जैन ग्रंथों की रचना किस लिपी में हुई थी ? A.प्राकृत लिपी में B.पाली लिपी में C.खरोष्ठि लिपी में D.देवनागरी लिपी में
संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं में यह साहित्य लिखा गया है। भगवान महावीरस्वामी की प्रवृत्तियों का केंद्र मगध रहा है, इसलिये उन्होंने यहाँ की लोकभाषा अर्धमागधी में अपना उपदेश दिया जो उपलब्ध जैन आगमों में सुरक्षित है। ये आगम ४५ हैं और इन्हें श्वेतांबर जैन प्रमाण मानते हैं, दिगंबर जैन नहीं।