कमी की वजह से कॉलेज बदलना पड़ा। इन्होंने उच्च शिक्षा के दौरान सोशियोलॉजी की पढ़ाई की जो कि उनका फेवरेट सब्जैक्ट था। इन्हें अपने पढ़ाई के समय प्रोफेसर एडवर्ड रोस से काफी सहायता मिली थी। विस्कॉन्सिन में पढ़ाई करते समय इन्हें कार्ल मार्क्स के दास कैपिटल पढ़ने का अवसर मिला था। इसी समय रूस क्रान्ति की सफलताओं की खबर से साल 1917 में ये मार्क्सवाद से बहुत प्रभावित हुए थे। इसके बाद उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट से भी मार्क्सवाद पर विवेचना की। अपने अध्ययन के समय जब इन्होंने अपना सोशियोलॉजी पेपर, सोशल वेरिएशन लिखा तो वह इस विषय पर लिखा जाने साल का सर्वश्रेष्ठ पेपर था।
जयप्रकाश नारायण का आपातकाल के दौरान भूमिका
आपातकाल के समय इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एलेक्टोरल कानून के उलंघन करने के अंतर्गत दोषी माना था। इस पर उन्होंने इंदिरा गांधी तथा अन्य कांग्रेश शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा की मांग की थी। इन्होंने मिलिट्री ऑफ पुलिस को सरकार के अनैतिक और असंवैधानिक निर्णय को न मानने की अपील की। 25 जून 1975 तत्कालीक प्रधानमंत्री इंदिरा गंधी ने इमरजेंसी की घोषणा की थी। इस समय देश भर में नारायण की संपूर्ण क्रांति आयोजन चल रहे थे। केंद्र सरकार ने इस आंदोलन से जुड़े हुए लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया इसके बाद इन्होंने सरकार के विरोध में रामलीला मैदान में 1,00,000 लोगों को संबोधित करते हुए भारत के राष्ट्रपति दिनकर की कविता सिंहासन खाली करो कि जनता आती है कि कई आवृत्तियाँ की, इसके बाद उन्हें सरकार द्वारा एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया और चंडीगढ़ जेल में रखा गया। इस समय बिहार में बाढ़ आई हुई थी उन्होंने सरकार से 1 महीने की पैरोल मांगी थी ताकि बाढ़ का जायजा लिया जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बीच उनकी तबीयत खराब हो गई जिसके चलते उन्हें 12 नवंबर को जेल से रिहा किया गया। जेल से उन्हें डायग्नोसिस के लिए जसलोक हॉस्पिटल में ले जाया गया। यहां पर यह पता चला कि इन्हें किडनी संबंधित परेशानी हो गई है और पूरे जीवन भर इन्हें डायग्नोसिस के सहारे ही जीना पड़ेगा।
इसके बाद फ्री जेपी कैंपेन जारी किया गया, इस कैंपेन का नेतृत्व नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता नोएल बेकर ने किया था। जिसका उद्देश्य जयप्रकाश नारायण को जेल से रिहा करवाना था। इंदिरा गांधी ने लगभग 2 साल बाद 18 जनवरी 1977 को देश से आपातकाल हटाए और चुनाव की घोषणा की, इस चुनाव के समय में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी का गठन किया गया और चुनाव में जीत भी हासिल की, देश में पहली बार ऐसा हुआ कि केंद्र में एक गैर कांग्रेसी सरकार सत्ता में आई थी। इस सत्ता पर देशभर के युवा राजनीति की ओर बढ़ रहे थे और कई युवाओं ने स्वयं को जयप्रकाश के इस आंदोलन से भी जोड़ा हुआ था।
जयप्रकाश नारायण की मृत्यु
जयप्रकाश नारायण की मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 में उनके जन्मदिन के 3 दिन पहले ही हो गई थी, उनकी मृत्यु का मुख्य कारण डायबिटीज और हार्ट और किडनी संबंधित कारण थे। इस समय उनकी उम्र मात्र 77 साल की थी।
जयप्रकाश नारायण को मिले हुए अवार्ड और अचीवमेंट
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का व्यक्तित्व किसी तरह के पुरस्कार और सम्मान के लिए मोहताज नहीं था, लेकिन उन्होंने देश की सेवा में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया था। उन्हें विश्व स्तर पर पुरस्कार मिले हैं। आइए जानते हैं इनके अवार्ड और अचीवमेंट के बारे में-
1.साल 1999 में भारत सरकार की ओर से भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
2.इन्हें एफ फाउंडेशन की ओर से भी राष्ट्रभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
3.इनकी प्रतिभा को भारत से पहले विदेशियों ने पहचान लिया था, इस कारण से लोक सेवा करने के कारण उन्हें साल 1965 में रोमन मैगसेसे अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
देश की सेवा के लिए और भारत की स्वतंत्रता आंदोलन एवं राजनीतिक आंदोलन में जयप्रकाश नारायण ने हमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था और इसके लिए उन्होंने कई यातनाएं भी सहनी पड़ी थी, लेकिन हार नहीं मानी थी आज भी इस राजनेता को लोग आज भी याद करते हैं। भारतीय राजनीति को सदैव ऐसे ही क्रांतिकारी व्यक्तित्व वालों की आवश्यकता रहेगी। देश का युवा वर्ग आज भी इन से प्रेरणा लेकर भारतीय राजनीति में अपनी भूमिका रखता है और ऐसे बनने की कोशिश करता हूं।
Mission Shakti Yojana, मिशन शक्ति योजना क्या है जाने विस्तार से
Mission Shakti Yojana : केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग की अवधि 2021- 2022 से 2025 - 2026 के दौरान महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए विशिष्ट योजना के रूप में मिशन शक्ति नामक एक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस योजना के माध्यम से सरकार डिजिटल बुनियादी ढांचे के समर्थन, अंतिम मील ट्रैकिंग और जन सहभागिता को मजबूत करने के अलावा ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानीय क्षेत्र के शासन निकायों में महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी और समर्थन को बढ़ाना चाहती हैं। मिशन शक्ति योजना मंत्रालय विभाग में और शासन के विभिन्न लेवल पर सुधार के लिए महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के प्रस्ताव पर ध्यान केंद्रित करती है।
मिशन शक्ति योजना का उद्देश्य क्या है
मिशन शक्ति मिशन मोड योजना है जिसका उद्देश्य देश में महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए समर्थन को मजबूती देना है। इस योजना के माध्यम से संपूर्ण जीवन चक्र में महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी मुद्दों पर विचार कर उनके जीवन में बदलाव लाएगी। यह योजना उनको कौशल और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में पुरुषों के समान भागीदारी बनाएगी। इस तरह यह योजना सरकार की महिलाओं के विकास की प्रतिबद्धता को एक नया रूप प्रदान करेगी। मिशन शक्ति देश में विकलांग, सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित और कमजोर वर्ग की महिलाओं के साथ-साथ अन्य सभी महिलाओं और बालिकाओं को उनके संपूर्ण विकास के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रूप में सर्विस प्रोवाइड करना है और उनको हर क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। इसके साथ ही उनकी देखभाल और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
मिशन शक्ति योजना के तहत दो उप - योजनाएं कौन सी हैं
मिशन शक्ति योजना के अंतर्गत दो उप- योजनाएं भी है- संभल और सामर्थ्य । संभल उप योजना महिलाओं की सुरक्षा के लिए है, वहीं सामर्थ उपयोजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है। संबल योजना के अंतर्गत नारी अदालतों के एक नए कंपोनेंट के साथ वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे जो देश में चल रही है यह संबल योजना के उप योजना के अंतर्गत आती है। इसके अलावा सामर्थ उप योजना में उज्ज्वला योजना, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला छात्रावास जैसी महिलाओं के लिए चल रही योजना शामिल है।
इस योजना के लाभ क्या है
मिशन शक्ति योजना के अंतर्गत महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, हिंसा और खतरे से मुक्त माहौल में अपना शारीरिक और मानसिक विकास एवं स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। मिशन शक्ति योजना के अंतर्गत महिलाओं पर देखभाल के बोझ को कम करके अपने स्वयं के कौशल विकास क्षमता, निर्माण फाइनेंशियल लिटरेसी, सूक्ष्म ऋण प्राप्त करने तक उनकी पहुंच को बढ़ाकर देश में महिला श्रम की भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इससे देश की उन सभी महिलाओं को फायदा मिलेगा जो आज भी शिक्षा रोजगार स्वास्थ्य और अन्य लाभों से वंचित है।
Betiyan Bane Kushal, बेटियां बने कुशल कार्यक्रम क्या है जाने विस्तार से
Betiyan Bane Kushal : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 11 अक्टूबर 2022 को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बैनर के अंतर्गत लड़कियों के लिए गैर पारंपरिक आजीविका में स्कील पर राष्ट्रीय सम्मेलन बेटियां बने कुशल का आयोजन किया है। इस सम्मेलन में मंत्रालय और विभाग के बीच एकजुटता पर जोर दिया जाएगा, ताकि लड़कियां अपने कौशल का निर्माण करने के साथ-साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित सहित अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े कार्यबल प्रवेश करें।
देशभर के सभी दर्शकों के लिए बेटियां बने कुशल कार्यक्रम का सीधा लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। जिसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, खेल विभाग अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ अन्य वैधानिक निकाय जैसे कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण परिषद के प्रतिनिधी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में भाग लेकर लड़कियां और युवतियां नया उदाहरण पेस करेंगी।
बेटियां बने कुशल के कार्यक्रम से जुड़े मुख्य बिंदु
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और पूरे भारत में एनटीएल में अपनी पहचान बनाने वाली किशोर बालिका एवं लड़कियों के लिए एक समूह के बीच संवाद सत्र की स्थापना की जाएगी ।
परिचालन संबंधी गाइडलाइन और एकजुटता के आयाम से संबंधित परिचालन मैनुअल का विमोचन किया जाएगा।
जीवन और रोजगार कौशल, उद्यमिता स्किल, डिजिटल लिटरेसी और वित्तीय साक्षरता कौशल पर ध्यान केंद्रित करें।
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21वीं सदी के स्किल को लेकर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की घोषणा की गई है।
चुने हुए जिलों द्वारा उसी स्थान से कौशल पर आधारित सर्वश्रेष्ठ तरीके का प्रदर्शन किया जाएगा।
इंडस्ट्री, गैर सरकारी ऑर्गनाइजेशन और सीएसओ के साथ एनटीएल में लड़कियों और महिलाओं के समावेशन के बारे में केस स्टडी आयोजित किया जाएगा।
12-10-2022
International Disaster Reduction Day, अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस का महत्व और इतिहास क्या है
International Disaster Reduction Day : संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस हर साल 13 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह आपदा के जोखिम के प्रति जागरूकता और आपदा में कमी की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है और दुनिया भर के समस्त लोगों और समुदाय को आपदा के प्रति जोखिम को कम करने के लिए और कैसे इसे जोखिम से छुटकारा पाने या जोखिम का सामना कैसे करना है इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। यह दिन सबसे पहले साल 1989 को 13 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषित किया था, ताकि दुनिया भर में आपदा के जोखिम को कम किया जा सके और इससे कैसे निपटना है इस समस्या का समाधान के बारे में जन जागरूकता को बढ़ावा देना है। साल 2021 में अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस का थीम विकासशील देशों के लिए उनके आपदा जोखिम और आपदा नुकसान को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग रखा गया था।अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस का इतिहास क्या है
