हमारे संविधान में राज्य की शक्तियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति विधायिका के अंग हैं. विधायिका को कानून और नीतियाँ बनाने, बदलने व हटाने का अधिकार होता है. ये कानून या अधिनियम या एक्ट बनने से पहले संसद में विधेयक (बिल) के रूप में लाये जाते हैं. जब संसद के दोनों सदन इसे पारित कर दें और राष्ट्रपति अपनी मंजूरी दे दें इसके बाद वह बिल या विधेयक क़ानून बन जाता है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
Source: social media
Current Affairs Ebook Free PDF: डाउनलोड करे |
संसद के विधेयक
1) साधारण विधेयक
2) धन विधेयक
3) संविधान संशोधन विधेयक
साधारण विधेयक -
हमारे संविधान के अनुच्छेद 107 में साधारण विधेयक की परिभाषा दी गयी है. साधारण विधेयक वित्तीय मामलों को छोड़कर अन्य मामलों से सम्बंधित होते हैं.
सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए हिस्ट्री ई बुक- Download Now
धन विधेयक -
हमारे संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गयी है. किसी कर को लगाने, समाप्त करने या उसमें कोई परिवर्तन करने के लिए जो विधेयक लाया जाता है उसे धन विधेयक कहते हैं.
साधारण विधेयक और धन विधेयक के बीच का अंतर
साधारण विधेयक | धन विधेयक | |
1 | साधारण विधेयक किसी भी सदन में (लोकसभा या राज्यसभा) लाया जा सकता है. | धन विधेयक केवल लोकसभा में लाया जा सकता है. |
2 | इस विधेयक को सदन में सरकारी (मंत्रिपरिषद का मंत्री) और गैर सरकारी (लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य) दोनों सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है. | इस विधेयक को सिर्फ़ सरकारी सदस्य यानि की मंत्रिपरिषद के मंत्री हीं प्रस्तुत कर सकते हैं. |
3 | साधारण विधेयक को सदन में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. | धन विधेयक को सदन में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक होती है. |
4 | यह विधेयक लोकसभा द्वारा पारित कर दिए जाने के बाद राज्यसभा इसमें संशोधन कर सकती है, स्वीकार या स्वीकार कर सकती है. | राज्यसभा धन विधेयक में कोई संशोधन नहीं कर सकती और ना हीं अस्वीकार कर सकती है. हाँ, राज्यसभा अपने सुझाव दे सकती है लेकिन लोकसभा उन सुझावों को मानने के लिए बाध्य नहीं है. |
5 | साधारण विधेयक को राज्यसभा अपने पास अधिकतम 6 महीनों के लिए रोक सकती है. | धन विधेयक को राज्यसभा अधिकतम केवल 14 दिनों के लिए अपने पास रोक सकती है. |
6 | दोनों सदनों में पारित होने के बाद साधारण विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. | सिर्फ लोकसभा में पारित होने के बाद भी धन विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जा सकता है. |
7 | अगर विधेयक पर दोनों सदनों में मतभेद हो जाए तो राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 108 के अंतर्गत दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं. | इस विधेयक को पारित करने के लिए राज्यसभा की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है इसलिए दोनों सदनों में मतभेद की कोई सम्भावना नहीं है. |
8 | अगर साधारण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं होता और इस विधेयक को मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया गया हो तब सरकार को इस्तीफा देना पड़ेगा अन्यथा नहीं. | अगर धन विधेयक लोक सभा में पारित नहीं होता तो सरकार को इस्तीफा देना हीं पड़ता है. |
9 | राष्ट्रपति साधारण विधेयक को स्वीकार कर सकते हैं, पुनर्विचार के लिए सदन में वापस भेज सकते हैं या अपने पास सुरक्षित रख सकते हैं. | राष्ट्रपति धन विधेयक को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं लेकिन पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकते. |
यह भी पढ़ें
जानें प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास के बीच क्या है अंतर