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• सदन की स्वतंत्रता
• अभिव्यक्ति की आज़ादी और बोलने की आज़ादी
• धर्म की स्वतंत्रता
• महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा
• एलजीबीटी समुदाय एवं नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के तत्वावधान में बनाया गया था. इसको बनाने का उद्देश्य था संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को प्रतिस्थापित करना. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य स्वयं प्राथमिक मानवाधिकार हननकर्ता थे, इस कारण से कि परिषद की सख्त आलोचना होती थी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद मानवाधिकार के उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) के साथ समन्वय में काम करती है.
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से निष्काषित सदस्य संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अभी तक दो सदस्य देशों को निष्काषित किया जा चुका है, हालाँकि रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का पहला स्थायी सदस्य है जिसकी संयुक्त राष्ट्र की किसी भी संस्था से सदस्यता रद्द कर दी गई है. इसके पहले 2011 में लीबिया को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा निष्काषित किया गया था. लीबिया जनरल असेंबली द्वारा निलंबित किया जाने वाला पहला देश था. अब इस सूची में रूस का नाम भी जुड़ गया है.
किसी भी सदस्य देश को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से निष्काषित करने के लिए जनरल असेंबली द्वारा दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है.संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से सम्बंधित नवीनतम अपडेट : संयुक्त राष्ट्र ने 8 अप्रैल, 2022 को यूक्रेन में रूसी सैनिकों द्वारा 'व्यवस्थित उल्लंघन' के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित कर दिया गया है.
रूस को निलंबित करने का प्रस्ताव सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा पेश किया गया था. यह प्रस्ताव “मानवाधिकार परिषद में रूसी संघ की सदस्यता के अधिकारों का निलंबन” के नाम से प्रस्तुत किया गया था. रूसी सैनिकों के यूक्रेन से पीछे हटने के बाद राजधानी कीव के बाहरी इलाके में स्थित बुचा शहर की सड़कों पर नागरिकों के बिखरे हुए शवों की वीडियो और तस्वीरों के मद्देनजर रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने की माँग उठने लगी. 7 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 193 सदस्यों से इस प्रस्ताव के बारे में उनकी राय के मुताबिक वोटिंग करवाई गयी जिसमें 93 देशों ने रूस को निलंबित करने के पक्ष में मतदान किया, चीन, बेलारूस और सीरिया समेत 24 देशों ने विरोध किया जबकि भारत, ब्राज़ील, मेक्सिको समेत 58 देशों ने इस मतदान में भाग नहीं लिया. इस विषय पर हुए मतदान में वोटिंग के बाद, रूस यूनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट्स काउन्सिल (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद) से स्वयं हट गया.
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भारत ने इस वोटिंग में भाग नहीं लिया था. भारत का मानना है कि किसी भी निर्णय तक पहुँचने से पहले जांच की उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. चीन ने रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् से निष्काषित करने के प्रस्ताव का इस आधार पर सख्त विरोध किया कि यह फैसला आग में घी डालने का काम करेगा और इससे स्थिति शायद और भी बिगड़ सकती है.