हीरा-मोती स्वभाव से विद्रोही तो हैं पर उनके मन में दयाभाव भी है। इसका प्रमाण हमें कब और कहाँ मिलता है? ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
हीरा और मोती स्वभाव से विद्रोही हैं। इसी विद्रोह के कारण वे दूसरी बार भी गया के घर से भागते हैं और खेत के रखवालों द्वारा पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिए जाते हैं। कांजीहौस में हीरा-मोती ने देखा कि यहाँ भैसे, घोड़ियाँ, गधे बकरियाँ आदि पहले से बंद हैं। वे चारा न मिलने के कारण मुरदों जैसे जमीन पर पड़े हैं। इन्हें देखकर हीरा-मोती दयार्द्र हो जाते हैं। पहले हीरा ने बाड़े की दीवार गिराना शुरू किया परंतु चौकीदार ने देख लिया और उसे बंधन में डाल दिया। अब मोती ने उग्र रुख अपनाया और दो घंटे के परिश्रम के बाद बाड़ की आधी दीवार गिरा दी। अब उसने सींग मार-मारकर जानवरों को वहाँ से भगा दिया और उनकी जान बचाई। इस प्रकार हीरा-मोती एक ओर जहाँ विद्रोही हैं वहीं दूसरी ओर उनके मन में दयाभाव भी है।