सबसे पहले 1989 को अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जोखिम जागरूकता और आपदा न्यूनीकरण की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किए गए आवाहन के बाद ही की गई थी। हर साल 13 अक्टूबर को यह दिन विश्व स्तर पर आयोजित कर मनाया जाता है, ताकि कैसे दुनिया भर के लोगों और समुदायों को आपदा के प्रति जोखिम को कैसे कम कर सके और उनके सामने आए हुए आपदा जोखिम पर कैसे लगाम लगा सकते हैं, इस विषय में जागरूकता बढ़ाना है। दुनिया भर के लोगों और समुदायों को आपदा के प्रति जोखिम को कैसे कम कर सके और उनके सामने आए हुए आपदा जोखिम पर कैसे लगाम लगा सकते हैं इस विषय में जागरूकता बढ़ाना है।
World Sight Day 2022, विश्व दृष्टि दिवस का महत्व और इतिहास क्या है
World Sight Day 2022 : हर साल दिनांक 13 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय दृष्टि दिवस मनाया जाता है, दुनिया भर में सभी आयु वर्ग के लोग लगभग एक अरब के पास की नजर या तो दूर की दृष्टि कमजोर होती है या फिर अंधेपन जैसे गंभीर दृष्टि रोग से ग्रसित होते हैं। पूरी दुनिया में अकेला भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर 20% से अधिक नेत्रहीन आबादी है. हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस यानी वर्ल्ड साइट डे मनाया जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जो अंधेपन और दृष्टिहीन व्यक्ति के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस साल यह दिन 13 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है, आइए जानते हैं इस दिन की थी और इतिहास एवं महत्व के बारे में-
विश्व दृष्टि दिवस का महत्व
आंखें हमारी शरीर के मुख्य अंग में से एक हैं। यह हमें लगे नेविगेट करने में सहायता करती है और हर महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने में मदद करती है। दृष्टि हमारे अस्तित्व और जीवन की अच्छी गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। बिना आंखों के हमारा जीवन अधूरा है, आंखों की सहायता से कोई भी चीज आसानी से कर सकते हैं, इसलिए आंखों के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए एवं नेत्र हीन लोगों के जीवन के तकलीफों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताने के लिए ही यह दिन बनाया गया है।
विश्व दृष्टि दिवस का इतिहास
सबसे पहले वर्ल्ड साइट डे साल 2000 में लायंस क्लब इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन के साइटफर्स्ट कैंपेन द्वारा एक पहल के रूप में शुरू किया गया था। यह पहल द इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस आईएपीबी एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेसविजन, रूप में शुरू हुआ था। विजन 2020 द राइट टू साइट योजना का हिस्सा है। इसे आईएपीबी और विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन दोनों के द्वारा जिनेवा स्विट्जरलैंड में 18 फरवरी 1999 में लांच किया गया था। विश्व में साल 2000 में पहली बार वर्ल्ड साइट डे मनाया गया था। साल 2005 में इसकी 6वीं एडिशन थे।जिसमें राइट टू साइट थीम के साथ इसका आयोजन किया गया था। इसके बाद हर साल 2005 से लेकर अब तक किसी न किसी थीम के साथ यह दिन मनाया जाता है, ताकि मनुष्य की आंखों की सेहत और बच्चों में दृष्टि से जुड़ी सभी समस्याओं और बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों में दृष्टिहीन होने के ऊपर ध्यान केंद्रित किया जा सके और इसका समाधान निकाला जा सके।
Naveen Patnaik Biography, कौन हैं नवीन पटनायक, जाने इनके जीवन परिचय के बारे में विस्तार से
Naveen Patnaik Biography : नवीन पटनायक भारत के सुप्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं उड़ीसा राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। साल 2014 में उड़ीसा विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल को शानदार जीत के साथ नवीन पटनायक ने 21 मई 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। नवीन पटनायक का जन्म उड़ीसा के कटक में 16 अक्टूबर 1946 को हुआ था। इनके पिता उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और मां का नाम ज्ञान पटनायक था। नवीन पटनायक की शिक्षा दून विद्यालय में हुई थी और बाद में इन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली से बैचलर ऑफ आर्ट में ग्रेजुएशन किया था। नवीन पटनायक एक लेखक भी हैं और उन्होंने अपने युवा अवस्था में राजनीति से दूर थे। साल 1997 में नवीन पटनायक के पिता के निधन होने के बाद उन्हें राजनीतिक में कदम रखा और एक साल बाद ही अपने पिता बीजू पटनायक के नाम पर बीजू जनता दल के नाम से एक पार्टी की स्थापना की। बीजू जनता दल के बाद विधानसभा चुनाव में जीत अपने नाम की और भाजपा के साथ सरकार बनाएं। जिसमें ये स्वयं मुख्यमंत्री बने थे। अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और समर्थन नीतियां अपने ही तरीके से आरंभ की थी और राज्य ममें उन्होंने नौकरशाही को ठीक से मैनेजमेंट कर राज्य के डेवलपमेंट के अपने पिता के सपने को आधार बनाया। ऐसे ही इन्होंने उड़ीसा में अपनी लोकप्रिय छवि हासिल की और लगातार चार बार पूर्ण बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने रहे। नवीन पटनायक के नाम उड़ीसा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने वाले के नाम पर दर्ज है और वे अभी भी अविवाहित हैं।
नवीन पटनायक का राजनीतिक करियर
नवीन पटनायक साल 1996 में अपने पिता बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद राजनीति में कदम रखा। साल 1996 में वे जनता दल के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे लोकसभा में स्टील और खान मंत्रालय के परामर्श समिति और वाणिज्य संबंधी स्थाई समिति के सदस्य थे। साल 1997 में नवीन पटनायक ने जनता दल का गठन किया था, उन्होंने साल 2000 में उड़ीसा में भाजपा के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। भाजपा की सरकार में मंत्री के रूप में कार्यरत नवीन पटनायक केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर और उड़ीसा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया था।
नवीन पटनायक का मुख्यमंत्री के तौर पर करियर
पटनायक अपने पिता बीजू पटनायक का रिकॉर्ड तोड़ने के साथ-साथ खुद डॉक्टर हरे कृष्ण महताब और जे.बी पटनायक नेताओं ने राज्य में इस पद पर तीन बार अपनी सेवा दी है। विश्वनाथ दास, महाराज कृष्ण चंद्र गजपति नारायण देव, कृष्ण चौधरी, बीजू पटनायक, नंदिनी सत्पथी और हेमानंद बिस्वाल ने दो-दो बार राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर बागडोर संभाली थी। महाराज राजेंद्र नारायण सिंहदेव मित्रा, सदाशिव त्रिपाठी, विनायक आचार्य, नीलमणि राउत्रे और गिरधर गमांग को मुख्यमंत्री बनने का अवसर एक बार ही मिला है। कृष्णचंद्र गजपति और विश्वनाथ दास ने 1937 से 1944 तक प्रधानमंत्री के तौर पर राज्य की बागडोर संभाली थी। वर्तमान में असम के राज्यपाल जे.बी पटनायक करीब 12 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था। कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता का कार्यकाल बाधित भी हुआ था पहली बार 1980 में इन्हें केवल 1 साल ही मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था। इसके बाद साल 1985 और 1995 वें में भी इनका कार्यकाल बाधित हुआ था।
नवीन पटनायक को मिले हुए पुरस्कार और मान्यता
साल 2013 में अक्टूबर में उष्णकटिबंधीय तूफान से पहले लगभग 1000000 लोगों को निकालने के प्रयास के लिए संयुक्त राष्ट्र में नवीन पटनायक को सम्मानित किया था।
इंडिया टुडे को ओआरजी मार्ग मूड ऑफ नेशनल पोल द्वारा भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री के तौर पर नवीन पटनायक का नाम दर्ज हुआ था।
एनडीटीवी ओपिनियन पोल द्वारा दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।
13-10-2022
PM Cabinet Decisions, कैबिनेट बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने क्या फैसला लिया है
PM Cabinet Decisions : केंद्रीय कैबिनेट बैठक के दौरान मोदी सरकार ने कई अहम फैसले सुनाए हैं। बैठक में केंद्र सरकार ने रेलवे कर्मचारियों को दिवाली का तोहफा दिया है। रेलवे के कर्मचारियों को 78 दिन का बोनस दिया जाएगा, इसके अलावा तेल कंपनियों को भी राहत दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से तेल कंपनियों को 22,000 करोड़ रुपए की वन टाइम ग्रांट को भी मंजूरी दे दी गई है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट बैठक में हुए सभी फैसले की जानकारी दी है।
रेलवे कर्मचारियों को क्या तोहफा दिया गया है
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां बताया है कि रेलवे विभाग के 11,27,000 कर्मचारियों को 1832 करोड़ रुपए का प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (Railways Employee Bonus) दिया जाएगा जिसकी maximum सीमा 17951 रुपए तक होगी।
तेल कंपनियों को भी मिली राहत
कैबिनेट बैठक में तेल कंपनियों को राहत देने की घोषणा हुई है। घरेलू एलपीजी के लिए सरकार ने सब्सिडी देने का भी फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया है कि दुनिया भर में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के बाद पब्लिक सेक्टर की मार्केटिंग कंपनियों और ₹22 हजार करोड़ का वन टाइम ग्रांट दिया जाएगा, ताकि आम जनता पर बढ़ती एलपीजी की कीमतों का बोझ ना।
पूर्वोत्तर क्षेत्र की योजना को मिली मंजूरी
कैबिनेट बैठक में पूर्व क्षेत्र के विकास के लिए योजना को अप्रुव कर दिया गया है। केद्रीय मंत्रीमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल पीएम योजना को भी मंजूरी दी है, जो कि साल 2022-2023 से 2025- 2026 तक 15 वें वित्त आयोग के 4 सालों के लिए इस योजना को मंजूर किया गया है।
गुजरात में कंटेनर टर्मिनल के डेवलपमेंट को मिली मंजूरी
बुधवार 12 अक्टूबर को कैबिनेट बैठक के दौरान गुजरात में टूना-टोकरा, दीनदयाल बंदरगाह पर टर्मिनल डेवलपमेंट को लेकर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। पीपीपी मोड पर कंटेनर टर्मिनल और मल्टी परपज कोर्गो डेवलप करने के लिए मंजूरी दी है। बयान के मुताबिक 4243.64 करोड़ रुपये की लागत रियायती के तरफ से होगी।
14-10-2022
APJ Abdul Kalam Quotes, एपीजे अब्दुल कलाम के मोटिवेशनल कोट्स
APJ Abdul Kalam Quotes : भारत के मशहूर वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बेहतरीन व्यक्तित्व और काम से आज पूरी दुनिया पर परिचित है। इन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है। भारत को प्रगतिशील बनाने में अब्दुल कलाम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब्दुल पाकिर जैनुल आबदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। (APJ Abdul Kalam Quotes) बहुत गरीब परिवार से आने के बाद भी अब्दुल कलाम हालातों से लड़ते हुए अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में भारत के महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति बने। भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल देने का श्रेय डॉक्टर कलाम को ही जाता है। देश के टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और विकास में कलाम ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, आइए जानते हैं कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के द्वारा दी गई कोट्स (APJ Abdul Kalam Quotes) और महान विचारों के बारे में विस्तार से, जिसे पढ़कर आप मोटिवेट हो सकते हैं और अपने जीवन के लक्ष्य को तय करने में आपको सहायता मिलेगी। यह लेख उन्हें बहुत सहायता करेगी जिनके पास समय कम होता है लेकिन वे इंस्टेंट मोटिवेट होने के लिए कुछ ना कुछ खोज रहे होते हैं। (APJ Abdul Kalam Quotes) ऐसे में एपीजे द्वारा दिए गए महान विचारों से बढ़कर कोई दूसरा प्रेरणात्मक विचार नहीं हो सकता है, आइए जानते हैं उनके(APJ Abdul Kalam Quotes) द्वारा दी गई इन प्रेरणात्मक विचारों के बारे में-
