Women Empowerment in India: भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के बारे में जाने यहां

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Fri, 29 Apr 2022 12:12 PM IST

कोई भी देश तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक उस देश का समाज उन्नत नहीं होता, और कोई भी समाज तब तक उन्नत नहीं हो सकता जब तक उस समाज की आधी आबादी यानि स्त्रियाँ सुदृढ़, सुशिक्षित और सबल नहीं हो जातीं. लैंगिक समानता के बगैर विकास की कल्पना अधूरी है. लैंगिक समानता का एक सीधा सा मतलब है कि पुरुष और नारी को एक सामान अवसर मुहैया कराना. चाहे बात सामाजिक पारिवारिक अधिकार की हो, शिक्षा की या फिर रोजगार की. हम सब भलीभांति जानते हैं कि भारत जैसे देश में पुरुष और नारी की सामाजिक स्थिति के बीच मीलों गहरी असमानता है और इस असमानता के गड्ढे को पाटने के लिए एक बहुत लम्बा सफ़र तय करना पड़ेगा तभी समाज की तरक्की की बात सोची जा सकती है. हमारे समाज के कमजोर वर्ग यानि स्त्रियों के सशक्तिकरण के लिए समाज को गम्भीरता से उसके लिए शिक्षा के स्तर पर, विचार और व्यवहार के स्तर पर, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर अनेक प्रयास करने होंगे, तभी इस सदियों पुरानी गहरी खाई को पाटा जा सकता है. और तभी एक उन्नत और विकसित भारत की परिकल्पना की जा सकती है.  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

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महिला सशक्तिकरण और भारत -

पिछले कुछ समय से भारत ने महिलाओं को उनकी वास्तविक सामाजिक गरिमा प्रदान करने और उनकी दयनीय स्थिति में सुधार करने के लिए कई प्रयास शुरू किये हैं. भारत सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं शुरू की हैं ताकि समाज में स्त्रियों की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके. भारत में केंद्र तथा विभिन्न राज्य सरकारों ने स्त्रियों को शिक्षित, सशक्त और समान सामाजिक स्थिति में लाने के लिए जिन महिला सशक्तिकरण योजनाओं की शुरुआत की है उनकी एक संक्षिप्त सूची निम्नलिखित है. यूपीएससी मेन्स की तैयारी करने वाले कैंडीडेट इन योजनाओं की सूची का उपयोग करके भारत में महिला सशक्तिकरण पर एक अच्छा निबंध तैयार कर सकते हैं -

बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना - बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के लगातार गिरते हुए लिंगानुपात को देख कर लोगो को जागरूक करना था.

उज्ज्वला योजना -

यह योजना 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा की गई. परियोजना के तहत महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए 8000/- करोड़ रुपए की पूंजी को मंजूरी दी गई. इस योजना ने गरीबी रेखा से नीचे के स्तर पर जीवन यापन करने वाली महिलाओं को गैस सिलेंडर वितरित किए हैं.
 

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स्वाधार घर योजना -
इस योजना का प्रारंभ 2001-02 में किया गया. योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से चलाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य बेसहारा महिलाओं, विधवाओं, तस्करी से लाई गयी महिलाओं, रिहा कैदी महिलाओं, वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त, मानसिक विकलांग आदि महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था करना है. इस योजना के द्वारा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक मजबूती प्रदान की जाती हैं जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी होकर अपना जीवन शुरु पुनः कर सके.

वन स्टॉप सेंटर स्कीम -
यह स्कीम 1 अप्रैल 2015 को ‘निर्भया’ फंड के साथ लागू किया गया था. यह स्कीम उन महिलाओं की मदद के लिए है जो किसी प्रकार की हिंसा का शिकार हो जाती हैं. इसके तहत पुलिस डेस्क, कानूनी मदद, चिकित्सा और परामर्श सेवाएं देने का काम किया जाता है. इस योजना के उपयोग के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 181 को रखा गया है. जरूरतमंद महिलाएँ हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल करके मदद ले सकतीं हैं.

वर्किंग वुमन हॉस्टल -
इस योजना का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना हैं. शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में यह योजना उपलब्ध है यह योजना मौजूद हैं.
 
