List of Greatest Yogis of all time : क्या आप जानते हैं कौन है भारत के सबसे महान योग गुरु

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Tue, 21 Jun 2022 11:20 AM IST

Highlights

हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के उत्खनन से प्राप्त हुए योग मुद्राओं से इस बात के संकेत मिलते हैं कि योग की उपस्थिति हमारे भारतीय समाज़ में 5000 साल पहले भी थी. विश्व योग दिवस 2022 के मौके पर आइए जानते हैं भारत के कुछ महानतम योगियों के बारे में.

योग शब्द की उत्पत्ति ''युज'' धातु से हुई है. योग यानि दो तत्वों का मिलन. योगी शब्द में यह मिलन आत्मा और परमात्मा के जुड़ाव से संदर्भित है. जीव भाव में जीने वाला मनुष्य जब परमात्मा से जुड़ कर अपने आत्मस्वरुप में लीन हो जाता है तब वह योग की पूर्णता को प्राप्त कर लेता है. योग का हीं अपभ्रंश जोग है जो संस्कृत शब्द योग से बना है. आदियोगी शिव को संसार का सबसे बड़ा योगी माना जाता है.  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. 

Source: Safalta

Half Yearly Current Affair 2022 (Hindi) DOWNLOAD NOW
GK Capsule Free pdf - Download here
President of India From 1950 to 2022

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes



साक्ष्य के आधार पर -
योग के जन्म का अगर साक्ष्य के आधार पर बात करें तो हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के उत्खनन से प्राप्त हुए योग मुद्राओं से इस बात के संकेत मिलते हैं कि योग की उपस्थिति हमारे भारतीय समाज़ में 5000 साल पहले भी थी. मूलतः योग बहुत हीं सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक विषय है जो आन्तरिक शरीर विज्ञान पर भी अपनेआप काम करता है. वर्तमान में योग का अर्थ मन एवं शरीर के बीच सामन्जस्य स्थापित कर स्वस्थ जीवन पाने से है. सीधे सीधे कहें तो जो योग के ज्ञाता हुए वो योगी कहलाए.

विश्व योग दिवस 2022 के मौके पर आइए जानते हैं भारत के कुछ महानतम योगियों के बारे में जिन्होंने अपनी शिक्षाओं और योग के माध्यम से मानवता के आध्यामिक विकास को नई ऊंचाइयां प्रदान कीं -
 
सामान्य हिंदी ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
पर्यावरण ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
खेल ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
साइंस ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
अर्थव्यवस्था ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
भारतीय इतिहास ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  

 
1. श्री रामकृष्ण परमहंस (1836-1886)
श्री रामकृष्ण परमहंस एक महान रहस्यवादी और भक्ति योगी थे, जिन्होंने छोटी उम्र से ही आध्यात्मिक आनंद का अनुभव किया था. वह कई धार्मिक परंपराओं से प्रभावित थे. वह दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी थे. अपने रहस्यमय और प्रबुद्ध परमानंद स्वभाव के कारण उन्हें व्यापक मान्यता प्राप्त की. उन्हें परमहंस के रूप में माना जाता है, परमहंस यानि वह सन्यासी जो ज्ञान और आध्यात्म की परमावस्था को पहुँच चुका हो. यानि मोक्ष की सर्वोच्च अवस्था. श्री रामकृष्ण परमहंस ने 19 वीं सदी में सामाजिक सुधार आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

2. स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि (1855-1936)
लाहिड़ी महाशय के शिष्य और परमहंस योगानंद गुरु, युक्तेश्वर गिरि 19वीं शताब्दी के एक प्रगतिशील विचारोंवाले संत थे. वे नियमित रूप से सभी सामाजिक पृष्ठभूमि के लोगों को अपने आश्रम में व्यापक विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया करते थे. 9 मार्च 1936 को भारत के पुरी के करार आश्रम में वे महा समाधि (मृत्यु के समय या मृत्यु के लिए जानबूझकर शरीर को छोड़ने का कार्य) में लीन हो गए थे.
 
3. श्री अरबिंदो (1862-1950)
श्री अरबिंदो एक कवि और पत्रकार थे. वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान काफी सक्रिय थे. अलीपुर षडयंत्र के लिए उन्हें देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ा था. जेल में रहने के दौरान, उन्होंने रहस्यवादी और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव किया और बाद में आध्यात्मिक कार्यों के लिए राजनीति को तिलांजलि दे दी. उन्होंने एक अभिन्न योग की उत्पत्ति की और माना कि पृथ्वी पर एक दिव्य और मुक्त जीवन संभव है.
 
