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Delhi Trade Fair 2022, दिल्ली ट्रेड फेयर के बारे में जाने सब कुछ, जाने विस्तार से
Delhi Trade Fair 2022 : भारत का 41 वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला इंटरनेशनल ट्रेड फेयर 14 नवंबर से शुरू हो गया है। इसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा किया गया है। यह इंटरनेशनल ट्रेड फेयर देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित की गई है। कोरोनावायरस संक्रमण के चलते 2 साल बाद इस मेले का आयोजन किया गया है, आइए जानते हैं 14 नवंबर से 27 नवंबर तक आयोजित हुई इस ट्रेड फेयर के बारे में खास जानकारी।
40 साल बाद सर्वाधिक क्षेत्र में आयोजित किया गया मेला
साल 2022 में आयोजित हुए इस व्यापार मेला कई मायनों में खास होगा, सबसे बड़ी बात यह है कि 40 साल बाद मतलब 1979 के बाद मेला परिसर का क्षेत्रफल सबसे अधिक बड़ा होगा। यही कारण है कि इस बार अधिक से अधिक संख्या में दर्शक इस मेले में आ सकेंगे। व्यापार मेले से जुड़ी जानकारी के मुताबिक इस साल तुलनात्मक रूप से करीब 75000 वर्ग मीटर से भी अधिक क्षेत्र में इसमें लंका इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। आईआईटीएफ के 40 साल के इतिहास में यह बदलाव पहली बार किया गया है। ट्रेड फेयर के आयोजकों का कहना है कि इससे कारोबारी, आयोजक और लोगों को बड़ा मुनाफा मिलेगा, इसके साथ ही लोगों की भीड़ को भी कंट्रोल करने में सहायता होगी।
आने जाने का समय क्या है
इस मेले को लेकर पहले यह चर्चा की गई थी कि मेले के समय को बदला जाएगा, जिसके तहत मेले का समय 1 घंटा और बढ़ाने की बात कही गई थी लेकिन इस पर सहमति नहीं मिली ऐसे में इस बार भी हर साल की तरह व्यापार मिलने का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक ही होगा।
कब से कब तक है मेला
मेले से जुड़े अधिकारियों के सूचना के मुताबिक 14 नवंबर से शुरू हुए इस महीने का अंतिम दिन 27 नवंबर को होगा, 27 नवंबर को दर्शकों को मेले में दोपहर 2:00 बजे से ही प्रवेश मिलेगा इसके साथ ही 4:00 बजे तक मेले को देखने की अनुमति होगी, यह केवल 27 नवंबर के लिए ही होगा क्योंकि आखिरी दिन मेले में दर्शकों की भीड़ बढ़ जाती है जिसके कारण अव्यवस्था ना फैले इसके लिए समय सीमा 27 नवंबर के लिए कम किया गया है।
पार्किंग व्यवस्था क्या है
प्रगति मैदान में इस मेले का आयोजन हुआ है जिसके साथ ही दर्शकों एवं अन्य लोगों के लिए पार्किंग की व्यवस्था भैरों मार्ग पर किया गया है। जहां पर गाड़ी खड़ा करने की ढेर सारी जगह है।
आजादी का अमृत महोत्सव की झलक
इस साल देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है ऐसे में प्रगति मैदान में हो रहे वर्ल्ड ट्रेड फेयर में आजादी की अमृत महोत्सव की भी झलक देखने को मिलेगी। आईटीपीओ ही नहीं राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के मंत्रालय भी इसके मद्देनजर अपनी उपलब्धियों को शोकेस करेंगे।
इस साल की थीम क्या है
14 से 27 नवंबर तक चलने वाले इस व्यापार मेले का थीम वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोकल फॉर लोकल के प्रति लोगों को प्रेरित एवं जागरूक कर रहे हैं, ऐसे में नरेंद्र मोदी के इस महत्वाकांक्षी अभियान को सफल बनाने में भारत व्यापार संवर्धन संगठन भी योगदान दे रहा है।
स्टार्टअप कंपनियों और एंटरप्रेन्योरशिप को मिली छूट
वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने में भाग लेने वाले एंटरप्रेन्योरशिप कंपनियों को कई तरह की छूट दी गई हैय़ इसके तहत एंटरप्रेन्योरशिप कंपनी को 60% तक छूट मिली है और स्टार्टप कंपनियों को 50 परसेंट की छूट मिली है। डोमेस्टिक पार्टिसिपेंट लेने के लिए भी न्यू एंड यंग एंटरप्रेन्योरशिप कंपनी को भी छूट दी गई है।
सामान्य दर्शकों को कब से मिलेगा प्रवेश
14 से लेकर 27 नवंबर तक चलने वाले इस व्यापार मेले में 14 से 18 तारीख तक बिजनेस चेंज होंगे, ऐसे में आम आदमी और दर्शकों की जाने की अनुमति इस दौरान नहीं होगी। आम दर्शकों को 19 नवंबर से प्रवेश दिया जाएगा ऐसा करने का मकसद यह है कि बिजनेस से जुड़े लोगों को आम जनता के कारण किसी प्रकार की परेशानी या दिक्कत ना आए।
टिकट व्यवस्था क्या है
14 से 19 नवंबर तक आईआईटीएफ के मुताबिक व्यस्क के लिए टिकट ₹500 होगा जबकि बच्चों का टिकट मात्र 150 रखा गया है। टिकट की व्यवस्था दिल्ली मेट्रो के सभी 10 लाइन यानी रेड, येलो, ब्लू मेजेंटा, ग्रीन, व्हाइट, ग्रे, ऑरेंज, पिंक और एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर ट्रेड फेयर की टिकट के लिए काउंटर बनाए गए हैं, यहां से आप व्यापार मेले के लिए टिकट खरीद सकते हैं। इस बार दिल्ली मेट्रो के 67 मेट्रो स्टेशन पर व्यापार की टिकट बेची जा रही है। लोग आईटीपीओ के अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी टिकट खरीद सकते हैं।
टिकट की कीमत क्या होगी
आम आदमी ट्रेड फेयर में 19 नवंबर से प्रवेश दिया जाएगा, जिसमें टिकट और पास के माध्यम से ही प्रवेश मिलेगा। 19 तारीख से लेकर 27 तारीख तक व्यस्कों को मेले में जाने की टिकट के दाम ₹80 होंगे वही बच्चों के लिए टिकट का दाम ₹40 रखा गया है। वीकेंड में व्यस्क ₹150 और बच्चे के लिए ₹60 का टिकट रखा गया है।
Jharkhand Foundation Day, झारखंड राज्य स्थापना दिवस कब मनाया जाता है
Jharkhand Foundation Day : हर साल 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस मनाया जाता है। साल 2000 में झारखंड राज्य की स्थापना हुई थी, इस साल राज्य अपना 21 वां स्थापना दिवस मना रहा है, इस अवसर पर आइए जानते हैं झारखंड राज्य के बारे में विस्तार से झारखंड राज्य की राजधानी रांची है, बहुत से झरने और जलप्रपात होने के चलते इसे झरनों का राज्य भी कहा जाता है। रांची झारखंड का तीसरा सबसे प्रसिद्ध शहर में से एक है, जहां भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का गृह निवास है। आंदोलन के दौरान रांची आंदोलन का केंद्र हुआ करता था। रांची को स्मार्ट सिटी मिशन के लिए डेवलप करने के लिए 100 भारतीय शहरों में एक चुना गया है।
झारखंड राज्य का इतिहास क्या है
