Biography of J. R. D. Tata: जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म, शिक्षा और करियर के बारे में जाने विस्तार से

Safalta Expert Published by: Blog Safalta Updated Mon, 22 Aug 2022 10:50 PM IST

Highlights

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या जे आर डी टाटा भारत के वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगो के अग्रणी थे। वे दशको तक टाटा ग्रुप के निर्देशक रहे और इस्पात, इंजीनीयरींग, होट्ल, वायुयान और अन्य उद्योगो का भारत मे विकास किया।

Source: Safalta

Biography of J. R. D. Tata: जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा जिन्हें जे.आर.डी. टाटा के नाम से जाना जाता है। जे.आर.डी. टाटा भारत के बड़े उद्योगपतियों में से एक थे।
इन्होंने टाटा ग्रुप का नीव रखा था, और विश्व प्रसिद्ध उद्योगपतियों में से रतन टाटा के दादा जी था। इन्होंने  आधुनिक भारत की औद्योगिक नींव रखने में भारते के सभी उद्योगपति में जे.आर.डी. टाटा  का नाम आज भी सबसे उपर है। भारत में इस्पात, इंजीनीयरींग, होट्ल, वायुयान और अन्य बड़े उद्योगो के नीव रखने में और उनके विकास में उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जे.आर.डी. टाटा ने देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा ‘टाटा एयरलाइंस’ की शुरुआत की, जो आगे चलकर सन 1946 में ‘एयर इंडिया’ बन गई।  इनके इस योगदान के लिए भारत में जेआरडी टाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है। देश के विकास और औद्योगिक डेवलपमेंट में उनके इस महत्वपुर्ण योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें उन्हे सन 1955 मे पद्म विभूषण और 1992 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मनित किया था।

जे. आर. डी. टाटा का प्रारंभिक जीवन
जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 को पेरिस में हुआ था। वे अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटामाता सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे।उनकी माँ फ़्रांसीसी थीं इसलिए उनका ज़्यादातर बचपन वक़्त फ़्राँस में ही बीता, और फ़्रेंच उनकी पहली भाषा बन गयी। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ‘कैंब्रिज विश्वविद्यालय’ चले गए।भले ही 14 साल की आयु में जमशेदजी टाटा ने अपने व्यवसाय को शुरू किया हो लेकिन वे अपना पूरा योगदान 1858 में अपने ग्रेजुएशन के बाद से ही दे पाये थे।
 
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टाटा ग्रुप में प्रवेश

सन 1925 में एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में उन्होंने कार्य प्रारंभ किया। अपनी कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और लगन से वे सन 1938 में भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड के अध्यक्ष बन गए। उन्होंने 14 उद्योगों के साथ समूह के नेतृत्व की शुरूआत की थी और जब 26 जुलाई 1988 को उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा तब तक टाटा समूह 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन चुका था।उन्ही के नेत्रत्व में सन् 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना हुई और उन्होंने सन् 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में ‘एयर इंडिया इंटरनेशनल’ का शुभारंभ किया। भारत सरकार ने सन् 1953 में उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का निर्देशक नियुक्त किया। वे इस पद पर अगले 25 साल तक बने रहे
 
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पुरस्कार और सम्मान
समाज और देश के विकास में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

भारतीय वायु सेना ने जे.आर.डी. टाटा को ग्रुप कैप्टन के मानद पद से सम्मानित किया

1 अप्रैल 19 74 को एयर वाइस मार्शल पद से सम्मानित किया।

विमानन के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उनको कई पुरस्कार दिए गए – टोनी जेनस पुरस्कार (1979), फेडरेशन ऐरोनॉटिक इंटरनेशनेल द्वारा गोल्ड एयर पदक (1985), कनाडा स्थित अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार (1986) और डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड (1988)। भारत सरकार ने सन् 1955 में उन्हें पद्म विभूषण और सन 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया।

निधन

जे. आर. डी. टाटा का निधन गुर्दे में संक्रमण के कारण 29 नवम्बर, 1993 में जिनेवा (स्विट्ज़रलैण्ड) में हो गया। उनकी मृत्यु पर उनके सम्मान में भारतीय संसद ने अपनी कार्यवाही स्थगित कर दी थी। मरणोपरांत उन्हें उनके जन्मस्थान पेरिस में दफ़नाया गया।

 
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