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अबुल कलाम के प्रारंभिक जीवन के बारे में
साल 1988 में मक्का सऊदी अरब में अबुल कलाम का जन्म हुआ था। लोग इन्हें मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से ज्यादा जानते थे। उन्होंने साल 1912 में ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ उर्दू में एक सप्ताहिक पत्रिका अल-हिलाल (al-hilal) की शुरुआत की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने al-hilal को बैन कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने अल-बगाह नाम से एक और वीकली पत्रिका की शुरुआत की, मौलाना आजाद एक प्रसिद्ध शिक्षाविद, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते थे। मौलाना अबुल कलाम ने भारतीय शिक्षा संरक्षण संरचना को मजबूत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन्होंने देश की शिक्षा के ढांचे में सुधार करने के लिए एक सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए बहुत मेहनत भी किया था। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
मौलाना अबुल कलाम के कार्यों के बारे में
इन्होंने नारी शिक्षा के लिए पुरजोर वकालत भी की थी। आज के समय में मौजूद आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो मौलाना अबुल कलाम को जाता है। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान देश के पहले आईआईटी( IIT), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR),आईआईएससी (IISC), भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ugc ) की स्थापना हुई ।मौलाना आजाद ने पूर्वी शिक्षा और साहित्य में रिसर्च को भी बढ़ावा दिया था। उन्होंने ललित कलाओं को डिवेलप करने और भारत में सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक, अंतर संपर्क बनाने के लिए ललित कला, संगीत नाटक और साहित्य अकैडमी की स्थापना की थी। उन्होंने 14 साल तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की भी वकालत की थी। Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मौलाना आजाद के जन्म दिवस के अवसर पर ही क्यों मनाया जाता है
मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। इन्हें स्वतंत्र भारत में शिक्षा के प्रमुख वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता है। राष्ट्र निर्माण, संस्था निर्माण और शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद के योगदान को याद करने के लिए हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौलाना आजाद कहा करते थे कि स्कूल वह प्रयोगशाला है जो देश के भावी नागरिकों को तैयार करती है। इतिहासकारों के मुताबिक मौलाना आजाद ने उच्च शिक्षा और तकनीकी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा के साथ-साथ हाल ही में ज्ञान आधारित उद्योगों के नींव बी इन्होंने रखा था। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय एमएचआरडी ने 11 सितंबर 2008 को 11 नवंबर को राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में घोषित किया था। पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का उद्घाटन 11 नवंबर 2008 को भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा विज्ञान भवन में किया था।
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