4. स्वामी विवेकानंद (1863-1902)
श्री रामकृष्ण परमहंस के सबसे प्रिय शिष्य, स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से पश्चिमी दुनिया को परिचित करवाया और अंतर्धार्मिक जागरूकता बढ़ाई. उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनका भाषण ''मेरे अमेरिकी भाईयों एवं बहनों'' शब्दों से शुरू हुआ और इस एक वाक्य ने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया था. उन्हीं के कारण हिंदू धर्म को प्रमुख विश्व धर्मों में से एक के रूप में आधिकारिक स्वीकृति मिली. उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. वे बचपन से शिव के अनन्य उपासक थे.
 

Yoga day History : जानिए कब और क्यों मनाया जाता है विश्व योगा दिवस

5. रमण महर्षि (1879-1950)
रमन महर्षि जीवनमुक्त (जीवित रहते हुए मुक्त) थे. वे सभी प्राणियों के आत्म रूप को समझते थे. केवल 16 साल की उम्र में एक मौत के अनुभव ने उन्हें अपने दिव्य स्व के बारे में जागरूक किया. वह अपने 'मैं कौन हूँ?' के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं. इन्होंने इस सत्व स्वरुप को न केवल देखा बल्कि पाया भी. वे ध्यान तथा आत्म-जागरूकता में रहते थे और अपनी सिद्धियों का प्रदर्शन नहीं करते थे. उनकी शिक्षाओं के अनुसार, हमारा सच्चा आत्म सत्-चित-आनंद है, जिसका अर्थ है सत्य-चेतना-आनंद. उनका यह चिंतन पश्चिम में व्यापक रूप से लोकप्रिय हो गया और एक प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में पहचाना गया.
 
6. स्वामी कुवलयानन्द (1883-1966)
स्वामी कुवलयानन्द योगविद्या के गुप्त रहस्यों को जानते थे जिसे इन्होंने अपने गुरु परमहंस माधव से सीखा था. इन्होंने योग की वैज्ञानिक विधि को सामान्य मनुष्यों तक पहुँचाया. इनका विचार से योग विद्या के माध्यम से सामान्य मनुष्य भी उच्चतम स्थान तक पहुँच सकता है. मुद्रा प्राणायाम बांध आदि यौगिक क्रियाओं के प्रभाव को चिकित्सकों और एक्सरे मशीनों से इन्होंने देख कर बड़े अनुसंधानत्मक कार्य किए.इन्होंने योग की अनेक कार्यशालाएँ खोली और सामान्य लोगों को प्रशिक्षण दिए. स्वामी कुवलयानन्द एक आदर्शवादी, तर्कवादी, शोधकर्ता और शिक्षक थे, जिन्होंने योग और योग मीमांसा (1924) पर पहली वैज्ञानिक पत्रिका के माध्यम से जागरूकता का बीड़ा उठाया.
 
7. स्वामी शिवानंद सरस्वती (1887-1963)
मठवाद को अपनाने से पहले, स्वामी शिवानंद सरस्वती एक डॉक्टर थे. मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हुए छुट्टियों में जब सभी छात्र घर चले जाते, ये रोगियों की सेवा करते. योग की साधना करते. वर्ष 1922 में स्वामी शिवानंद सरस्वती ने चिकित्सक की अपनी नौकरी छोड़ कर संन्यास ले लिया. उन्होंने योग को दीन दुखियों और जन जन तक पहुँचाया. सदैव बीमारों की निःशुल्क सेवा की. वर्तमान में इनका एक आश्रम बिहार के मुंगेर शहर में गंगा के किनारे पर अवस्थित है. ये योग और वेदांत के प्रस्तावक थे  1936 में इन्होंने डिवाइन लाइफ सोसाइटी (DLS) और 1948 में योग-वेदांत वन अकादमी की स्थापना की. स्वामी शिवानंद सरस्वती ने योग, वेदांत और अन्य विषयों पर 200 से अधिक पुस्तकें लिखीं. इन्होंने निर्विकल्प समाधि की अवस्था को प्राप्त किया. 14 जुलाई 1963 को इन्होंने महासमाधि ले ली.
 
