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Dileep Vishwakarma

2 years ago

इसे हिन्दी में 'पृथ्वीराज विजय महाकाव्य' भी कहा जाता है। इसमें तारावड़ी के प्रथम युद्ध में राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान की विजय का वर्णन है। इसमें तरावड़ी के द्वितीय युद्ध का उल्लेख नहीं है। इसकी रचना लगभग ११९१-९२ में चंदवरदाई नामक कश्मीरी राजकवि ने किया था।

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