Role of Uttar Pradesh in Freedom Struggle: जाने क्या थी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की भूमिका

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Tue, 05 Jul 2022 11:26 PM IST

ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के लोगों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है. उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह सर्वविदित है कि राज्य ने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं. आज का यह विषय यूपीएससी (प्रीलिम्स), एसएससी, एनडीए, सीडीएस, रेलवे, राज्य सेवाओं आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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Table Of Content 

  1. Role of Uttar Pradesh in Freedom Struggle
  2. स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की भूमिका विस्तार से
  3. महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों की सूची -

Role of Uttar Pradesh in Freedom Struggle (स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की भूमिका)

उत्तर प्रदेश दुनिया के कुछ अत्यंत प्राचीन स्थानों में से एक है. इस स्थान की एक लंबी पूर्व-ऐतिहासिक कहानी रही है. उत्तर प्रदेश में लगभग 73 से 85 हजार वर्ष पुराने पाषाण युग के होमो सेपियन्स (मानव जाति) की उपस्थिति के संकेत मिलते हैं.

इसके पूर्व-ऐतिहासिक खोजों में 21 से 31 हजार वर्ष पुरानी मध्य और पुरापाषाणकालीन कलाकृतियां शामिल हैं. इसी के साथ प्रतापगढ़ के पास मेसोलिथिक (सूक्ष्मपाषाण युग) हंटर-गैदरर (शिकार एकत्रित करने वाला समुदाय) की बस्ती के प्रमाण भी मिले हैं. अनुमान है कि ये लगभग 10550–9550 ईसा पूर्व के होंगे.

इस गांव से पालतू पशुओं, भेड़, बकरियों आदि के साथ-साथ कृषि के 6000 ईसा पूर्व के साक्ष्य मिले हैं. अनुमान है कि यहाँ की ग्रामीण बस्तियां धीरे-धीरे सिंधु घाटी सभ्यता और हड़प्पा संस्कृति के साथ 4000 और 1500 ईसा पूर्व के बीच विकसित होनी शुरू हुईं. इसके बाद वैदिक काल और आयरन ऐज तक इनका विस्तार हुआ. हिंदू पौराणिक कथाओं और किंवदंती के अनुसार, रामायण महाकाव्य के दिव्य राजा श्री राम और विष्णु के 18 वें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म भी उत्तर प्रदेश की भूमि पर हीं हुआ था. मुग़ल बादशाह अकबर ने भी उत्तर प्रदेश के आगरा और फतेहपुर से अपना शासन चलाया था.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की भूमिका विस्तार से -

ब्रिटिश शासन के दौरान और बाद में देश के इतिहास में उत्तर प्रदेश का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है. सर्वविदित है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश राज्य के लोगों का योगदान अभूतपूर्व रहा है. उल्लेखनीय है कि इस प्रदेश ने हिन्दुस्तान को एक, दो नहीं बल्कि 8 प्रधानमंत्री दिए हैं. उत्तर प्रदेश की भूमिका आधुनिक भारतीय इतिहास में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और भारतीय राजनीति का केंद्र रहा है. उत्तर प्रदेश की भूमि ने स्वतंत्रता सेनानी के रूप में चंद्रशेखर आजाद, गोविंद बल्लभ पंत, मौलाना मोहम्मद अली, राम मनोहर लोहिया आदि की तरह कई ऐसे महान व्यक्तित्व दिए हैं जिन्होंने देश की स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपने निजी जीवन का बलिदान कर दिया.

मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय और गोविंद बल्लभ पंत आदि इस भूमि से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता रहे हैं. अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) का गठन 11 अप्रैल 1936 को कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन (उत्तर प्रदेश) में किया गया था, जिसके पहले अध्यक्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती चुने गए थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, बलिया जिले के क्रांतिकारियों ने औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेंका और चित्तू पांडे के अधीन अपना प्रशासन स्थापित किया था. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए बलिया को 'बागी बलिया' (विद्रोही बलिया) के नाम से जाना जाने लगा था. और चित्तू पांडेय को "बलिया का बाघ" उपनाम से नवाज़ा गया था.
 

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और आईए अब देखते हैं उत्तर प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों की सूची -

महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों की सूची -

1) बेगम हजरत महल -

बेगम हजरत महल फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) की रहने वाली थी. उन्हें 'अवध की बेगम' या 'हजरत महल' के नाम से जाना जाता है. बेगम हजरत महल ने लखनऊ में सन 1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ राजा जैलाल सिंह के नेतृत्व में समर्थकों के एक बैंड के साथ विद्रोह किया था.

2) बख्त खान -

बख्त खान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में सूबेदार थे. सन 1857 के भारतीय विद्रोह में बख्त खान ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारतीय विद्रोही बलों के कमांडर-इन-चीफ थे. बख्त खान का जन्म रोहिलखंड (उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र) के बिजनौर नामक स्थान पर हुआ था.