सामान्य हिंदी ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
पर्यावरण ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
खेल ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
साइंस ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
अर्थव्यवस्था ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
भारतीय इतिहास ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  

 
8. तिरुमलाई कृष्णमाचार्य (1888-1989)
आधुनिक योग के जनक, तिरुमलाई कृष्णमाचार्य ने हठ योग को पुनर्जीवित किया. उन्हें ''आधुनिक योग का पिता'' भी कहा जाता है. उन्होंने दिल की धड़कन को रोकने जैसे कारनामे भी दिखाए. वे आयुर्वेदिक और यौगिक दोनों परम्पराओं से बीमारों का इलाज़ करते थे. उन्होंने आसन प्राणायाम योग पर अनेक पुस्तकें लिखी. उन्हें विनयसा क्रमा योगिक शैली को विकसित करने के लिए जाना जाता है. उन्होंने "एक व्यक्ति के लिए क्या उपयुक्त है" सिद्धांत पर जोर दिया.
 
9. परमहंस योगानंद (1893-1952)
स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि के प्रिय शिष्य परमहंस योगानंद ने लाखों लोगों को ध्यान और क्रिया योग की शिक्षाओं से परिचित कराया. उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी धर्मों के बीच की खाई को भी पाटने का काम किया. अमेरिकी योग आंदोलन, विशेष रूप से लॉस एंजिल्स की योग संस्कृति में उनके प्रभाव के कारण उन्हें पश्चिम में योग के पिता के रूप में भी जाना जाता है. वह "सादा जीवन और उच्च विचार" के सिद्धांत में विश्वास करते थे. उनकी पुस्तक, ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी (1946) ने विश्व स्तर पर लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया. यह दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक है.
 
10. के पट्टाभि जोइस (1915-2009)
के पट्टाभि जोइस एक चिकित्सक और विद्वान् थे. इन्होंने अष्टांग योग के रूप में जानी जाने वाली विनीसा योग शैली को पूरी दुनिया में फैलाया और लोकप्रिय बनाया. उन्हें योग में मैडोना और ग्वेनेथ पाल्ट्रो जैसी कई प्रतिष्ठित हस्तियां मिलीं. उन्होंने अष्टांग योग अनुसंधान संस्थान की स्थापना की और उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने 20वीं शताब्दी में आधुनिक योग को एक अभ्यास के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
 
11. महर्षि महेश योगी (1918-2008)
महर्षि महेश योगी ने भावातीत ध्यान के माध्यम से दुनिया को वैदिक वांग्मय की आनंदानुभूति करवाई. वे ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन तकनीक विकसित की और उन्हें उनके भक्तों द्वारा 'परम पावन' के रूप में संदर्भित किया गया. उन्होंने 'गिगलिंग गुरु' की उपाधि अर्जित की क्योंकि वे ज्यादातर टीवी साक्षात्कारों में हंसते रहते थे. वह बीटल्स, द बीच बॉयज़ और अन्य मशहूर हस्तियों के गुरु बन थे. 2008 में, सभी प्रशासनिक गतिविधियों से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा करने के बाद, वह तीन सप्ताह बाद अपनी मृत्यु तक मौन रहे.
 
12. बी के एस अयंगर (1918-2014)
तिरुमलाई कृष्णमाचार्य के शिष्य, बी के एस अयंगर ने अयंगर योग शैली को व्यायाम के रूप में विकसित किया. उन्होंने योग और दर्शन पर कई पुस्तकें लिखीं. 95 साल की उम्र में वह 30 मिनट तक शीर्षासन कर सकते थे. उन्हें पद्म श्री (1991), पद्म भूषण (2002) और पद्म विभूषण (2014) से नवाजा गया था.
 
13. भगवान श्री रजनीश या ओशो (1931-1990)
भगवान श्री रजनीश, जिन्हें व्यापक रूप से ओशो के नाम से जाना जाता है. उन्हें बचपन से हीं दर्शन में रूचि थी. पहले वे एक प्रोफ़ेसर थे. ने ध्यान, प्रेम, साहस, रचनात्मकता, उत्सव और हास्य के महत्व पर जोर दिया. मानव कामुकता के संबंध में उनके खुलेपन ने उन्हें बहुत आलोचना और 'सेक्स गुरु' जैसी ख़राब उपाधि भी दी. इसके शीर्ष रहते में, उनके कुछ अनुयायियों ने 1980 के दशक में गंभीर अपराध किए, जिसके परिणामस्वरूप ना सिर्फ उनकी छवि ख़राब हुई उनका निर्वासन भी हुआ. उन्हें 21 देशों से प्रवेश से वंचित कर दिया गया और वे भारत लौट आए. यहाँ उन्होंने पुणे आश्रम को पुनर्जीवित किया जहां 1990 में उनकी मृत्यु हो गई. उनके आश्रम को अब ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट के रूप में जाना जाता है. उनकी शिक्षाएं कई लोगों को प्रेरित करती हैं. पश्चिमी नए युग के विचारों पर उनका व्यापक प्रभाव है.
 
