National Human Rights Commission (NHRC): क्या आप जानते हैं नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के बारे में

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Tue, 05 Apr 2022 11:02 AM IST

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, यह अधिकार (मानवाधिकार) राष्ट्रीयता, जातीयता, लिंग, धर्म, भाषा, जाति अथवा किसी अन्य स्थिति की परवाह किए बिना सम्पूर्ण मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

Source: Safalta

March Month Current Affairs Magazine DOWNLOAD NOW 

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes



* वास्तव में एक मनुष्य का मानवाधिकार उसके वह नैसर्गिक या प्राकृतिक अधिकार हैं जो उसे जन्म लेने के साथ हीं मिल जाते हैं.
* एक मनुष्य के मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति और ओपिनियन (राय) की स्वतंत्रता का अधिकार, जीविका और शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं.
* यह एक मानव का वह बुनियादी अधिकार है जो उसे गरिमामय जीवन जीने का हक़ देता है.
* बिना किसी भेदभाव के संसार के सभी मनुष्य इन अधिकारों के हकदार हैं.
* संसार के सभी विद्वान तथा बुद्धिजीवी हमेशा से मानवाधिकार के पक्ष में रहे हैं.

लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है - नेल्सन मंडेला **

पृष्ठभूमि
  • मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को सर्वप्रथम पेरिस में अपनाया गया था. इसमें माना गया था कि किसी भी मनुष्य के मानवाधिकारों की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए.
  • मानव अधिकारों के इतिहास में यह घोषणा एक मील का पत्थर साबित हुई हैं जो पहली बार, मौलिक मानवाधिकारों को सार्वभौमिक रूप से रक्षित करने के लिए निर्धारित किया गया है.
  • हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है, जो दरअसल यूडीएचआर की वर्षगांठ है. 2018 में, 70 वीं वर्षगांठ पर मानवाधिकार दिवस ने इसे चिह्नित कर घोषणा की थी.
  • कालक्रम में समय के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों को मजबूत करने के बढ़ते महत्व को यथोचित मान्यता दी गई और 1991 में, पेरिस में संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक ने सिद्धांतों का एक सविस्तार सेट बनाया जिसे पेरिस सिद्धांत कहते हैं. यही वे सिद्धांत थे जो आगे चलकर राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की स्थापना और संचालन की नींव बने.
  • इन सिद्धांतों के अनुसरण में, भारत ने देश में मानवाधिकारों के मामले में अधिक जवाबदेही लाने और मानवाधिकारों को मजबूत करने की दृष्टि से मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 अधिनियमित किया.
  • इस अधिनियम ने राज्य सरकारों को राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना के लिए भी अधिकृत किया.

Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now

Hindi Vyakaran E-Book-Download Now

Polity E-Book-Download Now

Sports E-book-Download Now

Science E-book-Download Now


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, और इसके बारे में कुछ प्रमुख बातें -
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), 1993 के मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय है.
  • भारत के NHRC की स्थापना 12 अक्टूबर, 1993 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी, जिसे बाद में 2006 में पुनः संशोधित किया गया. इसका मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है.
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समय-समय पर केंद्र तथा राज्यों को मानवाधिकारों के हनन के संदर्भ में अपनी अनुशंसाएँ भेजता रहता है.
  • NHRC ने 12 अक्टूबर, 2018 को अपनी रजत जयंती (25 वर्ष) मनाई है.
  • यह संगठन देश में मानवाधिकारों का प्रहरी है. यानी भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत या अंतरराष्ट्रीय वाचाओं में सन्निहित और भारत में अदालतों द्वारा लागू किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों की रक्षा करती है.
  • भारत में यह पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप स्थापित किया गया था. वह ''पेरिस सिद्धांत'' जिसे पेरिस (अक्टूबर, 1991) में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण के लिए अपनाया गया था और 20 दिसंबर, 1993 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा अनुमोदित किया गया था.
मानवाधिकार परिषद
  • मानवाधिकार परिषद 15 मार्च 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव द्वारा बनाई गई एक अंतर-सरकारी निकाय है.
  • यह दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार को मजबूत करने तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्थितियों को निशानदेह और संबोधित करने और उन पर सिफारिशें करने के लिए जिम्मेदार है.
  • इसमें सभी विषयगत मानवाधिकारिक मुद्दों और स्थितियों जिन पर पूरे वर्ष ध्यान देने की आवश्यकता होती है पर चर्चा करने की क्षमता है. मानवाधिकार परिषद जिनेवा के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय से मिलता है.
  • मानवाधिकार परिषद 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्यों से बनी हुई है, ये सदस्य राज्य संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा चुने जाते हैं.
  • इसके पास एक दीवानी न्यायालय की सभी शक्तियाँ होती हैं. इसकी कार्यवाही का एक न्यायिक चरित्र है.
  • NHRC या तो स्वयं की प्रेरणा से या किसी याचिका के प्राप्त करने के बाद मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की जांच करता है.
  • यह मानवाधिकारों के उल्लंघन के किसी भी आरोप से जुड़ी किसी भी न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की शक्ति रखता है.
  • यह मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों की जांच के उद्देश्य से केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी या जांच एजेंसी की सेवाओं का उपयोग करने के लिए अधिकृत है.
  • यह किसी भी मामले की उसके घटित होने के एक वर्ष के भीतर जाँच कर सकता है. यानि कि मानवाधिकार आयोग को उस तारीख से जिस दिन मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला कार्य किया गया है से एक वर्ष की समाप्ति के बाद किसी भी तरह की जांच करने का अधिकार नहीं रहता है.
  • आयोग के कार्य मुख्यतः अनुशंसात्मक प्रकृति के होते हैं.
  • इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन करने वालों को दंडित करने की शक्ति नहीं है और न ही पीड़ित को आर्थिक राहत सहित किसी भी प्रकार की राहत देने की शक्ति है.
  • सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में इसकी भूमिका, शक्तियां और अधिकार क्षेत्र सीमित है.
  • जब निजी पार्टियों के माध्यम से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तो उसे कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है.
  • यह कैदियों के रहन-सहन की स्थिति को देखने और उस पर सिफारिशें करने के लिए राज्य सरकार के नियंत्रण में किसी भी जेल या किसी अन्य संस्थान का दौरा कर सकता है. मानवाधिकार की वजह से हीं अब कैदियों को सुनवाई के दौरान जंजीरों से बाँध कर अदालत में नहीं ले जाया जाता. (हत्या के खूँखार अपराधियों को छोड़ कर)
  • यह मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान या अन्य किसी कानून के तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उचित उपचारात्मक उपायों की सिफारिश कर सकता है.
  • NHRC मानव अधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान करता है और मानवाधिकार को बढ़ावा देता है.
  • NHRC समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकार साक्षरता का प्रसार करने के लिए भी काम करता है और प्रकाशनों, मीडिया, संगोष्ठियों और अन्य प्रकार के माध्यम से इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए उपलब्ध सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करता है.
भारत में मानवाधिकारों को NHRC द्वारा कैसे देखा जाता है ?

मानवाधिकार समाज का एक अनिवार्य हिस्सा हैं. भारत में मानवाधिकारों को NHRC के द्वारा देखा जाता है. NHRC देश में मानवाधिकारों के प्रहरी के रूप में कार्य करता है. एनएचआरसी उन अधिकारों को देखता है जो पीएचआर अधिनियम की धारा 2 (1) में परिभाषित किसी भी व्यक्ति के जीवन, गरिमा, स्वतंत्रता और समानता से संबंधित होता है.

एनएचआरसी का इतिहास -
  • 1948 में, UN ने UDHR (मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा) को अपनाया.
  • 1991 में, ''पेरिस सिद्धांतों'' को राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों (NHRI) द्वारा स्थापित किया गया था.
  • 1993 में, संयुक्त राष्ट्र ने इन पेरिस सिद्धांतों को अपनी महासभा में अपनाया.
  • 1993 में, भारत ने अपना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम बनाया.
  • और इस तरह भारत में अपना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन हुआ.
  • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम ने राज्य सरकारों को राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना की भी अनुमति दी.
NHRC के सदस्यों की नियुक्ति कैसे होती है ?
  • 1. एक सिलेक्शन कमिटि (चयन समिति) राष्ट्रपति को उम्मीदवारों की सिफारिश करती है.
  • 2. इस चयन समिति में निम्न लिखित व्यक्ति शामिल होते हैं -
  • 3. प्रधान मंत्री (अध्यक्ष)
  • 4. लोकसभा अध्यक्ष
  • 5. केंद्रीय गृह मंत्री
  • 6. राज्यसभा के उप सभापति
  • 7. संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता.
बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
जाने क्या था खिलाफ़त आन्दोलन – कारण और परिणाम
2021 का ग्रेट रेसिग्नेशन क्या है और ऐसा क्यों हुआ, कारण और परिणाम
जानिए मराठा प्रशासन के बारे में पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं 1857 के विद्रोह विद्रोह की शुरुआत कैसे हुई थी

