भारतीय कृषक अपने खेतों में अफीम उगाने के लिए तैयार क्यों नहीं थे ? उपजाऊ मृदा की कमी के कारण सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण सरकार अफीम बोने के बदले किसान को बहुत कम दाम देती थी किसानों के पास आधुनिक उपकरणों तथा तकनीकों की कमी थी
अंग्रेजों ने भारतीय किसानों से अफीम की खेती करवाने के लिए उन्हें अग्रिम धन का भुगतान किया जिसे पेशगी कहते थे। इसका आशय यह है कि अंग्रेजों ने अग्रिम धन भुगतान का प्रलोभन देकर किसानों को अपने जाल में फैंसाया। 2.उस समय बंगाल और बिहार में किसानों का एक बड़ा वर्ग आर्थिक संकट से गुजर रहा था, ऐसे में पेशगी में दिए धन ने उन्हें कमजोर बनाया। 3.1790 ई0 के दशक में सरकार ने गाँव के मुखिया के माध्यम से किसानों को अफीम उगाने के लिए अग्रिम धनराशि (एडवांस) देनी आरंभ कर दी। इससे किसानों की ऋणग्रस्तता में कमी आई परंतु अग्रिम धनराशि लेने के पश्चात् किसान किसी अन्य व्यापारी को अपनी अफीम नहीं बेच सकते थे। 4.एक बार फसल को बोने के उपरांत किसान का उसे फसल पर कोई अधिकार नहीं होता था। इस व्यवस्था का सबसे बुरा पक्ष यह था कि फसल के दाम भी एजेंटों द्वारा निर्धारित किए जाते थे जोकि सामान्यतः बाजार भाव से बहुत कम होते थे।