राजू श्रीवास्तव के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से
कॉमेडी जगत में गजोधर भैया की भूमिका निभाने वाले राजू श्रीवास्तव भारत के पसंदीदा हास्य कलाकारों में से एक हैं।
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राजू श्रीवास्तव के कॉमेडी और इनके किरदार को लोग बहुत पसंद करते हैं, उन्हें उनके कॉमेडी के अंदाज के कारण गजोधर भैया के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही कॉमेडी के बादशाह राजू श्रीवास्तव को लोग राजू भैया भी कहा करते हैं। आइए जानते हैं राजू श्रीवास्तव के जीवन परिचय के बारे में।
10 Facts About Chhello Show, छेलो शो के बारे में 10 रोचक बातें
गुजराती फिल्म "छेलो शो" ने 95वें अकादमी पुरस्कारों में भारत की ओर से ऑफिशल एंट्री की है।
इंडियन फिल्म फेडरेशन ने मंगलवार को इसकी घोषणा की है।
अंग्रेजी में "लास्ट फिल्म शो" नामक इस फिल्म ने प्रतिष्ठित पुरस्कारों के लिए नॉमिनेशन जीतने के लिए एसएस राजामौली की ब्लॉकबस्टर आर आर आर, साजि मोन प्रभाकर की मलयंकुंजू और विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स जैसे सुपरहिट ब्लॉकबस्टर फिल्मों को पछाड़ दिया है।
गुजराती ड्रामा बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में भारत को रिप्रेजेंट करने वाला है।
अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस क्यों मनाया जाता है
हाथों, चेहरे एवं शरीर के हाव भाव से बातचीत करने की भाषा को सांकेतिक भाषा यानी साइन लैंग्वेज कहा जाता है। दूसरी अन्य भाषाओं की तरह संकेतिक भाषा के भी अपने व्याकरण और नियम हैं जिसके तहत सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है। सांकेतिक भाषा बधिर व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण भाषा है। इससे ही मूक एवं बधिर लोग एक दूसरे से कम्युनिकेट करते हैं, साथ ही साइन लैंग्वेज मूक एवं बधिर लोगों की मातृभाषा होती है।
विश्व रोज डे 22 सितंबर को क्यों मनाया जाता है, जाने इसके महत्व एवं इतिहास के बारे में
कैंसर रोगियों के जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए हर साल 22 सितंबर को विश्व रोज डे मनाया जाता है। विश्व रोज डे कैंसर रोगियों के जीवन में एक नया आशा, उम्मीद और प्रसन्नता लाने वाला दिन है। हर साल 22 सितंबर को कैंसर रोगियों के कल्याण के लिए इस दिन को मनाया जाता है। साथ ही यह दिन कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। कैंसर के इलाज का शरीर पर बहुत गहरा असर पड़ता है, जिससे रोगी धीरे धीरे मानषिक रूप से कमजोर पड़ने लगता है और मनोवैज्ञानिक रूप से रोगियों को प्रभावित करता है। इसलिए उन्हें अच्छा महसूस कराने एवं उनके जीवन में सकारात्मकता लाना और उन्हें अच्छा महसूस करवाना बहुत महत्वपूर्ण है।
दौलताबाद किले का नाम बदलकर देवगिरी क्यों किया गया है
हाल ही में महाराष्ट्र पर्यटन मंत्रालय ने दौलताबाद किले का नाम बदलकर देवगिरी करने का फैसला लिया है, जोकि औरंगाबाद शहर के पास स्थित है। यह फैसला शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बाद आया है। यह भारत का राष्ट्रीय विरासत स्मारक है जिसका रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। इसके पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का नाम ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर कर दिया था। दौलताबाद के किले का नाम बदलकर देवगिरी करने का फैसला भी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा सेना फुट सैनिकों की लंबी मांग के बाद लिया गया है।