NHRC से संबंधित प्रमुख मुद्दे -

भारत में विभिन्न कारणों से बड़े पैमाने पर लोगों को मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले का सामना करना पड़ता है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) देश भर में मानवाधिकार के जिन अधिकांश मुद्दों को उठाता है उनमें से कुछ का उल्लेख निम्न लिखित है -
  • मनमाना गिरफ्तारी और नजरबंदी (आरबिटरेरी अरेस्ट एंड डिटेंशन)
  • हिरासत में यातना (कस्टोडियल टार्चर)
  • बाल श्रम (चाइल्ड लेबर)
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव (वायलेंस एंड डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वोमेन एंड चिल्ड्रेन)
  • न्यायेतर हत्याएं (एक्स्ट्राजुडिशल किलिंग)
  • अत्यधिक शक्तियां (एक्सेसिव पॉवर)
  • यौन हिंसा और दुर्व्यवहार (सेक्सुअल वायलेंस एंड एब्यूज)
  • LGBTQ समुदाय अधिकार (LGBTQ कम्युनिटी राईट)
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, विकलांग लोग और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक मुद्दे (अनुसूचित जाति/अनुसूचित डिसेबल्ड पीपल एंड अदर रिलीजियस माइनॉरिटीज इशूज)
  • श्रम अधिकार और काम करने का अधिकार (लेबर राइट्स एंड राईट टू वर्क)
  • संघर्ष प्रेरित आंतरिक विस्थापन (कोन्फ्लिक्ट इन्डक्टेड इन्टरनल डिसप्लेसमेंट)
  • हाथ से मैला ढोना (मैन्युअल स्कावेंगिंग)
निष्कर्ष -

आज़ादी के इतने अरसे के बाद भी भारत में मानवाधिकार किसी न किसी तरह से आज भी प्रताड़ित है. महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, बिना वारंट किसी के घर की तलाशी, सांप्रदायिक दंगे, और अन्य कई प्रकार की घटनाएँ यहाँ हर पल की बात है. एक आँकड़े के मुताबिक अप्रैल 2017 से लेकर दिसंबर 2017 की अवधि के दौरान मानवाधिकार के लगभग 66,532 मामले विचार हेतु दर्ज किये गए और मानवाधिकार आयोग ने लगभग 61,532 मामलों का निपटारा भी किया. फिर भी हर पल कहीं न कहीं किसी न किसी के मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है तो आखिर कुछ तो हमारी व्यवस्था में कमियाँ हैं जिनके कारण NHRC मानवाधिकारों की रक्षा करने में खुद को असमर्थ पा रहा है और जिस हिसाब से यहाँ मनुष्य के मानवाधिकारों की रक्षा होनी चाहिये वह नहीं हो पा रहा है.

मानवाधिकार पर कुछ सुझाव जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है -
  • 1. इसे और अधिक प्रभावी बनाने और देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर वास्तव में निगरानी रखने के लिए NHRC के पूर्ण सुधार की आवश्यकता है.
  • 2. यदि आयोग के निर्णयों को लागू करने योग्य बनाया जाए तो सरकार द्वारा NHRC की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है.
  • 3. समाज के सदस्यों, नागरिकों और कार्यकर्ताओं को शामिल करके आयोग की संरचना में बदलाव की जरूरत है.
  • 4. NHRC को उपयुक्त अनुभव वाले कर्मचारियों का एक स्वतंत्र संवर्ग विकसित करने की आवश्यकता है.
  • 5. भारत में कई कानून प्रकृति में बहुत पुरातन हैं, जिनमें अगर संशोधन किया जाए तो नियमों में अधिक पारदर्शिता लाई जा सकती है.
  • 6. भारत में मानवाधिकार की स्थिति को सुधारने और मजबूत करने के लिए, राज्य और गैर-राज्य के नेताओं को मिलकर काम करने की जरूरत है.

Related Article

Nepali Student Suicide Row: Students fear returning to KIIT campus; read details here

Read More

NEET MDS 2025 Registration begins at natboard.edu.in; Apply till March 10, Check the eligibility and steps to apply here

Read More

NEET MDS 2025: नीट एमडीएस के लिए आवेदन शुरू, 10 मार्च से पहले कर लें पंजीकरण; 19 अप्रैल को होगी परीक्षा

Read More

UPSC CSE 2025: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि बढ़ी, इस तारीख तक भर सकेंगे फॉर्म

Read More

UPSC further extends last date to apply for civil services prelims exam till Feb 21; read details here

Read More

Jhakhand: CM launches six portals to modernise state's education system

Read More

PPC 2025: आठवें और अंतिम एपिसोड में शामिल रहें यूपीएससी, सीबीएससी के टॉपर्स, रिवीजन के लिए साझा किए टिप्स

Read More

RRB Ministerial, Isolated Recruitment Application Deadline extended; Apply till 21 February now, Read here

Read More

RRB JE CBT 2 Exam Date: आरआरबी जेई सीबीटी-2 की संभावित परीक्षा तिथियां घोषित, 18799 पदों पर होगी भर्ती

Read More