झारखंड राज्य भारत के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है, इसे जंगल ऑफ फॉरेस्ट या बुशलैंड के नाम से भी जाना जाता है। 15 नवंबर साल 2000 को छोटानागपुर क्षेत्र को बिहार के दक्षिणी हिस्से से अलग किया गया था और इसे झारखंड नाम से एक अलग राज्य के रूप में जन्म दिया गया था। इसके साथ ही झारखंड राज्य देश का 28 वां भारतीय राज्य बना। झारखंड के आदिवासियों ने बहुत पहले ही अपने लिए एक अलग राज्य की मांग की थी, क्योंकि आजादी के बाद से आदिवासी समुदाय और लोगों को सामाजिक आर्थिक लाभ बहुत कम मिला था। इन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया जिसने 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के तुरंत बाद सरकार से यह विरोध एवं अपील किया कि उनके लिए अलग राज्य का गठन किया जाए, जिसके फलस्वरूप सरकार ने 1995 में झारखंड क्षेत्र स्वायत्त परिषद की शुरुआत की और साल 2000 में मांग को पूरा किया था। झारखंड राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को बनाया गया। उन्होंने साल 2006 में बीजेपी को छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा की स्थापना की थी।
झारखंड राज्य के बारे में
आदिवासी राज्य झारखंड में 24 जिले हैं और झारखंड का कुल क्षेत्रफल लगभग 79,716 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल के आधार पर देश का 15वां सबसे बड़ा राज्य है। झारखंड के अद्भुत झरने, पहाड़ी, वन्य जीव, अभ्यारण, दामोदर नदी पर पंचेत बांध और पवित्र स्थान जैसे बैद्यनाथधाम, पारसनाथ रजरप्पा जैसे क्षेत्र राज्य के पर्यटक आकर्षण के लिए जाने जाते हैं। झारखंड राज्य कोयला, लौह अयस्क, तांबा अयस्क, यूरेनियम, अभ्रक, बॉक्साइट, ग्रेनाइट पत्थर, चांदी और डोलोमाइट जैसे मिनरल सोर्स से समृद्ध राज्य है।
Janjatiya Gaurav Divas : जनजातीय गौरव दिवस का इतिहास और महत्व जाने विस्तार से
Janjatiya Gaurav Divas : देश में आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति एवं विरासत, धरोहर और उनके द्वारा दिए गए राष्ट्र निर्माण में योगदान को याद करने के लिए पिछले साल 2021 में केंद्र सरकार ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती को देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में नामित किया था। पिछले साल देशभर में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया, अब इसी सिलसिले को जारी रखते हुए केंद्र सरकार हर साल जनजातीय गौरव दिवस मनाता है। इस साल देश में दूसरी बार जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को मनाया जाएगा। झारखंड के मुंडा जनजाति से ताल्लुक रखने वाले भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था। 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान आदिवासी बेल्ट के बंगाल प्रेसिडेंसी (वर्तमान में झारखंड) में आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था। इनकी जयंती के अवसर पर बिरसा मुंडा जयंती मनाई जाती है, जिसे पिछले साल सरकार ने बिरसा मुंडा नाम को बदलकर जनजातीय गौरव दिवस रखा था। पूरे झारखंड में धरती आबा के नाम से जाने जाने वाले बिरसा मुंडा के जन्मदिन के अवसर पर झारखंड की स्थापना दिवस भी मनाया जाता है। झारखंड साल 2000 में बिहार से अलग होकर एक नया राज्य बना था।शिक्षा मंत्रालय में मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस
देशभर में शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत सभी स्कूलों के साथ-साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा। इस समारोह के दौरान बिरसा मुंडा एवं उनके जैसे और अन्य वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर, उनके योगदान पर प्रकाश डाला जाएगा। शिक्षा मंत्रालय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उल्लेख करने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालय, अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थान, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और केंद्रीय विद्यालय के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय पूरे देश भर के शैक्षणिक संस्थान में जनजातीय गौरव दिवस मनाएंगे। आदिवासी सेनानी जो देश के लिए जान की बाजी लगा दी, आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम में सबसे पहले भगवान बिरसा मुंडा का नाम आता है। बिरसा मुंडा के अलावा और भी ऐसे गुमनाम आदिवासी स्वतंत्रता नायक हुए हैं जिन्होंने भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दी है आइए जानते हैं इनके बारे में-
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के बारे में
शहीद वीर नारायण सिंह
शहीद वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ में सोनाखान के गौरव माने जाते हैं, कहा जाता है कि उन्होंने साल 1856 के अकाल बाद व्यापारियों के अनाज के स्टॉक को लूट लिया और गरीबों में बांटा था। नारायण सिंह के बलिदान ने उन्हें आदिवासी नेता बनाया और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ राज्य के पहले शहीद बने।
श्री अल्लूरी सीताराम राजू
आंध्र प्रदेश में भीमावरम के पास मोगल्लु नामक छोटे से गांव में श्री अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को हुआ था, इन्होंने आदिवासी के अधिकारों के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ी, अल्लूरी को अंग्रेजो के खिलाफ रंपा विद्रोह के नेतृत्व के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। इन्होंने विशाखापत्तनम और पूर्वी गोदावरी जिलों के आदिवासी लोगों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए संगठित किया था। अल्लूरी सीताराम राजू को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा बंगाल के क्रांतिकारियों से मिली थी।
रानी गोंडिल्यू
रानी गोंडिल्यू नगा समुदाय की आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेता थी। इन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया है। 13 साल की उम्र में यह अपने चचेरे भाई हाइपौ जादोनांग के हेराका धार्मिक आंदोलन में शामिल हुई थी। उनके नगा लिए लोगों की स्वतंत्रता की यात्रा स्वतंत्रता के लिए व्यापक आंदोलन का हिस्सा थी। मणिपुर क्षेत्र में महात्मा गांधी के संदेशों का प्रचार-प्रसार भी इन्होंने किया है।
सिद्धू और कान्हू मुर्मू
