Yoga day History : जानिए कब और क्यों मनाया जाता है विश्व योगा दिवस

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Tue, 21 Jun 2022 01:37 PM IST

Highlights

पौराणिक हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार योग की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से हुई. इण्डियन मायथौलॉजी के सबसे आकर्षक हीरो यानि भगवान् श्रीकृष्ण का एक नाम योगेश्वर भी है. हमारे पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भगवान् श्रीकृष्ण एक महान योगी थे. परन्तु भगवान् शंकर को आदियोगी भी कहा जाता है, यानि कि भारत में योग का इतिहास जितना हम अनुमान लगाते हैं उससे कई गुणा अधिक प्राचीन है.

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जब शरीर, मन, मस्तिष्क और आत्मा एक दूसरे से जुड़ कर संतुलन की अवस्था में लीन हो जाते हैं तो इस अवस्था को योग या जोग कहते हैं. योग का शाब्दिक अर्थ होता है जुड़ना. यानि कि वह आध्यात्मिक अवस्था जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देती है, उसे योग कहते हैं. तनाव, चिंता और प्रतिस्पर्धा से भरे इस आधुनिक युग में योग मनुष्य के लिए एक वरदान की तरह है. एक योग करने वाला व्यक्ति हमेशा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है. योग ना सिर्फ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करता है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को साध कर आपके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को भी निखार देता है. योग शरीर और आत्मा के बीच सामन्जस्य का एक अद्भुत विज्ञान है. एक वाक्य में कहें तो ‘’योग एक चमत्कार से कम नहीं है.’’ यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
 

भारत में योगाभ्यास की परम्परा -

भारत में योगाभ्यास की परम्परा करीबन 5 हज़ार साल से भी ज्यादा पुरानी है. पहली बार ''योग दिवस'' हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी की पहल के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 21 जून 2015 को मनाया गया था. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य योग के प्रति लोगों में जागरूकता को बढ़ाना था क्योंकि योग करके कोई भी व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और फिट रह सकता है.
21 जून का दिन पूरी दुनिया में योग दिवस के रूप में मनाया जाता है. योग की शुरुआत कैसे और कहाँ पर हुई आइए इस आर्टिकल में आगे जानते हैं.


योग का इतिहास -

पौराणिक हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार योग की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से हुई. इण्डियन मायथौलॉजी के सबसे आकर्षक हीरो यानि भगवान् श्रीकृष्ण का एक नाम योगेश्वर भी है. हमारे पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भगवान् श्रीकृष्ण एक महान योगी थे. परन्तु भगवान् शंकर को आदियोगी भी कहा जाता है, यानि कि भारत में योग का इतिहास जितना हम अनुमान लगाते हैं उससे कई गुणा अधिक प्राचीन है. भगवद्गीता में भगवान् श्री कृष्ण, अर्जुन को कई प्रकार के योग की शिक्षा देते हैं. हमारे इस प्राचीन ग्रन्थ भगवद्गीता में योगेश्वर श्री कृष्ण ने योग के 18 प्रकार बताए हैं. भारत में योग की पद्धति का निर्वाह ऋषि मुनियों के द्वारा हमेशा से किया जाता रहा. महर्षि पतंजलि लिखित योगसूत्र नामक किताब से हमें अपनी इस प्राचीन विरासत के बारे में बहुत सी जानकारी मिलती है. कहते हैं कि यह किताब 22 सौ वर्ष पहले लिखी गयी थी.


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21 जून को हीं क्यों मनाते हैं ?

यह एक जिज्ञासा का विषय हो सकता है कि योग दिवस मनाने के लिए 21 जून का दिन हीं क्यों चुना गया ? तो इसकी एक ख़ास वजह है. साल से 365 दिनों में 21 जून का दिन सबसे बड़ा होता है. यह दिन ग्रीष्म संक्रांति या उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन भी होता है तथा इसे मनुष्य के दीर्घ जीवन या आयुष्य से जोड़ कर देखा गया है. 21 जून के दिन सूर्य जल्दी उदित होता है और काफी देर से ढ़लता है. कई देशों में इस दिन का पहले से हीं बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य का तेज़ सबसे अधिक प्रभावी होता है. और इसलिए इस दिन साल के बाकि दिनों की अपेक्षा प्रकृति की सकारात्मक उर्जा सबसे ज्यादा सक्रिय रहती है. इस दिन से सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर गति करने लगता है. मान्यता है कि यह संक्रमण काल ध्यान और योगाभ्यास के लिए एक अत्यंत उत्तम समय है. ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान की गई कोई भी साधना स्वयं प्रकृति के द्वारा समर्थित होती है और हमेशा वांछित परिणाम देती है. ग्रीष्म संक्रांति हीं वह दिन भी है जब सद्गुरुओं को श्रद्धांजलि दी जाती है.


करो योग रहो निरोग -

योग भारत का एक प्राचीन अनुशासन और सर्वोत्तम अभ्यास है जो मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अक्षत और निरोगी रखता है. योग में शरीर की आध्यामिक और वैज्ञानिक मुद्राओं के साथ मानसिक ध्यान, मेडिटेशन और प्राणायाम के संयोजन से मनुष्य का शरीर, मन और आत्मा के बीच गहन सामंजस्य स्थापित होता है.
योग के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूरी दुनिया में योग के सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इससे संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योग के महत्व और इससे मन और शरीर को मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालता है. योग का नियमित रूप से अभ्यास मनुष्य के ऊर्जा के स्तर और एकाग्रता को बढ़ाता है. उसके आंतरिक अंगों को शुद्ध करता है, मुद्रा या पोश्चर में सुधार करता है, तनाव और चिंता को दूर कर मन को शांत करता है और आपके संपूर्ण शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता  है. सही मायनों में योग एक सम्मोहक विद्या है.


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 – थीम

इस वर्ष, आयुष मंत्रालय ने योग के लिए जो थीम चुना है वह है - "मानवता के लिए योग". अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 थीम की घोषणा 30 मई 2022 को अपने मासिक कार्यक्रम "मन की बात" के संबोधन में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस बार भारत में, योग दिवस पर कर्नाटक का मैसूर शहर 21 जून 2022 को मुख्य कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. योग महामारी काल से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है बल्कि इसका समग्र अभ्यास शरीर के साथ मन को भी लाभ पहुंचाता है जिससे दूसरों के प्रति प्रेम, उदारता और करुणा के भाव उत्पन्न होते हैं. महामारी काल के दौरान दुनिया भर में अधिक से अधिक लोगों ने अपनी शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को मज़बूत करने के लिए योग और ध्यान को अपनाया.
इसलिए, "मानवता के लिए योग" विषय पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत इस वर्ष बच्चों, महिलाओं, विशेष रूप से विकलांग लोगों के साथ-साथ ट्रांसजेंडरों के लिए भी विशेष योग कार्यक्रम आयोजित करेगा.
 
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2022 -

इस वर्ष 8वां वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है. जहां तक उत्सवों की बात है, लोगों के बड़े समूह आमतौर पर एक पूर्व-निर्धारित स्थान पर एकत्रित होते हैं और एक साथ विभिन्न योग आसन को करते हैं. भारत हीं नहीं दुनिया के हर हिस्से में, इस दिन को बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, चीन, आयरलैंड और ग्रीस जैसे कई देशों ने पूर्व में हमारे यहाँ योग दिवस समारोह में भाग लिया है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास छोटा है, लेकिन इसे दुनिया भर में कई जगहों पर पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन, विभिन्न देशों के योगी न केवल योग के अभ्यास का जश्न मनाने के लिए बल्कि दूसरों को योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं.
 

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