Monkey Pox in India - भारत में मिला मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध केस जाने इसके बारे में विस्तार से

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Wed, 03 Aug 2022 09:08 PM IST

Highlights

भारत में आईसीएमआर ने देश के प्रमुख 15 टेस्टलेब में मंकीपॉक्स की टेस्टिंग की अनुमति दी है। जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित वायरोलॉजी लैब शामिल है।

Monkey Pox in India -भारत में भी पहली बार मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध केस केरल से सामने आया है। विदेश से लौटे एक शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण देखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में एडमिट करवाया गया है। केरल राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बिना जॉर्ज ने गुरुवार को यह जानकारी दी है साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि यात्री के नमूने पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी में टेस्ट के लिए  भेजा गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए गए थे और वह अपने विदेश यात्रा के दौरान एक मंकीपॉक्स रोगी के संपर्क में थे। आपको बता दें कि भारत के अलावा ब्रिटेन, जर्मनी व इटली सहित कई देशों में मंकीपॉक्स के केस पाए गए हैं। लेकिन भारत में यह पहला संदिग्ध केस है। भारत में आईसीएमआर ने देश के प्रमुख 15 टेस्टलेब में मंकीपॉक्स की टेस्टिंग की अनुमति दी है। जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित वायरोलॉजी लैब शामिल है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

Source: safalta.com

मंकीपॉक्स को डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ एमरजैंसी क्यों ठहराया है?

 
 विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स पर शनिवार को इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अधनोम घ्रेब्रेसियस ने कहा है कि 70 से अधिक देशों में इस वायरल इनफेक्शन का प्रसार बहुत असाधारण स्थिति में है। डब्ल्यूएचओ की बैठक में इस को इंफेक्शन इमरजेंसी घोषित करने पर पहली बार आम सहमति नहीं थी। यह डब्ल्यूएचओ के लिए बैठक में पहली बार था जब बिना आम सहमति के किसी इंफेक्शन या बीमारी को इमरजेंसी घोषित किया गया है। टेड्रोस अधनोम घ्रेब्रेसियस ने कहा है कि यह बीमारी या इंफेक्शन ऐसी है जो दुनिया में अलग-अलग तरीकों एवं नए-नए तरीकों से फैल रही है। जिसके बारे में बड़े से बड़े एक्सपर्ट बहुत कम जानते हैं और इन्हीं कारणों के चलते समिति ने इस मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ एमरजैंसी घोषित की है। डब्ल्यूएचओ मानता है कि मंकीपॉक्स दुनिया भर के लिए एक खतरनाक बीमारी हो सकती है और इसे रोकने और महामारी में बदलने के पहले एक अंतरराष्ट्रीय पहल की बहुत आवश्यकता है। यह घोषणा दुनियाभर के सरकारों के लिए मंकीपॉक्स को लेकर तुरंत कार्रवाई की अपील का काम करती है।

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रेयर वायरल डिजीज -

मंकीपॉक्स नाम की यह बीमारी एक रेयर वायरल डिजीज है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों से जुड़ी हुई है. यूरोप और अमेरिका में ''मंकीपॉक्स'' के बहुत से केसेस आने के बाद यह खतरनाक वायरस डिजीज अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में छाया हुआ है.


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भारत में स्वास्थ्य संस्थान का नजरिया -

भारत में अब तक इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है. और इसलिए यहाँ अभी तक मंकीपॉक्स के खिलाफ कोई सक्रिय निगरानी का प्रयास भी नहीं किया गया है. एक शीर्ष सरकारी संस्थान से जुड़े एक जीवविज्ञानी का इस बारे में कथन है कि ''सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस बीमारी के निदान के लिए आवश्यक पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) परीक्षण भारत में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है. और अधिकांश चिकित्सक इस बीमारी के विशिष्ट लक्षणों और बीमारी के बारे में नहीं जानते होंगे.

मंकीपॉक्स क्या है ?

यह एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण उत्पन्न होती है. यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का एक सदस्य है. यह बीमारी आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षणों और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होता है. इस बीमारी में चेहरे और शरीर पर बड़े पैमाने पर रैश और दाने निकलने शुरू हो जाते हैं.
 

मंकीपॉक्स की क्लिनिकल मैनीफेस्टेशन -

मंकीपॉक्स की क्लिनिकल मैनीफेस्टेशन या (नैदानिक अभिव्यक्ति) चेचक के समान होता है. चेचक जो एक संबंधित ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण हुआ करता था. 1980 में यह बीमारी दुनिया भर में समाप्त हो गया है, ऐसा घोषित किया गया था.
 