1857 के विद्रोह से 2 साल पहले संथाल भाइयों सिद्धू कान्हू मुर्मू ने 10,000 संथालों को इकट्ठा कर अंग्रेज के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की थी। आदिवासियों ने अंग्रेजों को अपनी मातृभूमि से भगाने के लिए शपथ ली। मुर्मू भाइयों की बहनों फूलों और झानो ने भी इस विद्रोह में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, झारखंड राज्य में स्वतंत्रता इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है।
Biography Of Birsa Munda, बिरसा मुंडा के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से
Biography Of Birsa Munda : भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाने वाले बिरसा मुंडा, मुंडा जाति से संबंधित हैं। इन्होंने अंग्रेज शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी एवं मुंडा आदिवासियों के हित की रक्षा की थी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में बिरसा मुंडा का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज के इस लेख में हम आपको बिरसा मुंडा के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में बताएंगे,
बिरसा मुंडा के प्रारंभिक जीवन के बारे में
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 में रांची के झारखंड में हुआ था। बिरसा मुंडा एक आदिवासी नेता एवं लोक नायक के रूप में जाने जाते थे। मुंडा जाति से संबंध रखने के कारण उन्हें बिरसा मुंडा कहा जाता था।
बिरसा मुंडा के शिक्षा के बारे में
बिरसा के पिता सुगना मुंडा धर्म प्रचारकों के सहयोगी थे, जिसके कारण से वे भी धीरे-धीरे धर्म प्रचारक के रूप में सामने उभर कर आए, बिरसा मुंडा ने अपने शुरुआती पढ़ाई जर्मन मिशन स्कूल चाईबासा से कि, यहां पर स्कूलों में धर्म का मजाक उड़ाने के कारण से इन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।
बिरसा मुंडा के योगदान के बारे में
बरसा मुंडा के द्वारा अनुयायियों को संगठित कर उन्हें दो दल बनाए थे जिसमें से एक दल उनके धर्म के प्रचार के लिए था और दूसरा राजनीतिक कार्य करने के लिए अपॉइंट किया गया था। किसानों के शोषण को रोकने के लिए जमींदारों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी, भीड़ इकट्ठा होने के कारण बिरसा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन गांव वालों ने उन्हें वापस छुड़वा लिया था जिसके बाद उनको दोबारा गिरफ्तार किया गया और हजारीबाग के जेल में बंद किया गया जहां वे एक करीब 2 साल तक कैद रहे। आनंद पांडे से मिलने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म और महाभारत के कई पात्रों के बारे में शिक्षा ली। 1985 में कुछ ऐसी अनोखी घटना हुई थी जिसके कारण इन्हें भगवान का अवतार माना गया। लोगों का इन पर इतना विश्वास हो गया था कि बिरसा के स्पर्श से ही शरीर के सभी रोग दूर होने लगे थे जिसके कारण से उन्हें भगवान बिरसा कहा जाने लगा।
बिरसा मुंडा के निधन के बारे में
24 दिसंबर 1899 में शुरू हुए आंदोलनों से तीर के माध्यम से पुलिस थाने पर हमला किया था और वहां आग लगा दी थी। सेना के साथ उनकी सीधी मुठभेड़ हुई थी, जिसके कारण से गोली लगने पर बिरसा मुंडा के बहुत से साथ ही मारे गए और मुंडा जाति के दो व्यक्तियों ने धन के लालच में आकर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करवा दिया था। जहां 9 जून1900 में बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई, कुछ लोगों का मानना है कि बिरसा मुंडा को जहर दिया गया था लेकिन कुछ लोग का कहना है कि उनकी मौत हैजा के चलते हुई थी।
16-11-2022
Artemis-1 Moon Mission Launch, जाने नासा आर्टेमिस मून मिशन के लॉन्च के बारे में विस्तार से
Artemis-1 Moon Mission Launch : लगभग डेढ़ महीने बाद नासा अपने मून मिशन आर्टेमिस - 1 को एक बार फिर से लांच करने के लिए तैयारी कर रहा है। यह लॉन्चिंग 16 नवंबर सुबह 11:34 से दोपहर 1:34 के बीच फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से होने जा रही है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की यह तीसरी कोशिश है, इससे पहले 29 अगस्त और 3 सितंबर को भी रॉकेट लॉन्च करने का प्रयास नासा द्वारा किया गया था, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते यह लॉन्च सपल नहीं हो पाया था। 14 नवंबर रविवार को हुए प्रेस ब्रीफिंग में आर्टेमिस मिशन मैनेजर माइक सैराफिन ने यह कहा है कि फ्लोराइड में आए निकोल तूफान ने स्पेसक्राफ्ट के एक पार्ट को ढीला कर दिया है। जिसके चलते लिफ्ट आफ के दौरान दिक्कत हो सकती है, इसलिए टीम ने इस समस्या को रिव्यू कर लिया है, यदि किसी कारण से 16 नवंबर को रॉकेट लॉन्च नहीं होता है तो यह 19 या फिर 25 नवंबर को लांच होगी।
नासा आर्टेमिस मून मिशन के बारे में
अमेरिका 53 साल बाद मून मिशन के माध्यम से इंसान को चांद में एक बार फिर भेजने के लिए तैयारी कर रहा है। मिशन आर्टेमिस ने इस दिशा में पहला कदम उठाया है। मिशन के लिए एक टेस्ट फ्लाइट है जिसमें किसी एस्ट्रोनॉट को नहीं भेजा जाएगा इस टेस्ट के साथ वैज्ञानिकों को यह जानना है कि क्या अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चंद्रमा के आसपास सही हालत है या नहीं, इसके अलावा एस्ट्रोनॉट्स चांद पर जाने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट सकते हैं या नहीं। नासा का स्पेस लॉन्च सिस्टम मेगा राकेट और ओरियन ग्रुप कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचेंगे ।आमतौर पर कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं लेकिन इस बार यह खाली जाएगा। यह मिशन 42 दिन 3 घंटे और 20 मिनट का है, जिसके बाद यह धरती पर वापस आ जाएगा। स्पेसक्राफ्ट कुल 20,92,147 किलोमीटर का सफर तय करने वाला है।
कई बार असफल हो चुका है आर्टेमिस-1 मिशन
कुछ दिन पहले ही नासा ने अगस्त और सितंबर के महीने में इस मिशन को लांच करने की कोशिश की थी, लेकिन नासा इस मिशन में विफल रही जिसके बाद नासा ने मिशन को रोककर इसे वापस व्हीकल असेंबली बिल्डिंग में भेजने का फैसला किया था।
आर्टेमिस मिशन के बारे में विस्तार से
