चैतन्य, जिन्हें श्री गौरांग के नाम से भी जाना जाता है, _________ के एक लोकप्रिय वैष्णव संत और सुधारक थे।
जब ये कीर्तन करते थे, तो लगता था मानो ईश्वर का आह्वान कर रहे हैं। सन १५१० में संत प्रवर श्री पाद केशव भारती से संन्यास की दीक्षा लेने के बाद निमाई का नाम कृष्ण चैतन्य देव हो गया। मात्र २४ वर्ष की आयु में ही इन्होंने गृहस्थ आश्रम का त्याग कर सन्यास ग्रहण किया। बाद में ये चैतन्य महाप्रभु के नाम से प्रख्यात हुए।