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उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में हुई लड़ाई के समय बहादुरी से सेना का निर्देशन किया था। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Applicationविषयसूची
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचयलाल बहादुर शास्त्री के पारिवारिक जीवन और शिक्षा के बारे में
लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता सेनानी के रूप में
लाल बहादुर शास्त्री का पॉलिटिकल कैरियर
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु
लाल बहादुर शास्त्री के वक्तव्य
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लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगल सराय में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था, वे प्राथमिक स्कूल के अध्यापक थे और लोग उन्हें मुंशी कहकर संबोधित करते थे। शास्त्री जी की माता का नाम राम दुलारी था।
लाल बहादुर शास्त्री के पारिवारिक जीवन और शिक्षा के बारे में
परिवार के सदस्य इन्हें नन्हे कह कर पुकारते थे। शास्त्री जी के बचपन में ही इनके पिता का देहांत हो गया था। जिसके बाद इनकी माता अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्जापुर में रहने आ गई। कुछ समय बाद हजारी लाल की भी मृत्यु हो गई। शास्त्री जी की प्राथमिक शिक्षा मिर्जापुर में हुई, आगे की पढ़ाई शास्त्री जी ने हरीश चंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ से की। जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने संस्कृत भाषा में स्नातक किया था। काशी विद्यापीठ से उन्होंने शास्त्री की उपाधि ली। इसके बाद उन्होंने अपने नाम के साथ शास्त्री जोड़ना शुरू किया। 1928 में इनका विवाह ललिता जी से हुआ और इनकी 6 संतानें हुईं। इनके एक पुत्र अनिल शास्त्री कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं।
लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता सेनानी के रूप में
स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान इन्होंने करो या मरो का नारा पूरे देश को दिया था। ये 1920 में देश की आजादी के लिए आगे आए और भारत सेवक संघ की सेवा में जुड़ गए। ये एक गांधीवादी नेता थे, जो अपने पूरे जीवन भर देश और गरीबों की सेवा में लगा दी। शास्त्री जी सक्रिय रूप से सभी आंदोलन और कार्यक्रम में भाग लिया करते थे। जिनके चलते उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने सक्रिय रूप से 1921 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। 1930 में दांडी यात्रा और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारत में आजादी की लड़ाई को और भी ज्यादा भड़का दिया गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन करने के बाद उसे दिल्ली चलो का नारा दिया और इस वक्त 8 अगस्त 1920 में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में भी तेजी पकड़ ली थी। भारतीयों को जगाने के लिए करो या मरो का नारा दिया लेकिन 9 अगस्त 1942 को इलाहाबाद में नारे में परिवर्तन कर मरो नहीं मारो कर देशवासियों को आंदोलन के लिए बुलाया। इस आंदोलन के समय शास्त्री जी 11 दिन भूमिगत फिर 19 अगस्त को अंग्रेज सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए।
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लाल बहादुर शास्त्री का पॉलिटिकल कैरियर
स्वतंत्र भारत में यह उत्तर प्रदेश के सांसद के सचिव के रूप में अप्वॉइंट किए गए। गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रिमंडल में इन्हें पुलिस और परिवहन का कार्यभार सौंपा गया। जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने पहली बार किसी महिला को कंडक्टर अपॉइंट किया था और पुलिस विभाग में उन्होंने लाठी के बजाय पानी से भीड़ को कंट्रोल करने का नियम लाया था। शास्त्री जी को अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। लाल बहादुर शास्त्री हमेशा पार्टी के लिए समर्पण भाव से काम करते थे। उन्होंने 1965 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बहुमत से जीताया था और उनके पार्टी के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू ने की अकास्मिक मौत के बाद शास्त्री जी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। परंतु इनका कार्यकाल बहुत कठिन रहा क्योंकी पूंजीपति देश और शत्रु देशों ने उनके शासन काल को बहुत ही चुनौतीपूर्ण बना दिया था। 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमला कर दिया था। इस परिस्थिति में राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बैठक बुलाई थी। इस बैठक में तीनों रक्षा विभागो के प्रमुख और पीएम शास्त्री जी भी शामिल हुए थे। विचार-विमर्श के बाद प्रमुख में लाल बहादुर शास्त्री को स्थिति के बारे में बताया। आदेश देने के बजाए शास्त्री जी ने कहा कि देश की रक्षा के लिए जो कार्य करना चाहते हैं वो आफ बेझिझक करें और हमें भी बताइए हम देश के लिए क्या कर सकते हैं। जिससे देश की यह मुश्किल घड़ी कट जाए। भारत-पाक युद्ध के दौरान विकट परिस्थितियों में सराहनीय नेतृत्व और जय जवान जय किसान का नारा दिया और जिसके बाद देश में एकता आई।
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु
रूस और अमेरिका के दबाव पर शास्त्री जी शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से रूस की राजधानी ताशकंद में मिलने गए थे उन पर दबाव डालकर हस्ताक्षर करवाया गया था। 11 जनवरी 1966 को रहस्यमयी मौत को दिल का दौरा बताया गया। उनके मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम नहीं किया गया था।क्योंकि उन्हें जहर देकर मार दिया गया था लाल बहादुर शास्त्री अंतिम संस्कार कहा जाता है कि उन्हें जहर देकर मारा गया था जो कि एक सोची समझी साजिश थी आज भी ताशकंद की आबोहवा में शास्त्री जी के मौत का राज दबा हुआ है। इस तरह 18 महीने ही शास्त्री जी ने भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर कमान संभाली थी। उनकी मृत्यु के बाद पुनः गुलजारी लाल नंदा को प्रधानमंत्री बनाया गया है। उनकी अंतिम संस्कार यमुना नदी के किनारे की गई उस स्थान को विजय घाट के नाम दिया गया।
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लाल बहादुर शास्त्री के वक्तव्य
1. देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाए गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
2. हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है- लोगों में एकता स्थापित करना।
3.सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक साधनों से नहीं आ सकते हैं।
4.आजादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है, पूरे देश को मजबूत होना होगा।
5. अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत होती है।
6. यदि कोई व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा।
7.आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन ‘गरीबी‘ और ‘बेरोजगारी‘ से लड़ सकें।
8. देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाए गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
9. हम ना केवल अपने लिए बल्कि पूरे विश्व के लोगों के लिए शांति और विकास में विश्वास करते हैं।
10.हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।
लाल बहादुर शास्त्री को बचपन में किस नाम से संबोधित किया जाता था?
लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिए गए नारों के नाम?
मरो नहीं मारो
जय जवान जय किसान