History of Galwan Valley : क्या है गलवान घाटी का इतिहास, देखें यहाँ

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Thu, 21 Jul 2022 10:39 PM IST

Highlights

यह घाटी एक लम्बे समय से (तकरीबन सन 1962 से लेकर 1975 तक) भारत और चीन के बीच विवाद का मुख्य बिंदु रहा है. कारण कि पिछले वर्षों में चीन लगातार इस क्षेत्र पर अपना दावा जताता चला आ रहा है.

गलवान घाटी पूर्वी लद्धाख में अक्साई चीन के इलाके में पड़ता है. यह घाटी एक लम्बे समय से (तकरीबन सन 1962 से लेकर 1975 तक) भारत और चीन के बीच विवाद का मुख्य बिंदु रहा है. कारण कि पिछले वर्षों में चीन लगातार इस क्षेत्र पर अपना दावा जताता चला आ रहा है. पिछले दिनों 15 जून से घाटी तब से सुर्ख़ियों में आ गयी है जब इसी मामले को लेकर गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गई जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

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भारत का सख्त रुख

वैसे घाटी में इस घटना के होने से पहले से हीं गतिरोध जारी था जिसकी स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है. भारत सरकार ने अब अपना रुख पहले से काफी सख्त कर लिया है, और स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत की ओर से सीमा विवाद को लेकर अब किसी भी प्रकार का लचीलापन नहीं बरता जाएगा. यानि कि घाटी का मुद्दा अब अधिक गम्भीर होता जा रहा है. आइए जानते हैं विवाद का कारण, गलवान घाटी का इतिहास और भी बहुत कुछ –

गलवान घाटी का इतिहास

ब्रिटिश भारत में सन 1899 में लद्दाख के लेह जिले में कुछ अंग्रेज पहाड़ों में ट्रैकिंग के लिये आए थे. लद्घाख की भूल-भूलैया वाली घाटियों के सफ़र में मदद के लिये उन्हें किसी स्थानीय आदमी की आवश्यकता थी. तब घोड़ों का व्यापार करने वाले गुलाम रसूल गलवान अंग्रेजों के अलग-अलग ट्रैकिंग दल के साथ एक गाइड के रूप में जाते थे. लद्दाख की घाटियों में लगातार घूमते रहने के कारण गुलाम रसूल गलवान को दुर्गम से दुर्गम इलाकों, पहाड़ी रास्तों और दर्रों की अच्छी जानकारी थी. गुलाम रसूल गलवान को ट्रैकिंग दल के साथ लद्दाख के चांग छेन्मो घाटी के इलाकों में बहने वाली एक नदी के स्रोत का पता लगाने के लिये भेजा गया. दल ने नदी के स्त्रोत का पता तो लगा लिया पर मौसम के बेहद खराब हो जाने की वजह से वे सभी रास्ता भटक गए. तब गुलाम रसूल ने बहुत मेहनत करके पूरे दल को उस दुर्गम घाटी से बाहर निकाला. इस बात से अंग्रेज अधिकारी बहुत खुश हुए और गुलाम रसूल गलवान से अपनी इच्छानुसार कोई भी इनाम माँगने को कहा. तब गलवान ने कहा कि इस नदी और घाटी का नाम उसके नाम पर रख दिया जाए. और अंग्रेज अधिकारियों ने उस घाटी का नाम न सिर्फ गलवान घाटी रख दिया बल्कि वहां से होकर बहने वाली नदी का नाम भी गलवान नदी रख दिया गया. नियंत्रण रेखा के पास भारत द्वारा शियोक नदी से दौलत बेग ओलडी तक सड़क निर्माण के बाद पूर्वी लद्दाख स्थित वही गलवान घाटी अब एक हॉटस्पॉट में तब्दील हो चुकी है.
 

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गलवान घाटी में विवाद का कारण

  • 1962 के भारत और चीन युद्ध के बाद एक वास्तविक नियंत्रण रेखा या लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का निर्धारण किया गया.
  • वास्तविक नियंत्रण रेखा अक्साई चीन को भारत से अलग करती है.
  • इस घाटी पर भारत और चीन दोनों अपना दावा करते हैं.
  • लद्दाख़ और अक्साई चीन यानि भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित होने के कारण गलवान घाटी विवादित क्षेत्र है.
  • अक्साई चीन घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांगसे भारत के लद्दाख़ तक फैली हुई है.
  • इस एलएसी पर डोकलाम विवाद के बाद से भारत और चीन की सेना हमेशा आमने-सामने वाली स्थिति में रहती हैं.

अन्य बिंदु

  • यह क्षेत्र पाकिस्तान सीमा के साथ भी लगा हुआ है.
  • भारत का दावा है कि गलवान घाटी के अपने इलाक़े में भारत द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण को रोकने के लिए चीन ने यह हरकत की है.

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