एपीजे अब्दुल कलाम विचार (APJ Abdul Kalam Quotes)
1.असली शिक्षा एक इंसान की गरिमा को बढ़ाती है और उसके स्वाभिमान में वृद्धि करती है। यदि हर इंसान द्वारा शिक्षा के वास्तविक अर्थ को समझ लिया जाता और उसे मानव गतिविधि के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाता, तो ये दुनिया रहने के लिए कहीं अच्छी जगह होती।
2.आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देंगी।
3.चलिए मैं एक लीडर को परिभाषित करता हूँ। उसमे एक विजन और पैशन होना चाहिए और उसे किसी समस्या से डरना नहीं चाहिए बल्कि, उसे पता होना चाहिए कि इसे हराना कैसे हैं। सबसे ज़रूरी, उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए।
4.जहाँ हृदय में सच्चाई होती है वहां घर में सामंजस्य होता है; जब घर में सामंजस्य होता है, तब देश में एक व्यवस्था होती है; जब देश में व्यवस्था होती है तब दुनिया में शांति होती हैं।
5.शिक्षाविदों को छात्रों के बीच जांच की भावना, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण करना चाहिए और उनका रोल मॉडल बनना चाहिए।
6.यदि चार बातों का पालन किया जाए – एक महान लक्ष्य बनाया जाए, ज्ञान अर्जित किया जाए, कड़ी मेहनत की जाए, और दृढ रहा जाए – तो कुछ भी हासिल किया जा सकता हैं।
7.मुझे पूरा यकीन है कि जब तक किसी ने नाकामयाबी की कड़वी गोली न चखी हो, वो कायमाबी के लिए पर्याप्त महत्वाकांक्षा नहीं रख सकता।
8.भ्रष्टाचार जैसी बुराइयाँ कहाँ से पनपती हैं? ये कभी न ख़त्म होने वाले लालच से आती हैं। भ्रष्टाचार-मुक्त नैतिक समाज के लिए लड़ाई इस लालच के खिलाफ लड़ी जानी होगी और इसे “मैं क्या दे सकता हूँ” की भावना से बदलना होगा।
9.मेरा संदेश, विशेष रूप से युवाओं के लिए है, कि वे अलग सोचने का साहस रखें, आविष्कार करने का साहस रखें, अनदेखे रास्तों पर चलने का साहस रखें, असंभव को खोजने और समस्याओं पर जीत हासिल करके सफल होने का साहस रखें। ये महान गुण हैं जिनके लिए उन्हें ज़रूर काम करना चाहिए। युवाओं के लिए ये मेरा सन्देश हैं।
10.जब हम बाधाओं का सामना करते हैं, हम अपने साहस और फिर से खड़े होने की ताकत के छिपे हुए भण्डार को खोज पाते हैं, जिनका हमें पता नहीं होता कि वे हैं। और केवल तब जब हम असफल होते हैं, एहसास होता है कि संसाधन हमेशा से हमारे पास थे। हमें केवल उन्हें खोजने और अपनी जीवन में आगे बढ़ाने की ज़रूरत होती हैं।
(APJ Abdul Kalam Quotes)
11.आकाश की तरफ देखिये। हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रह्माण्ड हमारे लिए अनुकूल है और जो सपने देखते है और मेहनत करते है उन्हें प्रतिफल देने की साजिश करता हैं।
12.इग्नाइटेड माइंडस के खिलाफ कोई भी प्रतिबन्ध खड़ा नहीं हो सकता।
13.अपने कार्य में सफल होने के लिए आपको एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना होगा।
14.बारिश के दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उड़कर बादलों को ही अवॉयड कर देते हैं। समस्याए कॉमन है, लेकिन आपका एटीट्यूड इनमे डिफरेंस पैदा करता हैं।
15.हम केवल तभी याद किये जायेंगे जब हम हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दें, जो आर्थिक समृद्धि और सभ्यता की विरासत का परिणाम होगा।
16.एक लोकतंत्र में, देश की समग्र समृद्धि, शांति और ख़ुशी के लिए हर एक नागरिक की कुशलता, वैयक्तिकता और ख़ुशी आवश्यक हैं।
17.विष्य में सफलता के लिए क्रिएटिविटी सबसे ज़रूरी है, और प्राइमरी एजुकेशन वो समय है जब टीचर्स उस स्तर पर बच्चों में क्रिएटिविटी ला सकते हैं।
18.कृत्रिम सुख की बजाए ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये।
19.मनुष्य के लिए कठिनाइयाँ बहुत जरुरी हैं क्यूंकि उनके बिना सफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता।
20.युवाओं को मेरा सन्देश है कि अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, अपना रास्ता खुद बनायें, असंभव को हासिल करें।
(APJ Abdul Kalam Quotes)
21.मेरे लिए, नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज नहीं हैं।
22.राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है। और उनके प्रयास से, कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है उसे प्राप्त कर सकता हैं।
23.जिस दिन हमारे सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जायें, उस दिन मान लीजिये आप कामयाब हो गये।
24.मेरा विचार है कि छोटी उम्र में आप अधिक आशावादी होते हैं, और आपमें कल्पनाशीलता भी अधिक होती है, इत्यादि। आप में पूर्वाग्रह भी कम होता हैं।
25.निपुणता एक सतत प्रक्रिया है कोई दुर्घटना नहीं।
26.इंतजार करने वाले को उतना ही मिलता हैं, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।
27.पक्षी अपने ही जीवन और प्रेरणा द्वारा संचालित होता है।
28.जीवन एक कठिन खेल हैं। आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बनाये रखकर इसे जीत सकते हैं।
29.महान शिक्षक ज्ञान, जूनून और करुणा से निर्मित होते हैं।
30.यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा।
(APJ Abdul Kalam Quotes)
31.क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म सम्मान, आत्मनिर्भरता के साथ आता है?
32.अंततः, वास्तविक अर्थों में शिक्षा सत्य की खोज है। यह ज्ञान और आत्मज्ञान से होकर गुजरने वाली एक अंतहीन यात्रा है।
33.तब तक लड़ना मत छोड़ो जब तक अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुँच जाओ- यही, अद्वितीय हो तुम। ज़िन्दगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञानप्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो, और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ रहो।
34.किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक हैं।
35.जो अपने दिल से काम नहीं कर सकते वे हासिल करते हैं, लेकिन बस खोखली चीजें, अधूरे मन से मिली सफलता अपने आस-पास कड़वाहट पैदा करती हैं।
36.एक छात्र का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण यह है कि वह हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे।
37.जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा। इस दुनिया में, डर की कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती हैं।
38.इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये ज़रूरी हैं।
39.छोटा लक्ष्य अपराध हैं; महान लक्ष्य होना चाहिए।
40.शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वो माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
(APJ Abdul Kalam Quotes)
41.हमें हार नहीं माननी चाहिए और हमें समस्याओं को खुद को हराने नहीं देना चाहिए।
42.मैं इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
43.आइये हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके।
44.अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।
45.इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।
46.शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता, और भविष्य को आकार देता हैं। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा।
47.अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।
48.विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा है, हमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए।
49.सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।
50.इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।
(APJ Abdul Kalam Quotes)
17-10-2022
Global Hunger Index, ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है, और भारत की रैंकिंग कितनी है
Global Hunger Index : ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। 121 देशों के लिस्ट में भारत को 107 वां स्थान मिला है। भारत युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के अलावा दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों से इस लिस्ट में पीछे हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी जीएचआई वैश्विक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स सेकोर की गणना 100 अंकों के आधार पर की जाती है, जो कि भूख की गंभीरता को दर्शाता है। इन अंको में 0 या जीरो सबसे अच्छा स्कोर है और सबसे खराब 100 से है। भारत का स्कोर 29.1 है जो कि इसे गंभीर श्रेणी में रखता है, पड़ोसी मुल्कों और भारत की तुलना ग्लोबल इंडेक्स रिपोर्ट में अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो लगभग सभी देश भारत से भूख के मामले में बेहतर है। श्रीलंका को 74 वें स्थान पर है जहां की आर्थिक स्थिति अभी बहुत खराब है। नेपाल को 81 वां स्थान और पाकिस्तान को 99वें स्थान मिला है। अफगानिस्तान 109 पर है वही भारत 107 पर है अफगानिस्तान की स्थिति भारत से भी बदतर है। इसके अलावा चीन सामूहिक रूप से 1 और 17 के बीच रैंक वाले देश में से एक है। इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स रेट में चीन 5 से भी कम है।
भारत में कुपोषित लोगों की संख्या क्या है
अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है। देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई थी। इसके बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है। वहीं विश्व स्तर पर कुपोषित लोगों की कुल संख्या 828 मिलयन बताई गई है।
भारत में बाल मृत्यु दर में कमी आई है
भारत भले ही ग्लोबल इंडेक्स रेट में सबसे पीछे हैं, लेकिन भारत में अन्य दो संकेतों में सुधार किया है। साल 2014 और 2022 के बीच बाल स्टंटिंग 38.7 परसेंट से घटकर 35.5 हुआ है और इसी तुलनात्मक अवधि में बाल मृत्यु दर भी 4.6% गिरकर 3.3 परसेंट हुई है। 2014 में भारत को ग्लोबल इंडेक्स रिपोर्ट इसको 28.2 था, जो 2022 में 29.1 हुआ है। यह बदली हुई स्थिति भारत के लिए अच्छी नहीं है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स का क्या कहना है
वैश्विक स्तर पर हाल के सालों में भूख के खिलाफ प्रगति काफी हद तक रुक की गई है। दुनिया के लिए साल 2022 का ग्लोबल हंगर स्कोर को मध्यम माना जाता है लेकिन साल 2022 में 18.2 और 2014 में 19.1 से थोड़ा सा ही सुधार हुआ है। यह व्यापक संकट और स्थिति क्लाइमेट चेंज, करोना महामारी के आर्थिक नतीजों जैसे संकटों के कारण हुई है। इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध ने भी वैश्विक खाद्य इंधन और उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी की है और इसके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि साल 2023 में भी भूख इसी प्रकार गंभीर होगी।
18-10-2022
Justice D.Y. Chandrachud, कौन हैं जस्टिस चंद्रचूड़ जो देश के नए सीजेआई बनेंगे
