NCERT CBSE Class 10th Hindi (Sanchayan) Chapter 2: सपनों के-से दिन

Safalta Expert Published by: Sylvester Updated Fri, 17 Jun 2022 01:06 PM IST

Highlights

NCERT CBSE Class 10th Hindi (Sanchayan) Chapter 2: सपनों के-से दिन

यह पाठ पंजाबी लेखक गुरदयाल सिंह की आत्मकथा का एक अंश है । इसमें लेखक ने अपने बचपन के उन आनंदमयी दिनों का चित्रण किया है , जब खेलते – खेलते चोट लगती थी , हाथ – पैर छिल जाते थे , तब चोट लगने के बावजूद घर जाकर माता – पिता तथा बहनों की डाँट खानी पड़ती थी । कुछ क्षण बाद फिर से वही खेल मन को गुदगुदाने लगता था । लेखक ने अपने स्कूली जीवन के अनुभवों को वर्णित करते हुए कहा है कि उन दिनों स्कूल का वातावरण बहुत नीरस एवं भय उत्पन्न करने वाला हुआ करता था । लेखक ने अपनी आत्मकथा के इस अंश में स्पष्ट किया है कि बचपन में सभी बच्चों का एक जैसा हाल होता है । मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे बेतरतीब व मैले से कपड़े पहने छोटी – छोटी गलियों में खेलते – कूदते फिरते थे । भागते – दौड़ते समय हाथ – पैर छिलने या चोट लगने पर कोई परवाह नहीं करता , बल्कि परिवार वालों से डाँट ही पड़ती थी , परंतु खेल के प्रति लगाव कम नहीं होता था । लेखक बच्चों के इस खेल प्रेम को तब समझ पाया , जब उसने बाल – मनोविज्ञान पढ़ा । सभी बच्चों की आदतें मिलती – जुलती हैं । उन दिनों बच्चे स्कूल जाने में में रुचि नहीं लेते थे और माता – पिता भी पढ़ाई के लिए ज़बरदस्ती नहीं करते थे ।

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NCERT Solutions for Chapter 2: सपनों के-से दिन


Also Check

Chapter 1: हरिहर काका
Chapter 3: टोपी शुक्ला
 


Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 2: सपनों के-से दिन

स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक किसके बारे में सोचा करता था?

ओमा और बहादुर लड़को के बारे में जो स्कूल की पिटाई को स्कूल का काम करने से ज्यादा अच्छा मानते थे

फ़ौज में भर्ती करने के लिए अफसरों के साथ नौटंकी वाले क्यों आते थे?

फ़ौज के सुख, आराम और बहादुरी को दिखने के लिए

आज का बचपन पुराने समय के बचपन से कैसे भिन्न है?

बच्चो के पास खुला समय नहीं है

हैडमास्टर साहिब का विद्यार्थियो के साथ कैसा व्यवहार था?

वे बच्चों को बिलकुल डांटते नहीं थे

हैड मास्टर लड़के की किताबे क्यों लाकर देते थे?

लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी

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