एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (संयुक्त महानिदेशक) संजय के मंजुल ने कहा कि राखीगढ़ी में मिले टीलों की इसी तरह की खुदाई पहले भी हो चुकी है और यह खुदाई का तीसरा चरण है. उन्होंने कहा कि खुदाई में मिले घरों के परिसर, साथ में गलियां, सड़के और दीवारें, जल के निकासी की व्यवस्था, मिट्टी के बर्तनों पर कई तरह की पेंटिंग्स की किस्मों को देखते हुए उनकी बेहतरीन बेकिंग तकनीक का पता चलता है. सड़कों और दीवारों के साथ, घर के निर्माण में पकाए हुए ईंटो के इस्तेमाल से सभ्यता के संरचनात्मक शक्ति का पता चलता है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
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खुदाई में पुरातत्वविदों ने तांबे और सोने की वस्तुओं के साथ-साथ कलाकृतियों, मोतियों, मुहरबंद लिपियों तथा हड़प्पा लिपि के रूपांकनों और छतों पर बनाए गए हाथी की आकृति के चित्रण भी पाए. संजय के मंजुल ने कहा कि यह उनकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है और हमारा मकसद इस साइट या स्थल को प्रतिष्ठित और प्रतीकात्मक रूप से विकसित करना है.
और आइए अब जानते हैं कि कहाँ पर है राखीगढ़ी ?
राखीगढ़ी -
राखीगढ़ी दिल्ली से तकरीबन 150 किलोमीटर की दूरी पर हरियाणा के हिसार नामक स्थान पर स्थित एक गांव है. एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डॉ संजय मंजुल का कहना है कि राखीगढ़ी के लोग हस्तिनापुर के लोगों के एंसेस्टर (पूर्वज) रहे होंगे.
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राखीगढ़ हड़प्पा स्थल पर प्रमुख खोजें -
- उत्खनन में बहु-स्तरीय मकानों, गलियों और बेहतर जल निकासी व्यवस्था की संरचना का पता चला है
- राखीगढ़ी हड़प्पा स्थल के साइट पर के सात टीलों में से तीन टीलों की खुदाई में तांबे और सोने के आभूषण, टेराकोटा के खिलौने और हजारों मिट्टी के बर्तन और मुहरें मिलीं है.
- यह जगह 5000 साल पुरानी ज्वैलरी बनाने वाली कोई इकाई भी हो सकती है.
- राखीगढ़ी हड़प्पा स्थल के साइट पर कब्रिस्तान भी पाए गए हैं.
- खोज में मिली चीजें 5000 साल पुरानी एक सुनियोजित हड़प्पा शहर की ओर इशारा करती हैं.
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राखीगढ़ी के बारे में कुछ बेहद महत्वपूर्ण परन्तु 7 कम ज्ञात तथ्य -
1. राखीगढ़ी की खोज पुरातत्वविदों ने सन 1998 में की थी.
2. राखीगढ़ी सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पुराने पुरातात्विक स्थलों में से एक है.
3. पुरातत्व विभाग की टीमों ने 3 साल की खुदाई के बाद सात टीले का एक समूह खोजा.
4. राखीगढ़ी में खुदाई का दूसरा दौर वर्ष 2013 में शुरू हुआ था.
5. राखीगढ़ी में टीला संख्या 6 और टीला संख्या 7 एएसआई द्वारा "राष्ट्रीय महत्व के स्थलों" के रूप में अधिसूचित किए जाने वाले 19 स्थलों में से हैं.
6. उत्खनन का तीसरा दौर साल 2021 में 350 हेक्टेयर में शुरू हुआ. जिसके अंतर्गत चार और टीले के साथ खुदाई शुरू हुई. इसी के बाद राखीगढ़ी सबसे बड़ा जीवित सिंधु घाटी स्थल बन गया. इसके पहले मोहनजोदड़ो को, जो 300 हेक्टेयर में फैला है, को पहले भारत में सबसे बड़ा सिंधु घाटी स्थल माना जाता था.
7. फरवरी 2020 में अपने बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा उल्लिखित पांच प्रतिष्ठित पुरातात्विक स्थलों में से राखीगढ़ी को एक बताया था. अन्य चार प्रतिष्ठित पुरातात्विक स्थलों में उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर, असम में शिवसागर, गुजरात में धोलावीरा और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर शामिल हैं. एफएम सीतारमण ने घोषणा की कि इन साइटों को ऑन-साइट संग्रहालयों के साथ विकसित किया जाएगा.
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