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Preeti Tripathi

Class 9th
Hindi
2 years ago

पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही ‘दिखावे की संस्कृति’ पर विचार व्यक्त कीजिए।

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Abhishek Mishra

2 years ago

आज दिखावे की संस्कृति पनप रही है। यह बात बिल्कुल सत्य है। इसलिए लोग उन्हीं चीजों को अपना रहे हैं, जो दुनिया की नजरों में अच्छी हैं। सारे सौंदय-प्रसाधन मनुष्यों को सुंदर दिखाने के ही प्रयास करते हैं। पहले यह दिखावा औरतों में होता था, आजकल पुरुष भी इस दौड़ में आगे बढ़ चले हैं। नए-नए परिधान और फैशनेबल वस्त्र दिखावे की संस्कृति को ही बढ़ावा दे रहे हैं। आज लोग समय देखने के लिए घड़ी नहीं खरीदते, बल्कि अपनी हैसियत दिखाने के लिए हजारों क्या लाखों रुपए की घड़ी पहनते हैं। आज हर चीज पाँच सितारा संस्कृति की हो गई है। खाने के लिए पाँच-सितारा होटल, इलाज के लिए पाँच सितारा हस्पताल, पढ़ाई के लिए पाँच सितारा सुविधाओं वाले विद्यालये-सब जगह दिखावे का ही साम्राज्य है। यहाँ तक कि लोग मरने के बाद अपनी कब्र के लिए लाखों रुपए खर्च करने लगे हैं ताकि वे दुनिया में अपनी हैसियत के लिए पहचाने जा सकें। यह दिखावा-संस्कृति मनुष्य को मनुष्य से दूर कर रही है। लोगों के सामाजिक संबंध घटने लगे हैं। मन में अशांति जन्म ले रही है। आक्रोश बढ़ रहा है, तनाव बढ़ रहा है। हम लक्ष्य से भटक रहे हैं। यह अशुभ है। इसे रोका जाना चाहिए।

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