Alankar kya hote Hain, अलंकार शब्द का प्रयोग वाक्य की शोभा बढ़ाने के लिए किया जाता हैं। इंग्लिश में अलंकार को figure of speech कहते हैं। अलंकार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अलम + कार। अलम शब्द का अर्थ होता है आभूषण । अलंकार शब्द अधिकतर काव्य में प्रयोग किए जाते हैं।
Source: safalta
अलंकार काव्य का शरीर है अर्थात जो भाषा को शब्दों से अलंकृत करते हैं। जिस प्रकार से स्त्री की शोभा आभूषण से होती है उसी प्रकार वाक्य की शोभा अलंकार से होती है। अलंकार वाक्य को अलंकृत करने का कार्य करते हैं। काव्य में अलंकार दो प्रकार के होते हैं शब्दालंकार और अर्थालंकार। आईए अलंकार के बारे में जानते हैं। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.October month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW |
Table of content
अलंकार की परिभाषा
शब्दालंकार
अनुप्रास अलंकार
यमक अलंकार
शलेष अलंकार
अर्थालंकार
अलंकार की परिभाषा
वाक्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं।जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से होती हैं उसी प्रकार वाक्य की शोभा अलंकार से होती हैं।
अलंकार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं अलम + कार।
अलम का अर्थ आभूषण होता हैं।
अलंकार दो प्रकार के होते है
1. शब्दालंकार
2. अर्थालंकर।
शब्दालंकार
शब्दालंकर दो शब्दों से मिलकर बना है शब्द+अलंकर।
शब्दालंकार में शब्दो के प्रयोग से वाक्य में चमत्कार उत्पन्न होता है लेकिन शब्दों के प्रर्यावाची का प्रयोग करने से ये चमत्कार समाप्त हो जाता हैं।
अर्थात् वाक्य में शब्दो का प्रयोग करने से वाक्य की शोभा बढ़ जाती है और उन शब्दो के समानार्थी प्रयोग करने से वाक्य की शोभा समाप्त हो जाती हैं।
शब्दालंकर कहलाते हैं।
शब्दालंकर मूल रूप से तीन प्रकार के होते हैं
1. अनुप्रास अलंकार।
2. यमक अलंकार।
3. श्लेश अलंकार ।
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अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं अनु + प्रास। अनु का अर्थ होता हैं बार -बार और प्रास का अर्थ होता है वर्ण अर्थात जहाँ पर एक वर्ण की आवर्ती बार - बार होती हैं उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं। जैसे
चारु चंद्र की चंचल किरणे खेल रही हैं जल थल में ।
अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते हैं।
1. छेकानुप्रास
3. लटानुप्रास
4. अन्त्यानुप्रास
5. श्रुत्यानुप्रास
यमक अलंकार
जहाँ पर एक शब्द की आवर्ती एक से अधिक बार होती हैं और उस शब्द का अर्थ अलग -अलग होता हैं यमक अलंकार कहलाता हैं। जैसे
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाये
वो खाये बौराये जग वो पाए बौराये ।
श्लेष अलंकार
जिस वाक्य में एक शब्द एक बार आये पर उस शब्द का अर्थ अलग अलग हो वहाँ पर श्लेष अलंकार होता हैं। जैसे
रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सुन।
पानी गए न उभरे मोती मानस चून।
अर्थालंकार
जहाँ पर अर्थों के माध्यम से वाक्य में चमत्कार उत्पन्न किया जाता हैं वहाँ पर अर्थालंकार होता हैं। ये मूल रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
1 . उपमा अलंकार
2. रूपक अलंकार
3.उत्प्रेक्षा अलंकार
1. उपमा अलंकार
उपमा शब्द का अर्थ तुलना करना होता हैं। जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी और से की जाती हैं वहाँ उपमा अलंकार होता है। अर्थात जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जाती है वहाँ उपमा अलंकार होता हैं। जैसे
सागर सा गंभीर ह्रदय हो।
2. रूपक अलंकार
जहाँ पर उपमाये और उपमान में कोई अंतर न हो अर्थात जहाँ उपमाये उपमान का भेद रहित आरोप हो वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। जैसे
चरन कमल हरि कमल से।
3. उत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ पर उपमान न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाता हैं वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता हैं। इसमें मनु ,मानो, जनु, जानो आदि शब्दो का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे
सखि सोहत गोपाल के ,उर गुंजन की माला।
बहार लसत मनो पिये , दावानल की ज्वाला।