इतिहासकारों के मतानुसार महाकाव्यों में जो जानकार मिलती है अधिकांशतया संबंधित है। ऋग्वैदिक काल से वैदिक काल से मौर्य काल से इनमें में कोई नहीं
सनातन धर्म का सबसे आरम्भिक स्रोत है। इसमें 10 मण्डल,[2] 1028 सूक्त और वर्तमान में 10,600 मन्त्र हैं, मन्त्र संख्या के विषय में विद्वानों में कुछ मतभेद है। मन्त्रों में देवताओं की स्तुति की गयी है। इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं। यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाओं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह सनातन धर्म का प्रमुख ग्रन्थ है।