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के प्रोफेसर और वैज्ञानिक जैक बर्न्स ने बताया है कि आर्टेमिस-1 का राकेट एक हेवी लिफ्ट है और इसमें अब तक के रॉकेट्स के मुकाबले ज्यादा पावरफुल इंजन लगाए गए हैं। यह चंद्रमा के ऑर्बिट तक जाएगा कुछ छोटे सेटेलाइट छोड़ेगा और फिर खुद ऑर्बिट में सिफ्ट हो जाएगा। आपको बता दें कि साल 2024 के आसपास आर्टेमिस-2 को लॉन्च करने की तैयारी चल रही है, जिसमें कुछ एस्ट्रोनॉट्स भी जाएंगे लेकिन वह चांद पर कदम नहीं रहेंगे, वे केवल चांद के ऑर्बिट में घूम कर वापस आएंगे। इस मिशन की अवधि ज्यादा होगी फिलहाल एस्ट्रोनॉट्स जो इसमें जाएंगे उनकी कंफर्म लिस्ट अभी सामने नहीं आई है जिसके बाद फाइनल मिशन में आर्टेमिस-3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे यह मिशन 2025-26 में लांच हो सकती है। पहली बार महिलाएं भी ह्यूमन मून मिशन का हिस्सा बन सकती हैं, इस बात की अभी पुष्टी नहीं हुई है, बर्न्स के मुताबिक पर्सन ऑफ कलर भी क्रू मेंबर होंगे। इसके अलावा आर्टेमिस-3 चांद के साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ के ऊपर भी रिसर्च करेंगे।
आर्टेमिस की लागत क्या है
नासा आफिस ऑफ द इंस्पेक्टर जनरल की एक ऑडिट के मुताबिक साल 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्ट पर 93 बिलियन डॉलर यानी 7434 अरब रुपए खर्च आएगा। वहीं हर फ्लाइट 4.1 billion-dollar यानी 327 अरब रुपए की होगी। इस प्रोजेक्ट पर अब तक 37 बिलीयन डॉलर मतलब ₹2949 खर्च किए जा चुके हैं।
नासा की मीडिया प्लेटफॉर्म पर होगा स्ट्रीम
आर्टेमिस मिशन लॉन्च को नासा के मीडियम प्लेटफार्म नासा टेलीविजन पर एजेंसी की वेबसाइट और नासा ऐप और इसके सोशल मीडिया हैंडल टि्वटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंकडइन पर भी लाइव स्ट्रीम किया गया है।
India will chair the G20, इंडोनेशिया ने भारत को सौंपी G-20 की अध्यक्षता
India will chair the G20 : इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता अब भारत को दी गई है। शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन बुधवार 16 नवंबर को इंडोनेशिया ने जी-20 की अध्यक्षता अब भारत को सौंप दी है, जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया है और कहा है कि दुनिया को जी-20 से बहुत उम्मीद है और वैश्विक विकास में महिलाओं की भागीदारी के बिना इसका सफल होना संभव नहीं है।
बाली के इंडोनेशिया में 1 दिसंबर से भारत करेगा जी-20 की अध्यक्षता
जी-20 की अध्यक्षता को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा है कि भारत G20 का जिम्मा इस समय पर ले रहा है जब विश्व जियो-पोलिटिकल तनाव, आर्थिक मंदी एवं ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमत और महामारी के दुष्प्रभाव इन सभी समस्याओं से एक साथ जूझ है, ऐसे में विश्व जी-20 के तरफ आशा की नजर से देख रहा है। भारत अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान इंडोनेशिया के सराहनीय इनिशिएटिव को आगे बढ़ाने का भरपूर प्रयास करेगा। भारत के लिए यह बहुत अच्छा अवसर है और भारत जी-20 की अध्यक्षता का दायित्व बाली में ग्रहण कर रहा है। भारत और बाली का बहुत ही प्राचीन और अटूट रिश्ता है आज के समय में इस बात की आवश्यकता है कि विकास के लाभ स्पर्शी और समावेशी हो, हमें विकास की लाभों को मनभाव और समभाव से मानव मात्र तक पहुंचाना होगा।
जी-20 में महिलाओं की भागीदारी
वैश्विक विकास और जी-20 की सफलता बिना महिलाओं की भागीदारी के संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा है कि मैं आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत की जीत व अध्यक्षता, समावेशी, महत्वकांक्षी, निर्णायक होगी। भारत का प्रयास रहेगा कि जी-20 नए विचारों की परिकल्पना और सामूहिक एक्शन को स्पीड देने के लिए ग्लोबल प्राइम मूवर की तरह काम करेगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमें अपने G20 एजेंडा में महिलाओं के नेतृत्व और भागीदारी के विकास को प्राथमिकता देनी होगी।
इन आवर लाइफटाइम अभियान क्या है जाने विस्तार से
In Our Lifetime Campaign : राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (NMNH) पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यूएनडीपी के अंतर्गत संयुक्त रूप से इन आवर लाइफ टाइम अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 18 से 23 साल की आयु के बीच के युवाओं को स्थाई लाइफस्टाइल के संदेशवाहक बनाने के लिए किया गया है। अभियान से दुनिया भर के युवाओं के विचारों के लिए एक वैश्विक आवाहन देता है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन जीने के लिए भावुक हैं। युवाओं को अपने जलवायु कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो उनकी क्षमता के अंदर पर्यावरण के लिए लाइफ स्टाइल में योगदान करते हैं, जो टिकाऊ और स्केलेबल है और अच्छी प्रथाओं के रूप में काम करते हैं, जिन्हें विश्व स्तर पर शेयर किया जा सकता है।
इस अभियान के बारे में क्या कहा गया है
केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह कहा है कि प्रमुख सिद्धांतों में से एक आज के युवा हैं, युवा पीढ़ी के बीच जीवन की समझ डेवलप करना, जिम्मेदार खपत पैटर्न को बढ़ावा देना और आने वाली पीढ़ियों की लाइफस्टाइल को प्रभावित करने के लिए उन्हें प्रोप्लेनेट पीपल बनाने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण है। उपेंद्र यादव ने इस अभियान को लेकर आगे यह कहा है कि भारत के कई क्षेत्रों में ऐसे कई उदाहरण हैं जो हमारे युवाओं ने पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाने की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है, जहां उनकी दैनिक जीवन शैली लाइफ़स्टाइल पर्यावरण का सम्मान संरक्षण और पोषण करती है।
इस अभियान की भविष्य दृष्टि
हमारे लाइफटाइम अभियान में युवाओं को स्थाई लाइफस्टाइल प्रथाओं के राजदूत और जैव विविधता संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में नेतृत्व करने वाले नेताओं के रूप में डिवेलप होने के लिए प्रोत्साहित करने का यह बेहतरीन तरीका है। अभियान जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और सुमन के बारे में है जो अधिक युवाओं को शमन के बारे में है बातचीत में अधिक युवाओं को शामिल करेगा और उन्हें दुनिया के नेताओं के साथ अपनी चिंताओं, मुद्दों और समाधान को शेयर करने के लिए एक स्टेज पर प्रोवाइड करेगा। यह उन युवाओं की आवाज को बुलंद करेगा जो तेजी से जलवायु के प्रति जागरूक हैं और युवा जलवायु चैंपियन प्रधान को पहचान प्रदान करेगा .