3) मंगल पाण्डेय -

मंगल पाण्डेय का नाम हिन्दुस्तान में कौन नहीं जानता. वह उन भारतीय सैनिकों में से एक थे जिन्होंने सन 1857 के भारतीय विद्रोह में अंग्रेजों के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मंगल पाण्डेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 34 वीं रेजिमेंट में सिपाही थे. उन्हें 1857 के भारतीय विद्रोह के नायक के रूप में जाना जाता है. मंगल पाण्डेय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था.

4) झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई -

भारतीय इतिहास में झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वर्ण अक्षरों से अंकित है. रानी लक्ष्मीबाई उत्तर प्रदेश के झांसी जिले यानि झांसी रियासत की रानी थीं. रानी लक्ष्मीबाई ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह करने वाले भारत के प्रमुख क्रान्तिकारियों में से एक थीं. राजा की मृत्यु के बाद रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को अंग्रेजों ने वास्तविक उत्तराधिकारी नहीं माना और झाँसी राज पर कब्ज़ा करना चाहा इसलिए रानी ने अपने दत्तक पुत्र यानी दामोदर राव और अपने सिंहासन की रक्षा के लिए ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.

5) राव कदम सिंह -

राव कदम सिंह भी सन 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ने वाले गुर्जरों के एक छोटे समूह के नेता थे. उन्हें मेरठ जिले में परीक्षितगढ़ और मवाना के राजा के रूप में भी जाना जाता है.

6) झलकारी बाई -

झलकारी बाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की महिला सेना की साहसी सदस्य थी और इन्होंने सन 1857 के भारतीय विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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7) मौलवी लियाकत अली -

मौलवी लियाकत अली इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) के धार्मिक नेता और 1857 के भारतीय विद्रोह के प्रमुख नेता थे.

8) आसफ अली -

आसफ अली एक महत्वपूर्ण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. वे भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका में पहले राजदूत थे. उन्होंने ओडिशा के राज्यपाल के रूप में भी काम किया था. वह सोहरा (ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रांत) के रहने वाले थे. (अब उत्तर प्रदेश में)

10) अशफाकउल्लाह खान -

अशफाकउल्लाह खान शाहजहांपुर, उत्तर-पश्चिमी प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब उत्तर प्रदेश में) के रहने वाले थे. वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, सचिंद्र बख्शी, चंद्रशेखर आजाद, केशव चक्रवर्ती, बनवारी लाल, मुकुंदी लाल, मनमथनाथ गुप्ता के साथ लखनऊ के पास काकोरी में ब्रिटिश सरकार के पैसे लेकर ट्रेन लूट की थी.

11) चंद्रशेखर आजाद -

चंद्रशेखर आजाद के जन्म का नाम चंद्र शेखर तिवारी था. परन्तु लोकप्रिय रूप से उन्हें आज़ाद (the free) के उपनाम से जाना जाता है. चंद्रशेखर आजाद प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे. इन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल की मृत्यु के बाद इसे अपने तीन अन्य प्रमुख पार्टी नेताओं, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिरी और अशफाक उल्ला खान के साथ नए नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के तहत पुनर्गठित किया.

12) चित्तू पाण्डेय -

चित्तू पाण्डेय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले (उत्तर प्रदेश) के अंतर्गत आने वाले एक गांव रत्तुचक में हुआ था. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चित्तू पाण्डेय के शानदार और त्रुटिहीन नेतृत्व को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस द्वारा उन्हें "बलिया का बाघ" के रूप में वर्णित किया गया.

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13) गणेश शंकर विद्यार्थी -

गणेश शंकर विद्यार्थी कानपुर के रहने वाले थे. गणेश शंकर विद्यार्थी असहयोग आंदोलन में एक महत्वपूर्ण किरदार थे. वे पेशे से पत्रकार और हिंदी भाषा के समाचार पत्र प्रताप के संस्थापक तथा संपादक थे.

14) गोविंद बल्लभ पंत -

गोविंद बल्लभ पंत एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारत के वास्तुकारों में से एक थे. वह बेहद सक्षम वकील थे जो शुरू में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और 1920 के दशक के मध्य में काकोरी मामले में शामिल अन्य क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करते थे. वह 1937 से 1939 तक संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री थे. स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने 1955-1961 तक केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्य किया.

15) महावीर त्यागी -

महावीर त्यागी एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और देहरादून, उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड में) के प्रसिद्ध सांसद थे. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बैनर तले किसान (किसान) आंदोलन का नेतृत्व किया.

16) मौलाना मोहम्मद अली -

मौलाना मोहम्मद अली को मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम से जाना जाता है. वे अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के संस्थापकों और अध्यक्षों में से एक थे. 1923 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने के लिए चुना गया.

17) मौलाना शौकत अली -

मौलाना शौकत अली खिलाफत आंदोलन के एक मुख्य भारतीय मुस्लिम नेता थे. जो तुर्क साम्राज्य के पतन के जवाब में भड़क उठे थे. उन्होंने 1934 से 1938 तक ब्रिटिश भारत में 'सेंट्रल असेंबली' के सदस्य के रूप में कार्य किया था.