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महिला सशक्तिकरण योजना वर्ष उद्देश्य
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना
 
2015 बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए.
बालिकाओं की शिक्षा और सामाजिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए.
लिंग आधारित और लिंग चयनात्मक उन्मूलन को रोकने के लिए.
वोमेन हेल्पलाइन योजना 2016 हिंसा से प्रभावित महिलाओं को 24 घंटे टोल फ्री दूरसंचार सेवा प्रदान करना.
हिंसा से प्रभावित महिला को उस क्षेत्र में जिसमें वह रहती  या कार्यरत है, उपलब्ध उचित सहायता सेवाओं, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए.
पुलिस/अस्पतालों/एम्बुलेंस सेवाओं/डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी (डीएलएसए)/प्रोटेक्शन ऑफिसर (पीओ)/ओएससी जैसी उपयुक्त एजेंसियों को रेफरल के माध्यम से क्राइसिस और नॉन-क्राइसिस हस्तक्षेप की सुविधा के लिए.
वन स्टॉप सेंटर स्कीम 2015 निजी और सार्वजनिक दोनों जगहों पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सपोर्ट और सहायता प्रदान करना.
महिलाओं/लड़कियों को साइको-सोशल (मनो-सामाजिक) सहायता और परामर्श प्रदान करना.
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर/एनसीआर) दाखिल करने में सुविधा/सहायता करना.
उज्जवला 2016  व्यावसायिक यौन शोषण के लिए महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकना.
पीड़िता को उनके शोषण के स्थान से छुड़ाना और उन्हें सुरक्षित अभिरक्षा में रखना.
पीड़िता को बुनियादी सुविधाएं/आवश्यकताएं जैसे आश्रय, भोजन, कपड़ा, परामर्श, कानूनी सहायता और मार्गदर्शन, व्यावसायिक प्रशिक्षण सहित चिकित्सा उपचार प्रदान करके तत्काल और दीर्घकालिक पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना.
नारी शक्ति पुरस्कार 2016 समाज में महिलाओं का स्थान मजबूत करना.
समाज में महिलाओं की प्रगति और विकास की दिशा में काम करने वाली संस्थाओं को सुविधा प्रदान करना.
महिला शक्ति केंद्र (एमएसके)
 
2017 महिलाओं के लिए एक ऐसा वातावरण तैयार करना जहां उन तक स्वास्थ्य, शिक्षा, मार्गदर्शन, रोजगार आदि पहुंच सके.
देश में ब्लॉक और जिला स्तर पर इन अवसरों को सुगम बनाना.
महिला ई-हाट
 
2016 महिलाओं को ऑनलाइन बिक्री के विभिन्न पहलुओं पर शिक्षित करना और उन्हें अपना उद्यम स्थापित करने में मदद करना.
महिलाओं के लिए उद्यमिता के अवसरों को ऑनलाइन सुगम बनाना.
महिला पुलिस स्वयंसेवक
 
2016 इसके तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध से लड़ने के लिए एक एमपीवी एक सार्वजनिक-पुलिस इंटरफेस के रूप में काम करती है.
इसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं जैसे घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, बाल विवाह, सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं द्वारा हिंसा का सामना किए जाने आदि का रिपोर्ट करना है.
निर्भया 2012 विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की सेफ्टी और सिक्यूरिटी को सुगम बनाना.
महिलाओं की पहचान और जानकारी की गोपनीयता और प्राइवेसी को सख्ती से सुनिश्चित करना.
जहाँ तक संभव हो जहाँ तक संभव हो रियल टाइम इंटरवेंशन का प्रोविजन.
महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम के लिए समर्थन (एसटीईपी)
 
1986-87 महिलाओं को रोजगार देने वाले स्किल प्रदान करना.
देश में 16 वर्ष से लेकर और उससे अधिक आयु वर्ग की महिलाओं को लाभान्वित करना.
कामकाजी महिला छात्रावास
 
1972-73 कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक आवास की उपलब्धता को बढ़ावा देना.
कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए 18 वर्ष की आयु तक लड़की और 5 वर्ष की आयु तक लड़कों के लिए आवास प्रदान करना.

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