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1. जवाहर नवोदय विद्यालय
यह भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली भारत में प्रतिभाशाली छात्रों के लिए सह शिक्षा स्कूलों की एक श्रृंखला है. जवाहर नवोदय विद्यालय केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली से संबद्ध पूरी तरह से आवासीय शिक्षण परियोजना है. इसमें छठी से बारहवीं कक्षा तक की कक्षाएं चलाई जाती हैं. नवोदय विद्यालय समिति स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन है. जवाहर नवोदय विद्यालय पूरी तरह से आवासीय और सह-शिक्षा विद्यालय हैं, जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), नई दिल्ली से संबद्ध हैं. ये विद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 1986 में शुरू किए गए थे.प्रत्येक नवोदय विद्यालय अपने छात्रों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, मुफ्त स्कूल यूनिफॉर्म, बोर्डिंग और लॉजिंग, स्टेशनरी, और मुफ्त रेल और बस किराया प्रदान करता है. यहाँ विद्यालय विकास निधि के रूप में कक्षा- 9 से 12 के छात्रों से प्रति माह 600/- रूपए का एक मामूली शुल्क लिया जाता है. जिन छात्रों के माता-पिता सरकारी सेवा में हैं उनसे प्रतिमाह 1500/-रूपए का शुल्क लिया जाता है. नवोदय विद्यालयों की स्थापना के पीछे का उद्देश्य ग्रामीण प्रतिभाओं में से सर्वश्रेष्ठ को सामने लाना और उन्हें अपने शहरी समकक्षों के समान तैयार करना था.
2. श्री रामकृष्ण मिशन विद्यालय मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल
श्री रामकृष्ण मिशन विद्यालय कोयंबटूर, भारत का एक बेहतरीन शैक्षणिक संस्थान है. इसकी स्थापना साल 1948 में रामकृष्ण मिशन के द्वारा की गई थी. इस स्कूल का परिसर 70 एकड़ (28 हेक्टेयर) में फैला हुआ है. परिसर में 312 छात्रों के लिए एक स्कूल छात्रावास, एक खेल का मैदान, पुस्तकालय, मल्टीमीडिया कमरा और कंप्यूटर लैब शामिल है.स्कूल कोयंबटूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 3 किलोमीटर (1.9 मील) और कोयंबटूर रेलवे स्टेशन जंक्शन से 10 किलोमीटर (6.2 मील) पर पेरियानाइकेनपालयम में स्थित है. स्कूल रामकृष्ण मिशन का हिस्सा है और यह 1964 में स्वामी स्वाहानंद द्वारा स्थापित किया गया था. श्री रामकृष्ण मिशन विद्यालय राज्य के पाठ्यक्रम का पालन करता है. यह लड़कों का बोर्डिंग स्कूल है जिसमें किंडरगार्टन से कक्षा 12 तक की कक्षाएं हैं. स्कूल में सभी कक्षाओं के लिए एक अनिवार्य आवासीय कार्यक्रम है. स्कूल की स्थापना के बाद से सभी बोर्ड परीक्षाओं में इसका रिजल्ट 100% रहा है.
स्कूल का आदर्श वाक्य "आत्मानो मोक्षार्थं जगत हिताय चा" (स्वयं को मुक्त करने और मानवता को लाभ पहुंचाने के लिए) है. स्कूल अपनी खेल सुविधाओं के लिए जाना जाता है, जिसमें ओलंपिक के आकार का स्विमिंग पूल और टेनिस कोर्ट शामिल हैं.
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3. लोयोला स्कूल, तिरुवनंतपुरम
साल 1958 में स्थापित, लोयोला स्कूल, सबसे बड़ा रोमन कैथोलिक धार्मिक अनुक्रम का सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) द्वारा संचालित एक आवासीय विद्यालय है. यह स्कूल, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है.स्कूल में लगभग 2,000 छात्र हैं, जो ग्रेड 1-4 और ग्रेड 5-10 और ग्रेड 11 और 12 में विभाजित हैं. स्कूल में कुल 42 शैक्षणिक विभाग हैं. इसमें एक पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला और ऑडियो-विजुअल कमरे हैं. स्कूल संगीत कक्षाएं और एनसीसी जैसी पाठ्येतर गतिविधियों की भी पेशकश करता है. इसमें एक फुटबॉल मैदान, बास्केटबॉल कोर्ट और स्विमिंग पूल भी है. यह स्कूल आईसीएसई से सम्बद्ध है.