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18) मुनीश्वर दत्त उपाध्याय -

मुनीश्वर दत्त उपाध्याय एक भारतीय राजनीतिज्ञ, और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के राजनेता थे. वह प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे.

19) पुरुषोत्तम दास टंडन -

पुरुषोत्तम दास टंडन मुख्य भारतीय स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे जिन्हें हिंदी के लिए भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त करने के उनके प्रयासों के लिए याद किया जाता है. उन्हें प्रथागत रूप से राजर्षि की उपाधि दी गई थी (व्युत्पत्ति: राजा + ऋषि = शाही संत).

20) रफ़ी अहमद किदवई -

रफ़ी अहमद किदवई एक राजनीतिज्ञ, भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और एक समाजवादी थे जिनके समाजवाद को एक इस्लामी समाजवादी के रूप में भी वर्णित किया जाता था. वह संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) के बाराबंकी जिले से थे. वह स्वतंत्र भारत के संचार के भारत के पहले मंत्री थे.

21) राम मनोहर लोहिया -

राम मनोहर लोहिया कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य थे. वह कांग्रेस सोशलिस्ट के संपादक भी थे. उन्होंने कांग्रेस के साथ काम किया था जो 1942 तक बॉम्बे के विभिन्न स्थानों से गुप्त रूप से प्रसारित होता था.

22) राम प्रसाद बिस्मिल -

राम प्रसाद बिस्मिल एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने 1918 के मैनपुरी षडयंत्र और 1925 के काकोरी षडयंत्र में भाग लिया था. वे जाने-माने देशभक्त कवि भी थे और उन्होंने राम, अज्ञेय और बिस्मिल नामों का इस्तेमाल करते हुए हिंदी और उर्दू में खूब लिखा भी था.

23) विजय सिंह पथिक -

विजय सिंह पथिक को राष्ट्रीय पथिक के नाम से जाना जाता था. उनका असली नाम भूप सिंह था. वह पहले भारतीय क्रांतिकारियों में से थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन की मशाल जलाई थी.

24) धन सिंह गुर्जर -

धन सिंह गुर्जर मेरठ के भारतीय कोतवाल (पुलिस प्रमुख) थे जिन्होंने सन 1857 के विद्रोह में सक्रिय रूप से भाग लिया था. यही नहीं उन्होंने मेरठ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ प्रारंभिक कार्रवाई का नेतृत्व भी किया था.

25) स्वामी सहजानंद सरस्वती -

स्वामी सहजानंद सरस्वती उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के रहने वाले थे. वह एक समाज सुधारक, इतिहासकार, दार्शनिक, लेखक, तपस्वी, क्रांतिकारी, मार्क्सवादी और  राजनीतिज्ञ थे जो भारत की भलाई के लिए कई दिशाओं में काम करते थे. उनकी सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों ने शुरुआती दिनों में ज्यादातर बिहार पर ध्यान केंद्रित किया, और धीरे-धीरे अखिल भारतीय किसान सभा के गठन के साथ शेष भारत में फैल गया. बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
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"बलिया का बाघ" उपनाम किसके लिए इस्तेमाल किया गया था ?

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चित्तू पाण्डेय के शानदार और त्रुटिहीन नेतृत्व को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस द्वारा उन्हें "बलिया का बाघ" के रूप में वर्णित किया गया.

स्वतंत्रता संग्राम के वे कौन से क्रान्तिकारी थे जो देशभक्त कवि भी थे और उन्होंने राम, अज्ञेय और बिस्मिल नामों का इस्तेमाल करते हुए हिंदी और उर्दू में खूब लिखा भी था ?

राम प्रसाद बिस्मिल ने राम, अज्ञेय और बिस्मिल नामों का इस्तेमाल करते हुए हिंदी और उर्दू में खूब लिखा था.

हाल में उत्तर प्रदेश के किस स्थान के पास लगभग 10550–9550 ईसा पूर्व के मेसोलिथिक (सूक्ष्मपाषाण युग) हंटर-गैदरर (शिकार एकत्रित करने वाला समुदाय) की बस्ती के प्रमाण मिले हैं ?

प्रतापगढ़ के पास मेसोलिथिक (सूक्ष्मपाषाण युग) हंटर-गैदरर (शिकार एकत्रित करने वाला समुदाय) की बस्ती के प्रमाण मिले हैं. अनुमान है कि ये लगभग 10550–9550 ईसा पूर्व के हैं.

भारत के किस प्रदेश ने हिन्दुस्तान को 8 प्रधानमंत्री दिए हैं ?

उत्तर प्रदेश ने हिन्दुस्तान को एक, दो नहीं बल्कि 8 प्रधानमंत्री दिए हैं.

वे कौन से भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त कराने के लिए किए गए उनके प्रयासों के लिए याद किया जाता है.

पुरुषोत्तम दास टंडन को हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त कराने के लिए किए गए उनके प्रयासों के लिए याद किया जाता है.

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