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 मंकीपॉक्स को लेकर भारत ने क्या कदम उठाया है?


 भारत समेत विश्व के अन्य देशों में भी मंकीपॉक्स का केस धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है। इसलिए केंद्र सरकार ने भारत में घोषणा की है कि भारत में मंकीपॉक्स के केस पर नजर रखने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।  डॉक्टर वीके पॉल, सदस्य, नीति आयोग, टीम के नेता के रूप में इसके लिए काम करेंगे और सदस्यों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय फार्मा और बायोटेक के सचिव भी शामिल होंगे। डॉ पॉल ने कहां है कि समाज और राष्ट्र को मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। भारत में मंकीपॉक्स से पहली मौत की खबर के बाद यह कदम उठाया गया है।

 मंकीपॉक्स को लेकर दुनिया भर में क्या स्थिति है?


लगभग 80 देशों में मई से अब तक दुनिया भर में मंकीपॉक्स के 21000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं अफ्रीका, मुख्य रूप से नाइजीरिया और कांगो में इसके केस पाए गए हैं। जहां मंकीपॉक्स का एक अधिक घातक रूप पश्चिम की तुलना में फैल रहा है। वहां पर 75 संदिग्ध मौत हुई है।  इसके अलावा ब्राजील और स्पेन में भी मंकीपॉक्स से होने वाली मौत की सूचना मिली है।

 डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीबॉक्स वायरस क्या है?


मंकीपॉक्स  वायरस जो चेचक वायरस के सामान ही वायरस परिवार का सदस्य है। वह जूनोटीक स्थिती का कारण बनता है। जिसे मंकीपॉक्स कहा जा रहा है। डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में गैर स्थानीय देशों से भी मामले सामने आए हैं। यह रोग पश्चिम और मध्य अफ्रीका जैसे स्थानों में स्थानीय है।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स -

जूनोटिक वायरस घावों, बॉडी फ्लुइड्स (शरीर के तरल पदार्थ), रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स (श्वसन की बूंदों) और दूषित पदार्थों जैसे गंदे बिस्तर, बिस्तर के लिनन आदि के संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है.
नवीनतम साक्ष्य बताते हैं कि यह बीमारी सेक्सुअल इन्टरकोर्स से भी ट्रांसमिटेड हो सकता है और इसके समलैंगिक पुरुषों से जुड़े हुए कई मामले सामने भी आए हैं.

मृत्यु दर -

मुंबई के मासीना अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ तृप्ति गिलाडा ने बताया कि मंकीपॉक्स वायरस के दो प्रकार हैं - कांगो स्ट्रेन जिससे मृत्यु दर 10 प्रतिशत होती है और दूसरा इससे माइल्डर है जिसे वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन कहते हैं, इससे मृत्यु दर 1 प्रतिशत है. आमतौर पर ज्यादातर मौतें कम उम्र के लोगों की होती हैं. यूके ने पुष्टि की है कि देश में पाए गए मामले पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन के हैं.


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मेडिकल ट्रीटमेंट -

विशेषज्ञों का कहना है कि चेचक के इलाज़ में इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीनिया वैक्सीन मंकीपॉक्स से सुरक्षा प्रदान करती है. लेकिन अब ज्यादातर देशों में इसका उपयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि चेचक का उन्मूलन पूरी दुनिया से बहुत पहले हीं हो चुका है.
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, मंकीपॉक्स पहली बार डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, पूर्व में ज़ैरे, में पाया गया था. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां 1968 में हीं चेचक जैसी बीमारी को समाप्त कर दिया गया था. 1970 के बाद से, 11 अफ्रीकी देशों से मंकीपॉक्स बीमारी के मानव में होने के मामले सामने आए हैं. लेकिन नाइजीरिया में 40 साल बाद 2017 से इसके सबसे अधिक प्रकोप को देखा जा रहा है.

दूसरे देशों तक कैसे पहुँचे मंकीपॉक्स वायरस स्ट्रेन -

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस अफ्रीका से कुछेक बार एक्सपोर्ट हुआ है. 2003 में, जब अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई थी, तब यहाँ के अधिकांश रोगियों के अपने पालतू प्रेयरी कुत्तों के साथ निकट संपर्क में आने की बात भी सामने आई थी, ये पेट्स घाना से इम्पोर्ट किए गए थे और इनमें मिले स्ट्रेन घाना से आए थे.