Justice D.Y. Chandrachud : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में अप्वॉइंट किया है। भारत के सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल 9 नवंबर से शुरू होगा। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मंजूरी के बाद अब भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर को ऑफिशियल रूप से शपथ ग्रहण करेंगे। वर्तमान सीजेआई जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल अगले महीने की 8 तारीख को समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में सरकार ने 7 अक्टूबर को वर्तमान सीजेआई ललित को अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करने का अनुरोध किया था। सीजेआई ललित ने जस्टिस चंद्रचूड़ को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर चुना है। अब राष्ट्रपति ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। वरिष्ठता की सूची के मुताबिक जस्टिस चंद्रचूड़ मौजूदा सीजीआई ललित के बाद सबसे वरिष्ठ हैं, इसलिए तय परंपरा के मुताबिक उन्हीं के नाम की सिफारिश की गई
जस्टिस चंद्रचूड़ के शिक्षा के बारे में
11 नवंबर 1959 को जन्मे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मां प्रभा चंद्रचूड़ शास्त्रीय संगीतकार थी, उनकी स्कूल की पढ़ाई मुंबई से और दिल्ली से हुई है। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। इसके बाद 1982 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की है। यहां से वे अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एलएलएम की है और 1986 में जूरिडिकल साइंसेज में पीएचडी की उपाधि हासिल की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस के रूप में काम कर चुके हैं। वाईवी चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक करीब 7 साल तक अपना कार्यभार संभाला है। यह किसी सीजेआई का अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल था। पिता के रिटायर होने के बाद 47 साल बाद उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी सीजेआई बनने जा रहे हैं। यह सुप्रीम के बाद कोर्ट के इतिहास का पहला उदाहरण है जिसमें पिता के बाद बेटा भी सीजेआई बनने जा रहे हैं।
8 नवंबर को रिटायर होंगे सीजेआई ललित
वर्तमान में सीजेआई ललित का कार्यकाल 8 नवंबर 2022 को समाप्त होगा। वे मात्र 74 दिन के लिए सीजेआई के पद पर थे। जस्टिस ललित 26 अगस्त 2022 को सीजेआई रमणा के कार्यकाल पूरा होने के बाद देश के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में अप्वॉइंट किए गए थे। उनका कार्यकाल मात्र ढाई महीने का था। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे। यानी कि वे 2 साल तक देश के प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहेंगे। साल 2016 में चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
Steadfast Noon: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) जिसे उत्तरी अटलांटिक गठबंधन भी कहा जाता है। नाटो ने अपने वार्षिक परमाणु अभ्यास कोर्ट स्टडीफास्ट नून शुरू करने की घोषणा कर दी है। सप्ताह भर चलने वाला यह अभ्यास दक्षिणी यूरोप में आयोजित किया गया है और इसे 14 नाटो देशों के विमान और कर्मी शामिल हैं। स्टडी फास्ट जून में दोहरी क्षमता वाले लड़ाकू जेट विमानों के साथ-साथ निगरानी और ईंधन भरने वाले विमानों द्वारा समर्थित पारंपरिक जेट विमानों के साथ-साथ प्रशिक्षण उड़ाने भी शामिल है किसी भी जीवित हथियार का उपयोग नहीं किया जाएगा। यह अभ्यास यह सुनिश्चित करने में सहायता करता है कि नाटो का परमाणु निवारक सुरक्षित और प्रभावी बना है कि नहीं।
विशेष रुप से- स्टडी फास्ट नून, जैसे कि अभ्यास के लिए जाना जाता है, 17 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक तक चलता है और इसमें 14 देश और विभिन्न प्रकार के 60 विमान शामिल किए जाएंगे, जिसमें चौथी और पांचवीं जनरेशन के लड़ाकू जेट, साथ ही निगरानी और टैंकर विमान शामिल होंगे हैं। इसमें शामिल 14 देशों में से डच fy-16 और जर्मन टॉर्नेडो इतालवी के साथ Ghedi AB और से बाहर चल रहे हैं जबकि यूएस और बेल्जियम f-16 और संभवतः चेक ग्रिपेन एविएनो एबी से बाहर चल रहे हैं।
इस लेख के मुख्य बिंदु
पिछले साल की तरह, अमेरिकी वायु सेना B - 52 लंबी दूरी के बमवर्षक भाग लिए हैं।
इस साल नॉर्थ डकोटा के मिनोट एयरबेस से उड़ान भरेंगे। ट्रेनींग उड़ाने बेल्जियम के ऊपर होंगे जो कि अभ्यास की मेजबानी कर रहा है, साथ ही उत्तरी सागर और यूनाइटेड किंगडम के ऊपर भी।
इसकी योजना लंबे समय पहले ही बनाई गई थी। यह यूक्रेन में रूस के आक्रमण और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के यूक्रेन के पूर्व में कब्जे वाले क्षेत्र की हर कीमत पर रक्षा करने की धमकी के मद्देनजर बड़े हुए तनाव के समय में हो रहा है।
पिछले कुछ सालों के दौरान दक्षिणी यूरोप में परमाणु ठिकाने को एक इनोवेशन प्राप्त हुए हैं।
इसमें ठिकानों पर संग्रहित परमाणु हथियारों की सुरक्षा को मजबूत करने के अतिरिक्त सुरक्षा परिधि जोड़ना शामिल है।
इसमें से दो बेस पूर्वोत्तर इटली में एविएनो और दक्षिणी तुर्की में इंसर्लिक, पिछले 5 सालों में डिवेलप किए गए हैं।
इटली में दूसरा परमाणु आधार ब्रोशिया के पास घेडी जो इस साल के स्टडीफास्ट नून अभ्यास की होस्टींग इटली का हिस्सा हो सकता है।
वर्तमान में कई महत्वपूर्ण परमाणु हथियार से संबंधित मॉडर्नाइजेशन से गुजर रहा है। जिसका उद्देश्य सालों से नाटो परमाणु हमले मिशन की सेवा करना है ।
नाटो क्या है जाने विस्तार से
उत्तरी अटलांटिक संधि जिस पर 4 अप्रैल 1949 को वाशिंगटन डीसी में साइन किया गया था, इस संगठन द्वारा कार्य कार्यान्वित की जाती है, जिसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्थापित किया गया था। यह एक सामूहिक सुरक्षा संरचना के रूप में नाटो के सदस्य राष्ट्र बाहरी खतरों से एक दूसरे की रक्षा के लिए सहमत हुए हैं। यह अपने सदस्य देशों की रक्षा करता है। कोल्ड वार के दौरान सोवियत संघ के कई स्थानों पर नाटो के एक नियंत्रण के रूप में कार्य किया गया था। नाटो के वर्तमान महासचिव के रूप में जेन्स स्टोलचेनबर्ग है।
Jal Jeevan Mission : तमिलनाडु भारत का एकमात्र ऐसा राज्य के रूप में सामने आया है जिसने देश में चल रहे जल जीवन मिशन के लिए साल 2022 में q1 और q2 के लक्ष्य को हासिल कर लिया है। जिसमें 69.5700000 घरों में पानी के लिए नल कनेक्शन उपलब्ध करवाए हैं। केंद्रीय जल शक्ति मिशन गजेंद्र सिंह शेखावत ने चेन्नई का दौरा किया और साल 2022 तक हर ग्रामीण परिवार को सुनिश्चित पोर्टेबल नल के पानी की सप्लाई के लिए जल जीवन मिशन पर काम की प्रगति की समीक्षा की है।
तमिलनाडु के सफल जल जीवन मिशन से संबंधित प्रमुख बिंदु कौन-कौन से हैं
1.तमिलनाडु में 1.25 करोड़ घरों में से 69.57 लाख घरों को तमिलनाडु सरकार की ओर से नल के पानी के कनेक्शन प्रोवाइड किए गए हैं। 2.नल के पानी के कनेक्शन वाले घरों का परसेंट राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
3. साल 2022 के लिए q1 और q2 के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 12.1 लाख कनेक्शन और उसमें से 134 परसेंट दर्ज करना था जो कि राज्य ने हासिल कर लिए हैं।
5. तमिलनाडु में साल 2022 से 2023 के लिए निर्धारित लक्ष्य 28.48000000 कनेक्शन रखा गया है।
6.वर्तमान में 14.44 लाख नल कनेक्शन का काम चल रहा है।
7.तमिलनाडु के 12,525 गांवों में से राज्य ने 2663 गांव को हर घर जल गांव के रूप में रिपोर्ट किया है और सौ पर्सेंट घरों में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध है।
19-10-2022
Roger Binny Biography, रोजर बिन्नी कौन हैं जिन्हें BCCI के अध्यक्ष नियुक्त किया है
Roger Binny Biography : रोजर बिन्नी को भारतीय क्रिकेट टीम के नए अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। भारत को दो बार वर्ड कप जिताने में रोजर बिन्नी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। रोजर बिन्नी भारत के पहले एंग्लो इंडियन क्रिकेटर हैं जो साल 1983 वर्ल्ड कप जिताने वाले भारतीय टीम के अहम सदस्य में से एक थे। उस वर्ल्ड कप के दौरान इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। कप्तान कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था और पहली बार विश्व कप भारत के नाम हुई थी। आइए जानते हैं रोजर बिन्नी के बारे में विस्तार से -
रोजर बिन्नी के जीवन परिचय के बारे में
रोजर बिन्नी पूर्व भारतीय खिलाड़ी हैं जिसने साल 1983 में हुए क्रिकेट विश्व कप के विजेता टीम के एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे और भारत के लिए खेलने वाले पहले एंग्लो इंडियन थे। रोजर बिन्नी का जन्म 19 जुलाई 1965 में बेंगलुरु में हुआ था। यह एक राइट हैंड बैट्समैन थे और राइट आर्म फास्ट मीडियम बॉलिंग करते थे। रोजर बिन्नी की पत्नी का नाम सिंथिया था और बेटे का नाम स्टुअर्ट बिन्नी है। रोजर बिन्नी भारतीय क्रिकेट टीम के खेलने वाले पहले एंग्लो इंडियन खिलाड़ी हैं। जिसने 1983 के वर्ल्ड कप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
रोजर बिन्नी का क्रिकेट करियर के बारे में विस्तार से
साल 1983 के वर्ल्ड कप में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए अपने प्रभावशाली गेंदबाज प्रदर्शन के लिए रॉजर बिन्नी जाने जाते हैं। 18 विकेट लेकर वर्ल्ड कप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की है, ऐसे ही साल 1985 में विश्व सीरीज क्रिकेट चैंपियनशिप में ऑस्ट्रेलिया में इन्होंने 17 विकेट लिए थे। अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत अपने घरेलू मैदान बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए किए थे। साल 1960 की घरेलू सीरीज के पहले टेस्ट से इनकी क्रिकेट की कैरियर शुरुआत हुई थी। इमरान खान और सरफराज नवाज की छमता के गेंदबाजों के खिलाफ अपना प्रदर्शन पहले मैच में 40 रन बनाकर शानदार प्रदर्शन के साथ किया था। रोजर बिन्नी एक स्विंग गेंदबाजी करते हैं और उस समय भारतीय टीम में यह बेहतर क्षेत्र में से एक था।
रोजर बिन्नी से जुड़े FAQ
1. रोजर बिन्नी का पूरा नाम क्या है
रोजर माइकल हमफ्री बिन्नी है
2.रोजर बिन्नी का बेटे का नाम क्या है
स्टुअर्ट बिन्नी है
3.वर्तमान में यानी साल 2022 में भारतीय क्रिकेट टीम के अध्यक्ष के रूप में किसे चुना गया है
रोजर बिन्नी
4. रोजर बिन्नी किस वर्ल्ड कप के हिस्सा थे
साल 1983
5. 1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के कैप्टन कौन थे
कपिल देव
6.रोजर बिन्नी ने अपना क्रिकेट का कैरियर की शुरुआत कहां से हुई थी
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में
National Solidarity Day, राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है, जाने इससे जुड़े 10 फैक्ट
National Solidarity Day : हर साल 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को लोग साल 1962 में हुए चीन और भारत के बीच युद्ध के इतिहास के रूप में मनाते हैं। इस युद्ध में भारत को चीन से हार का सामना करना पड़ा था। इस युद्ध में देश के बहुत से सैनिक भी शहीद हुए थे जिसका परिणाम का प्रभाव भारत और चीन के लिए बहुत बुरा था खासतौर पर भारत के ठीक नहीं था। जिस दिन यह युद्ध शुरू हुआ था इस दिन को भारत में लोग राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं। आइए जानते हैं इस युद्ध और दिन के बारे में विस्तार से, भारत चीन युद्ध का इतिहास आज भी भारत और चीन के इतिहास के पन्नों में दर्ज है। भारत और चीन के बीच साल 1962 में हुआ था उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।
