महाराष्ट्र जीन बैंक परियोजना का उद्देश्य क्या है?
महाराष्ट्र में समुद्री विविधता, स्थानीय फसलों के बीज और पशु विविधता सहित जेनेटिक रिसोर्सेज का संरक्षण प्रदान करना है।Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
परियोजना के सात विषय क्या हैं?
'महाराष्ट्र जीन बैंक प्रोजेक्ट' इन सात विषयों पर काम करेगा:1.समुद्री जैव विविधता (marine biodiversity).
2.स्थानीय फसल/बीज की वैरायटी (Variety of local crop/seed).
3.देशी मवेशियों की नस्लें (native cattle breeds).
4.शुद्ध पानी की जैव विविधता (freshwater biodiversity).
5.घास के मैदान, झाड़-झंखाड़ और पशु चरने वाली भूमि जैव विविधता (Grasslands, scrub and grazing lands Biodiversity).
6.वन अधिकार के तहत क्षेत्रों के लिए संरक्षण और प्रबंधन योजना (Conservation and Management Plan for Areas Under Forest Rights).
7.वन क्षेत्रों का कायाकल्प ( Rejuvenation of forest areas).
इस प्रोजेक्ट के तहत कितना लागत आएगा ?
अगले पांच सालों में इन सात फोकस क्षेत्रों पर ₹172.39 करोड़ रुपये खर्च की जाएगी।इस प्रोजेक्ट के तहत प्रमुख गतिविधियां क्या हैं?
1.स्वदेशी नॉलेज रिसोर्स का उपयोग किया जाएगा।
2.प्रजातियों और स्थानीय समुदायों के नॉलेज को अच्छी तरह से डॉक्यूमेंट किया जाएगा।
3.जेनेटिक और मॉलिक्यूलर नमूनों को संरक्षित किया जाएगा और उनके प्रजनकों का समर्थन किया जाएगा।
4.फसल जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए, सरकार जीनोम वाहकों को प्रोत्साहित करेगी जो स्थानीय फसल किस्मों के बीजों का संरक्षण करते हैं और बीज बैंक बनाते हैं।
महाराष्ट्र की प्रसिद्ध स्थानीय प्रजातियां कौन सी हैं?
मवेशियों की प्रजातियाँ: गावलाऊ, डांगी और कंधारी गायें जो वर्धा, उत्तरी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में पाई जाती हैं। उस्मानाबादी नस्ल की बकरियां, पंढरपुरी भैंस। Polity E-Book-Download Nowपरियोजना के क्या लाभ होंगे?
जैव विविधता का संरक्षण किया जाएगा। food chain पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना।परियोजना को कौन लागू करेगा?
यह परियोजना महाराष्ट्र राज्य जैव विविधता बोर्ड (Maharashtra State Biodiversity Board (MSBB)) द्वारा एग्जीक्यूट की जाएगी और मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (वन) के अंतर्गत समितियों द्वारा इसकी देखरेख की जाएगी।महाराष्ट्र राज्य जैव विविधता बोर्ड, rare और endangered marine species के दस्तावेज और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) गोवा जैसे संस्थानों के साथ समन्वय करेगा।
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