हाल हीं में, मंकीपॉक्स का मरीज़ सितंबर 2018 में इज़राइल में पाया गया था. सितंबर 2018 में यूके, और मई 2019 में सिंगापुर में इसके केस मिले जहाँ वायरस नाइजीरिया के यात्रियों के द्वारा आया था. जो आने के बाद मंकीपॉक्स की वजह से बीमार पड़ गए थे.

हालिया मामलों में इसके यूके, स्पेन और पुर्तगाल से बहुत से मामले सामने आए हैं. ये मामले बड़े पैमाने पर समलैंगिक पुरुषों में मिले हैं. इसके सबसे हालिया मामले की पुष्टि अमेरिका में हुई है, जहाँ एक व्यक्ति हाल हीं में कनाडा की यात्रा करके वापस आया था. न्यूयॉर्क ने 19 मई को मंकीपॉक्स के एक और संदिग्ध मामले की घोषणा की है.
 
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लक्षण -

मंकीपॉक्स एक सेल्फ लिमिटेड डिजीज है. यह आमतौर पर लक्षणों के साथ साथ दो से चार सप्ताह तक चलने वाली बीमारी है. इस बीमारी के गंभीर मामले आमतौर पर बच्चों में अधिक होते हैं. इस वायरस जनित बीमारी के जोखिम की सीमा, रोगी के हेल्थ स्टेटस (स्वास्थ्य की स्थिति) और रोग के जटिलताओं की प्रकृति (नेचर ऑफ़ कॉम्प्लिकेशन) पर निर्भर करता है.

मंकीपॉक्स की जटिलताओं में सेकेंडरी इन्फेक्शन, ब्रोन्कोन्यूमोनिया, सेप्सिस, एन्सेफलाइटिस और लॉस ऑफ़ विजन (दृष्टि की हानि) के साथ कॉर्निया का संक्रमण शामिल हो सकता है.

इलाज़ और रोकथाम के विकल्प -

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस बीमारी का कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट अभी नहीं है, हाँ लेकिन सिम्पटोमैटिक ट्रीटमेंट से मदद मिल सकती है. मंकीपॉक्स बीमारी के रोकथाम के लिए, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने 18 मई को जारी अपनी एक एडवाइजरी में कहा है कि ऐसे पुरुष जो अन्य पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं, और जो ऐसे लोगों जिनमें मंकीपॉक्स के लक्षण हो सकते हैं, के साथ निकट संपर्क रखते हैं, उन्हें विशेष रूप से किसी भी प्रकार के असामान्य चकत्ते या घावों के होने पर तुरन्त सावधान हो जाना चाहिए. और उन्हें मंकीपॉक्स के किसी भी प्रकार के संभावित खतरे से बचने के लिए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए.

एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट 


कोरोनावायरस के बाद अब दुनिया भर में मंकीपॉक्स का खतरा मंडराने लगा है। इस बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, केंद्र सरकार ने देश के वैक्सीन निर्माता कंपनियों से एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट मांगा है। यानी जो कोई भी वैक्सीन निर्माता कंपनी मंकीबॉक्स के लिए वैक्सीन बनाने के लिए इच्छुक है उनसे आवेदन मांगा है केंद्र सरकार ने अनुभवी वैक्सीन निर्माता कंपनियों से जूनोटिक डिजीज के खिलाफ संयुक्त रूप से वैक्सीन  डायग्नोसिस किट बनाने का टेंडर की मांग की है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों, फार्मा कंपनियों, रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, इन विट्रो किट डायग्नोस्टिक किट निर्माताओं से इस संबंध में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट की मांग की है।



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भारत को मंकीपॉक्स के विषय में चिंता करनी चाहिए या नहीं ?

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में रिस्क फैक्टर्स (जोखिम के कारकों) के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को वायरस के जोखिम को कम करने के लिए किए जा सकने वाले उपायों के बारे में शिक्षित करना, भारत में मंकीपॉक्स के रोकथाम की मुख्य रणनीति होनी चाहिए. “मुझे वास्तव में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, कम से कम आयातित मामलों के बारे में तो बिलकुल नहीं. ऐसा सोचने वालों के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है, क्योंकि भारत के तकरीबन हर शहर में खुलेआम घूमने वाले बंदर मौजूद हैं. इस लिए हां, भारत को मंकीपॉक्स के विषय में चिंता करनी चाहिए. ऐसा वायरोलोजिस्ट डॉ शाहिद ज़मील (ग्रीन टेम्प्लेशन कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड और अशोका यूनिवर्सिटी के विजिटिंग प्रोफेसर) का कहना है.
 

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