मुगल तथा सिक्ख संबंधों को स्पष्ट कीजिये।
सिक्ख शक्ति का उत्कर्ष : सिक्ख धर्म के प्रणेता गुरु नानक थे | पंजाब में उनके सिद्धांतों के अनुयायियों का एक समुदाय बना , जो सिक्ख ( शिष्य ) संप्रदाय के नाम से विख्यात हुआ | गुरु नानक को सिक्खों का प्रथम गुरु माना जाता है | सिक्खों चौथे गुरू रामदास ने सम्राट अकबर से भूमि लेकर रामदासपुर बसाया और “ संतोष सर” व “ अमृतसर” नामक दो तालाब निर्मित किए | अर्जुन देव के बलिदान ने सिक्खों में रोष उत्पन्न कर दिया | उनमें एक नवीन चेतना का संचार हुआ , जिसने उन्हें संगठित शस्त्रधारी बना दिया | सिखों के छठे गुरु हरगोविंद मेराज की जन्म और सैनिक वेशभूषा धारण की | 1764 में सिख अमृतसर में एकत्र हुए और देग , तेग , फतेह चिन्हों वाले चांदी के सिक्के जारी किए | ये पंजाब में सिक्ख संप्रभुता के प्रथम घोषणा की | उन्होंने अपने आपको 12 मिसलो ( लोकतांत्रिक आधार पर गठित सैनिक भातृत्व ) में संगठित कर पंजाब पर सत्ता स्थापित की | इन्ही मिसलो को एकत्रित करके 18 वीं शताब्दी के अंत में रणजीत सिंह ने शक्तिशाली सिक्ख राज्य की स्थापना की | मराठा शक्ति का उत्कर्ष : एक राजनैतिक शक्ति के रूप में मराठों का उदय 17वीं शताब्दी में हुआ | इस समय महाराष्ट्र का अधिकांश भाग अहमदनगर के निजामशाही और बीजापुर के आदिलशाही के आधिपत्य में था | मराठी दक्षिण भारत के राज्यों में किलेदार , हिशेबनीस ( लेखाधिकारी ) , कारकून आदि अनेक छोटे छोटे पद पर कार्य करते थे | कौन करके प्रदेश में सिद्धि व पुर्तगालियों की समुद्री शक्ति बढ़ गई थी | इन सभी संस्थाओं में निरंतर चलने वाले संघर्षों के कारण महाराष्ट्र में जनजीवन असुरक्षित तथा अस्थिर था | मराठा शक्ति को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने वाले महान सेनानायक शिवाजी थे | शिवाजी बीजापुर शासक शाहजी भोंसले के पुत्र थे | उन्होंने शिवाजी को स्वतंत्रता और सूबेदार की शिक्षा दी | धर्म की रक्षा के लिए स्वराज्य स्थापना के कार्य को उन्होंने निरंतर प्रोत्साहन दिया | युवावस्था में ही स्वराज्य की स्थापना के उद्देश्य को लेकर शिवाजी ने आदिलशाह के अधिकार में जो किले थे , उन्हें जीतने का कार्य आरंभ किया | इसी प्रकार उन्होंने कई राज्य और जनपद को जीता | शिवाजी एक कुशल सेनानायक और उत्तम शासक भी थे | इस विवरण से स्पष्ट है कि सिक्ख अलग राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे | उनका मुगलों के साथ संबंध राजनीतिक प्रतिद्वंदी का रहा | धार्मिक पहचान एक सहायक तत्व रही | एक धार्मिक समूह के रूप में वे हिंदू जनता से भी अलग रहे | उनकी मान्यता है आज भी अलग जीवन दर्शन पर आधारित है | हकीकत राय का उदाहरण भी यह बताने के लिए पर्याप्त नहीं है कि सिक्ख और हिंदू एक थे |