COPD Day, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज डे कब और क्यों मनाया जाता है
Chronic Obstructive Pulmonary Disease Day : क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी एक ऐसी समस्या है जो फेफड़े से आने वाली सांस यानी एयरफ्लो में रुकावट पैदा करती है। बढ़ते एयर पॉल्यूशन और स्मोकिंग के चलते कई प्रकार की सांस संबंधी समस्याएं से लोग परेशान हैं, इनमें से एक है क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी सीओपीडी, इससे फेफड़ों की प्रोग्रेसिव डिजीज के रूप में भी जाना जाता है। यह बीमारी समय के साथ बढ़ती है। सीओपीडी से इनफेक्टेड लोगों को हार्ट प्रॉब्लम और रेड कैंसर की समस्या भी भविष्य में हो सकती है, हालांकि अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज किया जाए तो पीड़ित मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। सीओपीडी से संबंधित जानकारी देने, उपचार के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने के लिए हर साल नवंबर महीने के तीसरे बुधवार को वर्ल्ड क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी दिवस मनाया जाता है। इस साल यह दिन 17 नवंबर यानी बुधवार को मनाया जाएगा।
क्या है सीओपीडी का अर्थ है
क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से एयर फ्लो में रुकावट लाता है जिससे फेफड़ों में सांस लेने की दिक्कत पैदा होती है और इस स्थिति को सीओपीडी के नाम से जाना जाता है। सीओपीडी के दौरान फेफड़े के एयरवेज सिकुड़ जाते हैं जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत या दूसरी एक्टिविटी करने में परेशानी होती है।
सीओपीडी दिवस मनाने का इतिहास
सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार के दिन मनाया जाता है। सीओपीडी दिन का आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीज के द्वारा विश्व स्तर में स्वास्थ्य कर्मचारियों एवं सीओपीडी रोगियों के सहयोग से साल 2002 में आयोजित किया गया था। यह फेफड़े से संबंधित एक बीमारी है जिसकी रोकथाम के लिए पूरे विश्व स्तर पर इस दिन को मनाया जाता है।
सीओपीडी दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है
सीओपीडी एक गंभीर बीमारी है जो धीरे-धीरे फेफड़े को डैमेज करने का काम करती है। व्यक्ति अधिक धूम्रपान करता है या धूल धुएं के संपर्क में अधिक रहता है तो उसे यह समस्या हो सकती है। एयर पॉल्युशन और धूल धुएं के कारण सांस लेने में तकलीफ, अधिक खांसी और फेफड़े में सूजन की दिक्कत आती है। वर्ल्ड सीओपीडी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि लोगों को सांस से संबंधित सभी समस्याओं के विषय में संपूर्ण जानकारी प्रोवाइड की जाए ताकि लोग समय रहते हैं इस बीमारी का इलाज कर सकें साथ ही लोगों को प्रदूषण से होने वाले रोगों और प्रदूषण के रोकथाम के प्रति भी जागरूक करना है।
सीओपीडी डे साल 2022 की थीम क्या है
वर्ल्ड सीओपीडी हर साल एक थीम के साथ मनाई जाती है। इस साल 2022 में इस दिन के लिए यह थीम तय की गई है आपके फेफड़े जीवन के लिए इस थीम के साथ साल 2022 में वर्ल्ड क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज डे मनाया जाएगा।
International Student Day,अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, जाने विस्तार से
International Student Day : हर साल 17 नवंबर को विश्व स्तर में दुनिया भर की कई यूनिवर्सिटी सांस्कृतिक बहुलता और विविधता के प्रदर्शन के लिए अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर बहुत सी यूनिवर्सिटी छात्रों के लिए इस दिन खास गतिविधियों का आयोजन करती है, यूनिवर्सिटी के अलावा अन्य छात्र संगठन भी छात्र दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी छात्र दिवस के विषय में संदेश फैलाते हैं आइए जानते हैं छात्र दिवस से जुड़े इस इतिहास के बारे में
छात्र दिवस का इतिहास
हर साल 17 नवंबर को दुनिया भर में मनाए जाने वाला छात्र दिवस का इतिहास 28 अक्टूबर 1939 की घटना से जुड़ा हुआ है। यह घटना चोकोस्लोवाकिया के एक हिस्से पर नाजियों द्वारा कब्जा कर लिया गया था, उसी चोकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में वहां के छात्रों एवं शिक्षकों ने एक प्रदर्शन का आयोजन किया था। प्रदर्शन देश के स्थापना के वर्षगांठ के अवसर पर था। नाजियों ने प्रदर्शन कर रहे छात्र एवं अध्यापकों पर गोलियां चलाई जिससे एक गोली मेडिकल के एक छात्र के ऊपर लगी और वह छात्र वहीं मारा गया। छात्र के अंतिम संस्कार के समय भी प्रदर्शन किया गया, नतीजे में सभी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद 17 नवंबर 1939 को नाजी सैनिक छात्र के हॉस्टल में घुसकर वहां के 1200 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया और उनमें से 9 को यातना शिविर में भेजा गया, जिन्हें बाद में फांसी दी गई नाजी सैनिकों ने इस घटना के बाद चोकोस्लोवाकिया में सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी को बंद करवा दिया। उन छात्रों के साहस की घटना अविस्मरणीय थी।
लंदन में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जो घोषणा वाक्य के
छात्रों के घटना के 2 साल बाद यानी साल 1941 में लंदन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया इस सम्मेलन में फासीवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले छात्रों के लिए सम्मेलन आयोजन किया गया, वहां यह फैसला लिया गया कि नाजियों द्वारा शहीद किए गए छात्रों की याद में हर साल 17 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिवस छात्र दिवस मनाया जाएगा।
Vikram S Private Rocket, विक्रम एस भारत के पहला प्राइवेट रॉकेट के बारे में जाने विस्तार से
Vikram S Private Rocket : विक्रम एस भारत के प्राइवेट सेक्टर का बनाया गया पहला रॉकेट विक्रम एस अब लांच होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस रॉकेट की लॉन्चिंग टाइम 18 नवंबर को सुबह 11:30 बजे आंध्रप्रदेश श्रीहरिकोटा से किया जाएगा। इस प्राइवेट रॉकेट को हैदराबाद के कंपनी स्काई रूट एयरोस्पेस द्वारा बनाई गई है, जिसमें 3 कंज्यूमर पेलोड होंगे। इस रॉकेट मिशन का नाम मिशन प्रारंभ रखा गया है। इसरो ने इस मिशन को लॉन्च करने के लिए स्काई रूट एयरोस्पेस को 12 नवंबर से 16 नवंबर तक का विंडो दिया था लेकिन खराब मौसम के चलते इसे 18 नवंबर को लांच किया जाएगा। यह पहली बार होगा कि इसरो किसी प्राइवेट कंपनी का मिशन अपने लॉन्चिंग पैड से करवाएगा।
रॉकेट लॉन्च करने वाली पहली प्राइवेट स्पेस कंपनी स्काई रूट के बारे में
इस मिशन के साथ ही आंध्र प्रदेश हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने वाली पहली प्राइवेट स्पेस कंपनी बनेगी, इसे ऐतिहासिक इसलिए भी कहा जा सकता है कि इस मिशन के साथ ही प्राइवेट स्पेस सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिलने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइवेट सेक्टर को भी मिशन लॉन्चिंग के लिए मोटिवेट कर रहे हैं। साल 2020 में प्राइवेट सेक्टर के दरवाजे इस क्षेत्र के लिए खोले गए थे।
