What is Electric Vehicle Policy: इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी क्या है?

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Wed, 15 Jun 2022 11:56 PM IST

Highlights

वर्तमान समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी पूरी दुनिया में धूम मचा रही है. जहाँ तक इन्डिया की बात है तो यहाँ प्रदुषण की मात्रा बहुत हीं ज्यादा है. यही नहीं भारत अपने वाहनों के लिए 84% तेल निर्यात करता है इसलिए भारत के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल के क्षेत्र में काम करना जरुरी हो जाता है.

यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह पृथ्वी और इस पर निवास करने वाला प्राणी जगत बचा रहे तो हमें हर हाल में अपनी पृथ्वी को प्रदूषण से बचाना होगा. इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी इसी दिशा में किया जाने वाला एक प्रयास है. वर्तमान समय की बात करें तो इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी पूरी दुनिया में धूम मचा रही है. जहाँ तक इन्डिया की बात है तो हमारे देश में प्रदुषण की मात्रा बहुत हीं ज्यादा है. दुनिया के 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से 6 भारत में हीं हैं. इस लिए जाहिर सी बात है कि भारत के लिए प्रदुषण को रोकना सबसे जरुरी और महत्वपूर्ण हो जाता है. यही नहीं भारत अपने वाहनों के लिए 84% तेल बाहर से निर्यात करता है इसलिए भी भारत के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल के क्षेत्र में काम करना जरुरी हो जाता है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. 

Source: Safalta

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इन्डिया दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी कार मार्किट है और आने वाले दिनों में यह और भी आगे जा सकती है. वहीँ बढ़ते पोल्यूशन को देखते हुए यहाँ की केंद्र और राज्य सरकारों ने 2030 तक पूरे भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लाने का फैसला किया है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल न सिर्फ वातावरण को साफ़ रखने के लिहाज़ से अच्छा है बल्कि यह सस्ता भी है. पेट्रोल और डीज़ल की कीमत जहाँ प्रति किलोमीटर 10 रूपए और 7 रूपए पड़ता है वहीँ ईवी का कॉस्ट 1 रूपए प्रति किलोमीटर पड़ता है. कुल मिला कर हम यही कह सकते हैं कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी हर तरह से उपयुक्त है. परन्तु भारत में इसे पूर्ण रूप से लागू करने में कुछ चुनौतियाँ हैं. सबसे बड़ी चुनौती है चार्जिंग की. लम्बे डिस्टेंस में गाड़ी कैसे चार्ज होगी ?

चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर -

अगर आप सामान्य व्हीकल लेकर निकलते हैं तो हर जगह आपको पेट्रोल पम्प मिल जाएगा पर आज इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए चार्जिंग इतनी सुविधाजनक नहीं है.
लेकिन इसकी प्लानिन भी बहुत जोरों शोरों से चल रही है. भारत में 25 स्टेट के 68 शहरों में तीन हज़ार इलेक्ट्रिक व्हीकल स्टेशन खोलने का प्लान है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इन्डिया 2023 तक 700 चार्जिंग स्टेशन खोलने वाली है जो कि हाईवे पर हर 40 से 60 किलोमीटर की दूरी पर खोले जाएँगे. इनमें से अधिकाँश सौर उर्जा से संचालित होंगे. इसके अलावा पेट्रोल पंप भी अपने यहाँ चार्जिंग पॉइंट लगाना शुरू करेंगे. इन्डियन आयल कारपोरेशन अगले 3 सालों में 10 हज़ार चार्जिंग स्टेशन लगाएगा जबकि भारत पेट्रोलियम 7 हज़ार चार्जिंग स्टेशन सेटअप करने वाला है.
 

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भारत में ईवी में बहुत बड़ी संभावना -

भारत जैसे देशों के लिए, जो अपनी ईंधन जरूरतों के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है पारंपरिक डीज़ल पेट्रोल वाहनों का होना और ज्यादा ख़राब है. इस लिए भारत ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के एक नए युग की शुरुआत करने की सोची है. ईवी और पारंपरिक वाहनों के बीच सबसे बुनियादी अंतर यह है कि जहां पारंपरिक वाहन गर्मी पैदा करते और वाहन चलाने के लिए गैसोलीन (या अन्य जीवाश्म ईंधन) का उपयोग करते हैं, वहीँ इलेक्ट्रिक व्हीकल में, बैटरी को चार्ज करने और विद्युत ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदलने के लिए बिजली का उपयोग किया जाता है. नॉर्वे और चीन जैसे देश ईवी तकनीक में सबसे अग्रणी हैं. ध्यान देने योग्य बात यह है कि भले ही भारत ईवी सेगमेंट में फर्स्ट-मूवर नहीं है, लेकिन यह रेस में आखिरी भी नहीं है. वास्तव में, भारत में ईवी में एक बहुत बड़ी संभावना है जिसका अभी तक प्रारम्भ भी नहीं किया गया है. अपनी इस क्षमता को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार (जीओआई) ने बड़े स्तर पर ईवी को अपनाने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. अन्य विकसित देशों के मुकाबले भारत सरकार ने यात्री वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन, दोपहिया और तिपहिया वाहनों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है.
 
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ईवी के लिए लाभ -

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए, विभिन्न पहलुओं और विभिन्न स्तरों पर केंद्र और राज्य द्वारा लाभ प्रदान किए जा रहे हैं. इन लाभों को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है - पूंजीगत प्रोत्साहन, कर प्रोत्साहन और अन्य नीतिगत प्रोत्साहन. भारत सरकार, भारत में इलेक्ट्रिक/हाइब्रिड वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से विनिर्माण (फेम इंडिया) योजना का संचालन कर रहा है. वर्तमान में, FAME India योजना के दूसरे चरण को लागू किया जा रहा है, जिसमें कुल बजटीय सहायता 10,000 करोड़ होगी. इस योजना में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का भी प्रावधान है. अगले प्रोत्साहन की पंक्ति में कर प्रोत्साहन हैं. जीएसटी व्यवस्था के तहत, पारंपरिक आईसीटी वाहनों के विपरीत ईवी पर कर की दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है. उल्लेखनीय है कि कर की इतनी कम दर केवल विशेष ईवी पर उपलब्ध है न कि हाइब्रिड वाहनों पर.

अतिरिक्त उपकर के साथ हाइब्रिड मोटर वाहन पर 28% (अन्य आईसीटी वाहनों की तरह) जीएसटी प्रभार्य है. इस प्रकार ईवी की तुलना में हाइब्रिड वाहन विशेष महंगा है. प्रत्यक्ष कर प्रोत्साहन के मोर्चे पर, उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित करने के लिए, वित्त मंत्रालय ने बजट में 1,50,000 रुपये की अतिरिक्त आयकर कटौती या ईवी की खरीद के लिए, लिए गए ऋण पर देय ब्याज, जो भी कम है, का प्रावधान किया है. इसके अलावा, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने ईवीएस पर लगभग पर 4%सड़क शुल्क (टोल टैक्स) माफ कर दिया है. इस संबंध में, कुछ राज्य-स्तरीय विनिर्माण नीतियां, जो ईवी के निर्माताओं को स्वदेशी रूप से निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, भी पेश की गई हैं. कर्नाटक राज्य में TESLA का आना इस का एक उदाहरण है.

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