साल 1962 की तरह आज भी वर्तमान में भारत और चीन के बीच तनाव जारी है, लेकिन अब हालात, वक्त, शौर्य, बल, सेना की ताकत सब कुछ उस दौर से बदल गया है। अब गोलीबारी नहीं होती है लेकिन भारतीय सीमा में हस्तक्षेप करने पर भारतीय सेना द्वारा जवाब दिया जाता है, एक वक्त ऐसा था जब भारतीय सेना और चीनी सेना भाई-भाई थे लेकिन अब हालात ऐसे नहीं हैं, महीनों तक दोनों सेनाएं आमने सामने खड़ी रहती है। साल 1962 में हालात ऐसे नहीं थे उस दौरान देश को आजाद हुए कुछ ही साल हुए थे। भारत पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार नहीं था, जिसके कारण भारत को चीन के सामने हार का सामना करना पड़ा था। आइए जानते हैं
इस युद्ध से जुड़े कुछ महत्वपुर्ण फैक्ट
1.20 अक्टूबर 1962 को भारत और चीन के बीच युद्ध शुरू हुआ था जो कि 21 नवंबर 1962 तक चला था।
2.20 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस यानी नेशनल सॉलिडेरिटी डे के रूप में मनाया जाता है।
3.साल 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजाद मिली थी। एकतरफ देश अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी में लगा हुआ था, तो दुसरी ओर भारत के ऊपर चीन ने 1959 से छोटे-छोटे आक्रमण और हमले करने शुरू कर दिए थे और सीमा पर युद्ध घेरने की कोशिश जारी थी।
4.उस दौरान दलाई लामा को भारत ने शरण दी थी, चीन को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई जिसके कारण युद्ध की गति तेज हो गई थी।
5. भारत की प्रसिद्ध और प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर ने 1962 के युद्ध के बाद ही लाल किले की प्राचीर से ए मेरे वतन के लोगों की गीत को पहली बार गाया था। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी लाल किला में मौजूद थे।
6.लगभग 1 महीने तक चले इस युद्ध में भारत के करीब 1383 सैनिक शहीद हुए थे और 1047 सैनिक घायल घायल हुए थे और 1696 सैनिक युद्ध में लापता हो गए थे। वहीं चीन ने इस युद्ध में अपने 722 सैनिक हुए थे और 1657 सैनिक घायल हुए थे।
7. भारत और चीन के इस युद्ध में 20 अक्टूबर 1962 में लद्दाख में और मैक मोहन रेखा के हमले शुरू किए थे। चीनी सेना ने पश्चिमी क्षेत्र में रेजांग ला और पूर्व में तवांग पर अवैध कब्जा कर लिया था।
8.यह युद्ध दो आसमान सैनिकों के बीच में हो रहा था, जहां एक तरफ भारत के पास सिर्फ 10000 से 12000 सैनिक थे लेकिन उस युद्ध में चीन के पास 80 हजार के करीब सैनिक मौजूद थे।
9. 1962 के बाद अब हालात कुछ बदले हैं डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय सैनिकों की ताकत से चीन की हालत भी खराब हुई थी। भारतीय सेना उस दौरान तैयार नहीं थे पर आज दुनिया के बड़े से बड़े देश भारतीय सेना से युद्ध करने के पहले 10 बार सोचते हैं।
10. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उस वक्त प्रधानमंत्री थे। लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह युद्ध इतने बड़े स्तर पर हो रहा है, उनका मानना था कि यह युद्ध बातचीत से सुलझ सकती है लेकिन समय पर फैसला नहीं लेने के चलते यह युद्ध बढ़ता गया और करीब 1 महीने में देश के हजारों से ऊपर सैनिकों ने जान गवां दिए।
World Osteoporosis Day, विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस क्यों मनाया जाता है, जाने विस्तार से
National Solidarity Day : हर साल 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को लोग साल 1962 में हुए चीन और भारत के बीच युद्ध के इतिहास के रूप में मनाते हैं। इस युद्ध में भारत को चीन से हार का सामना करना पड़ा था। इस युद्ध में देश के बहुत से सैनिक भी शहीद हुए थे जिसका परिणाम का प्रभाव भारत और चीन के लिए बहुत बुरा था खासतौर पर भारत के ठीक नहीं था। जिस दिन यह युद्ध शुरू हुआ था इस दिन को भारत में लोग राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं। आइए जानते हैं इस युद्ध और दिन के बारे में विस्तार से, भारत चीन युद्ध का इतिहास आज भी भारत और चीन के इतिहास के पन्नों में दर्ज है। भारत और चीन के बीच साल 1962 में हुआ था उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।साल 1962 की तरह आज भी वर्तमान में भारत और चीन के बीच तनाव जारी है, लेकिन अब हालात, वक्त, शौर्य, बल, सेना की ताकत सब कुछ उस दौर से बदल गया है। अब गोलीबारी नहीं होती है लेकिन भारतीय सीमा में हस्तक्षेप करने पर भारतीय सेना द्वारा जवाब दिया जाता है, एक वक्त ऐसा था जब भारतीय सेना और चीनी सेना भाई-भाई थे लेकिन अब हालात ऐसे नहीं हैं, महीनों तक दोनों सेनाएं आमने सामने खड़ी रहती है। साल 1962 में हालात ऐसे नहीं थे उस दौरान देश को आजाद हुए कुछ ही साल हुए थे। भारत पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार नहीं था, जिसके कारण भारत को चीन के सामने हार का सामना करना पड़ा था। आइए जानते हैं
इस युद्ध से जुड़े कुछ महत्वपुर्ण फैक्ट
1.20 अक्टूबर 1962 को भारत और चीन के बीच युद्ध शुरू हुआ था जो कि 21 नवंबर 1962 तक चला था।
2.20 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस यानी नेशनल सॉलिडेरिटी डे के रूप में मनाया जाता है।
3.साल 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजाद मिली थी। एकतरफ देश अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी में लगा हुआ था, तो दुसरी ओर भारत के ऊपर चीन ने 1959 से छोटे-छोटे आक्रमण और हमले करने शुरू कर दिए थे और सीमा पर युद्ध घेरने की कोशिश जारी थी।
4.उस दौरान दलाई लामा को भारत ने शरण दी थी, चीन को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई जिसके कारण युद्ध की गति तेज हो गई थी।
5. भारत की प्रसिद्ध और प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर ने 1962 के युद्ध के बाद ही लाल किले की प्राचीर से ए मेरे वतन के लोगों की गीत को पहली बार गाया था। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी लाल किला में मौजूद थे।
6.लगभग 1 महीने तक चले इस युद्ध में भारत के करीब 1383 सैनिक शहीद हुए थे और 1047 सैनिक घायल घायल हुए थे और 1696 सैनिक युद्ध में लापता हो गए थे। वहीं चीन ने इस युद्ध में अपने 722 सैनिक हुए थे और 1657 सैनिक घायल हुए थे।
7. भारत और चीन के इस युद्ध में 20 अक्टूबर 1962 में लद्दाख में और मैक मोहन रेखा के हमले शुरू किए थे। चीनी सेना ने पश्चिमी क्षेत्र में रेजांग ला और पूर्व में तवांग पर अवैध कब्जा कर लिया था।
8.यह युद्ध दो आसमान सैनिकों के बीच में हो रहा था, जहां एक तरफ भारत के पास सिर्फ 10000 से 12000 सैनिक थे लेकिन उस युद्ध में चीन के पास 80 हजार के करीब सैनिक मौजूद थे।
9. 1962 के बाद अब हालात कुछ बदले हैं डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय सैनिकों की ताकत से चीन की हालत भी खराब हुई थी। भारतीय सेना उस दौरान तैयार नहीं थे पर आज दुनिया के बड़े से बड़े देश भारतीय सेना से युद्ध करने के पहले 10 बार सोचते हैं।
10. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उस वक्त प्रधानमंत्री थे। लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह युद्ध इतने बड़े स्तर पर हो रहा है, उनका मानना था कि यह युद्ध बातचीत से सुलझ सकती है लेकिन समय पर फैसला नहीं लेने के चलते यह युद्ध बढ़ता गया और करीब 1 महीने में देश के हजारों से ऊपर सैनिकों ने जान गवां दिए।
World Statics Day, वर्ल्ड स्टैटिक्स दिवस का इतिहास और महत्व क्या है
World Statics Day : हर साल वर्ल्ड स्टैटिक्स दिवस 20 अक्टूबर को दुनियाभर में ऑफिशियल स्टैटिक्स के मौलिक सिद्धांतों की उपलब्धियों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। विश्व सांख्यिकी दिवस साल 2021 का उत्सव संयुक्त राष्ट्र स्टैटिक्स आयोग के मार्गदर्शन में आयोजित एक वैश्विक सहयोगात्मक प्रयास है।
विश्व सांख्यिकी दिवस का इतिहास क्या है
संयुक्त राष्ट्र संघ की आयोग ने साल 2010 में 20 अक्टूबर को विश्व सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था। महासभा ने जिसे 3 जून 2010 के संकल्प 64/267 को अपनाया था। जिसमें अधिकारिक तौर पर 20 अक्टूबर 2010 को अधिकारिक आंकड़ों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के तहत पहली बार विश्व सांख्यिकी दिवस के रूप में नामित किया था। साल 2015 में संकल्प 96 / 282 के साथ महासभा ने 20 अक्टूबर 2015 को सामान्य विषय बेहतर डाटा बेहतर जीवन के तहत दूसरे विश्व सांख्यिकी दिवस के रूप में नामित करने के साथ-साथ 20 अक्टूबर को हर 5 साल में वर्ल्ड स्टैटिक्स डे मनाने का फैसला लिया था।
विश्व सांख्यिकी दिवस का महत्व क्या है
विश्व सांख्यिकी दिवस का सबी कार्य क्षेत्र में बहुत महत्व है। इसके अलावा आंकड़ों से चीजों का आंकलन आसान होता है और तेजी से कार्य में परिवर्तन आता है, चीजों की बेहतर समझ होती है। साथ ही यह अतीत और वर्तमान की स्थिति को स्पष्टता के साथ दर्शाता है और बताता है। विश्व सांख्यिकी दिवस हर 5 साल में एक बार मनाया जाता है, जो कि देश के सभी पहलुओं में वृद्धि और डेवलपमेंट के महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्टैटिक्स में बड़ी मात्रा में संख्यात्मक डेटा का कलेक्शन किया जाता है, फिर एनालिसिस और एक्सप्लेनेशन शामिल है।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
1.संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग की स्थापना कब हुई थी
साल 1947 में
2.संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग का मूल संगठन क्या है
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद
3.संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष कौन हैं
शिगेरू कावासाकी जापान
Biography of Amit Shah, अमित शाह के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से
Biography of Amit Shah: भारत के गृह मंत्री अमित शाह को कौन नहीं जाता जानता, जिनका ताल्लुक भारतीय जनता पार्टी से है वह अब पार्टी के अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। शाह के नीति और दम पर बीजेपी ने कई राज्यों में अपना वर्चस्व फैला रखा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह को नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को गृह राज्य मंत्री का कार्यभार सौंपा है। अब वे देश गृह मंत्री के रूप में जाने जाते हैं, आइए जानते हैं अमित शाह के जीवन परिचय के बारे में
अमित शाह का जन्म साल 1964 में महाराष्ट्र के एक गुजराती परिवार में हुआ था। इनके परिवार का संबंध गुजरात के मेहसाना गांव से हैं और शाह की शुरुआती शिक्षा मेहसाना से ही हुई है। शाह विज्ञान के छात्र थे और उन्होंने सीयू शाह साइंस कॉलेज से विज्ञान के विषय में डिग्री हासिल की है। अमित शाह के पिता का नाम अनिल चंद्र शाह और माता का नाम कुसुंबा है। उनकी पत्नी का नाम सोनल है और इनका एक बेटा है जिनका नाम जय शाह है और वे पेशे से एक व्यापारी हैं।
अमित शाह के राजनीतिक कैरियर के बारे में
साल 1983 में यह आरएसएस से जुड़े अमित शाह ने अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में आने का फैसला लिया था और साल 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने का मौका मिला, बाद में साल 1986 में यह बीजेपी पार्टी में भी शामिल हो गए। इन्होंने पार्टी के लिए प्रचार प्रसार करना शुरू किया। इनको 1997 में पार्टी की ओर से विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसके बाद उन्हें तीन बार यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
