Gyanvapi Masjid Case Study: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर क्या है विवाद, यहाँ जानें

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Wed, 18 May 2022 11:08 AM IST

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Gyanvapi Masjid - वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से लगी हुई ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर इन दिनों एक कानूनी विवाद सुर्खियों में बना हुआ है. वाराणसी की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया, एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद की पूरी संरचना की जांच करने का निर्देश दिया है. कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में तीन दिनों तक जांच, सर्वे और वीडियोग्राफी का कार्य किया गया, जो कि अब पूरा हो चुका है. आइए जानते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर यह विवाद कितना पुराना है और अब तक इस दिशा में क्या क्या हो चुका है.  यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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कई याचिकाएँ की गयीं हैं दायर -

इस सिलसिले में काफी समय से कई दावे किए जा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और वाराणसी कोर्ट में बहुत सी कई याचिकाएँ भी दायर की गई हैं, जिसमें यह कहा गया है कि 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था. सदियों पुराने इस विवाद में कहा जा रहा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने मन्दिर गिरवाने के बाद जल्दबाजी में ध्वस्त मन्दिर के टुकड़ों से हीं मस्जिद का निर्माण करवा दिया था. लोगों का ये भी कहना है कि ज्ञा’’न’’ शब्द हिन्दू शब्दावली से आया है और मस्जिद का नाम ‘’ज्ञानवापी’’ हीं बता रहा है कि यह मन्दिर से सम्बन्धित स्थान है.

महारानी अहिल्याबाई होलकर -

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण मालवा राजघराने की साम्राज्ञी महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था. लोगों का कहना है कि औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर उसी मलबे से वहाँ एक मस्जिद का निर्माण कराया गया. लोगों का दावा है कि मस्जिद के परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियाँ मौजूद हैं.
 
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ज्ञानवापी काफी पुराना मामला -

याचिका कर्ताओं का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी, नन्दी, हिन्दू मन्दिर वास्तु कला की पुष्प लताएँ तथा अन्य भी कई चीजें मौजूद हैं और इसलिए उन्हें वहाँ पूजा करने की अनुमति दी जाए. इसी माँग को लेकर वर्ष 1991 में वाराणसी की अदालत में एक याचिका दायर की गई थी. तब याचिका कर्ताओं और स्थानीय पुजारियों ने ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति मांगी थी. याचिकाकर्ताओं ने इसमें कहा था कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के आदेश पर 16वीं शताब्दी में उसके शासनकाल के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर किया गया था. 1991 की इसी घटना के बाद से यह मुद्दा कई बार उठता रहा है, परन्तु इस बार इस मुद्दे ने काफी बड़ा रूप ले लिया है.
 
मामला पुनः कब पुनर्जीवित हुआ -

वाराणसी के निचली अदालत में विजय शंकर रस्तोगी नाम के एक वकील ने याचिका दायर कर यह दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण अवैध है क्योंकि यह मस्जिद मन्दिर को तोड़ कर बनाई गयी है. याचिका में मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग की गयी. यह मामला अयोध्या के बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिसंबर 2019 में आया था.

अप्रैल 2021 में वाराणसी की अदालत ने एएसआई को सर्वेक्षण करने और अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया. हालाँकि, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद चलाने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी ने रस्तोगी की याचिका का विरोध किया और मस्जिद के सर्वेक्षण के वाराणसी अदालत के आदेश का भी विरोध किया.
 
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मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में -

तब यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पहुँचा और इसमें शामिल सभी पक्षों को सुनने के बाद, इसने एएसआई को सर्वेक्षण करने के निर्देश पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के अनुसार, कानून पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में किसी भी तरह के बदलाव पर रोक लगाता है.

सर्वोच्च न्यायालय पहुँचा मामला -

मार्च 2021 में, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने पूजा स्थल अधिनियम की वैधता की जांच करने पर सहमति व्यक्त की. और सर्वेक्षण की बात आगे बढ़ी.


तीन मंदिरों का विवाद -

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही मथुरा में ईदगाह मस्जिद के साथ अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के अभियान के दौरान उठाया था. उन्होंने दावा किया कि तीनों मस्जिदों का निर्माण हिंदू मंदिरों को तोड़कर किया गया था.
 

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क्या कहते हैं इतिहासकार -

इस मुद्दे को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. एक तबके का कथन है कि औरंगजेब द्वारा मंदिर के कुछ हिस्से को तोड़कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनाया गया. जबकि दूसरा तबका हिंदू संगठनों के उस दावे को सिरे से नकारता है, उनका कहना है कि मुगल बादशाह अकबर ने अपने दीन-ए-इलाही धर्म को फैलाने के लिए यहां ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का एक साथ निर्माण करवाया था.

इधर द मैन एंड द मिथ’ लेख में इतिहासकार ऑन्द्रे ट्रस्क का कहना है, ‘जहां तक मेरी समझ है, उसके अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में हुआ था. औरंगजेब के आदेश पर मस्जिद को मंदिर के स्ट्रक्चर पर हीं खड़ा कर दिया गया था. क्योंकि मस्जिद औरंगजेब के काल में बनी थी, इसलिए यह स्पष्टतौर पर नहीं कहा जा सकता कि इसे किसने बनवाया था.

वर्तमान स्थिति -
  • दिल्ली की पांच महिलाओं द्वारा एक याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी, इन हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं.
  • कोर्ट ने ज्ञानवापी-गौरी श्रृंगार परिसर में बेसमेंट के सर्वे और वीडियोग्राफी के लिए कमेटी गठित कर 10 मई तक रिपोर्ट देने को कहा.
  • मस्जिद समिति की आपत्तियों के बीच सर्वेक्षण को रोक दिया गया.
  • आपत्तियों में दावा किया गया कि अदालत द्वारा नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त को परिसर के अंदर फिल्म बनाने का अधिकार नहीं है.
  • कमेटी ने उन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की गुहार लगाई.
  • कोर्ट ने 12 मई को कमेटी को सर्वे जारी रखने और 17 मई तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया.
  • अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे पर रोक लगाने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
  • कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 14 मई को फिर से समिति ने ज्ञानवापी-गौरी श्रृंगार परिसर में दो बेसमेंट का सर्वे और वीडियोग्राफी पूरी कर ली है.

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