जे. आर. डी. टाटा का प्रारंभिक जीवन
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टाटा ग्रुप में प्रवेश
सन 1925 में एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में उन्होंने कार्य प्रारंभ किया। अपनी कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और लगन से वे सन 1938 में भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड के अध्यक्ष बन गए। उन्होंने 14 उद्योगों के साथ समूह के नेतृत्व की शुरूआत की थी और जब 26 जुलाई 1988 को उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा तब तक टाटा समूह 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन चुका था।उन्ही के नेत्रत्व में सन् 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना हुई और उन्होंने सन् 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में ‘एयर इंडिया इंटरनेशनल’ का शुभारंभ किया। भारत सरकार ने सन् 1953 में उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का निर्देशक नियुक्त किया। वे इस पद पर अगले 25 साल तक बने रहे
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पुरस्कार और सम्मान
समाज और देश के विकास में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
भारतीय वायु सेना ने जे.आर.डी. टाटा को ग्रुप कैप्टन के मानद पद से सम्मानित किया
1 अप्रैल 19 74 को एयर वाइस मार्शल पद से सम्मानित किया।
विमानन के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उनको कई पुरस्कार दिए गए – टोनी जेनस पुरस्कार (1979), फेडरेशन ऐरोनॉटिक इंटरनेशनेल द्वारा गोल्ड एयर पदक (1985), कनाडा स्थित अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार (1986) और डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड (1988)। भारत सरकार ने सन् 1955 में उन्हें पद्म विभूषण और सन 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया।
निधन
जे. आर. डी. टाटा का निधन गुर्दे में संक्रमण के कारण 29 नवम्बर, 1993 में जिनेवा (स्विट्ज़रलैण्ड) में हो गया। उनकी मृत्यु पर उनके सम्मान में भारतीय संसद ने अपनी कार्यवाही स्थगित कर दी थी। मरणोपरांत उन्हें उनके जन्मस्थान पेरिस में दफ़नाया गया।
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