साल 2000 में मिला मंत्री पद
गुजरात के विधानसभा चुनाव में लगातार बीजेपी पार्टी को जीत मिलने के बाद, पार्टी ने शाह को राज्य के कई मंत्री पद का कार्यभार सौंपा था। जिस वक्त शाह को मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया था उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे। साल 2000 में अमित शाह की नियुक्ति अहमदाबाद जिले के सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में हुई थी, इसके अलावा वे राज्य के चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं।
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किया था प्रचार प्रसार
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में अमित शाह ने अपनी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार प्रसार किया था। इन चुनावों में अपनी पार्टी की शानदार जीत भी दिलवाई थी। इसके अलावा उन्होंने पार्टी के अन्य राजनेताओं के लिए भी प्रचार किया है। साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के लिए भी चुनाव जीतने की रणनीति बनाई थी। साल 2014 में बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष बने अमित शाह ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को जिताने के लिए कड़ी मेहनत की थी। वहीं इन्हें साल 2014 में पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसके बाद उनकी अध्यक्षता में कई बड़े राज्यों में बीजेपी ने जीत हासिल की और साल 2016 में एक बार फिर उन्हें दोबारा इस पद के लिए चुना गया था, लेकिन साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी के नए कैबिनेट मिनिस्टर में अमित शाह को गृह मंत्री का कार्यभार सौंपा था।
राज्यसभा के सदस्य हैं अमित शाह
साल 2017 में बीजेपी की ओर से राज्यसभा भी भेजा गया था और इस दौरान यह राज्यसभा के सदस्य बने हैं। इन्हें गुजरात राज्य की सीट से राज्यसभा भेजा गया है। साल 2019 में अमित शाह को मोदी कैबिनेट में गृह मंत्री बनाया गया। इसके अलावा ये लोकसभा के सदस्य भी हैं।
अमित शाह द्वारा लिए गए बड़े फैसले
जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करवाना देश के लिए बड़ा फैसला है अब भारत जम्मू-कश्मीर भी भारत का मुख्य हिस्सा है। 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर के लिए नए नियम बनाए गए हैं।
एनआरसी का मुद्दा- देश में अनऑफिशियल तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को भारत से बाहर खदेड़ना एनआरसी के तहत किया गया था। इस फैसले के बाद देश में कई हम बड़े हंगामे और धरना हुई थी।
नक्सलवादी का मुद्दा - भारत के कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर नक्सलवाद को लेकर नागरिक परेशान हैं जिनमें से एक है छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में एक बहुत बड़ा धमाका हुआ था जो नक्सलवादियों द्वारा किया गया था जिसके बाद अमित शाह ने नक्सलवादियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है।
20-10-2022
Sanitation Campaign For Disabled Person, विकलांग लोगों के स्वच्छता 2.0 के बारे में विस्तार से
Sanitation Campaign For Disabled Person: कैबिनेट सचिवालय ने 19 अक्टूबर साल 2022 को सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता के लिए विशेष स्वच्छता अभियान 2.0 की समीक्षा की है। इस समीक्षा बैठक में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा की गई सभी स्वत्छता गतिविधियों और पहलुओं पर चर्चा और विचार-विमर्श की गई, इसके अलावा सचिव व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग के साथ विकलांगों के लिए स्वच्छता भी प्रस्तावित किया गया। इसे विशेष स्वच्छता अभियान के हिस्से के रूप में विकलांग बच्चों की स्वच्छता की जरूरतों का भी ध्यान रखने के मुद्दे को विभिन्न संस्थानों और अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों में शामिल किया जाएगा। इस पहल को शामिल करके अगले 6 महीने की अवधि में इस स्वच्छता 2.0 पहल को चलाया जा सकता है।
विकलांग स्वच्छता 2.0 के बारे में
विभाग की गतिविधियों द्वारा इस पहल के एक हिस्से के रूप में प्रस्तावित गतिविधियों का केंद्र माता पिता और अन्य देखभाल करने वालों द्वारा विशेष जरूरतों वाले बच्चों की देखभाल करते समय दैनिक गतिविधियों में स्वच्छता बनाए रखने के कार्य पर महत्व प्रकाश डालना होगा। इसके साथ ही उनका बेहतर स्वास्थ्य के साथ उनकी स्वच्छता और साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाएगा।
Special Swachhta Campaign 2.0, विशेष स्वच्छता अभियान 2.0 के आयोजन के बारे में विस्तार से
Special Swachhta Campaign 2.0 : पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सभी कार्यों में पेंडेंसी को कम करने और स्क्रैप एवं कचरे के निपटान के लिए विशेष स्वच्छता अभियान 2.0 का आयोजन किया है। इस अभियान को सितंबर 14 तारीख को प्रारंभिक चरण के साथ शुरू किया गया है। जिसके दौरान मंत्रालय ने लंबित संदर्भ और निपटान की जाने वाली वस्तुओं का चुनाव एवं पहचान किया है।
दूसरे चरण के बारे में
2 अक्टूबर से इस स्वच्छता अभियान का दूसरा चरण शुरू होने के बाद से चिन्हित संदर्भ और वस्तुओं का दैनिक आधार पर निपटान किया जा रहा है। उसके तहत पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हर सप्ताह अभियान के तहत किए गए निस्तारण की समीक्षा भी की है।
केंद्र द्वारा उठाए गए कदम
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने पर्यावरण भवन में बेसमेंट सहित इंदिरा पर्यावरण भवन के सभी संभागों और कार्यालयों का औचक निरीक्षण किया है। उन्होंने कर्मचारियों के साथ इस विषय पर बातचीत भी की है और उन्हें कार्यस्थल पर साफ सफाई बनाए रखने एवं लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटान करने का भी निर्देश दिया है.
Police Martyrs’ Day, पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास क्या है, और क्यों मनाया जाता है
Police Martyrs’ Day, जब भी देशभक्ति की बात आती है तो अक्सर भारतीय सैनिकों को ही देश में याद किया जाता है, लेकिन देश के पुलिस के लिए यह खास दिन ज्यादातर लोगों को याद नहीं रहता है। ऐसे में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस, पुलिस शहीद दिवस, पुलिस रिमेंबरयंस डे, पुलिस कमेमोरेशन डे, पुलिस मेमोरियल डे जैसे नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भारत के स्वतंत्रता के बाद देश की सेवा करते हुए भारतीय पुलिसकर्मियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। लेकिन 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के अलावा यह दिन चीन युद्ध से भी संबंधित है।
क्या हुआ था 21 अक्टूबर 1949 को इस दिन का इतिहास क्या है
21 अक्टूबर 1962 को भारत चीन सीमा पर रखवाली करते हुए 10 पुलिस जवान शहीद हो गए थे। उन्हीं की शहादत की याद में इस दिन को मनाया जाता है। 20 अक्टूबर को इस इतिहास की शुरुआत हुई थी, जब भारत और तिब्बत के बीच ढाई हजार मील लंबी सीमा की देखरेख का जिम्मा भारतीय रिजर्व पुलिस बल के पुलिसकर्मियों के हाथ में सौंपा गया था। उत्तर पूर्वी लद्दाख में यह घटना तिब्बत के लगी सीमा पर हुई थी, लेकिन यह मामला चीन का था क्योंकि तब तक तिब्बत चीन से का ही हिस्सा बन चुका था। उत्तर पूर्वी लद्दाख की सीमा पर निगरानी के लिए हॉट स्प्रिंग स्थान पर सीआरपीएफ तीसरी बटालियन की तीन टुकड़ियों को अलग-अलग गश्त पर रखवाली के लिए भेजा गया था। गश्त के लिए गई तीन में से दो टुकड़ियों वापस दोपहर तक वापस आ गई थी लेकिन तीसरी टुकड़ी नहीं आई थी।
अगले दिन इस टुकड़ी की तलाश के लिए एक नई टीम बनाई गई, खोई हुई टुकड़ी की खोज में डीसीआईओ करण सिंह की अगुवाई में एक नई टीम 21 अक्टूबर को रवाना हुई थी, जिसमें 20 पुलिसकर्मी शामिल थे। इस टीम का भी तीन हिस्सों में बंटवारा किया गया था। एक पहाड़ी के करीब पहुंचने पर चीनी सैनिकों ने इस टुकड़ियों पर गोली और ग्रेनेड से हमला कर दिया था। यह टुकड़ी सैन्य टुकड़ी की हिस्सा नहीं थी और इसके पास सेना की तरह खुद की सुरक्षा के लिए हथियार भी नहीं थे। जिसमें इन टुकड़ियों की मृत्यु हो गई।
इस युद्ध में चीन की भूमिका
अचानक हुए इस हमले के कारण पुलिसकर्मी घायल होने लगे और 10 पुलिसकर्मी इसमें शहीद हो गए और सात घायल कर्मियों को चीनी सैनिकों ने बंदी बना लिया था। तीन पुलिसकर्मी वहां से बचने में सफल रहे, जिसके बाद 13 नवंबर को चीनी सैनिकों ने शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों के शव को लौटा दिया, जिनका अंतिम संस्कार पुलिस में सम्मान के साथ किया था। इस घटना के बाद से भारत तिब्बत सीमा की सुरक्षा का जिम्मा एक विशेष सैन्य बल भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल आईटीबीपी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस को सौंपा गया, जो एक अर्ध सैनिक बल है। लेकिन सीआरपीएफ की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस दौरान भी जारी रही और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल के गठन के बाद उसे सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त कर देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गई।
इस दिन को मनाने का इतिहास कब से है
साल 1960 को हुए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में इस घटना में हुए शहीद पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला भारत सरकार द्वारा लिया गया और हर साल 21 अक्टूबर को देश के लिए जान गवाने वाले इन सभी पुलिसकर्मियों के सम्मान में स्मृति दिवस मनाने का फैसला लिया गया। पुलिस मेमोरियल डे की भी स्थापना की गई और इसकी अवधारणा में 1984 को हुई थी, लेकिन उसका बनने का निर्माण कार्य 2000 के बाद शुरू हुआ और इसका अनावरण साल 2018 में हुआ था। यह मेमोरियल दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में 6 एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में बना हुआ है। साल 2000 से हर साल इस दिवस पर पुलिस परेड का आयोजन और शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम होता है।
Dhanteras 2022, धनतेरस क्यों मनाया जाता है क्या है इतिहास और महत्व
Dhanteras 2022 : हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का महा पर्व मनाया जाता है। धनतेरस दिवाली के 2 दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियों के सहयोग के कारण धनतेरस दिवाली के अगले दिन ही मनाई जाएगी। इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर और दीपावली 24 अक्टूबर को मनाने मनाई जाएगी। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इस कारण इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन में प्रगट हुए थे, इस कारण ही बर्तन खरीदने का परंपरा इस दिन से शुरू हुआ है। इस दिन धनवंतरि देव के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा अर्चना होती है। इस दिन बर्तन के अलावा घर के अन्य सामान खरीदना भी महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि -
धनतेरस पर्व क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी
1. भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था