विक्रम एस के बारे में
विक्रम एस सिंगल स्टेज रॉकेट है, जो सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है, यह अपने साथ 3 पेलोड लेकर श्रीहरिकोटा से उड़ान भरेगा। यह स्काईरूट के विक्रम सिरीज़ के रॉकेट्स का हिस्सा है। स्काईरूट एयरोस्पेस एक प्राइवेट कंपनी है जिसमें इस रॉकेट का नाम विक्रम रखा है जो कि अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह कंपनी कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए अत्याधुनिक प्रक्षेपण यान का निर्माण करती है।
इस मिशन की खासियत क्या है
विक्रम एस रॉकेट अमेरिका इंडोनेशिया और भारत के छात्रों की 2.5 किलो वजन की सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरेगा। स्पेस चेन्नई की लाइट की 12वीं कक्षा के छात्रों ने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ मिलकर इसे तैयार किया है करीब 8 से 9 महीने में डिवेलप किया गया है जिसका नाम रखा गया है तीनों में से एक फॉरेन सेटेलाइट है।
Antriksh Jigyasa, अंतरिक्ष जिज्ञासा क्या है जाने विस्तार से
Antriksh Jigyasa : स्पेस साइंस में करियर बनाने वाले एवं इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाले छात्रों के लिए इसरो ने एक नया और खास कदम उठाया गया है जिसके तहत अब बच्चों को अंतरिक्ष से जुड़ी अपनी जिज्ञासाओं और जानकारी के लिए ऑनलाइन कोर्स करने का अवसर मिलेगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन इसरो ने एक्टिव पार्टिसिपेशन और सक्रिय रूप से सीखने और अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम- STEM) के लिए एक नॉलेज पोर्टल अंतरिक्ष जिज्ञासा (knowledge portal Antriksh Jigyasa) को लॉन्च किया है। इसरो ISRO का यह अंतरिक्ष जिज्ञासा वर्चुअल प्लेटफार्म अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी और एप्लीकेशन के माध्यम से छात्रों की सेल्फ लर्निंग स्पीड के आधार पर ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध करवाता है।
अंतरिक्ष जिज्ञासा के बारे में
छात्र इन सभी कोर्सज़ के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, इसके पहले अपने पर्सनल डिटेल के साथ पंजीकरण करवाना होगा और फिर लॉगिन कर एप्लीकेशन को पूरा कर सकते हैं। जो भी छात्र या उम्मीदवार स्पेस साइंस के क्षेत्र में इच्छा रखते हैं या अपनी नॉलेज बढ़ाना चाहते हैं, वे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक इस प्रोग्राम में कुल 7 ऑनलाइन कोर्सेज हैं, जिन्हें चार नॉलेज पार्टनर्स के साथ मिलकर बनाया गया है, जिसमें कुल 42 वीडियो सेशन और 113 नॉलेज रिपोसिट्री ऑफर किया जाएगा। अभी तक इस प्रोग्राम के लिए 416 उम्मीदवार छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कर लिया है।
18-11-2022
Important Facts Related To Indira Gandhi, इंदिरा गांधी से जुड़े महत्वपूर्ण फैक्ट, जानें विस्तार से
Important Facts Related To Indira Gandhi : भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है, इनका जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थी और महिला होते हुए भी उस दौर में इनसे बड़े से बड़े राजनैतिक नेता टक्कर लेने से पहले 100 बार सोचते थे। इंदिरा गांधी अपने कार्यकाल के दौरान देश में कई बड़े राजनीतिक बदलाव लाए हैं, जिनकी चर्चा आज भी राजनीतिक इतिहास में की जाती है। आइए इनके जन्म दिवस के इस खास अवसर पर इंदिरा गांधी से जुड़े 10 फैक्ट के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं .
इंदिरा गांधी से जुड़े 10 फैक्ट
1.इंदिरा गांधी सबसे पहले राजनीतिक में अपना कदम लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल के दौरान साल 1964 से 1966 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद संभालते हुए किया था।
2. भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मृत्यु के बाद नियुक्त किया गया था। फिर लालबहादुर शास्त्री के बाद इंदिरा गांधी को भारत की पहली और देश की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनाया गया।
3. इंदिरा गांधी ने साल 1942 में फिरोज गांधी के साथ विवाह किया था। फिरोज गांदी और इंदिरा गांधी के दो बेटे थे, उनका नाम राजीव गांधी एवं संजय गांधी था।
4. इंदिरा गांधी फिरोज गांधी को इलाहाबाद के दिनों से ही जानती थी, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान इंदिरा गांधी की मुलाकात फिरोज गांधी से होती रहती थी फिर उस दौरान लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई कर रहे थे।
5. इंदिरागांधी और फिरोज गांधी जैसे ही अपनी शिक्षा पूरी कि वे वापस भारत आए और दोनों ने शादी कर ली।
6. इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की शादी 16 मार्च 1942 को आनंद भवन इलाहाबाद में हुई थी।
7. इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान भारत के संविधान के मूल स्वरूप का संशोधन जितना हुआ है था उतना किसी प्रधानमंत्री के कार्यकाल और शासनकाल के दौरान नहीं हुआ है।
8. जब फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी लंदन में रहा करते थे तब उन्हें भारतीय भोजन खाने की इच्छा होती थी तब उनके लिए नारायण हक्सर भोजन बनाया करते थे।
9.आपको बता दें कि राजनीति के शुरुआती दिनों में इंदिरा गांधी को सार्वजनिक मंच में बोलने पर नर्वसनेस और हिचकिचाहट महसूस होती थी।
10.इस बात की पुष्टी जीवन भर इंदिरा गांधी के डॉक्टर रहे डॉक्टर माथुर ने बताया है कि 1969 में जब उनको बजट पेश करना था तब वह इतना डरी हुई थी कि उनकी आवाज ही निकल नहीं रही थी और घबराहट के मारे वह कुछ बोल नहीं पाई ऐसे में विपक्ष नेता ने उन्हें गूंगी गुड़िया कहा था।
11. मिंक कोर्ट और रेशम की साड़ी वाले अपने लुक में इंदिरा गांधी ने पूर्व एवं पश्चिम के व्यक्तिगत पसंद को मिला कर रखा था, एक तरफ जहां वह वोग मैगजीन छपी अच्छी फोटो की तारीफ करती थी, वहीं दूसरी तरफ तड़कीले - भड़कीले फोटो को ना पसंद किया करती थी।
12. इंदिरा गांधी को खत लिखना बहुत पसंद था गिफ्ट के साथ एक नोट या फिर लंबी चिट्टियां लिखने का उन्हें बड़ा शौक था ।
World Toilet Day, वर्ल्ड टॉयलेट डे का इतिहास और महत्व क्या है
World Toilet Day : बड़े शहरों, महानगरों एवं कस्बों में रहने वाले लोग बिना स्थाई और परमानेंट टॉयलेट के अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं, लेकिन इन सबके अलावा एक सच्चाई यह भी है कि आज भी दुनिया भर के 3.6 बिलियन लोग टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि उनके पास टॉयलेट नहीं है। क्या आपको पता है कि स्वच्छता के साथ किए जाने वाले ये समझौते हमारे भोजन एवं जल को किस प्रकार दूषित करके समाज के बड़े हिस्से को गंभीर बीमारियों का वजह देते हैं, इन बीमारियों के चलते लाखों लोगों की जान जाती है। हमारे जीवन में शौचालय और स्वच्छता के महत्व के विषय में जागरूक करने के लिए हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है, जिससे इंग्लिश में वर्ल्ड टॉयलेट डे कहा जाता है।
वर्ल्ड टॉयलेट डे का इतिहास क्या है
