भारतेंदु युग के कवियों ने देश प्रेम की रचनाओं के माध्यम से जनमानस में राष्ट्रीय भावना का बीजारोपण किया है। भारतेंदु युगीन काव्य सामाजिक चेतना का काव्य है। इस युग के कवियों ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों एवं सामाजिक रूढ़ियों को दूर करने हेतु कविताएं लिखी। प्रारंभ के 25 वर्षों (1843 से 1869) तक साहित्य पर यह प्रभाव बहुत कम पड़ा, किन्तु सन 1868 के बाद नवजागरण के लक्षण अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे थे। विचारों में इस परिवर्तन का श्रेय भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को है। इसलिए इस युग को "भारतेन्दु युग" भी कहते हैं।