मान्यता के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि अपने दोनों हाथों में कलश लेकर प्रकट हुए थे। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरि के अवतार में जन्म लिया था। शास्त्रों के मुताबिक भगवान धन्वंतरि सभी देवताओं के वैद्य हैं और इनकी पूजा आरोग्य, सुख, शांति और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष में ही हर साल त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
2. श्री हरि विष्णु के वामन अवतार से भी है धनतेरस धनतेरस से जुड़ी कथा
धनतेरस को लेकर मान्यता यह है कि देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंचे थे। शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया था और राजा बलि से यह अनुरोध किया था कि वामन जो कुछ भी मांगे उसे नहीं देना है, लेकिन राजा बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी और वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि दान दे दी थी। बलि के दान को रोकने के लिए शुक्राचार्य बलि के कमंडल में लघु रूप धारण कर प्रवेश कर लिए थे। जिसके कारण कमंडल से जल नहीं निकल रहा था। वामन अवतार में भगवान विष्णु ने शुक्राचार्य की चाल को समझते हुए अपने हाथ से कमंडल में से शुक्राचार्य को हटा दिया था, जिससे शुक्राचार्य की आंख फूट गई थी। जिसके बाद शुक्राचार्य छटपटा कर कमंडल से बाहर निकले और बलि ने संकल्प कर तीन पग भूमि दान दिया था। इसके बाद भगवान वामन ने अपने एक पूरे पृथ्वी में रखा, दूसरा पैर से अंतरिक्ष को नापा और तीसरा पद के लिए जब कोई स्थान नहीं हुआ तब बलि ने अपना सिर भगवान वामन के चरण में रख दिया था, जिसके बाद बलि इस दान में अपना सब कुछ गवा दिया। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और राजा बलि से उसका सर्वस्व गया। इस उपलक्ष में भी धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।
Diwali 2022, दीपावली क्यों मनाया जाता है जाने इतिहास और महत्व
Diwali 2022: दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन केवल दिया जलाने और पटाखे फोड़ने का ही प्रथा नहीं है, बल्कि दीपावली मनाने के पीछे कई सारे पौराणिक कथा और प्रथा है। जिससे आज भी बहुत सारे लोग अनजान हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि दीपावली क्यों मनाई जाती है।
1. दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, मां लक्ष्मी धन की देवी है। हिंदू धर्म और शास्त्र के मुताबिक यह कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का जन्मदिन मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
2. भगवान विष्णु ने बचाया था मां लक्ष्मी को, भगवान विष्णु का पांचवा अवतार वामन था हिंदू कथा के मुताबिक यह कथा बहुत प्रसिद्ध है जिसमें भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि के गिरफ्तार से माता लक्ष्मी को बचाया था। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। जब राक्षसों के राजा नरकासुर ने तीनो लोक पर आक्रमण कर लिया था और देवी-देवताओं पर उनका अत्याचार बढ़ गया था तब इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और वध के बाद 16000 महिलाओं को नरकासुर के कैद से मुक्ति दिलाई थी। इस जीत की खुशी को 2 दिन तक मनाया गया था। जिसमें दीपावली का दिन मुख्य था। दीपावली के पहले दिन नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है और तभी से लेकर आज तक चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।
3. पांडवों की हुई थी वापसी हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक महाभारत एक महाकाव्य है। जिसके मुताबिक कार्तिक अमावस्या के दिन ही पांडव 12 साल के वनवास के बाद वापस लौटे थे, उनके आने की खुशी में प्रजा उनके स्वागत के लिए दिए जलाई थी। इस कारण भी दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
4. भगवान राम की हुई थी जीत हिंदू धर्म शास्त्र के दूसरे महाकाव्य रामायण के मुताबिक कार्तिक मास की अमावस्या के दिन भगवान श्री राम लक्ष्मण और सीता के साथ लंका से रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस आए थे और उनके आने की खुशी में पूरे अयोध्या को घी के दिए से प्रजवलित किया गया था और उनका स्वागत किया गया था। इस दिन को भगवान राम की जीत की खुशी के तौर पर मनाया जाता है।
5. दिवाली के दिन हुआ था विक्रमादित्य का राजतिलक- महान पराक्रमी राजा विक्रमादित्य का राजतिलक दीपावली के दिन हुआ था। राजा विक्रमादित्य उदारता, साहस और वीरता के प्रतीक हैं इन सभी कारणों से दीपावली भारत में बहुत महत्वपूर्ण है और सभी पर्व में खास है। इसलिए पूरे धूमधाम से दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
World Development Information Day, विश्व विकास सूचना दिवस क्या है और यह क्यों मनाया जाता है
World Development Information Day : हर साल 24 अक्टूबर को विश्व विकास सूचना दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य सूचना के प्रसार में सुधार करना और विशेष रूप से लोगों के बीच जनमत जुटाना है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र दिवस भी मनाया जाता है। इसी दिन संयुक्त राष्ट्र पहली बार 24 अक्टूबर 1945 को अस्तित्व में आई थी। विश्व विकास सूचना दिवस की शुरुआत साल 1972 में हुई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विकास समस्याओं के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें उन समस्याओं को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत समझी थी। इसके बाद ही इसकी शुरुआत हुई थी। स्थापना के दौरान संयुक्त राष्ट्र में 51 सदस्य थे, जो कि अब 193 हो चुके हैं। इस प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में इससे संबंधित प्रस्ताव पास किया गया था और इसे विकास समस्याओं के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए विश्व विकास सूचना दिवस का नाम दिया गया था।
विश्व विकास सूचना दिवस का महत्व क्या है
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व विकास सूचना दिवस मनाने का प्रस्ताव पास करने के बाद 24 अक्टूबर 1993 को पहली बार विश्व विकास सूचना दिवस मनाया गया था। 24 अक्टूबर को इस दिन को मनाने का फैसला किया गया था, क्योंकि इस तारीख को 1970 में दूसरे राष्ट्र विकास दशक के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास रणनीति को अपनाया गया था। आज भी यह दिन हर साल विकास की समस्याओं को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने और विश्व जनमत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से 24 अक्टूबर को मनाया जाता है।
विश्व विकास सूचना दिवस का लक्ष्य क्या है
इस दिवस को मनाने का लक्ष्य आम व्यक्ति को यह समझाना की इन समस्याओं को सुलझाने के तरीके खोजने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना क्यों महत्वपूर्ण है, इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के काम में विकास की केंद्रीय भूमिका पर जोर देने के लिए यह दिन संयुक्त राष्ट्र दिवस के साथ मेल खाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने अब इस भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है कि आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी जैसे इंटरनेट और डिजिटल डिवाइस लोगों को सचेत करने और व्यापार एवं विकास की समस्याओं के समाधान खोजने मेंअच्छी भूमिका निभा सकती है। विश्व विकास सूचना दिवस के विशिष्ट उद्देश्य में से एक है युवा व्यक्तियों को सूचित करना और इसके लिए प्रेरित करना एवं परिवर्तन लाना है। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सहायता करता है
World Polio Day, विश्व पोलियो दिवस का महत्व और इतिहास क्या है
World Polio Day : विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ पोलियो उन्मूलन के लिए प्रारंभ से ही प्रयासरत रहा है। डब्ल्यूएचओ ने लोगों को पोलियों के संबंध में जागरूक करने के लिए जो कदम उठाए हैं उससे हर साल व्यक्ति उस स्तर तक पहुंच जाता है जहां पोलियो को खत्म करने में मदद मिल सके। पोलियो के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए और विश्व एवं देश को पोलियो मुक्त बनाने के लिए हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है। पोलियो को कभी एक अत्यंत सामान्य सामान संक्रामक बीमारी के रूप में जाना जाता था जिसने दुनिया भर के लाखों करोड़ों बच्चे के जीवन को रोक दिया था।
आखिर 24 अक्टूबर को ही पोलियो दिवस क्यों मनाया जाता है
विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्टूबर को जोनास साल्क के जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। जोनास साल्क अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट थे जिन्होंने दुनिया का पहला सुरक्षित और प्रभावी पोलियो का टीका बनाने में सहायता की थी, जो साल 1955 में 12 अप्रैल को पोलियो से बचाने वाली टीका को सुरक्षित किया था और दुनिया के सामने इस टीके को प्रेजेंट किया था। एक समय ऐसा था जब यह पोलियो की बीमारी पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई थी, तब डॉक्टर साल्क के यह रिसर्च इस बिमारी रोकथाम के लिए और मानव जाति को इस घातक बीमारी से लड़ने के लिए टीके के रूप में एक हथियार दिया था, लेकिन 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन जीपी की स्थापना की गई थी। यह पहला विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ रोटरी इंटरनेशनल और अन्य जो पोलियो उन्मूलन के लिए वैश्विक स्तर पर दृढ़ संकल्प थे, उनके द्वारा इसकी स्थापना की गई थी।
पोलियो बीमारी क्या है
पोलियो एक ऐसी बिमारी है जो बच्चे को विकलांग कर देने वाली घातक बीमारी है। पोलियो वायरस के कारण यह बीमारी बच्चों में होती है जो उन्हें विकालांग बना देती है, जिसके बाद उनके शरीर में इस वायरस के संक्रमक के चलते उनका अंग अपाहिज या अपंग बना देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमक बनने वाला यह पोलियो वायरस संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर अटैक कर सकता है। जिससे संक्रमित व्यक्ति में पक्षाघात होने की आशंका बढ़ जाती हैय़ पक्षाघात वह स्थिति है जब शरीर के अंग को हिलाया डुलाया नहीं जा सकता है और व्यक्ति का हाथ या पैर यह शरीर का अन्य किसी अंग विकलांग हो जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों और विभिन्न देश के सरकारों की दृढ़ता के साथ पोलियो टीकाकरण अभियान ने दुनिया को पोलियो से जीत दिलाई है। भारत पिछले कुछ सालों में पोलियो से मुक्त हो चुका है लेकिन दुनिया के कुछ ऐसे देश और हिस्से हैं जहां पर पोलियो से हुए विकलांगता के कुछ कैसे सामने आते हैं।
पोलियो के लक्षण क्या है
क्लीवलैंड क्लिनिक का यह कहना है कि पोलियो संक्रमित लगभग 72 लोगों में किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं किया गया है। संक्रमित लोगों में से लगभग 25 परसेंट में बुखार, गले में खराश, मतली सिर दर्द, थकान और शरीर में दर्द जैसे सामान्य लक्षण ही सामने आए हैं। कुछ शेष बचे हुए रोगियों में पोलियो के ज्यादा गंभीर लक्षण हो सकते हैं वे इस प्रकार से हैं। थेसिया हाथ और पैर में सुन्नता का अनुभव होना, मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आवरण में संक्रमण होना, पक्षाघात पैर हाथ को स्थानांतरित करने की क्षमता में कमी या अनुपस्थिति स्थान को हिलाने डुलाने में सक्षम नहीं रहते हैं। जहां पर पोलियो संक्रमित होता है ऐसे में मांसपेशियों में खिंचाव महसूस करते हैं।