साल 2001 में एक एनजीओ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना करने वाले सिंगापुर के एक निश्चित पहल के अंतर्गत शौचालय दिवस मनाने की शुरुआत की थी, वर्ल्ड टॉयलेट डे की दिवस की स्थापना का विचार यह था कि लोगों के बीच स्वच्छता एवं इसके महत्व के विषय में जागरूक करने और इसके प्रयोग के महत्व को बढ़ाने के लिए इस पहल सस्टेनेबल सैनिटेशन अलायंस ने अपना समर्थन दिया था। साल 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने जल एवं स्वच्छता के मानव अधिकार को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी थी, इसके बाद 24 जुलाई 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सत्र में एक प्रस्ताव पास किया था जिसके द्वारा 19 नवंबर को हर साल विश्व शौचालय दिवस के रूप में मान्यता दी थी, जिसके साथ ही इसमें सभी को बुनियादी स्वच्छता प्रोवाइड करने में कई संतोषजनक प्रगति को स्वीकार करते हुए यह माना गया था कि किसी तरह इस कमी ने लोगों की स्वास्थ्य एवं आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव को हाइलाइट किया था। अंतरराष्ट्रीय संगठन ने अपने सदस्य देशों से खुले में शौच को समाप्त करने के लिए स्वच्छता के महत्व को बढ़ावा देने और लोगों को सीवेज ट्रीटमेंट के लिए आग्रह किया था।
विश्व शौचालय दिवस का महत्व क्या है
विश्व शौचालय दिवस को मनाने का उद्देश्य स्वच्छता की आदतों के विषय में जन जागरूकता बढ़ाना और जो महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को बढ़ावा देता है। इस दिन का उपयोग लोगों को खुले में शौच करने से रोकने के लिए किया जाता है। यह अस्वच्छता, लोगों के स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए खतरा है साथ ही महिलाओं एवं लड़कियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनाता है ।
International Men's Day, इंटरनेशनल पुरुष दिवस का इतिहास और महत्व क्या है
International Men's Day : महिला दिवस की तरह समाज एवं परिवार में पुरुषों की अहमियत और योगदान को मनाने के लिए हर साल 19 नवंबर को विश्व पुरुष दिवस या इंटरनेशनल मेंस डे मनाया जाता है। विश्व पुरुष दिवस वह दिन में है जब पुरुषों की भलाई, स्वास्थ्य एवं उनके योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए। विश्व पुरुष दिवस 6 स्तंभों पर आधारित है, जो समाज में पुरुषों की सकारात्मक छवि को रिप्रेजेंट करता है। यह दिन समाज, समुदाय, परिवार, विवाह बच्चों की देखभाल एवं पर्यावरण में पुरुषों के द्वारा दिए गए योगदान को सेलिब्रेट करने के ऊपर केंद्रित है। इस दिन समाज में पुरुषों के साथ हुए जाने वाले भेदभाव पर भी प्रकाश डाला जाता है। विश्व पुरुष दिवस लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है, आइए जानते हैं कि यह दिन कब से मनाया जा रहा है और इसका उद्देश्य क्या है।
इंटरनेशनल पुरुष दिवस का इतिहास
इंटरनेशनल मेंस डे विश्व में पहली बार 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो में वेस्टइंडीज यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री के प्रोफेसर डॉक्टर जेरोम टीलक सिंह ने अपने पिता के जन्मदिन को सेलिब्रेट करने के लिए मनाया था। इस दिन को उन्होंने पुरुषों के विषय को उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। भारत में 19 नवंबर साल 2007 को पहली बार इंटरनेशनल पुरुष दिवस मनाया गया था।
इंटरनेशनल मेंस डे का महत्व क्या है
इंटरनेशनल मेंस डे मनाने का मुख्य उद्देश्य पुरुषों की भलाई एवं स्वास्थ्य, उनके संघर्ष और स्थिति, उनके साथ हुए भेदभाव के विषय में बात की जाती है और समाज में बेहतर जेंडर रिलेशन बनाने के लिए वादा किया जाता है। पुरुषों की समाज एवं परिवार में अलग अलग पहचान है और उनके योगदान की सराहना महत्वपूर्ण है इसलिए हर साल 19 नवंबर को विश्व पुरुष दिवस मनाया जाता है।
World Children's Day, विश्व बाल दिवस कब और क्यों मनाया जाता है
world children's dayभारत में हर साल राष्ट्रीय स्तर पर 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है लेकिन दुनिया भर में यह बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। भारत के हो या विश्व के किसी और अन्य देश के बच्चे समाज के भविष्य होते हैं। बच्चों की बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के लिए हर साल विश्व स्तर पर विश्व बाल दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा की है और कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करता है। यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल इमरजेंसी में बच्चों के विकास एवं कल्याण की दिशा में बहुत कार्य की है और लगातार कार्यरत एवं प्रयासरत है। जिसमें बड़े से बड़े सेलिब्रिटी भी योगदान देते हैं, ताकि बच्चों का जीवन संवर सके आइए जानते हैं बाल दिवस के इतिहास एवं महत्व के बारे में-
बाल दिवस का इतिहास
हर साल 20 नवंबर को विश्व स्तर पर बाल दिवस मनाया जाता है। भारत में यह दिन 14 नवंबर को मनाया जाता है, लेकिन विश्व स्तर पर सभी देशों के लिए 20 नवंबर के तारीख को बाल दिवस के लिए घोषित किया गया है।
बाल दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई थी
विश्व बाल दिवस मनाने की शुरुआत साल 1954 से हुई है, पहली बार सर्वभोमिक बाल दिवस 20 नवंबर 1954 को मनाया गया था। जिसके बाद से 20 नवंबर के तारीख को बाल दिवस के लिए निर्धारित किया गया और हर साल इसे सर्वभोमिक बाल दिवस के रूप में मनाया गया।
विश्व बाल दिवस 20 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है
साल 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों (CHILD RIGHT) को अपनाया था। 20 नवंबर को ही बच्चों के अधिकारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की वर्षगांठ होती है, इस दिन इसलिए इस दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व बाल दिवस की थीम क्या है
साल 2022 में विश्व बाल दिवस की थीम इंक्लूजन फॉर एवरी चिल्ड्रन (Inclusion For Every Children) रखा गया है। यूनिसेफ बाल अधिकार सप्ताह भी मना रहा है। भारत में विश्व बाल दिवस के अवसर पर देश के प्रतिष्ठित इमारत जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, राज्य विधानसभा भवन और ऐतिहासिक स्मारकों को विश्व बाल दिवस के रूप में GO BLUE LIGHT (ग्लो ब्लू रोशनी) के साथ ल्युमीनियस (प्रकाशमान) किया जाएगा।
20-11-2022
International Film Festival of India, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के बारे में जानें विस्तार से
International Film Festival of India : गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का 53 वें एडिशन में प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक के लिए कुल 15 फिल्म प्रतिस्पर्धा करने वाली है। आईएफएफआई साल 2022 में नवंबर महीने के 20 से 28 तारीख तक गोवा में आयोजित किया जाएगा। पहले गोल्डन पीकॉक से यह पुरस्कार एशिया में सबसे अधिक मांग वाले फिल्म पुरस्कार में से एक माने जाते हैं।
आईएफएफआई साल 2022 के ज्यूरी में कौन कौन शामिल हैं?
