National Handloom Day, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर जानें इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातें

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Thu, 04 Aug 2022 11:31 AM IST

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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मानाने के पीछे की कहानी जुड़ी है 1905 के बंगाल विभाजन से. तो आइये जानते हैं राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें.
 

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) हर वर्ष 7 अगस्त को मनाया जाता है. पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त 2015 को मनाया गया था. हम जो भी राष्ट्रीय दिवस मनाते हैं उसके पीछे कोई ख़ास उद्देश्य और कहानी होती है. ऐसे हीं राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मानाने के पीछे की कहानी जुड़ी है 1905 के बंगाल विभाजन से. तो आइये जानते हैं राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / Advance GK Ebook-Free Download

Source: safalta

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क्या है उद्देश्य

हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य बुनकरों को प्रोत्साहन देना है ताकि उनका महत्त्व बढ़े साथ हीं लोगों में भी हथकरघा उद्योग के बारे में जागरूकता आये. इससे बुनकरों को सम्मान मिलेगा, उनकी आय बढ़ेगी और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा. जिससे बुनकरों तथा हथकरघा उद्योग दोनों का हीं सशक्तिकरण हो सकेगा.

आधिकारिक रूप से कब मनाया गया

29 जुलाई 2015 को सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना जारी करके 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में अधिसूचित किया गया था. तब से हर वर्ष इस दिन हथकरघा दिवस मनाया जाने लगा. इस वर्ष यानि कि 2022 में 7 अगस्त को 8वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जायेगा.
 

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सरकार की तरफ से की गयी पहल

वर्ष 2015 में जब पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया था तब तत्कालीन कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी थीं.  उन्होंने हथकरघा द्वारा निर्मित वस्त्रों की लोकप्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर “आई वियर हैंडलूम” इनिशिएटिव की शुरुआत की थी जिसे काफ़ी प्रोत्साहन भी मिला था. बहुत सारे लोकप्रिय नेताओं, अभिनेताओं द्वारा इस इनिशिएटिव का सहयोग किया गया. उन्होंने “आई वियर हैंडलूम” हैशटैग का उपयोग करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी तस्वीरें पोस्ट की थी.
इसके अलावा केंद्र सरकार ने उस्ताद योजना (USTTAD – अपग्रेडिंग स्किल्स एंड ट्रेनिंग इन ट्रेडिशनल आर्ट्स/क्राफ्ट्स फॉर डेवलपमेंट) की भी शुरुआत की है. जिससे कि पारंपरिक कला से सम्बद्ध लोगों को लाभ मिल सके तथा उन्हें पिछड़ने से रोका जा सके. इस सिलसिले में सरकार द्वारा समय समय पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं, जिनके द्वारा बुनकरों को ट्रेनिग दी जाती है और उन्हें विभिन्न अवसरों से भी अवगत कराया जाता है.    
 
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क्या है इतिहास से सम्बन्ध

अगर हथकरघा दिवस से सम्बंधित इतिहास की बात करें तो इसका इतिहास साल 1905 के बंगाल विभाजन की घोषणा से सम्बद्ध है. सन् 1905 में लार्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल विभाजन की घोषणा की गयी थी. जिसके बाद बंगाल विभाजन के विरोध में भारतीयों ने स्वदेशी आन्दोलन शुरू कर दिया था. स्वदेशी आन्दोलन जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है स्वदेशी उत्पादों, सेवाओं, उद्योग इत्यादि को अपनाने के लिए किया गया था. भारतीयों ने यह निर्णय लिया था कि न हीं वो विदेशी वस्त्र पहनेंगे, न उनके बनाये उत्पादों का इस्तेमाल करेंगे, न अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाएंगे. यानि कि विदेशी का पूर्णतः बहिष्कार करेंगे. उन्होंने विदेशी कपड़ों को जलाना शुरू कर दिया था. इस आन्दोलन की शुरुआत 7 अगस्त 1905 को की गयी थी. इसके लिए सभी आन्दोलनकारी कोलकाता के टाउन हॉल में जमा हुए थे और औपचारिक रूप से स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की थी. इसी आन्दोलन की याद में 7 अगस्त की तिथि को हथकरघा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था.            
 

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