United Nations Day, संयुक्त राष्ट्र दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, जाने विस्तार से
United Nations Day : हर साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है, लोगों को संयुक्त राष्ट्र संस्थान के उद्देश्य एवं इसकी उपलब्धियों के विषय में जानकारी देने के लिए और जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र दिवस संयुक्त राष्ट्र सप्ताहिक कार्यक्रमों की सीरीज में 20 से 26 अक्टूबर के बीच में मनाया जाता है। साल 1945 में सभी के लिए शांति विकास और मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए सामूहिक कार्यवाही का सहयोग करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी। अधिकारिक रूप से 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व में आने के बाद से हर साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है। सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों सहित अपने हस्ताक्षर कर्ताओं देश के बहुमत द्वारा घोषणा पत्र के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ऑफीशियली अस्तित्व में आया था। साल 1948 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में इस बात की घोषणा की गई थी कि 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की वर्षगांठ होती है। उस दिन संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य एवं उपलब्धियों के बारे में और लोगों के समर्थन के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से हर साल इस दिन को मनाएंगे। साल 1971 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आगे यह संकल्प को बढ़ाते हुए यह संकल्प लिया था कि संयुक्त राष्ट्र दिवस को अंतरराष्ट्रीय अवकाश दिवस के रूप में भी घोषित किया जाए और यह भी देखा जाए कि यह उन सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य के लिए है।
संयुक्त राष्ट्र का इतिहास क्या है
संयुक्त राष्ट्र ऑफिशियल तरीके से 24 अक्टूबर 1945 को अस्तित्व में आया था, जब चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और अधिकांश अन्य हस्ताक्षर कर्ताओं द्वारा चार्टर को मंजूरी दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र नाम संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति फ्रैंकलिनडी रूजवेल्ट द्वारा दिया गया था और पहली बार दूसरे विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1 जनवरी 1942 की घोषणा में इसका इस्तेमाल किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का उद्देश्य क्या है
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना, राष्ट्र के बीच सम्मान अधिकार एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों का डेवलप करना, आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक एवं अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने तथा मानवीय अधिकारों के प्रति समान भावना बढ़ाने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग हासिल करना, समान उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राज्य द्वारा किए जाने वाले कार्यों को समस्त का केंद्र बनाना। शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्य देश शामिल थे लेकिन अब इसके सदस्य देशों की संख्या 193 हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र के अंग
1.संयुक्त राष्ट्र महासभा
2.सुरक्षा परिषद
3.आर्थिक एवं सामाजिक परिषद
4.अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
5. सचिवालय
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त कितनी भाषा है
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 6 भाषाओं को मान्यता दी है जिसमें से
1.अंग्रेजी
2.फ्रेंच
3.रूसी
4.चीनी
5.अरबी
6.स्पेनिश है
26-10-2022
Disarmament Week 2022, निरस्त्रीकरण सप्ताह कब और क्यों मनाया जाता है, जाने विस्तार से
Disarmament Week 2022: निरस्त्रीकरण सप्ताह हर साल 24 से 30 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है विश्व में शांति स्थापित करना है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संगठन हर साल 24 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक निरस्त्रीकरण सप्ताह के रूप में मनाता है। निरस्त्रीकरण सप्ताह लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने और निरस्त्रीकरण के मुद्दे एवं उनके cross-cutting महत्व की बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए 1 हफ्ते तक इसे मनाता है। निरस्तीकरण सप्ताह में लोगों को तोपों के खतरे से बचाने के विषय में व्यापक चर्चा होती है। अधिक सुरक्षित और बेहतर सुरक्षित दुनिया बनाने के प्रयास में हर साल निरस्त्रीकरण सप्ताह मनाया जाता है।दुनिया भर में संकट एवं हिंसक संघर्षों को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने परमाणु हथियारों के निरस्त्रीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
निरस्त्रीकरण सप्ताह का इतिहास क्या है
24 अक्टूबर से संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की वर्षगांठ सप्ताह भर चलने वाली यह वार्षिक पालन को पहली बार निरस्त्रीकरण पर महासभा के 1978 के विशेष सत्र के अंतिम दस्तावेज में बुलाया गया था। 1995 में महासभा ने सप्ताह में सक्रिय भाग लेना जारी रखने के लिए सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों को आमंत्रित किया था, ताकि निरस्तीकरण से जुड़े मुद्दों के बारे में जनता के बीच बेहतर समाझ एवं जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सके। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 1952 में हुई थी। इसे राष्ट्रों के पास सशस्त्र बलों और हथियारों की संख्या को विनियमित करने एवं खतरे को कम करने के लिए संधियों के लिए प्रस्ताव दस्तावेज बनाने का काम सौंपा गया था।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग की स्थापना कब हुई थी?
संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग की स्थापना 11 जनवरी 1952 को हुई थी ।
संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग का मुख्यालय कहां है?
संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग का मुख्यालय न्यू यॉर्क संयुक्त राज्य अमेरिका में है।
संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग के प्रमुख कौन हैं?
हान ताए गीत निरस्त्रीकरण आयोग के प्रमुख हैं।
Rojgar Mela, रोजगार मेला क्या है और यह क्यों आयोजित किया गया है
Rojgar Mela: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली के अवसर पर देश के 75000 युवाओं को रोजगार का तोहफा दे दिया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन युवाओं को अपॉइंटमेंट लेटर सौंपा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल रोजगार मेले की भी लॉन्चिंग की है, इसके जरिए अगले 14 महीने में यानी दिसंबर 2023 तक केंद्र सरकार के 38 विभागों में 10,00,000 रिक्त पदों पर भर्ती होगी। आइए जानते हैं इस रोजगार मेले एवं इन भर्तियों के बारे में विस्तार से-
कौन-कौन सी एजेंसियां करवाएगी भर्ती प्रोसेस
अगले साल दिसंबर तक रिक्त पदों पर 10,00,000 नियुक्ति होनी है, इसके लिए केंद्र सरकार ने रोजगार मेले का सहारा लेने का फैसला किया है। रोजगार मेले की ऑफिशियल वेबसाइट जल्द ही लांच होगी। केंद्र सरकार के माध्यम से जारी की गई सूचना के मुताबिक 10 लाख भर्तियां, यूपीएससी, एसएससी और आरआरबी के माध्यम से होंगी। कई मंत्रालय एवं विभाग अपने विभाग में खुद भर्तियां करवाएंगे ।
रोजगार मेले की वेबसाइट के बारे में
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार विभाग से जुड़े एक अफसर के बयान में यह बताया गया है कि आम तौर पर युवाओं को रोजगार एवं भर्ती से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध नहीं होती है, लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा लांच किए गए इस रोजगार मेले के माध्यम से एक वेबसाइट लांच की जाएगी जिसमें सभी 10 लाख नौकरियां एवं उसकी भर्ती प्रक्रिया के बारे में जानकारी होगी। इस वेबसाइट में कब और कैसे भर्ती होनी है इसके लिए क्या प्रक्रिया एवं दस्तावेज चाहिए, कौन-कौन इस भर्ती नौकरी के लिए अप्लाई कर सकता है, यह सभी जानकारी एक ही प्लेटफार्म यानी इस वेबसाइट पर जारी होगी। इसके अलावा इसमें आवेदन करने की भी सुविधा होगी।
इन परिक्षाओं के जरिए हो रही है इन सभी विभागों में भर्ती
केंद्र के मंत्रालय एवं विभागों की रिक्त पदों की भर्ती यूपीएससी एवं रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा एजेंसियों के जरिए होना है मिशन पूरा करने के लिए सरकारी विभाग में भी काम चल रहा है। कई डिपार्टमेंट में वर्क लोड बढ़ने के चलते साप्ताहिक छुट्टी रद्द कर दिए गए हैं।
November Bank Holiday 2022, नवंबर माह में पड़ने वाले बैंक अवकाश
November Bank Holiday 2022 : बैंक हॉलिडे साल का 10वां महीना अक्टूबर जल्द ही खत्म होने वाला है। इसके साथ ही नवंबर महीने की शुरुआत होनी है, नवंबर साल का 11 महीना है देखते ही देखते 2 महीने बाद साल 2022 खत्म होने वाला है। अगर आप नवंबर के महीने में बैंक से जुड़े कुछ जरूरी काम करने के लिए बैंक जाने वाले हैं तो आप एक नजर इन छुट्टियों के बारे में जरूर देख लें, जो नवंबर के माह में पड़ने वाली है, हो सके कि आप बैंक जाएं और इन छुट्टियों के चलते बैंक बंद हो इसके पहले आप इन छुट्टी के बारे में जरूर देखें।
आरबीआई ने जारी की लिस्ट
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई ने लोगों को सुविधा देने के लिए एवं लोग भटके ना इसलिए हर महीने बैंक हॉलिडे की लिस्ट जारी करता है। इस लिस्ट से आप केंद्रीय बैंक आरबीआई की ऑफिशल वेबसाइट पर भी देख सकते हैं। अगर आपको बैंक से जुड़े काम है तो आपको जाने से पहले एक बार इस लिस्ट को जरूर देख लें। इसके अलावा आप बैंक से जुड़े काम को छुट्टी के 1 दिन पहले भी कर सकते हैं या फिर नेट बैंकिंग, एटीएम, डिजिटल पेमेंट के माध्यम से भी अपने काम को पूरा करवा सकते हैं।
10 दिन बंद रहेंगे बैंक
अक्सर ऐसा होता है कि लोगों को महीने में कौन-कौन से दिन बैंक बंद होगी इस बात की जानकारी नहीं होती है, इस जानकारी के अभाव में वे बैंक पहुंच जाते हैं और उनके जरूरी काम अटक जाते हैं। ऐसे में अगर आप बैंक जाकर लौटना नहीं चाहते हैं तो जान ले कि नवंबर महीने में कुल 10 दिन में कौन-कौन से दिन छुट्टी रहेगी।
नवंबर माह में 10 दिन रहेंगे बैंक बंद देखें लिस्ट
1 नवंबर 2022 - कन्नड़ राज्योत्सव/कुट- बेंगलूरु और इंफाल में बैंक बंद रहेगी
6 नवंबर 2022 - रविवार साप्ताहिक अवकाश के चलते बैंक बंद
8 नवंबर 2022 - गुरुनानक जयंती/कार्तिका पूर्णिमा/रहास पूर्णिमा/वांगला फेस्टिवल– अगरतला, बेंगलूरु, गंगटोक, गुवाहाटी, इंफाल, कोचि, पणजी, पटना, शिलांग और तिरुवनंतपुरम छोड़कर देश के अन्य स्थानों में बैंक बंद रहेगा
11 नवंबर 2022 - कनकदासा जयंती/वांग्ला फेस्टिवल- बेंगलूरु और शिलांग में बैंक बंद रहेगा
12 नवंबर 2022 - शनिवार महीने का दूसरा शनिवार के कारण बैंक अवकाश
13 नवंबर 2022 - रविवार के कारण बैंक अवकाश
20 नवंबर 2022 - रविवार के कारण बैंक अवकाश
23 नवंबर 2022 - सेंग कुत्सनेम के कारण शिलांग में बैंक अवकाश
26 नवंबर 2022 - शनिवार महीने का चौथा शनिवार के कारण बैंक अवकाश
27 नवंबर 2022 - रविवार साप्ताहिक अवकाश के कारण बैंक बंद