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- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की अपने अभियान की समय सीमा को एक वर्ष बढ़ा दिया।
- अब नासा वर्ष 2025 में अपने मिशन मून के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजेगा।
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के समय नासा वर्ष 2024 में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने वाला था।
- नासा ने परियोजना में देरी के लिए मून लैंडर को लेकर स्पेसएक्स के साथ मुकदमे बाजी और नासा के कैप्सूल ओरियन के निर्माण में हुई देरी को जिम्मेदार माना है।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2022 में पिछले अंतरिक्ष यात्री द्वारा चांद पर कदम रखे जाने के 50 साल पूरे हो जाएंगे ।
- वर्ष 1972 में अपोलो 17 मिशन की वापसी के बाद नासा दूसरे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर दिया था।
- अमेरिका का यह मिशन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसके द्वारा वह अंतरिक्ष में अपनी क्षमता सिद्ध करेगा।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2030 में चीन चांद पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है।
- चंद्रमा पर पहला मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन 16 जुलाई 1969 को अपोलो 11 भेजा गया था।
- नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर पैर रखने वाले प्रथम अंतरिक्ष यात्री है।
- भारत ने भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रमा की सतह पर अपना पहला अंतरिक्ष उपग्रह (चंद्रयान प्रथम) उतारा था ।चन्द्रयान प्रथम 2009 तक सक्रिय रहा।
- भारत द्वारा चंद्रमा पर दूसरा अंतरिक्ष उपग्रह चन्द्रयान -2, 22 जुलाई 22 जुलाई 2019 को भेजा गया किंतु यह पूरी तरह सफल नहीं हो सका।
- नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) एक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1958 को की गई थी।
- इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।
- इसके संस्थापक ड्वाइट डेविड आइजनहावर थे।