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संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. भारत भूमि में मुग़ल, तुर्क, मंगोल, ब्रिटिश आदि अनेक बाहरी देशों के लुटेरे आते रहे और देश को लूट पाट कर चलते बने. जबकि कई विदेशी घुसपैठिये यहीं पर रह गए. हमारी शाश्वत विराट भूमि ने उन सभी बाहरी लोगों को भी दिल खोल कर अपना लिया. परिणाम हमारी धरती भिन्न भिन्न संस्कृतियों का मेल हो गयी. यहाँ तक तो ठीक है परन्तु जब बहुरंगी संस्कृति के बीच अपनी पुरातन भाषा, अपने पूर्वजों की प्राचीन बोली विलुप्त होने लगे तो देश की सांस्कृतिक नींव कच्ची प्रतीत होने लगती है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं
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सबसे प्राचीन भाषा
हमारे प्राचीन आर्यावर्त के सबसे प्राचीन लेख्य या दस्तावेज़ वेद, पुराण, उपनिषद तथा अन्य कृतियाँ सभी संस्कृत भाषा में हीं लिखी गयी हैं. संस्कृत एक अत्यंत प्राचीन इंडो-आर्यन लैंग्वेज है. वैदिक काल में यह एक अखिल भारतीय भाषा हुआ करती थी.
संस्कृत है सभी भाषाओँ की जननी
इस दुनिया में जितनी भी भाषाएँ हैं उन सभी भाषाओं में से देवों की भाषा यानि संस्कृत को सभी भाषाओँ की जननी यानि माँ कहा गया है. यानि दुनिया की अधिकतर भाषाओं का जन्म संस्कृत से हीं हुआ है. इस बात का एक उदाहरण है कि - वर्ष 1786 ईस्वी में लिखी गयी अंग्रेज़ी लिंग्विस्ट विलियम जोन्स की पुस्तक ''द संस्कृत लैंग्वेज'' में कहा गया है कि ग्रीक और लैटिन भाषा की उत्पत्ति भी संस्कृत से संबंधित थी.
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संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा
संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है और इस भाषा को कंप्यूटर के लिए सबसे अनुकूल भाषा माना जाता है. शायद इसी लिए इस भाषा को ऋषि मुनियों ने मन्त्रों की रचना के लिए चुना होगा. क्योंकि संस्कृत के शब्दों का उच्चारण मस्तिष्क में एक प्रकार का वाइब्रेशन या स्पन्दन उत्पन्न करता है. यही वाइब्रेशन ब्रह्माण्ड में फ़ैल कर एक सकारात्मक उर्जा का निर्माण करती है. इतिहास गवाह है कि सभी साहित्यों में संस्कृत का साहित्य सब से अधिक समृद्ध और सम्पन्न रहा है.
विलुप्त होने के कगार पर
परन्तु विभिन्न विदेशी और क्षेत्रीय भाषाओँ के हस्तक्षेप के कारण कालान्तर में धीरे धीरे देवों की यह भाषा अपना अस्तित्व खोती चली गई और आज विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी है. हालाँकि कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं जो इस भाषा को सुरक्षित रखने में प्राणपण से लगे हुए हैं. और इसे मृत नहीं होने देना चाहते. इसका एक उदहारण कर्नाटक के शिमोगा ज़िले का एक गाँव ''मत्तूर'' है जहाँ इस भाषा को संरक्षित रखा गया है. कर्नाटक के मैसूर से साल 1970 से एक समाचार पत्र प्रकाशित किया जाता रहा है जो विश्व का एकमात्र संस्कृत समाचार पत्र है. इस संस्कृत समाचार पत्र का नाम 'सुधर्म' है और यह ऑनलाइन भी मौजूद है.
विश्व संस्कृत दिवस 7 अगस्त
विश्व संस्कृत दिवस हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल भारत में यह 12 अगस्त को मनाया जाएगा. इंडो-यूरोपीय भाषाओं के समूह से संबंधित यह प्राचीन भारतीय भाषा यानि संस्कृत भाषा एक सुंदर भाषा है और हजारों सालों से यह श्रेष्ठ भाषा हमारी संस्कृति का अंग बनी हुई है.
संस्कृत भाषा के संरक्षण पर जोर
आजकल यूनाइटेड स्टेट्स की काफी सारी यूनिवर्सिटीज में संस्कृत भाषा को एक इंडो-यूरोपियन भाषा के तौर पर पढ़ाया जा रहा है. यहाँ तक की बहुत सारी जर्मन यूनिवर्सिटीज में भी संस्कृत पढ़ाई जाती है. भारत में भी संस्कृत भाषा के संरक्षण पर जोर दिया जाना चाहिए. संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है. विश्व संस्कृत दिवस के मौके पर हम सबको अपनी संस्कृति की पहचान यानि संस्कृत भाषा के संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए.