Difference Between Cabinet and Council of Ministers: मंत्रिमंडल तथा मंत्रिपरिषद से क्या समझते हैं, इन दोनों में क्या अंतर है ?

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Thu, 24 Mar 2022 10:49 PM IST

Cabinet and Council of Ministers- राजनीति एक ऐसा विषय है जिसके ऊपर हर कोई बात करने के लिए इच्छुक रहता है, रोजाना लोग जब अखबार पढ़ते हैं या किसी न्यूज़ चैनल को देखते हैं तो उस पर खबरें 60 से 70 फीस दी राजनीति से जुड़ी हुई होती है। भारत के राजनीतिक सिस्टम में सरकार अलग-अलग क्षेत्रों के लिए मंत्री नियुक्त करती है जो अपने अपने क्षेत्रों में विकास का काम करते हैं। जैसे की हम बात करें कोरोना महामारी की तो स्वास्थ्य विभाग ने लोगों तक दवाइयां और स्वास्थ्य से जुड़ी चीजें पहुंचाई थी तो वहीं दूसरी तरफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मंत्रालय ने गरीब लोगों तक फ्री में खाना पहुंचाया था। सभी मंत्रालयों का अपना अपना कार्य निर्धारित रहता है जिस क्षेत्र में उन्हें काम करना होता है।   FREE GK EBook- Download Now.

Source: Safalta



मंत्रीमंडल यानि कैबिनेट तथा मंत्रिपरिषद् यानि काउंसिल ऑफ़ मिनिस्टर्स ये दोनों शब्द अक्सर हीं एक दूसरे के लिए प्रयोग किए जाते हैं परन्तु इनमें एक ख़ास प्रकार का अंतर है. ये दोनों एक दूसरे से अपनी संरचनाओं, कार्यों व भूमिकाओं के कारण कई हद तक भिन्न हैं. 

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बेसिक कांसेप्ट की बात करें तो कोई भी सरकार सुचारू रूप से काम कर सके ये सुनिश्चित करना गवर्नमेंट की तीन शाखाओं का काम है. ये तीन शाखाएं हैं – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. विधायिका को कानून और नीतियाँ बनाने, बदलने व हटाने का अधिकार होता है. लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति विधायिका के अंग हैं. अब बात करें कार्यपालिका की तो उसका काम विधायिका द्वारा बनाये गए कानूनों एवं नीतियों को लागू करना होता है. भारत सरकार के संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित हैं और वह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों (मंत्रिपरिषद) के द्वारा करते हैं और कानून का पालन न होने पर दंड देने की शक्ति न्यायपालिका के पास है.

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भारत के राष्ट्रपति के मुख्य सलाहकार प्रधानमंत्री होते हैं और प्रधानमंत्री हीं मंत्री परिषद् के हेड होते हैं. मंत्रिपरिषद में तीन श्रेणियों के मंत्री होते हैं – कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री. कैबिनेट मंत्री मंत्रिपरिषद का हीं भाग होते हैं और दोनों हीं सरकार के कार्यों में सहयोग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

अनुच्छेद 352 मंत्रिमंडल शब्द की इस प्रकार व्याख्या करता है कि जिसमें प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रिमंडल के स्तर के मंत्रियों की परिषद् होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो एक छोटा कार्यकारी निकाय जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल कहा जाता है, भारत में सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है. मंत्रिमंडल में केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं. मंत्री परिषद् के कार्यों और अधिकारों का हीं प्रयोग मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है. अब बात करते हैं मंत्रिमंडल और मंत्री परिषद् के बीच के अंतर की.

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Cabinet and Council of Ministers के बीच का अंतर -
 

 

मंत्रिपरिषद

कैबिनेट

1

मंत्रिपरिषद एक संवैधानिक इकाई है. हमारे संविधान के अनुच्छेद 74 और 75 में मंत्रिपरिषद के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है.

मूल रूप से हमारे संविधान में कैबिनेट शब्द का कोई उल्लेख नहीं था. इसे 1978 के 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया. अब अनुच्छेद 352 के उपखंड (3) में कैबिनेट शब्द का उल्लेख है.

2

यह एक बड़ा निकाय है जिसमें 60-70 मंत्री होते हैं.

कैबिनेट छोटा परन्तु शक्तिशाली निकाय है जिसमें शीर्ष के 15-20 मंत्री होते हैं.

3

मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है .

कैबिनेट लोक सभा के प्रति मंत्रिपरिषद के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है.

4

मंत्रिपरिषद एक निकाय के रूप में बैठक नहीं करती.

कैबिनेट एक निकाय के रूप में मूलतः हर हफ्ते में एक बार बैठक करती है.

5

इसमें सारी शक्तियां निहित हैं लेकिन केवल सैद्धांतिक तौर पर.

इसके पास मंत्रिपरिषद की शक्तियों को उपयोग करने की वास्तविक ताकत है.

6

मंत्रिपरिषद का कार्य कैबिनेट निदेशित करता है.

कैबिनेट मंत्रिपरिषद को नीति सम्बंधित निर्णय लेने के लिए निर्देशित करता है जिसका पालन करने के लिए मंत्रिपरिषद में शामिल हर मंत्री बाध्य होता है.

7

यह कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करता है.

यह इस बात का निरिक्षण करता है कि इसके द्वारा लिए गए निर्णयों को मंत्रिपरिषद ठीक से लागू कर रहा है या नहीं.

8

मंत्रिपरिषद के मंत्री तीन भागों में विभाजित होते हैं – कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री.

यहाँ सिर्फ कैबिनेट मंत्री हीं होते हैं. कैबिनेट मंत्रिपरिषद का हीं एक भाग है.

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