14. सद्गुरु (1957)
जगदीश वासुदेव, जिन्हें सद्गुरु के नाम से भी जाना जाता है, ने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की थी. इन्होंने कई किताबें लिखीं, और कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों जैसे संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम वर्ल्ड पीस समिट, ब्रिटिश पार्लियामेंट हाउस ऑफ लॉर्ड्स, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट में भाग लिया. सामाजिक कल्याण में उनके योगदान के लिए उन्हें 2017 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
 
15. श्री श्री रविशंकर (1956)
रविशंकर, जिन्हें अक्सर श्री श्री (सम्मानित उपाधि) के रूप में जाना जाता है, का मानना है कि मानव परिवार के हिस्से के रूप में एक व्यक्ति का आध्यात्मिक बंधन राष्ट्रीयता, लिंग, धर्म, पेशे या अन्य पहचान से अधिक प्रमुख है. उनका उद्देश्य एक ऐसी दिनिया का निर्माण करना है जो तनाव और हिंसा से मुक्त हो. उनके अनुसार, "सत्य रैखिक के बजाय गोलाकार है, इसलिए इसे विरोधाभासी होना चाहिए." वह आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक हैं और पहले वे ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (टीएम) से जुड़े हुए थे. 2016 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

16. लाहिड़ी महाशय (1828-1895)
लाहिड़ी महाशय ने क्रिया योग को फिर से जीवंत किया. अन्य योगियों के विपरीत, उन्होंने परम आत्म-साक्षात्कार की तलाश में भौतिक संसार की निंदा नहीं की, बल्कि इसे एक सांसारिक व्यक्ति होने के नाते हासिल किया. वह एक गृहस्थ थे और एक लेखाकार के रूप में नौकरी करते थे. एक रूढ़िवादी हिंदू समाज से आने वाली उच्च जाति के ब्राह्मण होने के बावजूद, उन्होंने सामाजिक रूप से बहिष्कृत और अन्य धर्मों के लोगों को अपने छात्रों के रूप में स्वीकार किया.

17.आदि शंकराचार्य (788 ई.)
आदि शंकराचार्य एक महान दार्शनिक और विचारक थे. उन्होंने चार मठों की स्थापना की तथा अद्वैत वेदांत के पुनरुद्धार और प्रसार को ठोस आधार प्रदान किया. उन्होंने अद्वैतवाद का प्रतिपादन किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू धर्म में आत्मा का अस्तित्व स्वीकृत है. उन्हें दशनामी मठ व्यवस्था का आयोजक माना जाता है उन्होंने पूजा की शनमाता परंपरा को एकीकृत किया. उन्हें जगद्गुरु के रूप में माना जाता है, सनातन धर्म में जगद्गुरु का अर्थ है ब्रह्मांड का गुरु.

18. अभिनवगुप्त (सी. 950-1016 ई.)
तंत्रलोक के लेखक, अभिनवगुप्त एक बहु-प्रतिभाशाली रहस्यवादी और दार्शनिक थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव छोड़ा. उन्होंने अपने समय के दर्शन और कला के सभी विद्यालयों का अध्ययन किया. वह कश्मीरी शैव धर्म में अपने योगदान के लिए लोकप्रिय हैं.
 
Quicker Tricky Reasoning E-Book- Download Now
Quicker Tricky Maths E-Book- Download Now

Related Article

Digital marketing course in Coimbatore

Read More

Optimising Performance: Best Practices for Speeding Up Your Code

Read More

How Many Sector push may create Lakhs jobs in five years

Read More

रायबरेली में सफलता का डिजिटल मार्केटिंग कोर्स मचा रहा धूम, सैकड़ों युवाओं को मिली नौकरी

Read More

Online Marketing : The Who, What, Why and How of Digital Marketing

Read More

Difference between Data Analytics and Data Analysis

Read More

Introduction to Safalta: A Leading Digital Marketing Training Institute

Read More

Measuring The Impact: How To Track Your Brand Awareness Success

Read More

Future-Programming Hybrid Skills: The Requirement for Marketing Professionals to Upskill and Cross-Skill

Read More