4. सैनिक स्कूल तिलैया
सैनिक स्कूल तिलैया की स्थापना वर्ष 2003 में रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा की गई थी. यह स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है और बच्चों को कक्षा 6 से 12 तक शिक्षा प्रदान करता है.सैनिक स्कूल तिलैया का परिसर काफी विशाल है और यह लगभग 100 एकड़ भूमि को कवर करता है. स्कूल में आधुनिक शिक्षण सहायक सामग्री और एक बेहतरीन पुस्तकालय है जहाँ श्रेष्ठ पुस्तकों का संचय किया गया है. यहाँ अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई सुसज्जित कक्षाएँ हैं और सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास हैं. स्कूल में एक चिकित्सा केंद्र, खेल परिसर और एक सभागार भी है.
स्कूल अपने छात्रों को पूर्ण आवासीय सुविधाएं प्रदान करता है. सैनिक स्कूल तिलैया की प्रवेश परीक्षा हर साल जनवरी में आयोजित की जाती है. स्कूल अखिल भारतीय माध्यमिक विद्यालय परीक्षा (एआईएसएसई) के लिए छात्रों को तैयार करता है.
5. सैनिक स्कूल पुरुलिया
सैनिक स्कूल पुरुलिया (केवल लड़कों के लिए) पूरी तरह से आवासीय एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल है. सैनिक स्कूल पुरुलिया सीबीएसई से संबद्ध है और अखिल भारतीय माध्यमिक विद्यालय परीक्षा (एआईएसएसई) के लिए छात्रों को तैयार करता है.सैनिक स्कूल पुरुलिया भारत के 26 सैनिक स्कूलों में से एक है. स्कूल का उद्देश्य राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), खडकवासला, पुणे में प्रवेश के लिए लड़कों को अकादमिक, मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना है.
सैनिक स्कूल पुरुलिया दिल्ली-कोलकाता NH-2 पर रघुनाथपुर, पुरुलिया में 60 एकड़ में फैला हुआ है. इस स्कूल को 18 जुलाई 1961 को एक प्रोजेक्ट स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था. 4 जनवरी साल 1963 को इसे सैनिक स्कूल का दर्जा दिया गया था.
स्कूल में, आधुनिक सुविधाओं के साथ एक अलग अकादमिक ब्लॉक, एक सभागार और आधुनिक सुविधाओं से लैस एक अलग छात्रावास है.
6. मेयो कॉलेज, अजमेर राजस्थान
मेयो कॉलेज भारत में लड़कों का एकमात्र स्वतंत्र बोर्डिंग स्कूल है. यह स्कूल साल 1875 में मेयो के अर्ल रिचर्ड बॉर्के 6 के द्वारा स्थापित किया गया था, जो उस समय भारत के वायसराय थे. यह पब्लिक स्कूल भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक है. अजमेर राजस्थान में स्थित मेयो कॉलेज, पूरे भारत और विदेशों के छात्रों के लिए लड़कों का एक आवासीय विद्यालय है.कॉलेज एक पहाड़ी की चोटी पर बना है जो इसे भारत के सबसे खूबसूरत स्कूलों में से एक बनाता है. इसका परिसर 64 एकड़ में फैला हुआ है और इसे भारत सरकार द्वारा एक वास्तुशिल्प विरासत स्थल के रूप में भी नामित किया गया है.
कॉलेज का आदर्श वाक्य "शीलम परम भूषणम" है जिसका अर्थ है चरित्र इंसान का सर्वोच्च गुण है. मेयो कॉलेज 12 वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए मानविकी विषयों के अलावा विज्ञान और वाणिज्य दोनों धाराओं में शिक्षा प्रदान करता है. पूर्व प्रधान मंत्री, मनमोहन सिंह, बॉलीवुड अभिनेता इमरान खान सहित कई उल्लेखनीय व्यक्ति इस स्कूल के पूर्व छात्र रह चुके हैं.
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7. असम वैली स्कूल, असम
असम वैली स्कूल असम के सोनितपुर जिले के बालीपारा में स्थित एक सह-शैक्षणिक आवासीय विद्यालय है. यह एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल है जो काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE), नई दिल्ली से संबद्ध है. असम वैली स्कूल को साल 1995 में स्थापित किया गया था. स्कूल को ब्रिटिश काउंसिल, नई दिल्ली द्वारा इंटरनेशनल स्कूल अवार्ड (आईएसए) से सम्मानित किया जा चुका है.इस स्कूल में आईसीएसई और सीबीएसई दोनों हीं शिक्षा बोर्ड का विकल्प मौजूद है. यह एक आईबी वर्ल्ड स्कूल भी है.