What is Kyoto Protocol: जानिये क्या है क्योटो प्रोटोकोल ?

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Fri, 08 Jul 2022 10:53 AM IST

Highlights

इस प्रोटोकॉल को जापान के क्योटो में 11 दिसंबर साल 1997 को अपनाया गया था. 16 फरवरी साल 2005 को यह प्रोटोकॉल लागू हुआ.
वर्तमान में इस प्रोटोकॉल में 192 पार्टियां शामिल हैं. जबकि दिसम्बर साल 2012 में कनाडा इस प्रोटोकॉल से पीछे हट गया था.

क्योटो प्रोटोकॉल जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय संधि या समझौता है. इस प्रोटोकॉल को मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बनाया गया है. जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है इस प्रोटोकॉल को जापान के क्योटो में 11 दिसंबर साल 1997 को अपनाया गया था. 16 फरवरी साल 2005 को यह प्रोटोकॉल लागू हुआ. वर्तमान में इस प्रोटोकॉल में 192 पार्टियां शामिल हैं. जबकि दिसम्बर साल 2012 में कनाडा इस प्रोटोकॉल से पीछे हट गया था. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

Source: Safalta

July Month Current Affairs Magazine DOWNLOAD NOW 
Indian States & Union Territories E book- Download Now
 

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes

क्योटो प्रोटोकॉल का उद्देश्य

जैसा कि वैज्ञानिकों का कथन है कि हमारे पर्यावरणीय ग्लोबल वार्मिंग का कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा मानव निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन है. क्योटो प्रोटोकॉल, इस संधि में शामिल सभी देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध करता है. क्योटो दुनिया भर के अपने मेम्बर देशों में उत्सर्जन पर प्रतिबंध लगाता है. इस प्रतिबंध के अनुसार 1990 को आधार वर्ष मानते हुए 2008 से 2012 के बीच 5.2% के औसत से दुनिया में उत्सर्जन को कम करना आवश्यक है.

क्योटो प्रोटोकोल का उद्देश्य कानूनी तौर पर एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता स्थापित करना है जिसके अंतर्गत शामिल सभी देशों को ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना होगा. वर्ष 2012 में क्योटो प्रोटोकोल के शिखर सम्मेलन में शामिल सभी राष्ट्र 1990 के स्तर से 5.2% की औसत दर से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने पर सहमत हुए. इस समझौते में 14 जनवरी 2009 में, 183 देश शामिल हुए. इसके अंतर्गत विकसित देशों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन इत्यादि के उत्सर्जन में कटौती की एक निश्चित सीमा तय की गई है.

क्योटो प्रोटोकॉल निम्नलिखित 6 ग्रीन हाउस गैसों पर लागू होता है 

कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर हेक्साफ्लोराइड और पेरफ्लूरोकार्बन. क्योटो प्रोटोकॉल महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण प्रोटोकॉल में से एक है.
 
सामान्य हिंदी ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
पर्यावरण ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
खेल ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
साइंस ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
अर्थव्यवस्था ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
भारतीय इतिहास ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  


नहीं कम हो रहा उत्सर्जन

क्योटो प्रोटोकॉल की पहली प्रतिबद्धता अवधि 2008-2012 में कुल 36 देशों ने भाग लिया था. जिसके बाद इन सभी देशों ने अपने यहाँ के उत्सर्जन में कमी की थी. इसके बावजूद साल 1990 से साल 2010 तक वैश्विक उत्सर्जन में 32% की वृद्धि हुई. 2007-08 का वित्तीय संकट उत्सर्जन में कमी के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक था.

भारत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन

भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं से छूट दी गई थी. भारत ने जलवायु परिवर्तन के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने की जिम्मेदारी के बोझ के लिए विकसित और विकासशील देशों के बीच भेदभाव पर जोर दिया था. भारत ने इस अनुबंध में अपने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जरुरी दायित्वों का जिक्र किया था. ओर जोर देकर कहा कि प्रोटोकॉल से जुड़े विकसित देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए और अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
 
Monthly Current Affairs May 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs April 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs March 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs February 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs January 2022  डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs December 2021 डाउनलोड नाउ
 

क्योटो प्रोटोकॉल और दोहा संशोधन

क्योटो प्रोटोकॉल की पहली प्रतिबद्धता अवधि समाप्त होने के बाद 8 दिसंबर 2012 को दोहा, कतर में एक और बैठक का आयोजन किया गया जिसमे एक संशोधन यानि बदलाव किया गया था. इस संशोधन के तहत क्योटो प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 20 और 21 के अनुसार दूसरी प्रतिबद्धता अवधि यानि 2012-2020 तक, उत्सर्जन में कमी का एक लक्ष्य निर्धारित किया गया. इसके लिए 28 अक्टूबर 2020 तक, 147 पार्टियों ने अपनी स्वीकृति का दस्तावेज जमा कर दिया है, इसलिए दोहा संशोधन के लागू होने की सीमा को तकरीबन पूरा कर लिया गया है. भारत क्योटो प्रोटोकॉल के इस संशोधन को स्वीकार करने वाला 80वां देश रहा.
भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि यानी 2012-2020 की समयावधि के लिए उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने की बात कही है.

Related Article

Nepali Student Suicide Row: Students fear returning to KIIT campus; read details here

Read More

NEET MDS 2025 Registration begins at natboard.edu.in; Apply till March 10, Check the eligibility and steps to apply here

Read More

NEET MDS 2025: नीट एमडीएस के लिए आवेदन शुरू, 10 मार्च से पहले कर लें पंजीकरण; 19 अप्रैल को होगी परीक्षा

Read More

UPSC CSE 2025: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि बढ़ी, इस तारीख तक भर सकेंगे फॉर्म

Read More

UPSC further extends last date to apply for civil services prelims exam till Feb 21; read details here

Read More

Jhakhand: CM launches six portals to modernise state's education system

Read More

PPC 2025: आठवें और अंतिम एपिसोड में शामिल रहें यूपीएससी, सीबीएससी के टॉपर्स, रिवीजन के लिए साझा किए टिप्स

Read More

RRB Ministerial, Isolated Recruitment Application Deadline extended; Apply till 21 February now, Read here

Read More

RRB JE CBT 2 Exam Date: आरआरबी जेई सीबीटी-2 की संभावित परीक्षा तिथियां घोषित, 18799 पदों पर होगी भर्ती

Read More