ज्यूरी में इजरायल के लेखक और फिल्म निर्देशक नदव लापिड, अमेरिका के फिल्म डायरेक्टर जिन्को गोटोह, फ्रांसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस, फ्रांसीसी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, फिल्म समीक्षक एवं पत्रकार जेवियर अंगुलो बाटुर्रेन एवं भारत के फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन अवार्ड शो के जूरी मेंबर में शामिल हैं। इस साल होने वाले प्रतिवर्ष प्रतियोगिता कैटेगरी में जो फिल्म को शामिल किया गया है उसमें पोलैंड की फिल्म निर्माता क्रिज्सटॉफ जा़नुसी की परफेक्ट नंबर, मेक्सिको के फिल्म डायरेक्टर कार्लोस आइचेलमैन कैसर की फिल्म रेड शूज, ईरानी ड्रामा नो एंड और हिंदी फिल्म कश्मीर फाइल को शामिल किया गया है।
भारतीय अभिनेत्री और अभिनेता भी होंगे सामिल
53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का शुभारंभ गोवा में किया जाएगा। यह उद्घाटन समारोह पणजी के निकट डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी इनडोर स्टेडियम में इस कार्यक्रम का आयोजन होगा। इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर एवं राज्यमंत्री एल मुर्गन शामिल होंगे। जिसमें मृणाल ठाकुर, वरुण धवन, कैथरीन टेरेसा, सारा अली खान, अमृता खानविलकर जैसे बड़े फिल्मी हस्तियां कार्यक्रम में शामिल होंगी।
सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार किसे दिया जा रहा है
समारोह में देशभर के फिल्म कलाकारों एवं देश विदेश के संगीत और नृत्य समूह अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति करेंगे आजादी के अमृत महोत्सव की भावना का एक झलक इस कार्यक्रम होगा। साथ ही आयोजित होने वाले उद्घाटन समारोह का थीम पिछले 100 सालों में भारतीय सीने में सिनेमा का विकास रखा गया है। भारतीय पैनोरमा कैटेगरी में 25 फीचर फिल्म और 20 गैर फीचर फिल्म दिखाई जाएगी। इंटरनेशनल संवर्ग में 183 फिल्में प्रेजेंट की जाएगी। उद्घाटन समारोह में स्पेन के फिल्म निर्देशक कार्लोस सौरा को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जाएगा। समारोह में पांच मुख्य देश होंगे और कंट्री फोकस पैकेज के अंतर्गत वहां के 8 फिल्म को दिखाया जाएगा। महोत्सव की शरुवात ऑस्ट्रेलियाई डायरेक्टर डाइटेर बर्नर की फिल्म अल्मा एंड ऑस्कर के साथ होगी।
World Television Day, विश्व टेलीविजन दिवस कब मनाया जाता है
World Television Day : टेलीविजन के रोजाना उपयोग और उसके मूल्य को उजागर करने के लिए हर साल 21 नवंबर को दुनिया भर में विश्व टेलीविजन दिवस मनाया जाता है। टेलीविजन जो संचार एवं वैश्वीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसके महत्व को रेखांकित करने के लिए ही हर साल वर्ल्ड टेलिविजन डे मनाया जाता है। टेलीविजन जनसंचार का एक ऐसा माध्यम है जिससे लोग मनोरंजन, शिक्षित खबर और राजनीति से जुड़ी गतिविधियों के बारे में सूचना प्राप्त करते हैं। यह शिक्षा एवं मनोरंजन दोनों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है। सूचना प्रदान करने के लिए समाज में टेलीविजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्ल्ड टेलिविजन डे के बारे में
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक टेलीविजन वीडियो उपभोग का सबसे बड़ा सोर्स है। वैश्विक निकाय में यह कहा गया है कि दुनिया भर में टीवी होने वाले घरों की संख्या 2017 में 1.63 मिलियन से बढ़कर 1.74 मिलियन हो जाएगी। विश्व टेलीविजन दिवस दृश्य मीडिया की शक्ति को बतलाता है और जनमत को आकार देने एवं विश्व राजनीति को प्रभावित करने में सहायता करता है। आइए जानते हैं विश्व टेलीविजन दिवस के बारे में विस्तार से
वर्ल्ड टेलिविजन डे का इतिहास क्या है
विश्व में पहली बार 21 नवंबर 1996 को विश्व टेलीविजन मंच हुआ था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे मनाने के लिए चिन्हित किया था। संचार एवं वैश्वीकरण में टेलीविजन नाटकों की भूमिका के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर इस दिन बैठक की जाती है।
लेखक, पत्रकार, ब्लॉगर और टेलीविजन माध्यम से जुड़े और अन्य लोग इस दिन को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आते हैं और इसे सेलिब्रेट करते हैं। टेलीविजन प्रसारण के उभरते एवं पारंपरिक रूप के बीच बातचीत समुदाय और ग्रह के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों के विषय में जागरूकता बढ़ाई जाने का एक महत्वपूर्ण और शानदार अवसर देती है। विश्व टेलीविजन दिवस सरकार, समाचार संगठन एवं व्यक्तियों की प्रतिबद्धता को चिन्हित करता है।
World Remembrance Day for Road Traffic Victims, सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस के बारे में जानें विस्तार से
World Remembrance Day for Road Traffic Victims, सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस हर साल नवंबर महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है साल 2022 में सड़क यातायात दिFवस यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस 21 नवंबर 2022 को मनाया जा रहा है। सड़क यातायात पीड़ितों के लिए यह दिन 1 थीम के साथ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य सड़क पर मरे लोगों एवं घायल और उनके परिवार दोस्त और अन्य प्रभावित लोगों को याद करना है। इस दिन की शुरुआत ब्रिटिश सड़क दुर्घटना पीड़ित चैरिटी रोड पीस ने 1993 में की थी। इसे 2005 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वार्षिक रूप से मनाने के लिए पारित किया था।
सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस के इतिहास के बारे में
साल 2022 में सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस की 29 वीं वर्षगांठ 21 नवंबर को मनाई जाएगी। यह साल 2005 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नवंबर के महीने में तीसरे रविवार को मनाने के लिए पारित किया गया था। w.h.o. एवं संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सहयोग सभी सड़क सुरक्षा धारकों को घायल, सड़क दुर्घटनाओं के लोगों के परिवारों को श्रद्धांजलि एवं समर्थन देने के लिए यह दिन मनाया जाता है। सड़क यातायात पीड़ितों एवं उनके परिवारों के लिए उपयुक्त व्यवस्था के लिए कार्य करता है।सड़क दुर्घटना एवं मृत्यु पर डब्ल्यूएचओ के डाटा के बारे में
डब्ल्यूएचओ हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोग सड़क दुर्घटना के चलते मारे जाते हैं और 20 से 50 मिलियन लोग गैर घातक चोटों के शिकार होते हैं, जिसमें से कई लोग विकलांग होते हैं। इससे देश को गंभीर आर्थिक नुकसान भी होता है, क्योंकि सड़क दुर्घटना में देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3 परसेंट खर्च किया जाता है। भारत में साल 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में 1,51,000 लोगों की मृत्यु हुई थी और यह डाटा एक गंभीर चिंता का कारण बनी थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2030 तक सड़क सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाले मौत महतो एवं चोटों की वैश्विक संख्या को आधा करने का लक्ष्य तय किया है।संयुक्त राष्ट्र यूएन के बारे में
1. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव कौन हैं?
उत्तर- एंटोनियो गुटेरेस।
2.संयुक्त राष्ट्र महासभा का मुख्यालय कहां है?
उत्तर-न्यू यॉर्क संयुक्त राज्य अमेरिका में।
3.संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश कितने हैं?
उत्तर- 193 है।
4.संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर-1945 में हुई थी।